< यशायाह 53 >
1 १ जो समाचार हमें दिया गया, उसका किसने विश्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?
Wer glaubte unserer Botschaft? Wem wird der Arm des Herrn enthüllt?
2 २ क्योंकि वह उसके सामने अंकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते।
Er wächst für sich so, wie ein Reis, so, wie aus dürrem Erdreich eine Wurzel, ist ohne Schönheit und Gestalt; er zieht auf sich nicht unsere Blicke; ist ohne Ansehn, aller Reize für uns bar.
3 ३ वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दुःखी पुरुष था, रोग से उसकी जान-पहचान थी; और लोग उससे मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हमने उसका मूल्य न जाना।
Er ist verachtet und von aller Welt verlassen, ein Schmerzensmann, dem Krankheit wohlbekannt, verachtet so wie einer, der sein Angesicht vor uns verhüllen muß. Wir rechnen nimmermehr mit ihm.
4 ४ निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुःखों को उठा लिया; तो भी हमने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा।
Und dennoch trägt er unsere Leiden, erduldet unsere Schmerzen, wiewohl er uns, als ein von Gott Getroffener, nur Schläge zu verdienen scheint und Qualen.
5 ५ परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएँ।
So ist er denn durch unsre Schuld zerfleischt, durch unsere Verschuldung so zerschlagen. Zu unsrer Wohlfahrt nur fällt er der Züchtigung anheim, durch seine Striemen wird uns Heilung.
6 ६ हम तो सब के सब भेड़ों के समान भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना-अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभी के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।
Wir sind wie Schafe allesamt verlaufen; ein jeder folgt nur seinem Wege. So läßt der Herr all unsere Schuld ihn treffen.
7 ७ वह सताया गया, तो भी वह सहता रहा और अपना मुँह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय और भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुँह न खोला।
Er wird mißhandelt, beugt sich nieder, tut den Mund nicht auf gleich einem Lamm, das man zur Schlachtbank führt. Gleich einem Mutterschaf, verstummt vor seinen Scherern, tut er den Mund nicht auf.
8 ८ अत्याचार करके और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगों में से किसने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवितों के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी।
Man schleppt ihn aus Gefängnis und Gericht zum Tode. Wer überlegt sein Schicksal? Aus der Lebendigen Land soll er gerissen werden. Aus meines Volkes Schuld fließt ihm das Unheil zu.
9 ९ उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उसने किसी प्रकार का उपद्रव न किया था और उसके मुँह से कभी छल की बात नहीं निकली थी।
Schon gibt man ihm sein Grab bei Missetätern und seine Grabstätte bei Armen, obwohl er nicht Gewalttat ausgeübt und kein Betrug in seinem Mund gewesen.
10 १० तो भी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब वह अपना प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी।
Der Herr verwundet ihn; in Leiden wissen will er ihn, daß, hat er erst gebüßt, er Nachwuchs sehe, lange lebend, und daß durch ihn des Herren Wunsch gelinge.
11 ११ वह अपने प्राणों का दुःख उठाकर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा।
Nach seiner Seele Leid wird er, erfüllt mit seiner Kenntnis, sie genießen. Selbst glücklich, macht mein Diener viele glücklich, nachdem er ihre Schuld getragen.
12 १२ इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूँगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बाँट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया, तो भी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठा लिया, और, अपराधी के लिये विनती करता है।
Drum mache ich ihn auch zum Herren über Große und gebe ihm zur Beute Mächtige, weil er dem Tod sich stellen, sich unter Missetäter zählen läßt. Er, der die Sünde vieler trägt, tritt noch für Übeltäter ein.