< यशायाह 41 >
1 १ हे द्वीपों, मेरे सामने चुप रहो; देश-देश के लोग नया बल प्राप्त करें; वे समीप आकर बोलें; हम आपस में न्याय के लिये एक दूसरे के समीप आएँ।
Iles, faites silence pour m'écouter, et que les peuples raniment leurs forces; qu'ils approchent, puis qu'ils parlent! Allons ensemble au jugement!
2 २ किसने पूर्व दिशा से एक को उभारा है, जिसे वह धार्मिकता के साथ अपने पाँव के पास बुलाता है? वह जातियों को उसके वश में कर देता और उसको राजाओं पर अधिकारी ठहराता है; वह अपनी तलवार से उन्हें धूल के समान, और अपने धनुष से उड़ाए हुए भूसे के समान कर देता है।
Qui a fait lever de l'Orient celui dont la justice rencontre les pas? Qui lui a livré les nations, et lui a soumis les rois? Il fait voler leurs épées en poussière; il rend leurs arcs semblables à la paille qu'emporte le vent.
3 ३ वह उन्हें खदेड़ता और ऐसे मार्ग से, जिस पर वह कभी न चला था, बिना रोक-टोक आगे बढ़ता है।
Il les poursuit et passe en paix, par un chemin que son pied n'avait jamais foulé.
4 ४ किसने यह काम किया है और आदि से पीढ़ियों को बुलाता आया है? मैं यहोवा, जो सबसे पहला, और अन्त के समय रहूँगा; मैं वहीं हूँ।
Qui a fait cela? qui l'a accompli? Celui qui appelle les générations depuis le commencement, moi, Yahweh, qui suis le premier, et qui serai aussi avec les derniers!
5 ५ द्वीप देखकर डरते हैं, पृथ्वी के दूर देश काँप उठे और निकट आ गए हैं।
Les îles le voient et sont saisies de crainte; les extrémités de la terre tremblent; ils approchent et viennent.
6 ६ वे एक दूसरे की सहायता करते हैं और उनमें से एक अपने भाई से कहता है, “हियाव बाँध!”
Chacun aide son compagnon, et l'un dit à l'autre: Prends courage!
7 ७ बढ़ई सुनार को और हथौड़े से बराबर करनेवाला निहाई पर मारनेवाले को यह कहकर हियाव बन्धा रहा है, “जोड़ तो अच्छी है,” अतः वह कील ठोंक-ठोंककर उसको ऐसा दृढ़ करता है कि वह स्थिर रहे।
Le forgeron encourage le fondeur, le polisseur au marteau celui qui frappe sur l'enclume; en disant de la soudure: " Elle est bonne! " puis il fixe le dieu avec des clous, pour qu'il ne branle pas.
8 ८ हे मेरे दास इस्राएल, हे मेरे चुने हुए याकूब, हे मेरे मित्र अब्राहम के वंश;
Mais toi, Israël, mon serviteur, Jacob, que j'ai choisi, race d'Abraham mon ami;
9 ९ तू जिसे मैंने पृथ्वी के दूर-दूर देशों से लिया और पृथ्वी की छोर से बुलाकर यह कहा, “तू मेरा दास है, मैंने तुझे चुना है और त्यागा नहीं;”
Toi que j'ai été prendre aux extrémités de la terre, et que j'ai appelé de ses lointaines régions; toi à qui j'ai dit: " Tu es mon serviteur, je t'ai choisi et ne t'ai point rejeté: "
10 १० मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूँ, इधर-उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ; मैं तुझे दृढ़ करूँगा और तेरी सहायता करूँगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्भाले रहूँगा।
Ne crains point, car, je suis avec toi; ne regarde pas avec inquiétude, car je suis ton Dieu; je t'ai saisi fortement, et je t'aide, et je te soutiens par la droite de ma justice.
11 ११ देख, जो तुझ से क्रोधित हैं, वे सब लज्जित होंगे; जो तुझ से झगड़ते हैं उनके मुँह काले होंगे और वे नाश होकर मिट जाएँगे।
Voici qu'ils seront confondus et couverts de honte, tous ceux qui sont enflammés contre toi; ils seront semblables au néant, ils périront, ceux qui disputent contre toi!
12 १२ जो तुझ से लड़ते हैं उन्हें ढूँढ़ने पर भी तू न पाएगा; जो तुझ से युद्ध करते हैं वे नाश होकर मिट जाएँगे।
Tu les chercheras et tu ne les trouveras plus, ceux qui te querellent; ils seront semblables au néant, réduits à rien, ceux qui te font la guerre.
13 १३ क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दाहिना हाथ पकड़कर कहूँगा, “मत डर, मैं तेरी सहायता करूँगा।”
Car moi, Yahweh, ton Dieu, je te prends par la main droite, je te dis: " Ne crains point, c'est moi qui viens à ton aide. "
14 १४ हे कीड़े सरीखे याकूब, हे इस्राएल के मनुष्यों, मत डरो! यहोवा की यह वाणी है, मैं तेरी सहायता करूँगा; इस्राएल का पवित्र तेरा छुड़ानेवाला है।
Ne crains point, vermisseau de Jacob, faible reste d'Israël! moi, je viens à ton secours, — oracle de Yahweh; et ton Rédempteur est le Saint d'Israël.
15 १५ देख, मैंने तुझे छुरीवाले दाँवने का एक नया और उत्तम यन्त्र ठहराया है; तू पहाड़ों को दाँव-दाँवकर सूक्ष्म धूल कर देगा, और पहाड़ियों को तू भूसे के समान कर देगा।
Voici que je fais de toi un traîneau aigu, neuf, à deux tranchants; tu fouleras les montagnes et tu les broieras, et tu rendras les collines semblables à de la balle,
16 १६ तू उनको फटकेगा, और पवन उन्हें उड़ा ले जाएगी, और आँधी उन्हें तितर-बितर कर देगी। परन्तु तू यहोवा के कारण मगन होगा, और इस्राएल के पवित्र के कारण बड़ाई मारेगा।
Tu les vanneras, et le vent les emportera, et l'ouragan les dispersera. Et toi, tu tressailliras de joie en Yahweh, tu te glorifieras dans le Saint d'Israël.
17 १७ जब दीन और दरिद्र लोग जल ढूँढ़ने पर भी न पाएँ और उनका तालू प्यास के मारे सूख जाये; मैं यहोवा उनकी विनती सुनूँगा, मैं इस्राएल का परमेश्वर उनको त्याग न दूँगा।
Les malheureux et les pauvres, qui cherchent des eaux et n'en trouvent point, et dont la langue est desséchée par la soif, moi, Yahweh, je les exaucerai, moi, le Dieu d'Israël, je ne les abandonnerai pas.
18 १८ मैं मुँण्ड़े टीलों से भी नदियाँ और मैदानों के बीच में सोते बहाऊँगा; मैं जंगल को ताल और निर्जल देश को सोते ही सोते कर दूँगा।
Je ferai jaillir des fleuves sur les sommets dénudés, et des sources au milieu des vallées; je changerai le désert en étang, et la terre aride en fontaines d'eau.
19 १९ मैं जंगल में देवदार, बबूल, मेंहदी, और जैतून उगाऊँगा; मैं अराबा में सनोवर, चिनार वृक्ष, और चीड़ इकट्ठे लगाऊँगा;
Je mettrai dans le désert le cèdre, l'acacia, le myrte et l'olivier; je mettrai dans la steppe à la fois le cyprès, le platane et le buis;
20 २० जिससे लोग देखकर जान लें, और सोचकर पूरी रीति से समझ लें कि यह यहोवा के हाथ का किया हुआ और इस्राएल के पवित्र का सृजा हुआ है।
Afin qu'ils voient, qu'ils sachent, qu'ils observent et comprennent ensemble, que la main de Yahweh a fait ces choses, et que le Saint d'Israël les a créées.
21 २१ यहोवा कहता है, “अपना मुकद्दमा लड़ो,” याकूब का राजा कहता है, “अपने प्रमाण दो।”
Présentez votre cause, dit Yahweh; produisez vos raisons, dit le Roi de Jacob.
22 २२ वे उन्हें देकर हमको बताएँ कि भविष्य में क्या होगा? पूर्वकाल की घटनाएँ बताओ कि आदि में क्या-क्या हुआ, जिससे हम उन्हें सोचकर जान सके कि भविष्य में उनका क्या फल होगा; या होनेवाली घटनाएँ हमको सुना दो।
Qu'ils les produisent et nous déclarent ce qui doit arriver! Les choses anciennes, déclarez-nous ce qu'elles furent, et nous y appliquerons notre cœur, pour en connaître l'issue! Ou bien faites-nous entendre les choses à venir!
23 २३ भविष्य में जो कुछ घटेगा वह बताओ, तब हम मानेंगे कि तुम ईश्वर हो; भला या बुरा, कुछ तो करो कि हम देखकर चकित को जाएँ।
Annoncez les choses qui arriveront plus tard, et nous saurons que vous êtes des dieux! Faites du bien ou faites du mal, que nous voyions et que nous admirions ensemble!
24 २४ देखो, तुम कुछ नहीं हो, तुम से कुछ नहीं बनता; जो कोई तुम्हें चाहता है वह घृणित है।
Voilà, vous n'êtes rien, et votre œuvre est néant: abominable est celui qui vous choisit!
25 २५ मैंने एक को उत्तर दिशा से उभारा, वह आ भी गया है; वह पूर्व दिशा से है और मेरा नाम लेता है; जैसा कुम्हार गीली मिट्टी को लताड़ता है, वैसा ही वह हाकिमों को कीच के समान लताड़ देगा।
Je l'ai suscité du septentrion, et il arrive, du soleil levant, il invoque mon nom; il marche sur les satrapes comme sur la boue, comme le potier foule l'argile.
26 २६ किसने इस बात को पहले से बताया था, जिससे हम यह जानते? किसने पूर्वकाल से यह प्रगट किया जिससे हम कहें कि वह सच्चा है? कोई भी बतानेवाला नहीं, कोई भी सुनानेवाला नहीं, तुम्हारी बातों का कोई भी सुनानेवाला नहीं है।
Qui l'a fait connaître dès l'origine, que nous le sachions, longtemps d'avance, que nous disions: " C'est vrai? " Non! Personne ne l'a annoncé! Non! Personne ne l'a fait entendre! Non! Personne n'a entendu vos paroles!
27 २७ मैं ही ने पहले सिय्योन से कहा, “देख, उन्हें देख,” और मैंने यरूशलेम को एक शुभ समाचार देनेवाला भेजा।
Le premier j'ai dit à Sion: " Voici! Les voici! " et j'envoie à Jérusalem un messager de bonne nouvelle.
28 २८ मैंने देखने पर भी किसी को न पाया; उनमें कोई मंत्री नहीं जो मेरे पूछने पर कुछ उत्तर दे सके।
Je regarde, et il n'y a personne; parmi eux, il n'y a pas un conseiller, que je puisse interroger et qui me réponde.
29 २९ सुनो, उन सभी के काम अनर्थ हैं; उनके काम तुच्छ हैं, और उनकी ढली हुई मूर्तियाँ वायु और मिथ्या हैं।
Voici, ils sont tous vanité; leurs œuvres sont néant; leurs idoles, un vain souffle!