< यशायाह 11 >

1 तब यिशै के ठूँठ में से एक डाली फूट निकलेगी और उसकी जड़ में से एक शाखा निकलकर फलवन्त होगी।
و نهالی از تنه یسی بیرون آمده، شاخه‌ای از ریشه هایش خواهدشکفت.۱
2 और यहोवा की आत्मा, बुद्धि और समझ की आत्मा, युक्ति और पराक्रम की आत्मा, और ज्ञान और यहोवा के भय की आत्मा उस पर ठहरी रहेगी।
و روح خداوند بر او قرار خواهدگرفت، یعنی روح حکمت و فهم و روح مشورت و قوت و روح معرفت و ترس خداوند.۲
3 ओर उसको यहोवा का भय सुगन्ध—सा भाएगा। वह मुँह देखा न्याय न करेगा और न अपने कानों के सुनने के अनुसार निर्णय करेगा;
وخوشی او در ترس خداوند خواهد بود و موافق رویت چشم خود داوری نخواهد کرد و بر وفق سمع گوشهای خویش تنبیه نخواهد نمود.۳
4 परन्तु वह कंगालों का न्याय धार्मिकता से, और पृथ्वी के नम्र लोगों का निर्णय खराई से करेगा; और वह पृथ्वी को अपने वचन के सोंटे से मारेगा, और अपनी फूँक के झोंके से दुष्ट को मिटा डालेगा।
بلکه مسکینان را به عدالت داوری خواهد کرد و به جهت مظلومان زمین براستی حکم خواهد نمود. و جهان را به عصای دهان خویش زده، شریران رابه نفخه لبهای خود خواهد کشت.۴
5 उसकी कटि का फेंटा धार्मिकता और उसकी कमर का फेंटा सच्चाई होगी।
و کمربندکمرش عدالت خواهد بود و کمربند میانش امانت.۵
6 तब भेड़िया भेड़ के बच्चे के संग रहा करेगा, और चीता बकरी के बच्चे के साथ बैठा रहेगा, और बछड़ा और जवान सिंह और पाला पोसा हुआ बैल तीनों इकट्ठे रहेंगे, और एक छोटा लड़का उनकी अगुआई करेगा।
و گرگ با بره سکونت خواهد داشت و پلنگ با بزغاله خواهد خوابید و گوساله و شیر و پرواری با هم، و طفل کوچک آنها را خواهد راند.۶
7 गाय और रीछनी मिलकर चरेंगी, और उनके बच्चे इकट्ठे बैठेंगे; और सिंह बैल के समान भूसा खाया करेगा।
و گاوبا خرس خواهد چرید و بچه های آنها با هم خواهند خوابید و شیر مثل گاو کاه خواهد خورد.۷
8 दूध पीता बच्चा करैत के बिल पर खेलेगा, और दूध छुड़ाया हुआ लड़का नाग के बिल में हाथ डालेगा।
و طفل شیرخواره بر سوراخ مار بازی خواهدکرد و طفل از شیر باز داشته شده دست خود را برخانه افعی خواهد گذاشت.۸
9 मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई दुःख देगा और न हानि करेगा; क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।
و در تمامی کوه مقدس من ضرر و فسادی نخواهند کرد زیرا که جهان از معرفت خداوند پر خواهد بود مثل آبهایی که دریا را می‌پوشاند.۹
10 १० उस समय यिशै की जड़ देश-देश के लोगों के लिये एक झण्डा होगी; सब राज्यों के लोग उसे ढूँढ़ेंगें, और उसका विश्रामस्थान तेजोमय होगा।
و در آن روز واقع خواهد شد که ریشه یسی به جهت علم قوم‌ها برپا خواهد شد و امت هاآن را خواهند طلبید و سلامتی او با جلال خواهدبود.۱۰
11 ११ उस समय प्रभु अपना हाथ दूसरी बार बढ़ाकर बचे हुओं को, जो उसकी प्रजा के रह गए हैं, अश्शूर से, मिस्र से, पत्रोस से, कूश से, एलाम से, शिनार से, हमात से, और समुद्र के द्वीपों से मोल लेकर छुड़ाएगा।
و در آن روز واقع خواهد گشت که خداوند بار دیگر دست خود را دراز کند تا بقیه قوم خویش را که از آشور و مصر و فتروس وحبش و عیلام و شنعار و حمات و از جزیره های دریا باقی‌مانده باشند باز آورد.۱۱
12 १२ वह अन्यजातियों के लिये झण्डा खड़ा करके इस्राएल के सब निकाले हुओं को, और यहूदा के सब बिखरे हुओं को पृथ्वी की चारों दिशाओं से इकट्ठा करेगा।
و به جهت امت‌ها علمی برافراشته، رانده شدگان اسرائیل را جمع خواهد کرد، وپراکندگان یهودا را از چهار طرف جهان فراهم خواهد آورد.۱۲
13 १३ एप्रैम फिर डाह न करेगा और यहूदा के तंग करनेवाले काट डाले जाएँगे; न तो एप्रैम यहूदा से डाह करेगा और न यहूदा एप्रैम को तंग करेगा।
و حسد افرایم رفع خواهد شد ودشمنان یهودا منقطع خواهند گردید. افرایم بریهودا حسد نخواهد برد و یهودا افرایم را دشمنی نخواهد نمود.۱۳
14 १४ परन्तु वे पश्चिम की ओर पलिश्तियों के कंधे पर झपट्टा मारेंगे, और मिलकर पूर्वियों को लूटेंगे। वे एदोम और मोआब पर हाथ बढ़ाएँगे, और अम्मोनी उनके अधीन हो जाएँगे।
و به‌جانب مغرب بر دوش فلسطینیان پریده، بنی مشرق را با هم غارت خواهند نمود. و دست خود را بر ادوم و موآب دراز کرده، بنی عمون ایشان را اطاعت خواهندکرد.۱۴
15 १५ यहोवा मिस्र के समुद्र की कोल को सुखा डालेगा, और फरात पर अपना हाथ बढ़ाकर प्रचण्ड लू से ऐसा सुखाएगा कि वह सात धार हो जाएगा, और लोग जूता पहने हुए भी पार हो जाएँगे।
و خداوند زبانه دریای مصر را تباه ساخته، دست خود را با باد سوزان بر نهر درازخواهد کرد، و آن را با هفت نهرش خواهد زد ومردم را با کفش به آن عبور خواهد داد.۱۵
16 १६ उसकी प्रजा के बचे हुओं के लिये अश्शूर से एक ऐसा राज-मार्ग होगा जैसा मिस्र देश से चले आने के समय इस्राएल के लिये हुआ था।
و به جهت بقیه قوم او که از آشور باقی‌مانده باشند شاه راهی خواهد بود. چنانکه به جهت اسرائیل در روز بر‌آمدن ایشان از زمین مصربود.۱۶

< यशायाह 11 >