< यशायाह 56 >
1 १ यहोवा यह कहता है, “न्याय का पालन करो, और धर्म के काम करो; क्योंकि मैं शीघ्र तुम्हारा उद्धार करूँगा, और मेरा धर्मी होना प्रगट होगा।
Voici ce que dit le Seigneur: Gardez le jugement et pratiquez la justice; parce que mon salut est près de venir, et ma justice, d’être révélée.
2 २ क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो ऐसा ही करता, और वह आदमी जो इस पर स्थिर रहता है, जो विश्रामदिन को पवित्र मानता और अपवित्र करने से बचा रहता है, और अपने हाथ को सब भाँति की बुराई करने से रोकता है।”
Bienheureux l’homme qui observe ceci, et le fils de l’homme qui s’y attachera; gardant le sabbat, afin de ne pas le profaner, gardant ses mains, afin de ne faire aucun mal.
3 ३ जो परदेशी यहोवा से मिल गए हैं, वे न कहें, “यहोवा हमें अपनी प्रजा से निश्चय अलग करेगा;” और खोजे भी न कहें, “हम तो सूखे वृक्ष हैं।”
Et qu’il ne dise en aucune manière, le fils de l’étranger qui s’attache au Seigneur: Le Seigneur me séparera entièrement de son peuple. Et que l’eunuque ne dise pas: Voici que je suis un bois aride.
4 ४ “क्योंकि जो खोजे मेरे विश्रामदिन को मानते और जिस बात से मैं प्रसन्न रहता हूँ उसी को अपनाते और मेरी वाचा का पालन करते हैं,” उनके विषय यहोवा यह कहता है,
Parce que voici ce que dit le Seigneur aux eunuques: Ceux qui gardent mes sabbats, et qui choisissent ce que je veux et observent mon alliance;
5 ५ “मैं अपने भवन और अपनी शहरपनाह के भीतर उनको ऐसा नाम दूँगा जो पुत्र-पुत्रियों से कहीं उत्तम होगा; मैं उनका नाम सदा बनाए रखूँगा और वह कभी न मिटाया जाएगा।
Je leur donnerai dans ma maison et dans mes murs un lieu et un nom plus avantageux que des fils et des filles; je leur donnerai un nom éternel qui ne périra pas.
6 ६ “परदेशी भी जो यहोवा के साथ इस इच्छा से मिले हुए हैं कि उसकी सेवा टहल करें और यहोवा के नाम से प्रीति रखें और उसके दास हो जाएँ, जितने विश्रामदिन को अपवित्र करने से बचे रहते और मेरी वाचा को पालते हैं,
Et les fils de l’étranger qui s’attachent au Seigneur, afin de l’adorer et d’aimer son nom, afin d’être ses serviteurs, et tous ceux qui gardent le sabbat pour ne pas le profaner, et observent mon alliance,
7 ७ उनको मैं अपने पवित्र पर्वत पर ले आकर अपने प्रार्थना के भवन में आनन्दित करूँगा; उनके होमबलि और मेलबलि मेरी वेदी पर ग्रहण किए जाएँगे; क्योंकि मेरा भवन सब देशों के लोगों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा।
Je les conduirai sur ma montagne sainte, je les remplirai de joie dans ma maison de prière; leurs holocaustes et leurs victimes, offerts sur mon autel, me seront agréables; parce que ma maison sera appelée maison de prière pour tous les peuples.
8 ८ प्रभु यहोवा, जो निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठे करनेवाला है, उसकी यह वाणी है कि जो इकट्ठे किए गए हैं उनके साथ मैं औरों को भी इकट्ठे करके मिला दूँगा।”
Le Seigneur Dieu, qui rassemble les dispersés d’Israël, dit: Je réunirai encore à lui ceux qui se joindront à lui.
9 ९ हे मैदान के सब जन्तुओं, हे वन के सब पशुओं, खाने के लिये आओ।
Vous toutes, bêtes des champs, vous toutes, bêtes des forêts, venez pour dévorer.
10 १० उसके पहरुए अंधे हैं, वे सब के सब अज्ञानी हैं, वे सब के सब गूँगे कुत्ते हैं जो भौंक नहीं सकते; वे स्वप्न देखनेवाले और लेटे रहकर सोते रहना चाहते हैं।
Ses sentinelles sont toutes aveugles; elles sont toutes dans l’ignorance; des chiens muets, qui ne peuvent aboyer, qui voient des fantômes, qui dorment et qui aiment les songes.
11 ११ वे मरभूखे कुत्ते हैं जो कभी तृप्त नहीं होते। वे चरवाहे हैं जिनमें समझ ही नहीं; उन सभी ने अपने-अपने लाभ के लिये अपना-अपना मार्ग लिया है।
Et ces chiens d’une impudence extrême n’ont pas connu le rassasiement; les pasteurs eux-mêmes n’ont pas d’intelligence; tous se sont détournés vers leur voie, chacun vers son avarice, depuis le plus grand jusqu’au plus petit.
12 १२ वे कहते हैं, “आओ, हम दाखमधु ले आएँ, आओ मदिरा पीकर छक जाएँ; कल का दिन भी तो आज ही के समान अत्यन्त सुहावना होगा।”
Venez, disent-ils, prenons du vin, remplissons-nous-en jusqu’à l’ivresse; et comme aujourd’hui, ainsi il en sera demain, et beaucoup plus encore.