< यशायाह 60 >

1 उठ, प्रकाशमान हो; क्योंकि तेरा प्रकाश आ गया है, और यहोवा का तेज तेरे ऊपर उदय हुआ है।
«قُومِي ٱسْتَنِيرِي لِأَنَّهُ قَدْ جَاءَ نُورُكِ، وَمَجْدُ ٱلرَّبِّ أَشْرَقَ عَلَيْكِ.١
2 देख, पृथ्वी पर तो अंधियारा और राज्य-राज्य के लोगों पर घोर अंधकार छाया हुआ है; परन्तु तेरे ऊपर यहोवा उदय होगा, और उसका तेज तुझ पर प्रगट होगा।
لِأَنَّهُ هَا هِيَ ٱلظُّلْمَةُ تُغَطِّي ٱلْأَرْضَ وَٱلظَّلَامُ ٱلدَّامِسُ ٱلْأُمَمَ. أَمَّا عَلَيْكِ فَيُشْرِقُ ٱلرَّبُّ، وَمَجْدُهُ عَلَيْكِ يُرَى.٢
3 जाति-जाति तेरे पास प्रकाश के लिये और राजा तेरे आरोहण के प्रताप की ओर आएँगे।
فَتَسِيرُ ٱلْأُمَمُ فِي نُورِكِ، وَٱلْمُلُوكُ فِي ضِيَاءِ إِشْرَاقِكِ.٣
4 अपनी आँखें चारों ओर उठाकर देख; वे सब के सब इकट्ठे होकर तेरे पास आ रहे हैं; तेरे पुत्र दूर से आ रहे हैं, और तेरी पुत्रियाँ हाथों-हाथ पहुँचाई जा रही हैं।
«اِرْفَعِي عَيْنَيْكِ حَوَالَيْكِ وَٱنْظُرِي. قَدِ ٱجْتَمَعُوا كُلُّهُمْ. جَاءُوا إِلَيْكِ. يَأْتِي بَنُوكِ مِنْ بَعِيدٍ وَتُحْمَلُ بَنَاتُكِ عَلَى ٱلْأَيْدِي.٤
5 तब तू इसे देखेगी और तेरा मुख चमकेगा, तेरा हृदय थरथराएगा और आनन्द से भर जाएगा; क्योंकि समुद्र का सारा धन और जाति-जाति की धन-सम्पत्ति तुझको मिलेगी।
حِينَئِذٍ تَنْظُرِينَ وَتُنِيرِينَ وَيَخْفُقُ قَلْبُكِ وَيَتَّسِعُ، لِأَنَّهُ تَتَحَوَّلُ إِلَيْكِ ثَرْوَةُ ٱلْبَحْرِ، وَيَأْتِي إِلَيْكِ غِنَى ٱلْأُمَمِ.٥
6 तेरे देश में ऊँटों के झुण्ड और मिद्यान और एपा देशों की साँड़नियाँ इकट्ठी होंगी; शेबा के सब लोग आकर सोना और लोबान भेंट लाएँगे और यहोवा का गुणानुवाद आनन्द से सुनाएँगे।
تُغَطِّيكِ كَثْرَةُ ٱلْجِمَالِ، بُكْرَانُ مِدْيَانَ وَعِيفَةَ كُلُّهَا تَأْتِي مِنْ شَبَا. تَحْمِلُ ذَهَبًا وَلُبَانًا، وَتُبَشِّرُ بِتَسَابِيحِ ٱلرَّبِّ.٦
7 केदार की सब भेड़-बकरियाँ इकट्ठी होकर तेरी हो जाएँगी, नबायोत के मेढ़े तेरी सेवा टहल के काम में आएँगे; मेरी वेदी पर वे ग्रहण किए जाएँगे और मैं अपने शोभायमान भवन को और भी प्रतापी कर दूँगा।
كُلُّ غَنَمِ قِيدَارَ تَجْتَمِعُ إِلَيْكِ. كِبَاشُ نَبَايُوتَ تَخْدِمُكِ. تَصْعَدُ مَقْبُولَةً عَلَى مَذْبَحِي، وَأُزَيِّنُ بَيْتَ جَمَالِي.٧
8 ये कौन हैं जो बादल के समान और अपने दरबों की ओर उड़ते हुए कबूतरों के समान चले आते हैं?
مَنْ هَؤُلَاءِ ٱلطَّائِرُونَ كَسَحَابٍ وَكَالْحَمَامِ إِلَى بُيُوتِهَا؟٨
9 निश्चय द्वीप मेरी ही बाट देखेंगे, पहले तो तर्शीश के जहाज आएँगे, कि तेरे पुत्रों को सोने- चाँदी समेत तेरे परमेश्वर यहोवा अर्थात् इस्राएल के पवित्र के नाम के निमित्त दूर से पहुँचाए, क्योंकि उसने तुझे शोभायमान किया है।
إِنَّ ٱلْجَزَائِرَ تَنْتَظِرُنِي، وَسُفُنَ تَرْشِيشَ فِي ٱلْأَوَّلِ، لِتَأْتِيَ بِبَنِيكِ مِنْ بَعِيدٍ وَفِضَّتُهُمْ وَذَهَبُهُمْ مَعَهُمْ، لِٱسْمِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكِ وَقُدُّوسِ إِسْرَائِيلَ، لِأَنَّهُ قَدْ مَجَّدَكِ.٩
10 १० परदेशी लोग तेरी शहरपनाह को उठाएँगे, और उनके राजा तेरी सेवा टहल करेंगे; क्योंकि मैंने क्रोध में आकर तुझे दुःख दिया था, परन्तु अब तुझ से प्रसन्न होकर तुझ पर दया की है।
«وَبَنُو ٱلْغَرِيبِ يَبْنُونَ أَسْوَارَكِ، وَمُلُوكُهُمْ يَخْدِمُونَكِ. لِأَنِّي بِغَضَبِي ضَرَبْتُكِ، وَبِرِضْوَانِي رَحِمْتُكِ.١٠
11 ११ तेरे फाटक सदैव खुले रहेंगे; दिन और रात वे बन्द न किए जाएँगे जिससे जाति-जाति की धन-सम्पत्ति और उनके राजा बन्दी होकर तेरे पास पहुँचाए जाएँ।
وَتَنْفَتِحُ أَبْوَابُكِ دَائِمًا. نَهَارًا وَلَيْلًا لَا تُغْلَقُ. لِيُؤْتَى إِلَيْكِ بِغِنَى ٱلْأُمَمِ، وَتُقَادَ مُلُوكُهُمْ.١١
12 १२ क्योंकि जो जाति और राज्य के लोग तेरी सेवा न करें वे नष्ट हो जाएँगे; हाँ ऐसी जातियाँ पूरी रीति से सत्यानाश हो जाएँगी।
لِأَنَّ ٱلْأُمَّةَ وَٱلْمَمْلَكَةَ ٱلَّتِي لَا تَخْدِمُكِ تَبِيدُ، وَخَرَابًا تُخْرَبُ ٱلْأُمَمُ.١٢
13 १३ लबानोन का वैभव अर्थात् सनोवर और देवदार और चीड़ के पेड़ एक साथ तेरे पास आएँगे कि मेरे पवित्रस्थान को सुशोभित करें; और मैं अपने चरणों के स्थान को महिमा दूँगा।
مَجْدُ لُبْنَانَ إِلَيْكِ يَأْتِي. ٱلسَّرْوُ وَٱلسِّنْدِيَانُ وَٱلشَّرْبِينُ مَعًا لِزِينَةِ مَكَانِ مَقْدِسِي، وَأُمَجِّدُ مَوْضِعَ رِجْلَيَّ.١٣
14 १४ तेरे दुःख देनेवालों की सन्तान तेरे पास सिर झुकाए हुए आएँगी; और जिन्होंने तेरा तिरस्कार किया सब तेरे पाँवों पर गिरकर दण्डवत् करेंगे; वे तेरा नाम यहोवा का नगर, इस्राएल के पवित्र का सिय्योन रखेंगे।
«وَبَنُو ٱلَّذِينَ قَهَرُوكِ يَسِيرُونَ إِلَيْكِ خَاضِعِينَ، وَكُلُّ ٱلَّذِينَ أَهَانُوكِ يَسْجُدُونَ لَدَى بَاطِنِ قَدَمَيْكِ، وَيَدْعُونَكِ: مَدِينَةَ ٱلرَّبِّ، «صِهْيَوْنَ قُدُّوسِ إِسْرَائِيلَ.١٤
15 १५ तू जो त्यागी गई और घृणित ठहरी, यहाँ तक कि कोई तुझ में से होकर नहीं जाता था, इसके बदले मैं तुझे सदा के घमण्ड का और पीढ़ी-पीढ़ी के हर्ष का कारण ठहराऊँगा।
عِوَضًا عَنْ كَوْنِكِ مَهْجُورَةً وَمُبْغَضَةً بِلَا عَابِرٍ بِكِ، أَجْعَلُكِ فَخْرًا أَبَدِيًّا فَرَحَ دَوْرٍ فَدَوْرٍ.١٥
16 १६ तू जाति-जाति का दूध पी लेगी, तू राजाओं की छातियाँ चूसेगी; और तू जान लेगी कि मैं यहोवा तेरा उद्धारकर्ता और तेरा छुड़ानेवाला, याकूब का सर्वशक्तिमान हूँ।
وَتَرْضَعِينَ لَبَنَ ٱلْأُمَمِ، وَتَرْضَعِينَ ثُدِيَّ مُلُوكٍ، وَتَعْرِفِينَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ مُخَلِّصُكِ وَوَلِيُّكِ عَزِيزُ يَعْقُوبَ.١٦
17 १७ मैं पीतल के बदले सोना, लोहे के बदले चाँदी, लकड़ी के बदले पीतल और पत्थर के बदले लोहा लाऊँगा। मैं तेरे हाकिमों को मेल-मिलाप और तेरे चौधरियों को धार्मिकता ठहराऊँगा।
عِوَضًا عَنِ ٱلنُّحَاسِ آتِي بِٱلذَّهَبِ، وَعِوَضًا عَنِ ٱلْحَدِيدِ آتِي بِٱلْفِضَّةِ، وَعِوَضًا عَنِ ٱلْخَشَبِ بِٱلنُّحَاسِ، وَعِوَضًا عَنِ ٱلْحِجَارَةِ بِٱلْحَدِيدِ، وَأَجْعَلُ وُكَلَاءَكِ سَلَامًا وَوُلَاتَكِ بِرًّا.١٧
18 १८ तेरे देश में फिर कभी उपद्रव और तेरी सीमाओं के भीतर उत्पात या अंधेर की चर्चा न सुनाई पड़ेगी; परन्तु तू अपनी शहरपनाह का नाम उद्धार और अपने फाटकों का नाम यश रखेगी।
«لَا يُسْمَعُ بَعْدُ ظُلْمٌ فِي أَرْضِكِ، وَلَا خَرَابٌ أَوْ سَحْقٌ فِي تُخُومِكِ، بَلْ تُسَمِّينَ أَسْوَارَكِ: خَلَاصًا وَأَبْوَابَكِ: تَسْبِيحًا.١٨
19 १९ फिर दिन को सूर्य तेरा उजियाला न होगा, न चाँदनी के लिये चन्द्रमा परन्तु यहोवा तेरे लिये सदा का उजियाला और तेरा परमेश्वर तेरी शोभा ठहरेगा।
لَا تَكُونُ لَكِ بَعْدُ ٱلشَّمْسُ نُورًا فِي ٱلنَّهَارِ، وَلَا ٱلْقَمَرُ يُنِيرُ لَكِ مُضِيئًا، بَلِ ٱلرَّبُّ يَكُونُ لَكِ نُورًا أَبَدِيًّا وَإِلَهُكِ زِينَتَكِ.١٩
20 २० तेरा सूर्य फिर कभी अस्त न होगा और न तेरे चन्द्रमा की ज्योति मलिन होगी; क्योंकि यहोवा तेरी सदैव की ज्योति होगा और तेरे विलाप के दिन समाप्त हो जाएँगे।
لَا تَغِيبُ بَعْدُ شَمْسُكِ، وَقَمَرُكِ لَا يَنْقُصُ، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ يَكُونُ لَكِ نُورًا أَبَدِيًّا، وَتُكْمَلُ أَيَّامُ نَوْحِكِ.٢٠
21 २१ तेरे लोग सब के सब धर्मी होंगे; वे सर्वदा देश के अधिकारी रहेंगे, वे मेरे लगाए हुए पौधे और मेरे हाथों का काम ठहरेंगे, जिससे मेरी महिमा प्रगट हो।
وَشَعْبُكِ كُلُّهُمْ أَبْرَارٌ. إِلَى ٱلْأَبَدِ يَرِثُونَ ٱلْأَرْضَ، غُصْنُ غَرْسِي عَمَلُ يَدَيَّ لِأَتَمَجَّدَ.٢١
22 २२ छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सबसे दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूँ; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूँगा।
اَلصَّغِيرُ يَصِيرُ أَلْفًا وَٱلْحَقِيرُ أُمَّةً قَوِيَّةً. أَنَا ٱلرَّبُّ فِي وَقْتِهِ أُسْرِعُ بِهِ».٢٢

< यशायाह 60 >