< यशायाह 14 >

1 यहोवा याकूब पर दया करेगा, और इस्राएल को फिर अपनाकर, उन्हीं के देश में बसाएगा, और परदेशी उनसे मिल जाएँगे और अपने-अपने को याकूब के घराने से मिला लेंगे।
Car Yahvé aura pitié de Jacob, il choisira encore Israël et le fixera dans son pays. L'étranger se joindra à eux, et ils s'uniront à la maison de Jacob.
2 देश-देश के लोग उनको उन्हीं के स्थान में पहुँचाएँगे, और इस्राएल का घराना यहोवा की भूमि पर उनका अधिकारी होकर उनको दास और दासियाँ बनाएगा; क्योंकि वे अपने बँधुवाई में ले जानेवालों को बन्दी बनाएँगे, और जो उन पर अत्याचार करते थे उन पर वे शासन करेंगे।
Les peuples les prendront, et les amèneront dans leur lieu. La maison d'Israël les possédera dans le pays de Yahvé comme serviteurs et comme servantes. Ils emmèneront en captivité ceux dont ils étaient captifs, et ils domineront sur leurs oppresseurs.
3 जिस दिन यहोवा तुझे तेरे सन्ताप और घबराहट से, और उस कठिन श्रम से जो तुझ से लिया गया विश्राम देगा,
Le jour où Yahvé vous donnera le repos de vos peines, de votre détresse et du dur service auquel vous avez été astreints,
4 उस दिन तू बाबेल के राजा पर ताना मारकर कहेगा, “परिश्रम करानेवाला कैसा नाश हो गया है, सुनहले मन्दिरों से भरी नगरी कैसी नाश हो गई है!
vous reprendrez cette parabole contre le roi de Babylone, et vous direz: « Comme l'oppresseur a disparu! La ville d'or a disparu! »
5 यहोवा ने दुष्टों के सोंटे को और अन्याय से शासन करनेवालों के लठ को तोड़ दिया है,
Yahvé a brisé le bâton des méchants, le sceptre des dominateurs,
6 जिससे वे मनुष्यों को लगातार रोष से मारते रहते थे, और जाति-जाति पर क्रोध से प्रभुता करते और लगातार उनके पीछे पड़े रहते थे।
qui frappaient sans cesse les peuples dans la colère, qui dominaient les nations avec fureur, par une persécution que personne ne retenait.
7 अब सारी पृथ्वी को विश्राम मिला है, वह चैन से है; लोग ऊँचे स्वर से गा उठे हैं।
Toute la terre est en repos, elle est tranquille. On éclate en chants.
8 सनोवर और लबानोन के देवदार भी तुझ पर आनन्द करके कहते हैं, ‘जब से तू गिराया गया तब से कोई हमें काटने को नहीं आया।’
Oui, les cyprès se réjouissent avec toi, avec les cèdres du Liban, en disant: « Depuis que tu es humilié, aucun bûcheron ne s'est dressé contre nous. »
9 पाताल के नीचे अधोलोक में तुझ से मिलने के लिये हलचल हो रही है; वह तेरे लिये मुर्दों को अर्थात् पृथ्वी के सब सरदारों को जगाता है, और वह जाति-जाति से सब राजाओं को उनके सिंहासन पर से उठा खड़ा करता है। (Sheol h7585)
Le séjour des morts d'en bas s'est déplacé pour toi, afin de te rencontrer à ton arrivée. Il réveille pour toi les esprits défunts, tous les princes de la terre. Il a fait lever de leurs trônes tous les rois des nations. (Sheol h7585)
10 १० वे सब तुझ से कहेंगे, ‘क्या तू भी हमारे समान निर्बल हो गया है? क्या तू हमारे समान ही बन गया?’
Tous répondront et te demanderont: « Es-tu devenu aussi faible que nous? Es-tu devenu comme nous? »
11 ११ तेरा वैभव और तेरी सारंगियों को शब्द अधोलोक में उतारा गया है; कीड़े तेरा बिछौना और केंचुए तेरा ओढ़ना हैं। (Sheol h7585)
Ton faste est descendu au séjour des morts, avec le son de tes instruments à cordes. Les asticots se répandent sous toi, et les vers te couvrent. (Sheol h7585)
12 १२ “हे भोर के चमकनेवाले तारे तू कैसे आकाश से गिर पड़ा है? तू जो जाति-जाति को हरा देता था, तू अब कैसे काटकर भूमि पर गिराया गया है?
Comme tu es tombé du ciel, resplendissant, fils de l'aurore! Comme tu es tombé à terre, toi qui as humilié les nations!
13 १३ तू मन में कहता तो था, ‘मैं स्वर्ग पर चढूँगा; मैं अपने सिंहासन को परमेश्वर के तारागण से अधिक ऊँचा करूँगा; और उत्तर दिशा की छोर पर सभा के पर्वत पर विराजूँगा;
Tu disais en ton cœur: « Je monterai au ciel! J'élèverai mon trône au-dessus des étoiles de Dieu! Je m'assiérai sur la montagne de l'assemblée, à l'extrême nord!
14 १४ मैं मेघों से भी ऊँचे-ऊँचे स्थानों के ऊपर चढूँगा, मैं परमप्रधान के तुल्य हो जाऊँगा।’
Je monterai au-dessus des hauteurs des nuages. Je me rendrai semblable au Très-Haut! »
15 १५ परन्तु तू अधोलोक में उस गड्ढे की तह तक उतारा जाएगा। (Sheol h7585)
Mais on te fera descendre au séjour des morts, au fond de la fosse. (Sheol h7585)
16 १६ जो तुझे देखेंगे तुझको ताकते हुए तेरे विषय में सोच-सोचकर कहेंगे, ‘क्या यह वही पुरुष है जो पृथ्वी को चैन से रहने न देता था और राज्य-राज्य में घबराहट डाल देता था;
Ceux qui te verront te regarderont fixement. Ils te considéreront en disant: « Est-ce là l'homme qui a fait trembler la terre, qui a ébranlé les royaumes,
17 १७ जो जगत को जंगल बनाता और उसके नगरों को ढा देता था, और अपने बन्दियों को घर जाने नहीं देता था?’
qui a rendu le monde comme un désert et a renversé ses villes, qui n'a pas relâché ses prisonniers dans leur maison? ».
18 १८ जाति-जाति के सब राजा अपने-अपने घर पर महिमा के साथ आराम से पड़े हैं;
Tous les rois des nations dorment dans la gloire, chacun dans sa maison.
19 १९ परन्तु तू निकम्मी शाख के समान अपनी कब्र में से फेंका गया; तू उन मारे हुओं के शवों से घिरा है जो तलवार से बिधकर गड्ढे में पत्थरों के बीच में लताड़ी हुई लोथ के समान पड़े है।
Mais toi, tu es rejeté de ton sépulcre comme un rameau abominable, tu es revêtu des morts que l'épée transperce, qui descendent vers les pierres de la fosse, comme un cadavre foulé aux pieds.
20 २० तू उनके साथ कब्र में न गाड़ा जाएगा, क्योंकि तूने अपने देश को उजाड़ दिया, और अपनी प्रजा का घात किया है। “कुकर्मियों के वंश का नाम भी कभी न लिया जाएगा।
Tu ne les rejoindras pas dans la sépulture, car tu as détruit ton pays. Tu as tué ton peuple. La descendance des méchants ne sera pas nommée à jamais.
21 २१ उनके पूर्वजों के अधर्म के कारण पुत्रों के घात की तैयारी करो, ऐसा न हो कि वे फिर उठकर पृथ्वी के अधिकारी हो जाएँ, और जगत में बहुत से नगर बसाएँ।”
Préparez l'abattage de ses enfants à cause de l'iniquité de leurs pères, afin qu'ils ne se lèvent pas pour posséder la terre, et remplir de villes la surface du monde.
22 २२ सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, “मैं उनके विरुद्ध उठूँगा, और बाबेल का नाम और निशान मिटा डालूँगा, और बेटों-पोतों को काट डालूँगा,” यहोवा की यही वाणी है।
« Je me lèverai contre eux », dit Yahvé des armées, « et j'exterminerai de Babylone le nom et le reste, le fils et le fils du fils », dit Yahvé.
23 २३ “मैं उसको साही की माँद और जल की झीलें कर दूँगा, और मैं उसे सत्यानाश के झाड़ू से झाड़ डालूँगा,” सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।
« J'en ferai aussi un territoire pour le porc-épic, et des mares d'eau. Je la balaierai avec le balai de la destruction », dit Yahvé des armées.
24 २४ सेनाओं के यहोवा ने यह शपथ खाई है, “निःसन्देह जैसा मैंने ठाना है, वैसा ही हो जाएगा, और जैसी मैंने युक्ति की है, वैसी ही पूरी होगी,
L'Éternel des armées l'a juré, en disant: Il arrivera ce que j'ai pensé, et ce que j'ai voulu, ce qui arrivera.
25 २५ कि मैं अश्शूर को अपने ही देश में तोड़ दूँगा, और अपने पहाड़ों पर उसे कुचल डालूँगा; तब उसका जूआ उनकी गर्दनों पर से और उसका बोझ उनके कंधों पर से उतर जाएगा।”
Je briserai l'Assyrien dans mon pays, et je le foulerai aux pieds sur mes montagnes. Alors son joug les quittera, et son fardeau quittera leurs épaules.
26 २६ यही युक्ति सारी पृथ्वी के लिये ठहराई गई है; और यह वही हाथ है जो सब जातियों पर बढ़ा हुआ है।
Tel est le plan qui est arrêté pour toute la terre. C'est la main qui s'étend sur toutes les nations.
27 २७ क्योंकि सेनाओं के यहोवा ने युक्ति की है और कौन उसको टाल सकता है? उसका हाथ बढ़ाया गया है, उसे कौन रोक सकता है?
Car l'Éternel des armées a fait un plan, et qui pourra l'arrêter? Sa main est étendue, et qui pourra la faire reculer? ».
28 २८ जिस वर्ष में आहाज राजा मर गया उसी वर्ष यह भारी भविष्यद्वाणी हुई
Cette charge était l'année de la mort du roi Achaz.
29 २९ “हे सारे पलिश्तीन तू इसलिए आनन्द न कर, कि तेरे मारनेवाले की लाठी टूट गई, क्योंकि सर्प की जड़ से एक काला नाग उत्पन्न होगा, और उसका फल एक उड़नेवाला और तेज विषवाला अग्निसर्प होगा।
Ne te réjouis pas, Philistie, toi toute, parce que la verge qui te frappait est brisée; car de la racine du serpent sortira une vipère, et son fruit sera un serpent volant ardent.
30 ३० तब कंगालों के जेठे खाएँगे और दरिद्र लोग निडर बैठने पाएँगे, परन्तु मैं तेरे वंश को भूख से मार डालूँगा, और तेरे बचे हुए लोग घात किए जाएँगे।
Les premiers-nés des pauvres mangeront, et les indigents se coucheront en sécurité; mais je tuerai ta racine par la famine, et ton reste sera tué.
31 ३१ हे फाटक, तू हाय! हाय! कर; हे नगर, तू चिल्ला; हे पलिश्तीन तू सब का सब पिघल जा! क्योंकि उत्तर से एक धुआँ उठेगा और उसकी सेना में से कोई पीछे न रहेगा।”
Hurle, porte! Pleure, ville! Tu es fondue, Philistia, toi toute entière; car la fumée sort du nord, et il n'y a pas de traînard dans ses rangs.
32 ३२ तब जाति-जाति के दूतों को क्या उत्तर दिया जाएगा? यह कि “यहोवा ने सिय्योन की नींव डाली है, और उसकी प्रजा के दीन लोग उसमें शरण लेंगे।”
Que répondront-ils aux messagers de la nation? Que Yahvé a fondé Sion, et qu'en elle se réfugieront les malheureux de son peuple.

< यशायाह 14 >