< यशायाह 56 >

1 यहोवा यह कहता है, “न्याय का पालन करो, और धर्म के काम करो; क्योंकि मैं शीघ्र तुम्हारा उद्धार करूँगा, और मेरा धर्मी होना प्रगट होगा।
Thus saith the LORD, Keep ye judgment, and do righteousness: for my salvation is near to come, and my righteousness to be revealed.
2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो ऐसा ही करता, और वह आदमी जो इस पर स्थिर रहता है, जो विश्रामदिन को पवित्र मानता और अपवित्र करने से बचा रहता है, और अपने हाथ को सब भाँति की बुराई करने से रोकता है।”
Blessed is the man that doeth this, and the son of man that holdeth fast by it; that keepeth the sabbath from profaning it, and keepeth his hand from doing any evil.
3 जो परदेशी यहोवा से मिल गए हैं, वे न कहें, “यहोवा हमें अपनी प्रजा से निश्चय अलग करेगा;” और खोजे भी न कहें, “हम तो सूखे वृक्ष हैं।”
Neither let the stranger, that hath joined himself to the LORD, speak, saying, The LORD will surely separate me from his people: neither let the eunuch say, Behold, I am a dry tree.
4 “क्योंकि जो खोजे मेरे विश्रामदिन को मानते और जिस बात से मैं प्रसन्न रहता हूँ उसी को अपनाते और मेरी वाचा का पालन करते हैं,” उनके विषय यहोवा यह कहता है,
For thus saith the LORD of the eunuchs that keep my sabbaths, and choose the things that please me, and hold fast by my covenant:
5 “मैं अपने भवन और अपनी शहरपनाह के भीतर उनको ऐसा नाम दूँगा जो पुत्र-पुत्रियों से कहीं उत्तम होगा; मैं उनका नाम सदा बनाए रखूँगा और वह कभी न मिटाया जाएगा।
Unto them will I give in mine house and within my walls a memorial and a name better than of sons and of daughters; I will give them an everlasting name, that shall not be cut off.
6 “परदेशी भी जो यहोवा के साथ इस इच्छा से मिले हुए हैं कि उसकी सेवा टहल करें और यहोवा के नाम से प्रीति रखें और उसके दास हो जाएँ, जितने विश्रामदिन को अपवित्र करने से बचे रहते और मेरी वाचा को पालते हैं,
Also the strangers, that join themselves to the LORD, to minister unto him, and to love the name of the LORD, to be his servants, every one that keepeth the sabbath from profaning it, and holdeth fast by my covenant;
7 उनको मैं अपने पवित्र पर्वत पर ले आकर अपने प्रार्थना के भवन में आनन्दित करूँगा; उनके होमबलि और मेलबलि मेरी वेदी पर ग्रहण किए जाएँगे; क्योंकि मेरा भवन सब देशों के लोगों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा।
even them will I bring to my holy mountain, and make them joyful in my house of prayer; their burnt offerings and their sacrifices shall be accepted upon mine altar: for mine house shall be called an house of prayer for all peoples.
8 प्रभु यहोवा, जो निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठे करनेवाला है, उसकी यह वाणी है कि जो इकट्ठे किए गए हैं उनके साथ मैं औरों को भी इकट्ठे करके मिला दूँगा।”
The Lord GOD which gathereth the outcasts of Israel saith, Yet will I gather [others] to him, beside his own that are gathered.
9 हे मैदान के सब जन्तुओं, हे वन के सब पशुओं, खाने के लिये आओ।
All ye beasts of the field, come to devour, [yea], all ye beasts in the forest.
10 १० उसके पहरुए अंधे हैं, वे सब के सब अज्ञानी हैं, वे सब के सब गूँगे कुत्ते हैं जो भौंक नहीं सकते; वे स्वप्न देखनेवाले और लेटे रहकर सोते रहना चाहते हैं।
His watchmen are blind, they are all without knowledge; they are all dumb dogs, they cannot bark; dreaming, lying down, loving to slumber.
11 ११ वे मरभूखे कुत्ते हैं जो कभी तृप्त नहीं होते। वे चरवाहे हैं जिनमें समझ ही नहीं; उन सभी ने अपने-अपने लाभ के लिये अपना-अपना मार्ग लिया है।
Yea, the dogs are greedy, they can never have enough; and these are shepherds that cannot understand: they have all turned to their own way, each one to his gain, from every quarter.
12 १२ वे कहते हैं, “आओ, हम दाखमधु ले आएँ, आओ मदिरा पीकर छक जाएँ; कल का दिन भी तो आज ही के समान अत्यन्त सुहावना होगा।”
Come ye, [say they], I will fetch wine, and we will fill ourselves with strong drink; and tomorrow shall be as this day, [a day] great beyond measure.

< यशायाह 56 >