< यशायाह 3 >
1 १ सुनों, प्रभु सेनाओं का यहोवा यरूशलेम और यहूदा का सब प्रकार का सहारा और सिरहाना अर्थात् अन्न का सारा आधार, और जल का सारा आधार दूर कर देगा;
Ecce enim Dominator, Dominus exercituum, auferet a Jerusalem et a Juda validum et fortem, omne robur panis, et omne robor aquæ;
2 २ और वीर और योद्धा को, न्यायी और नबी को, भावी वक्ता और वृद्ध को, पचास सिपाहियों के सरदार और प्रतिष्ठित पुरुष को,
fortem, et virum bellatorem, judicem, et prophetam, et ariolum, et senem;
3 ३ मंत्री और चतुर कारीगर को, और निपुण टोन्हे को भी दूर कर देगा।
principem super quinquaginta, et honorabilem vultu et consiliarium, et sapientem de architectis, et prudentem eloquii mystici.
4 ४ मैं लड़कों को उनके हाकिम कर दूँगा, और बच्चे उन पर प्रभुता करेंगे।
Et dabo pueros principes eorum, et effeminati dominabuntur eis;
5 ५ प्रजा के लोग आपस में एक दूसरे पर, और हर एक अपने पड़ोसी पर अंधेर करेंगे; और जवान वृद्ध जनों से और नीच जन माननीय लोगों से असभ्यता का व्यवहार करेंगे।
et irruet populus, vir ad virum, et unusquisque ad proximum suum; tumultuabitur puer contra senem, et ignobilis contra nobilem.
6 ६ उस समय जब कोई पुरुष अपने पिता के घर में अपने भाई को पकड़कर कहेगा, “तेरे पास तो वस्त्र है, आ हमारा न्यायी हो जा और इस उजड़े देश को अपने वश में कर ले;”
Apprehendet enim vir fratrem suum, domesticum patris sui: Vestimentum tibi est, princeps esto noster, ruina autem hæc sub manu tua.
7 ७ तब वह शपथ खाकर कहेगा, “मैं चंगा करनेवाला न होऊँगा; क्योंकि मेरे घर में न तो रोटी है और न कपड़े; इसलिए तुम मुझे प्रजा का न्यायी नहीं नियुक्त कर सकोगे।”
Respondebit in die illa, dicens: Non sum medicus, et in domo mea non est panis neque vestimentum: nolite constituere me principem populi.
8 ८ यरूशलेम तो डगमगाया और यहूदा गिर गया है; क्योंकि उनके वचन और उनके काम यहोवा के विरुद्ध हैं, जो उसकी तेजोमय आँखों के सामने बलवा करनेवाले ठहरे हैं।
Ruit enim Jerusalem, et Judas concidit, quia lingua eorum et adinventiones eorum contra Dominum, ut provocarent oculos majestatis ejus.
9 ९ उनका चेहरा भी उनके विरुद्ध साक्षी देता है; वे सदोमियों के समान अपने पाप को आप ही बखानते और नहीं छिपाते हैं। उन पर हाय! क्योंकि उन्होंने अपनी हानि आप ही की है।
Agnitio vultus eorum respondit eis; et peccatum suum quasi Sodoma prædicaverunt, nec absconderunt. Væ animæ eorum, quoniam reddita sunt eis mala!
10 १० धर्मियों से कहो कि उनका भला होगा, क्योंकि वे अपने कामों का फल प्राप्त करेंगे।
Dicite justo quoniam bene, quoniam fructum adinventionum suarum comedet.
11 ११ दुष्ट पर हाय! उसका बुरा होगा, क्योंकि उसके कामों का फल उसको मिलेगा।
Væ impio in malum! retributio enim manuum ejus fiet ei.
12 १२ मेरी प्रजा पर बच्चे अंधेर करते और स्त्रियाँ उन पर प्रभुता करती हैं। हे मेरी प्रजा, तेरे अगुए तुझे भटकाते हैं, और तेरे चलने का मार्ग भुला देते हैं।
Populum meum exactores sui spoliaverunt, et mulieres dominatæ sunt eis. Popule meus, qui te beatum dicunt, ipsi te decipiunt, et viam gressuum tuorum dissipant.
13 १३ यहोवा देश-देश के लोगों से मुकद्दमा लड़ने और उनका न्याय करने के लिये खड़ा है।
Stat ad judicandum Dominus, et stat ad judicandos populos.
14 १४ यहोवा अपनी प्रजा के वृद्ध और हाकिमों के साथ यह विवाद करता है, “तुम ही ने बारी की दाख खा डाली है, और दीन लोगों का धन लूटकर तुम ने अपने घरों में रखा है।”
Dominus ad judicium veniet cum senibus populi sui, et principibus ejus; vos enim depasti estis vineam, et rapina pauperis in domo vestra.
15 १५ सेनाओं के प्रभु यहोवा की यह वाणी है, “तुम क्यों मेरी प्रजा को दलते, और दीन लोगों को पीस डालते हो!”
Quare atteritis populum meum, et facies pauperum commolitis? dicit Dominus Deus exercituum.
16 १६ यहोवा ने यह भी कहा है, “क्योंकि सिय्योन की स्त्रियाँ घमण्ड करती और सिर ऊँचे किए आँखें मटकातीं और घुँघरूओं को छमछमाती हुई ठुमुक-ठुमुक चलती हैं,
Et dixit Dominus: Pro eo quod elevatæ sunt filiæ Sion, et ambulaverunt extento collo, et nutibus oculorum ibant, et plaudebant, ambulabant pedibus suis, et composito gradu incedebant;
17 १७ इसलिए प्रभु यहोवा उनके सिर को गंजा करेगा, और उनके तन को उघरवाएगा।”
decalvabit Dominus verticem filiarum Sion, et Dominus crinem earum nudabit.
18 १८ उस समय प्रभु घुँघरूओं, जालियों,
In die illa auferet Dominus ornamentum calceamentum,
19 १९ चन्द्रहारों, झुमकों, कड़ों, घूँघटों,
et lunulas, et torques, et monilia, et armillas, et mitras,
20 २० पगड़ियों, पैकरियों, पटुकों, सुगन्धपात्रों, गण्डों,
et discriminalia, et periscelidas, et murenulas, et olfactoriola, et inaures,
et annulos, et gemmas in fronte pendentes,
22 २२ सुन्दर वस्त्रों, कुर्तियों, चद्दरों, बटुओं,
et mutatoria, et palliola, et linteamina, et acus,
23 २३ दर्पणों, मलमल के वस्त्रों, बुन्दियों, दुपट्टों इन सभी की शोभा को दूर करेगा।
et specula, et sindones, et vittas, et theristra.
24 २४ सुगन्ध के बदले सड़ाहट, सुन्दर करधनी के बदले बन्धन की रस्सी, गूँथे हुए बालों के बदले गंजापन, सुन्दर पटुके के बदले टाट की पेटी, और सुन्दरता के बदले दाग होंगे।
Et erit pro suavi odore fœtor, et pro zona funiculus, et pro crispanti crine calvitium, et pro fascia pectorali cilicium.
25 २५ तेरे पुरुष तलवार से, और शूरवीर युद्ध में मारे जाएँगे।
Pulcherrimi quoque viri tui gladio cadent, et fortes tui in prælio.
26 २६ और उसके फाटकों में साँस भरना और विलाप करना होगा; और वह भूमि पर अकेली बैठी रहेगी।
Et mœrebunt atque lugebunt portæ ejus, et desolata in terra sedebit.