< यशायाह 61 >

1 प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया और मुझे इसलिए भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूँ; कि बन्दियों के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करूँ;
ר֛וּחַ אֲדֹנָ֥י יְהוִ֖ה עָלָ֑י יַ֡עַן מָשַׁח֩ יְהוָ֨ה אֹתִ֜י לְבַשֵּׂ֣ר עֲנָוִ֗ים שְׁלָחַ֙נִי֙ לַחֲבֹ֣שׁ לְנִשְׁבְּרֵי־לֵ֔ב לִקְרֹ֤א לִשְׁבוּיִם֙ דְּר֔וֹר וְלַאֲסוּרִ֖ים פְּקַח־קֽוֹחַ׃
2 कि यहोवा के प्रसन्न रहने के वर्ष का और हमारे परमेश्वर के पलटा लेने के दिन का प्रचार करूँ; कि सब विलाप करनेवालों को शान्ति दूँ।
לִקְרֹ֤א שְׁנַת־רָצוֹן֙ לַֽיהוָ֔ה וְי֥וֹם נָקָ֖ם לֵאלֹהֵ֑ינוּ לְנַחֵ֖ם כָּל־אֲבֵלִֽים׃
3 और सिय्योन के विलाप करनेवालों के सिर पर की राख दूर करके सुन्दर पगड़ी बाँध दूँ, कि उनका विलाप दूर करके हर्ष का तेल लगाऊँ और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ना ओढ़ाऊँ; जिससे वे धार्मिकता के बांज वृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलाएँ और जिससे उसकी महिमा प्रगट हो।
לָשׂ֣וּם ׀ לַאֲבֵלֵ֣י צִיּ֗וֹן לָתֵת֩ לָהֶ֨ם פְּאֵ֜ר תַּ֣חַת אֵ֗פֶר שֶׁ֤מֶן שָׂשׂוֹן֙ תַּ֣חַת אֵ֔בֶל מַעֲטֵ֣ה תְהִלָּ֔ה תַּ֖חַת ר֣וּחַ כֵּהָ֑ה וְקֹרָ֤א לָהֶם֙ אֵילֵ֣י הַצֶּ֔דֶק מַטַּ֥ע יְהוָ֖ה לְהִתְפָּאֵֽר׃
4 तब वे बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएँगे, पूर्वकाल से पड़े हुए खण्डहरों में वे फिर घर बनाएँगे; उजड़े हुए नगरों को जो पीढ़ी-पीढ़ी से उजड़े हुए हों वे फिर नये सिरे से बसाएँगे।
וּבָנוּ֙ חָרְב֣וֹת עוֹלָ֔ם שֹׁמְמ֥וֹת רִֽאשֹׁנִ֖ים יְקוֹמֵ֑מוּ וְחִדְּשׁוּ֙ עָ֣רֵי חֹ֔רֶב שֹׁמְמ֖וֹת דּ֥וֹר וָדֽוֹר׃
5 परदेशी आ खड़े होंगे और तुम्हारी भेड़-बकरियों को चराएँगे और विदेशी लोग तुम्हारे हल चलानेवाले और दाख की बारी के माली होंगे;
וְעָמְד֣וּ זָרִ֔ים וְרָע֖וּ צֹאנְכֶ֑ם וּבְנֵ֣י נֵכָ֔ר אִכָּרֵיכֶ֖ם וְכֹרְמֵיכֶֽם׃
6 पर तुम यहोवा के याजक कहलाओगे, वे तुम को हमारे परमेश्वर के सेवक कहेंगे; और तुम जाति-जाति की धन-सम्पत्ति को खाओगे, उनके वैभव की वस्तुएँ पाकर तुम बड़ाई करोगे।
וְאַתֶּ֗ם כֹּהֲנֵ֤י יְהוָה֙ תִּקָּרֵ֔אוּ מְשָׁרְתֵ֣י אֱלֹהֵ֔ינוּ יֵאָמֵ֖ר לָכֶ֑ם חֵ֤יל גּוֹיִם֙ תֹּאכֵ֔לוּ וּבִכְבוֹדָ֖ם תִּתְיַמָּֽרוּ׃
7 तुम्हारी नामधराई के बदले दूना भाग मिलेगा, अनादर के बदले तुम अपने भाग के कारण जयजयकार करोगे; तुम अपने देश में दूने भाग के अधिकारी होंगे; और सदा आनन्दित बने रहोगे।
תַּ֤חַת בָּשְׁתְּכֶם֙ מִשְׁנֶ֔ה וּכְלִמָּ֖ה יָרֹ֣נּוּ חֶלְקָ֑ם לָכֵ֤ן בְּאַרְצָם֙ מִשְׁנֶ֣ה יִירָ֔שׁוּ שִׂמְחַ֥ת עוֹלָ֖ם תִּֽהְיֶ֥ה לָהֶֽם׃
8 क्योंकि, मैं यहोवा न्याय से प्रीति रखता हूँ, मैं अन्याय और डकैती से घृणा करता हूँ; इसलिए मैं उनको उनका प्रतिफल सच्चाई से दूँगा, और उनके साथ सदा की वाचा बाँधूँगा।
כִּ֣י אֲנִ֤י יְהוָה֙ אֹהֵ֣ב מִשְׁפָּ֔ט שֹׂנֵ֥א גָזֵ֖ל בְּעוֹלָ֑ה וְנָתַתִּ֤י פְעֻלָּתָם֙ בֶּאֱמֶ֔ת וּבְרִ֥ית עוֹלָ֖ם אֶכְר֥וֹת לָהֶֽם׃
9 उनका वंश जाति-जाति में और उनकी सन्तान देश-देश के लोगों के बीच प्रसिद्ध होगी; जितने उनको देखेंगे, पहचान लेंगे कि यह वह वंश है जिसको परमेश्वर ने आशीष दी है।
וְנוֹדַ֤ע בַּגּוֹיִם֙ זַרְעָ֔ם וְצֶאֱצָאֵיהֶ֖ם בְּת֣וֹךְ הָעַמִּ֑ים כָּל־רֹֽאֵיהֶם֙ יַכִּיר֔וּם כִּ֛י הֵ֥ם זֶ֖רַע בֵּרַ֥ךְ יְהוָֽה׃ ס
10 १० मैं यहोवा के कारण अति आनन्दित होऊँगा, मेरा प्राण परमेश्वर के कारण मगन रहेगा; क्योंकि उसने मुझे उद्धार के वस्त्र पहनाए, और धार्मिकता की चद्दर ऐसे ओढ़ा दी है जैसे दूल्हा फूलों की माला से अपने आपको सजाता और दुल्हन अपने गहनों से अपना सिंगार करती है।
שׂ֧וֹשׂ אָשִׂ֣ישׂ בַּֽיהוָ֗ה תָּגֵ֤ל נַפְשִׁי֙ בֵּֽאלֹהַ֔י כִּ֤י הִלְבִּישַׁ֙נִי֙ בִּגְדֵי־יֶ֔שַׁע מְעִ֥יל צְדָקָ֖ה יְעָטָ֑נִי כֶּֽחָתָן֙ יְכַהֵ֣ן פְּאֵ֔ר וְכַכַּלָּ֖ה תַּעְדֶּ֥ה כֵלֶֽיהָ׃
11 ११ क्योंकि जैसे भूमि अपनी उपज को उगाती, और बारी में जो कुछ बोया जाता है उसको वह उपजाती है, वैसे ही प्रभु यहोवा सब जातियों के सामने धार्मिकता और धन्यवाद को बढ़ाएगा।
כִּ֤י כָאָ֙רֶץ֙ תּוֹצִ֣יא צִמְחָ֔הּ וּכְגַנָּ֖ה זֵרוּעֶ֣יהָ תַצְמִ֑יחַ כֵּ֣ן ׀ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֗ה יַצְמִ֤יחַ צְדָקָה֙ וּתְהִלָּ֔ה נֶ֖גֶד כָּל־הַגּוֹיִֽם׃

< यशायाह 61 >