< यशायाह 1 >
1 १ आमोस के पुत्र यशायाह का दर्शन, जिसको उसने यहूदा और यरूशलेम के विषय में उज्जियाह, योताम, आहाज, और हिजकिय्याह नामक यहूदा के राजाओं के दिनों में पाया।
Prophétie d’Ésaïe, fils d’Amots, sur Juda et Jérusalem, au temps d’Ozias, de Jotham, d’Achaz, d’Ézéchias, rois de Juda.
2 २ हे स्वर्ग सुन, और हे पृथ्वी कान लगा; क्योंकि यहोवा कहता है: “मैंने बाल-बच्चों का पालन-पोषण किया, और उनको बढ़ाया भी, परन्तु उन्होंने मुझसे बलवा किया।
Cieux, écoutez! Terre, prête l’oreille! Car l’Éternel parle. J’ai nourri et élevé des enfants, Mais ils se sont révoltés contre moi.
3 ३ बैल तो अपने मालिक को और गदहा अपने स्वामी की चरनी को पहचानता है, परन्तु इस्राएल मुझे नहीं जानता, मेरी प्रजा विचार नहीं करती।”
Le bœuf connaît son possesseur, Et l’âne la crèche de son maître: Israël ne connaît rien, Mon peuple n’a point d’intelligence.
4 ४ हाय, यह जाति पाप से कैसी भरी है! यह समाज अधर्म से कैसा लदा हुआ है! इस वंश के लोग कैसे कुकर्मी हैं, ये बाल-बच्चे कैसे बिगड़े हुए हैं! उन्होंने यहोवा को छोड़ दिया, उन्होंने इस्राएल के पवित्र को तुच्छ जाना है! वे पराए बनकर दूर हो गए हैं।
Malheur à la nation pécheresse, au peuple chargé d’iniquités, A la race des méchants, aux enfants corrompus! Ils ont abandonné l’Éternel, ils ont méprisé le Saint d’Israël. Ils se sont retirés en arrière…
5 ५ तुम बलवा कर करके क्यों अधिक मार खाना चाहते हो? तुम्हारा सिर घावों से भर गया, और तुम्हारा हृदय दुःख से भरा है।
Quels châtiments nouveaux vous infliger, Quand vous multipliez vos révoltes? La tête entière est malade, Et tout le cœur est souffrant.
6 ६ पाँव से सिर तक कहीं भी कुछ आरोग्यता नहीं, केवल चोट और कोड़े की मार के चिन्ह और सड़े हुए घाव हैं जो न दबाये गए, न बाँधे गए, न तेल लगाकर नरमाये गए हैं।
De la plante du pied jusqu’à la tête, rien n’est en bon état: Ce ne sont que blessures, contusions et plaies vives, Qui n’ont été ni pansées, ni bandées, Ni adoucies par l’huile.
7 ७ तुम्हारा देश उजड़ा पड़ा है, तुम्हारे नगर भस्म हो गए हैं; तुम्हारे खेतों को परदेशी लोग तुम्हारे देखते ही निगल रहे हैं; वह परदेशियों से नाश किए हुए देश के समान उजाड़ है।
Votre pays est dévasté, Vos villes sont consumées par le feu, Des étrangers dévorent vos campagnes sous vos yeux, Ils ravagent et détruisent, comme des barbares.
8 ८ और सिय्योन की बेटी दाख की बारी में की झोपड़ी के समान छोड़ दी गई है, या ककड़ी के खेत में के मचान या घिरे हुए नगर के समान अकेली खड़ी है।
Et la fille de Sion est restée Comme une cabane dans une vigne, Comme une hutte dans un champ de concombres, Comme une ville épargnée.
9 ९ यदि सेनाओं का यहोवा हमारे थोड़े से लोगों को न बचा रखता, तो हम सदोम के समान हो जाते, और गमोरा के समान ठहरते।
Si l’Éternel des armées Ne nous eût conservé un faible reste, Nous serions comme Sodome, Nous ressemblerions à Gomorrhe.
10 १० हे सदोम के न्यायियों, यहोवा का वचन सुनो! हे गमोरा की प्रजा, हमारे परमेश्वर की व्यवस्था पर कान लगा।
Écoutez la parole de l’Éternel, chefs de Sodome! Prête l’oreille à la loi de notre Dieu, peuple de Gomorrhe!
11 ११ यहोवा यह कहता है, “तुम्हारे बहुत से मेलबलि मेरे किस काम के हैं? मैं तो मेढ़ों के होमबलियों से और पाले हुए पशुओं की चर्बी से अघा गया हूँ; मैं बछड़ों या भेड़ के बच्चों या बकरों के लहू से प्रसन्न नहीं होता।
Qu’ai-je affaire de la multitude de vos sacrifices? Dit l’Éternel. Je suis rassasié des holocaustes de béliers et de la graisse des veaux; Je ne prends point plaisir au sang des taureaux, des brebis et des boucs.
12 १२ तुम जब अपने मुँह मुझे दिखाने के लिये आते हो, तब यह कौन चाहता है कि तुम मेरे आँगनों को पाँव से रौंदो?
Quand vous venez vous présenter devant moi, Qui vous demande de souiller mes parvis?
13 १३ व्यर्थ अन्नबलि फिर मत लाओ; धूप से मुझे घृणा है। नये चाँद और विश्रामदिन का मानना, और सभाओं का प्रचार करना, यह मुझे बुरा लगता है। महासभा के साथ ही साथ अनर्थ काम करना मुझसे सहा नहीं जाता।
Cessez d’apporter de vaines offrandes: J’ai en horreur l’encens, Les nouvelles lunes, les sabbats et les assemblées; Je ne puis voir le crime s’associer aux solennités.
14 १४ तुम्हारे नये चाँदों और नियत पर्वों के मानने से मैं जी से बैर रखता हूँ; वे सब मुझे बोझ से जान पड़ते हैं, मैं उनको सहते-सहते थक गया हूँ।
Mon âme hait vos nouvelles lunes et vos fêtes; Elles me sont à charge; Je suis las de les supporter.
15 १५ जब तुम मेरी ओर हाथ फैलाओ, तब मैं तुम से मुख फेर लूँगा; तुम कितनी ही प्रार्थना क्यों न करो, तो भी मैं तुम्हारी न सुनूँगा; क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से भरे हैं।
Quand vous étendez vos mains, je détourne de vous mes yeux; Quand vous multipliez les prières, je n’écoute pas: Vos mains sont pleines de sang.
16 १६ अपने को धोकर पवित्र करो: मेरी आँखों के सामने से अपने बुरे कामों को दूर करो; भविष्य में बुराई करना छोड़ दो,
Lavez-vous, purifiez-vous, Otez de devant mes yeux la méchanceté de vos actions; Cessez de faire le mal.
17 १७ भलाई करना सीखो; यत्न से न्याय करो, उपद्रवी को सुधारो; अनाथ का न्याय चुकाओ, विधवा का मुकद्दमा लड़ो।”
Apprenez à faire le bien, recherchez la justice, Protégez l’opprimé; Faites droit à l’orphelin, Défendez la veuve.
18 १८ यहोवा कहता है, “आओ, हम आपस में वाद-विवाद करें: तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तो भी वे हिम के समान उजले हो जाएँगे; और चाहे अर्गवानी रंग के हों, तो भी वे ऊन के समान श्वेत हो जाएँगे।
Venez et plaidons! Dit l’Éternel. Si vos péchés sont comme le cramoisi, ils deviendront blancs comme la neige; S’ils sont rouges comme la pourpre, ils deviendront comme la laine.
19 १९ यदि तुम आज्ञाकारी होकर मेरी मानो,
Si vous avez de la bonne volonté et si vous êtes dociles, Vous mangerez les meilleures productions du pays;
20 २० तो इस देश के उत्तम से उत्तम पदार्थ खाओगे; और यदि तुम न मानो और बलवा करो, तो तलवार से मारे जाओगे; यहोवा का यही वचन है।”
Mais si vous résistez et si vous êtes rebelles, Vous serez dévorés par le glaive, Car la bouche de l’Éternel a parlé.
21 २१ जो नगरी विश्वासयोग्य थी वह कैसे व्यभिचारिणी हो गई! वह न्याय से भरी थी और उसमें धार्मिकता पाया जाता था, परन्तु अब उसमें हत्यारे ही पाए जाते हैं।
Quoi donc! La cité fidèle est devenue une prostituée! Elle était remplie d’équité, la justice y habitait, Et maintenant il y a des assassins!
22 २२ तेरी चाँदी धातु का मैल हो गई, तेरे दाखमधु में पानी मिल गया है।
Ton argent s’est changé en scories, Ton vin a été coupé d’eau.
23 २३ तेरे हाकिम हठीले और चोरों से मिले हैं। वे सब के सब घूस खानेवाले और भेंट के लालची हैं। वे अनाथ का न्याय नहीं करते, और न विधवा का मुकद्दमा अपने पास आने देते हैं।
Tes chefs sont rebelles et complices des voleurs, Tous aiment les présents et courent après les récompenses; Ils ne font pas droit à l’orphelin, Et la cause de la veuve ne vient pas jusqu’à eux.
24 २४ इस कारण प्रभु सेनाओं के यहोवा, इस्राएल के शक्तिमान की यह वाणी है: “सुनो, मैं अपने शत्रुओं को दूर करके शान्ति पाऊँगा, और अपने बैरियों से बदला लूँगा।
C’est pourquoi voici ce que dit le Seigneur, l’Éternel des armées, Le Fort d’Israël: Ah! Je tirerai satisfaction de mes adversaires, Et je me vengerai de mes ennemis.
25 २५ मैं तुम पर हाथ बढ़ाकर तुम्हारा धातु का मैल पूरी रीति से भस्म करूँगा और तुम्हारी मिलावट पूरी रीति से दूर करूँगा।
Je porterai ma main sur toi, Je fondrai tes scories, comme avec de la potasse, Et j’enlèverai toutes tes parcelles de plomb.
26 २६ मैं तुम में पहले के समान न्यायी और आदिकाल के समान मंत्री फिर नियुक्त करूँगा। उसके बाद तू धर्मपुरी और विश्वासयोग्य नगरी कहलाएगी।”
Je rétablirai tes juges tels qu’ils étaient autrefois, Et tes conseillers tels qu’ils étaient au commencement. Après cela, on t’appellera ville de la justice, Cité fidèle.
27 २७ सिय्योन न्याय के द्वारा, और जो उसमें फिरेंगे वे धार्मिकता के द्वारा छुड़ा लिए जाएँगे।
Sion sera sauvée par la droiture, Et ceux qui s’y convertiront seront sauvés par la justice.
28 २८ परन्तु बलवाइयों और पापियों का एक संग नाश होगा, और जिन्होंने यहोवा को त्यागा है, उनका अन्त हो जाएगा।
Mais la ruine atteindra tous les rebelles et les pécheurs, Et ceux qui abandonnent l’Éternel périront.
29 २९ क्योंकि जिन बांजवृक्षों से तुम प्रीति रखते थे, उनसे वे लज्जित होंगे, और जिन बारियों से तुम प्रसन्न रहते थे, उनके कारण तुम्हारे मुँह काले होंगे।
On aura honte à cause des térébinthes auxquels vous prenez plaisir, Et vous rougirez à cause des jardins dont vous faites vos délices;
30 ३० क्योंकि तुम पत्ते मुर्झाए हुए बांज वृक्ष के, और बिना जल की बारी के समान हो जाओगे।
Car vous serez comme un térébinthe au feuillage flétri, Comme un jardin qui n’a pas d’eau.
31 ३१ बलवान तो सन और उसका काम चिंगारी बनेगा, और दोनों एक साथ जलेंगे, और कोई बुझानेवाला न होगा।
L’homme fort sera comme de l’étoupe, Et son œuvre comme une étincelle; Ils brûleront l’un et l’autre ensemble, Et il n’y aura personne pour éteindre.