< यशायाह 47 >

1 हे बाबेल की कुमारी बेटी, उतर आ और धूल पर बैठ; हे कसदियों की बेटी तू बिना सिंहासन भूमि पर बैठ! क्योंकि तू अब फिर कोमल और सुकुमार न कहलाएगी।
[Descende, sede in pulvere, virgo filia Babylon: sede in terra; non est solium filiæ Chaldæorum, quia ultra non vocaberis mollis et tenera.
2 चक्की लेकर आटा पीस, अपना घूँघट हटा और घाघरा समेट ले और उघाड़ी टाँगों से नदियों को पार कर।
Tolle molam, et mole farinam; denuda turpitudinem tuam; discooperi humerum, revela crura, transi flumina.
3 तेरी नग्नता उघाड़ी जाएगी और तेरी लज्जा प्रगट होगी। मैं बदला लूँगा और किसी मनुष्य को न छोड़ूँगा।
Revelabitur ignominia tua, et videbitur opprobrium tuum; ultionem capiam, et non resistet mihi homo.
4 हमारा छुटकारा देनेवाले का नाम सेनाओं का यहोवा और इस्राएल का पवित्र है।
Redemptor noster, Dominus exercituum nomen illius, Sanctus Israël.
5 हे कसदियों की बेटी, चुपचाप बैठी रह और अंधियारे में जा; क्योंकि तू अब राज्य-राज्य की स्वामिनी न कहलाएगी।
Sede tacens, et intra in tenebras, filia Chaldæorum, quia non vocaberis ultra domina regnorum.
6 मैंने अपनी प्रजा से क्रोधित होकर अपने निज भाग को अपवित्र ठहराया और तेरे वश में कर दिया; तूने उन पर कुछ दया न की; बूढ़ों पर तूने अपना अत्यन्त भारी जूआ रख दिया।
Iratus sum super populum meum: contaminavi hæreditatem meam, et dedi eos in manu tua: non posuisti eis misericordias; super senem aggravasti jugum tuum valde.
7 तूने कहा, “मैं सर्वदा स्वामिनी बनी रहूँगी,” इसलिए तूने अपने मन में इन बातों पर विचार न किया और यह भी न सोचा कि उनका क्या फल होगा।
Et dixisti: In sempiternum ero domina. Non posuisti hæc super cor tuum, neque recordata es novissimi tui.
8 इसलिए सुन, तू जो राग-रंग में उलझी हुई निडर बैठी रहती है और मन में कहती है कि “मैं ही हूँ, और मुझे छोड़ कोई दूसरा नहीं; मैं विधवा के समान न बैठूँगी और न मेरे बाल-बच्चे मिटेंगे।”
Et nunc audi hæc delicata, et habitans confidenter, quæ dicis in corde tuo: Ego sum, et non est præter me amplius; non sedebo vidua, et ignorabo sterilitatem.
9 सुन, ये दोनों दुःख अर्थात् लड़कों का जाता रहना और विधवा हो जाना, अचानक एक ही दिन तुझ पर आ पड़ेंगे। तेरे बहुत से टोन्हों और तेरे भारी-भारी तंत्र-मंत्रों के रहते भी ये तुझ पर अपने पूरे बल से आ पड़ेंगे।
Venient tibi duo hæc subito in die una, sterilitas et viduitas: universa venerunt super te, propter multitudinem maleficiorum tuorum, et propter duritiam incantatorum tuorum vehementem.
10 १० तूने अपनी दुष्टता पर भरोसा रखा, तूने कहा, “मुझे कोई नहीं देखता;” तेरी बुद्धि और ज्ञान ने तुझे बहकाया और तूने अपने मन में कहा, “मैं ही हूँ और मेरे सिवाय कोई दूसरा नहीं।”
Et fiduciam habuisti in malitia tua, et dixisti: Non est qui videat me. Sapientia tua et scientia tua, hæc decepit te. Et dixisti in corde tuo: Ego sum, et præter me non est altera.
11 ११ परन्तु तेरी ऐसी दुर्गति होगी जिसका मंत्र तू नहीं जानती, और तुझ पर ऐसी विपत्ति पड़ेगी कि तू प्रायश्चित करके उसका निवारण न कर सकेगी; अचानक विनाश तुझ पर आ पड़ेगा जिसका तुझे कुछ भी पता नहीं।
Veniet super te malum, et nescies ortum ejus; et irruet super te calamitas quam non poteris expiare; veniet super te repente miseria quam nescies.
12 १२ अपने तंत्र-मंत्र और बहुत से टोन्हों को, जिनका तूने बाल्यावस्था ही से अभ्यास किया है, उपयोग में ला, सम्भव है तू उनसे लाभ उठा सके या उनके बल से स्थिर रह सके।
Sta cum incantatoribus tuis et cum multitudine maleficiorum tuorum, in quibus laborasti ab adolescentia tua, si forte quod prosit tibi, aut si possis fieri fortior.
13 १३ तू तो युक्ति करते-करते थक गई है; अब तेरे ज्योतिषी जो नक्षत्रों को ध्यान से देखते और नये-नये चाँद को देखकर होनहार बताते हैं, वे खड़े होकर तुझे उन बातों से बचाएँ जो तुझ पर घटेंगी।
Defecisti in multitudine consiliorum tuorum. Stent, et salvent te augures cæli, qui contemplabantur sidera, et supputabant menses, ut ex eis annuntiarent ventura tibi.
14 १४ देख, वे भूसे के समान होकर आग से भस्म हो जाएँगे; वे अपने प्राणों को ज्वाला से न बचा सकेंगे। वह आग तापने के लिये नहीं, न ऐसी होगी जिसके सामने कोई बैठ सके!
Ecce facti sunt quasi stipula, ignis combussit eos; non liberabunt animam suam de manu flammæ; non sunt prunæ quibus calefiant, nec focus ut sedeant ad eum.
15 १५ जिनके लिये तू परिश्रम करती आई है वे सब तेरे लिये वैसे ही होंगे, और जो तेरी युवावस्था से तेरे संग व्यापार करते आए हैं, उनमें से प्रत्येक अपनी-अपनी दिशा की ओर चले जाएँगे; तेरा बचानेवाला कोई न रहेगा।
Sic facta sunt tibi in quibuscumque laboraveras: negotiatores tui ab adolescentia tua, unusquisque in via sua erraverunt; non est qui salvet te.]

< यशायाह 47 >