< यशायाह 18 >

1 हाय, पंखों की फड़फड़ाहट से भरे हुए देश, तू जो कूश की नदियों के परे है;
सुस्‍केराको आवाज निकाल्‍ने देशलाई धिक्‍कार, जुन कु्सका नदीहरूसँगै छ ।
2 और समुद्र पर दूतों को सरकण्डों की नावों में बैठाकर जल के मार्ग से यह कह के भेजता है, हे फुर्तीले दूतों, उस जाति के पास जाओ जिसके लोग बलिष्ठ और सुन्दर हैं, जो आदि से अब तक डरावने हैं, जो मापने और रौंदनेवाला भी हैं, और जिनका देश नदियों से विभाजित किया हुआ है।
जसले नरकटका डुङ्गाहरूमा समुद्रहुँदै राजदूतहरू पठाउँछ । हे फुर्तिला दूतहरू, सबै अग्ला र चिल्ला जातिकहाँ जाओ, टाढा नजिकका मानिसलाई डराउनेहरू, एउटा बलियो र विजयी जाति जसको देशलाई नदीहरूले विभाजन गर्छ ।
3 हे जगत के सब रहनेवालों, और पृथ्वी के सब निवासियों, जब झण्डा पहाड़ों पर खड़ा किया जाए, उसे देखो! जब नरसिंगा फूँका जाए, तब सुनो!
तिमीहरू संसारका सबै बासिन्दाहरू र पृथ्वीमा बसोवास गर्ने, तिमीहरू जब डाँडाहरूमाथि चिन्ह उठाइन्‍छ, तब हेर । अनि जब तुरही बजाइन्‍छ तब सुन ।
4 क्योंकि यहोवा ने मुझसे यह कहा है, “धूप की तेज गर्मी या कटनी के समय के ओसवाले बादल के समान मैं शान्त होकर निहारूँगा।”
परमप्रभुले मलाई यसो भन्‍नुभयो, “चर्को घामको उखुम तापजस्तै, कटानीको तापमा कुहिरोजस्तै म आफ्‍नो घरबाट शान्त भएर हेर्नेछु ।
5 क्योंकि दाख तोड़ने के समय से पहले जब फूल फूल चुकें, और दाख के गुच्छे पकने लगें, तब वह टहनियों को हँसुओं से काट डालेगा, और फैली हुई डालियों को तोड़-तोड़कर अलग फेंक देगा।
कटनीअगि फूल फुल्‍ने समय सिद्धिएपछि र फूल दाख हुँदैगर्दा, उहाँले छाँट्ने हँसियाहरूले छाँट्नुहुनेछ र उहाँले फैलिरहेको हाँगाहरूलाई काट्नुहुनेछ र लानुहुनेछ ।
6 वे पहाड़ों के माँसाहारी पक्षियों और वन-पशुओं के लिये इकट्ठे पड़े रहेंगे। और माँसाहारी पक्षी तो उनको नोचते-नोचते धूपकाल बिताएँगे, और सब भाँति के वन पशु उनको खाते-खाते सर्दी काटेंगे।
डाँडाका चराहरू र पृथ्वीका जनावरहरूका निम्ति ती छोडिनेछन् । चराहरूले ग्रीष्मको समय तिनीहरूमा बिताउनेछन् र पृथ्वीका सबै जनावरहरूले तिनीहरूमा हिउँद बिताउनेछन् ।”
7 उस समय जिस जाति के लोग बलिष्ठ और सुन्दर हैं, और जो आदि ही से डरावने होते आए हैं, और जो सामर्थी और रौंदनेवाले हैं, और जिनका देश नदियों से विभाजित किया हुआ है, उस जाति से सेनाओं के यहोवा के नाम के स्थान सिय्योन पर्वत पर सेनाओं के यहोवा के पास भेंट पहुँचाई जाएगी।
त्यस दिन अग्ला र चिल्ला मानिसहरूले, टाढा नजिकका मानिसलाई डराउनेहरू, बलिया र विजयीले सर्वशक्तिमान् परमप्रभुलाई उपहार ल्याउने छन्, जसको देशलाई नदीहरूले विभाजन गर्छन्, तिनीहरूले सर्वशक्तिमान् परमप्रभुको नाउँ भएको सियोन पर्वतमा ल्याउनेछन् ।

< यशायाह 18 >