< यशायाह 46 >
1 १ बेल देवता झुक गया, नबो देवता नब गया है, उनकी प्रतिमाएँ पशुओं वरन् घरेलू पशुओं पर लदी हैं; जिन वस्तुओं को तुम उठाए फिरते थे, वे अब भारी बोझ हो गईं और थकित पशुओं पर लदी हैं।
Bowed down hath Bel, stooping is Nebo, Their idols have been for the beast and for cattle, Your burdens are loaded, a burden to the weary.
2 २ वे नब गए, वे एक संग झुक गए, वे उस भार को छुड़ा नहीं सके, और आप भी बँधुवाई में चले गए हैं।
They have stooped, they have bowed together, They have not been able to deliver the burden, And themselves into captivity have gone.
3 ३ “हे याकूब के घराने, हे इस्राएल के घराने के सब बचे हुए लोगों, मेरी ओर कान लगाकर सुनो; तुम को मैं तुम्हारी उत्पत्ति ही से उठाए रहा और जन्म ही से लिए फिरता आया हूँ।
Hearken unto Me, O house of Jacob, And all the remnant of Israel, Who are borne from the belly, Who are carried from the womb,
4 ४ तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूँगा और तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रहूँगा। मैंने तुम्हें बनाया और तुम्हें लिए फिरता रहूँगा; मैं तुम्हें उठाए रहूँगा और छुड़ाता भी रहूँगा।
Even to old age I [am] He, and to grey hairs I carry, I made, and I bear, yea, I carry and deliver.
5 ५ “तुम किस से मेरी उपमा दोगे और मुझे किसके समान बताओगे, किस से मेरा मिलान करोगे कि हम एक समान ठहरें?
To whom do ye liken Me, and make equal? And compare Me, that we may be like?
6 ६ जो थैली से सोना उण्डेलते या काँटे में चाँदी तौलते हैं, जो सुनार को मजदूरी देकर उससे देवता बनवाते हैं, तब वे उसे प्रणाम करते वरन् दण्डवत् भी करते हैं!
— They are pouring out gold from a bag, And silver on the beam they weigh, They hire a refiner, and he maketh it a god, They fall down, yea, they bow themselves.
7 ७ वे उसको कंधे पर उठाकर लिए फिरते हैं, वे उसे उसके स्थान में रख देते और वह वहीं खड़ा रहता है; वह अपने स्थान से हट नहीं सकता; यदि कोई उसकी दुहाई भी दे, तो भी न वह सुन सकता है और न विपत्ति से उसका उद्धार कर सकता है।
They lift him up on the shoulder, They carry him, and cause him to rest in his place, And he standeth, from his place he moveth not, Yea, one crieth unto him, and he answereth not, From his adversity he saveth him not.
8 ८ “हे अपराधियों, इस बात को स्मरण करो और ध्यान दो, इस पर फिर मन लगाओ।
Remember this, and shew yourselves men, Turn [it] back, O transgressors, to the heart.
9 ९ प्राचीनकाल की बातें स्मरण करो जो आरम्भ ही से है, क्योंकि परमेश्वर मैं ही हूँ, दूसरा कोई नहीं; मैं ही परमेश्वर हूँ और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है।
Remember former things of old, For I [am] Mighty, and there is none else, God — and there is none like Me.
10 १० मैं तो अन्त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया हूँ जो अब तक नहीं हुई। मैं कहता हूँ, ‘मेरी युक्ति स्थिर रहेगी और मैं अपनी इच्छा को पूरी करूँगा।’
Declaring from the beginning the latter end, And from of old that which hath not been done, Saying, 'My counsel doth stand, And all My delight I do.'
11 ११ मैं पूर्व से एक उकाब पक्षी को अर्थात् दूर देश से अपनी युक्ति के पूरा करनेवाले पुरुष को बुलाता हूँ। मैं ही ने यह बात कही है और उसे पूरी भी करूँगा; मैंने यह विचार बाँधा है और उसे सफल भी करूँगा।
Calling from the east a ravenous bird, From a far land the man of My counsel, Yea, I have spoken, yea, I bring it in, I have formed [it], yea, I do it.
12 १२ “हे कठोर मनवालों तुम जो धार्मिकता से दूर हो, कान लगाकर मेरी सुनो।
Hearken unto Me, ye mighty in heart, Who are far from righteousness.
13 १३ मैं अपनी धार्मिकता को समीप ले आने पर हूँ वह दूर नहीं है, और मेरे उद्धार करने में विलम्ब न होगा; मैं सिय्योन का उद्धार करूँगा और इस्राएल को महिमा दूँगा।”
I have brought near My righteousness, It is not far off, And My salvation — it doth not tarry, And I have given in Zion salvation, To Israel My glory!