< यशायाह 1 >

1 आमोस के पुत्र यशायाह का दर्शन, जिसको उसने यहूदा और यरूशलेम के विषय में उज्जियाह, योताम, आहाज, और हिजकिय्याह नामक यहूदा के राजाओं के दिनों में पाया।
Visão de Isaías, filho de Amoz, a qual ele viu sobre Judá e Jerusalém, nos dias de Uzias, Jotão, Acaz [e] Ezequias, reis de Judá.
2 हे स्वर्ग सुन, और हे पृथ्वी कान लगा; क्योंकि यहोवा कहता है: “मैंने बाल-बच्चों का पालन-पोषण किया, और उनको बढ़ाया भी, परन्तु उन्होंने मुझसे बलवा किया।
Ouvi, ó céus; e escutai tu, terra, porque o SENHOR está falando: Eu criei filhos, e os fiz crescerem; porém eles se rebelaram contra mim.
3 बैल तो अपने मालिक को और गदहा अपने स्वामी की चरनी को पहचानता है, परन्तु इस्राएल मुझे नहीं जानता, मेरी प्रजा विचार नहीं करती।”
O boi conhece a seu dono, e o jumento [sabe] a manjedoura de seu possuidor; [mas] Israel não conhece, meu povo não entende.
4 हाय, यह जाति पाप से कैसी भरी है! यह समाज अधर्म से कैसा लदा हुआ है! इस वंश के लोग कैसे कुकर्मी हैं, ये बाल-बच्चे कैसे बिगड़े हुए हैं! उन्होंने यहोवा को छोड़ दिया, उन्होंने इस्राएल के पवित्र को तुच्छ जाना है! वे पराए बनकर दूर हो गए हैं।
Ai da nação pecadora, do povo cheio de perversidade, semente de malfeitores, de filhos corruptos! Abandonaram ao SENHOR, provocaram a ira ao Santo de Israel, [dele] se afastaram.
5 तुम बलवा कर करके क्यों अधिक मार खाना चाहते हो? तुम्हारा सिर घावों से भर गया, और तुम्हारा हृदय दुःख से भरा है।
Para que seríeis espancados ainda mais? Vós vos rebelaríeis mais ainda. Toda a cabeça está enferma, e todo o coração fraco.
6 पाँव से सिर तक कहीं भी कुछ आरोग्यता नहीं, केवल चोट और कोड़े की मार के चिन्ह और सड़े हुए घाव हैं जो न दबाये गए, न बाँधे गए, न तेल लगाकर नरमाये गए हैं।
Desde a planta do pé até a cabeça, não há nele coisa sã. [Só há] feridas, inchaços e chagas podres, sem terem sido espremidas, feito curativos ou aliviadas com azeite.
7 तुम्हारा देश उजड़ा पड़ा है, तुम्हारे नगर भस्म हो गए हैं; तुम्हारे खेतों को परदेशी लोग तुम्हारे देखते ही निगल रहे हैं; वह परदेशियों से नाश किए हुए देश के समान उजाड़ है।
Vossa terra é uma ruína; vossas cidades foram queimadas; vossa terra os estranhos devastaram diante de vossa presença, e está arruinada como que destruída por estranhos.
8 और सिय्योन की बेटी दाख की बारी में की झोपड़ी के समान छोड़ दी गई है, या ककड़ी के खेत में के मचान या घिरे हुए नगर के समान अकेली खड़ी है।
E a filha de Sião ficou como uma cabana na vinha, como um barraco no pepinal, como uma cidade cercada.
9 यदि सेनाओं का यहोवा हमारे थोड़े से लोगों को न बचा रखता, तो हम सदोम के समान हो जाते, और गमोरा के समान ठहरते।
Se o SENHOR dos exércitos não tivesse nos deixado alguns sobreviventes, teríamos sido como Sodoma, seríamos semelhantes aos de Gomorra.
10 १० हे सदोम के न्यायियों, यहोवा का वचन सुनो! हे गमोरा की प्रजा, हमारे परमेश्वर की व्यवस्था पर कान लगा।
Ouvi a palavra do SENHOR, vós líderes de Sodoma! Ouvi a Lei do nosso Deus, vós povo de Gomorra!:
11 ११ यहोवा यह कहता है, “तुम्हारे बहुत से मेलबलि मेरे किस काम के हैं? मैं तो मेढ़ों के होमबलियों से और पाले हुए पशुओं की चर्बी से अघा गया हूँ; मैं बछड़ों या भेड़ के बच्चों या बकरों के लहू से प्रसन्न नहीं होता।
Para que me [serve] tantos sacrifícios vossos?, diz o SENHOR; Já estou farto de sacrifícios de queima de carneiros, e da gordura de animais cevados. Não me alegro com o sangue de bezerros, nem com o de cordeiros ou bodes.
12 १२ तुम जब अपने मुँह मुझे दिखाने के लिये आते हो, तब यह कौन चाहता है कि तुम मेरे आँगनों को पाँव से रौंदो?
Quando vindes a aparecer perante minha face, quem vos pediu isso de vossas mãos, de pisardes em meus pátios?
13 १३ व्यर्थ अन्नबलि फिर मत लाओ; धूप से मुझे घृणा है। नये चाँद और विश्रामदिन का मानना, और सभाओं का प्रचार करना, यह मुझे बुरा लगता है। महासभा के साथ ही साथ अनर्थ काम करना मुझसे सहा नहीं जाता।
Não tragais mais ofertas inúteis; [vosso] incenso para mim é abominação; não aguento [mais] as luas novas, os sábados, e as chamadas para o povo se reunir; [todas estas] se tornaram reuniões malignas.
14 १४ तुम्हारे नये चाँदों और नियत पर्वों के मानने से मैं जी से बैर रखता हूँ; वे सब मुझे बोझ से जान पड़ते हैं, मैं उनको सहते-सहते थक गया हूँ।
Vossas luas novas e vossas solenidades, minha alma as odeia e elas me perturbam; estou cansado de [as] suportar.
15 १५ जब तुम मेरी ओर हाथ फैलाओ, तब मैं तुम से मुख फेर लूँगा; तुम कितनी ही प्रार्थना क्यों न करो, तो भी मैं तुम्हारी न सुनूँगा; क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से भरे हैं।
Por isso quando estendeis vossas mãos, escondo meus olhos de vós; até quando fazeis muitas orações, eu não [vos] ouço; [porque] vossas mãos estão cheias de sangue.
16 १६ अपने को धोकर पवित्र करो: मेरी आँखों के सामने से अपने बुरे कामों को दूर करो; भविष्य में बुराई करना छोड़ दो,
Lavai-vos! Purificai-vos! Tirai a maldade de vossas atitudes perante meus olhos; parai de fazer maldades.
17 १७ भलाई करना सीखो; यत्न से न्याय करो, उपद्रवी को सुधारो; अनाथ का न्याय चुकाओ, विधवा का मुकद्दमा लड़ो।”
Aprendei a fazer o bem; procurai o que é justo; ajudai ao oprimido; fazei justiça ao órfão; defendei a causa da viúva.
18 १८ यहोवा कहता है, “आओ, हम आपस में वाद-विवाद करें: तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तो भी वे हिम के समान उजले हो जाएँगे; और चाहे अर्गवानी रंग के हों, तो भी वे ऊन के समान श्वेत हो जाएँगे।
Vinde, então, e façamos as contas, diz o SENHOR: ainda que vossos pecados sejam como a escarlate, eles ficarão brancos como a neve; ainda que sejam vermelhos como o carmesim, eles se tornarão como a lã.
19 १९ यदि तुम आज्ञाकारी होकर मेरी मानो,
Se quiserdes e ouvirdes, comereis o que é bom da terra.
20 २० तो इस देश के उत्तम से उत्तम पदार्थ खाओगे; और यदि तुम न मानो और बलवा करो, तो तलवार से मारे जाओगे; यहोवा का यही वचन है।”
Porém se recusardes e fordes rebeldes, sereis devorados pela espada; pois [foi assim que] a boca do SENHOR falou.
21 २१ जो नगरी विश्वासयोग्य थी वह कैसे व्यभिचारिणी हो गई! वह न्याय से भरी थी और उसमें धार्मिकता पाया जाता था, परन्तु अब उसमें हत्यारे ही पाए जाते हैं।
Como a cidade fiel se tornou uma prostituta! Ela estava cheia de juízo, justiça habitava nela; porém agora homicidas.
22 २२ तेरी चाँदी धातु का मैल हो गई, तेरे दाखमधु में पानी मिल गया है।
Tua prata se tornou em escórias; teu vinho se misturou com água.
23 २३ तेरे हाकिम हठीले और चोरों से मिले हैं। वे सब के सब घूस खानेवाले और भेंट के लालची हैं। वे अनाथ का न्याय नहीं करते, और न विधवा का मुकद्दमा अपने पास आने देते हैं।
Teus príncipes são rebeldes, e companheiros de ladrões; cada um deles ama os subornos, e perseguem recompensas; não fazem justiça ao órfão, e não chega perante eles a causa das viúvas.
24 २४ इस कारण प्रभु सेनाओं के यहोवा, इस्राएल के शक्तिमान की यह वाणी है: “सुनो, मैं अपने शत्रुओं को दूर करके शान्ति पाऊँगा, और अपने बैरियों से बदला लूँगा।
Por isso diz o Senhor DEUS dos exércitos, o Poderoso de Israel: Ah, tomarei satisfações quanto aos meus adversários, e me vingarei de meus inimigos.
25 २५ मैं तुम पर हाथ बढ़ाकर तुम्हारा धातु का मैल पूरी रीति से भस्म करूँगा और तुम्हारी मिलावट पूरी रीति से दूर करूँगा।
E tornarei minha minha mão contra ti, e purificarei por completo tuas escórias; e tirarei toda a tua impureza.
26 २६ मैं तुम में पहले के समान न्यायी और आदिकाल के समान मंत्री फिर नियुक्त करूँगा। उसके बाद तू धर्मपुरी और विश्वासयोग्य नगरी कहलाएगी।”
E restituirei a teus juízes, como da primeira vez, e a teus conselheiros, como no princípio; e depois disso te chamarão cidade da justiça, cidade fiel.
27 २७ सिय्योन न्याय के द्वारा, और जो उसमें फिरेंगे वे धार्मिकता के द्वारा छुड़ा लिए जाएँगे।
Sião será resgatada por meio do juízo; e os que retornarem a ela, por meio da justiça.
28 २८ परन्तु बलवाइयों और पापियों का एक संग नाश होगा, और जिन्होंने यहोवा को त्यागा है, उनका अन्त हो जाएगा।
Mas para os transgressores e pecadores, serão juntamente quebrados; e os que deixarem ao SENHOR serão consumidos.
29 २९ क्योंकि जिन बांजवृक्षों से तुम प्रीति रखते थे, उनसे वे लज्जित होंगे, और जिन बारियों से तुम प्रसन्न रहते थे, उनके कारण तुम्हारे मुँह काले होंगे।
Porque pelos carvalhos que cobiçastes serão confundidos; e pelos bosques que escolhestes sereis envergonhados;
30 ३० क्योंकि तुम पत्ते मुर्झाए हुए बांज वृक्ष के, और बिना जल की बारी के समान हो जाओगे।
Porque sereis como o carvalho ao qual suas folhas caem, e como o bosque que não tem água.
31 ३१ बलवान तो सन और उसका काम चिंगारी बनेगा, और दोनों एक साथ जलेंगे, और कोई बुझानेवाला न होगा।
E o forte se tornará em estopa, e sua obra, em faísca; e ambos serão juntamente queimados, e não haverá quem [os] apague.

< यशायाह 1 >