< इब्रानियों 11 >

1 अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है।
وِشْواسَ آشَںسِتاناں نِشْچَیَح، اَدرِشْیاناں وِشَیاناں دَرْشَنَں بھَوَتِ۔
2 क्योंकि इसी के विषय में पूर्वजों की अच्छी गवाही दी गई।
تینَ وِشْواسینَ پْرانْچو لوکاح پْرامانْیَں پْراپْتَوَنْتَح۔
3 विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्तुओं से बना हो। (aiōn g165)
اَپَرَمْ اِیشْوَرَسْیَ واکْیینَ جَگَنْتْیَسرِجْیَنْتَ، درِشْٹَوَسْتُونِ چَ پْرَتْیَکْشَوَسْتُبھْیو نودَپَدْیَنْتَیتَدْ وَیَں وِشْواسینَ بُدھْیامَہے۔ (aiōn g165)
4 विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया; और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्योंकि परमेश्वर ने उसकी भेंटों के विषय में गवाही दी; और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
وِشْواسینَ ہابِلْ اِیشْوَرَمُدِّشْیَ کابِلَح شْریشْٹھَں بَلِدانَں کرِتَوانْ تَسْماچّیشْوَرینَ تَسْیَ دانانْیَدھِ پْرَمانے دَتّے سَ دھارْمِّکَ اِتْیَسْیَ پْرَمانَں لَبْدھَوانْ تینَ وِشْواسینَ چَ سَ مرِتَح سَنْ اَدْیاپِ بھاشَتے۔
5 विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहले उसकी यह गवाही दी गई थी, कि उसने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
وِشْواسینَ ہَنوکْ یَتھا مرِتْیُں نَ پَشْییتْ تَتھا لوکانْتَرَں نِیتَح، تَسْیودّیشَشْچَ کیناپِ نَ پْراپِ یَتَ اِیشْوَرَسْتَں لوکانْتَرَں نِیتَوانْ، تَتْپْرَمانَمِدَں تَسْیَ لوکانْتَرِیکَرَناتْ پُورْوَّں سَ اِیشْوَرایَ روچِتَوانْ اِتِ پْرَمانَں پْراپْتَوانْ۔
6 और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आनेवाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।
کِنْتُ وِشْواسَں وِنا کوپِیشْوَرایَ روچِتُں نَ شَکْنوتِ یَتَ اِیشْوَروسْتِ سْوانْویشِلوکیبھْیَح پُرَسْکارَں دَداتِ چیتِکَتھایامْ اِیشْوَرَشَرَناگَتَے رْوِشْوَسِتَوْیَں۔
7 विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चेतावनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया, और उसके द्वारा उसने संसार को दोषी ठहराया; और उस धार्मिकता का वारिस हुआ, जो विश्वास से होता है।
اَپَرَں تَدانِیں یانْیَدرِشْیانْیاسَنْ تانِیشْوَرینادِشْٹَح سَنْ نوہو وِشْواسینَ بھِیتْوا سْوَپَرِجَناناں رَکْشارْتھَں پوتَں نِرْمِّتَوانْ تینَ چَ جَگَجَّناناں دوشانْ دَرْشِتَوانْ وِشْواساتْ لَبھْیَسْیَ پُنْیَسْیادھِکارِی بَبھُووَ چَ۔
8 विश्वास ही से अब्राहम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे विरासत में लेनेवाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूँ; तो भी निकल गया।
وِشْواسینیبْراہِیمْ آہُوتَح سَنْ آجْناں گرِہِیتْوا یَسْیَ سْتھانَسْیادھِکارَسْتینَ پْراپْتَوْیَسْتَتْ سْتھانَں پْرَسْتھِتَوانْ کِنْتُ پْرَسْتھانَسَمَیے کَّ یامِیتِ ناجاناتْ۔
9 विश्वास ही से उसने प्रतिज्ञा किए हुए देश में जैसे पराए देश में परदेशी रहकर इसहाक और याकूब समेत जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बुओं में वास किया।
وِشْواسینَ سَ پْرَتِجْناتے دیشے پَرَدیشَوَتْ پْرَوَسَنْ تَسْیاح پْرَتِجْنایاح سَماناںشِبھْیامْ اِسْہاکا یاکُوبا چَ سَہَ دُوشْیَواسْیَبھَوَتْ۔
10 १० क्योंकि वह उस स्थिर नींव वाले नगर की प्रतीक्षा करता था, जिसका रचनेवाला और बनानेवाला परमेश्वर है।
یَسْماتْ سَ اِیشْوَرینَ نِرْمِّتَں سْتھاپِتَنْچَ بھِتِّمُولَیُکْتَں نَگَرَں پْرَتْیَیکْشَتَ۔
11 ११ विश्वास से सारा ने आप बूढ़ी होने पर भी गर्भ धारण करने की सामर्थ्य पाई; क्योंकि उसने प्रतिज्ञा करनेवाले को सच्चा जाना था।
اَپَرَنْچَ وِشْواسینَ سارا وَیوتِکْرانْتا سَنْتْیَپِ گَرْبھَدھارَنایَ شَکْتِں پْراپْیَ پُتْرَوَتْیَبھَوَتْ، یَتَح سا پْرَتِجْناکارِنَں وِشْواسْیَمْ اَمَنْیَتَ۔
12 १२ इस कारण एक ही जन से जो मरा हुआ सा था, आकाश के तारों और समुद्र तट के रेत के समान, अनगिनत वंश उत्पन्न हुआ।
تَتو ہیتو رْمرِتَکَلْپادْ ایکَسْماتْ جَنادْ آکاشِییَنَکْشَتْرانِیوَ گَنَناتِیتاح سَمُدْرَتِیرَسْتھَسِکَتا اِوَ چاسَںکھْیا لوکا اُتْپیدِرے۔
13 १३ ये सब विश्वास ही की दशा में मरे; और उन्होंने प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएँ नहीं पाईं; पर उन्हें दूर से देखकर आनन्दित हुए और मान लिया, कि हम पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं।
ایتے سَرْوّے پْرَتِجْنایاح پھَلانْیَپْراپْیَ کیوَلَں دُوراتْ تانِ نِرِیکْشْیَ وَنْدِتْوا چَ، پرِتھِوْیاں وَیَں وِدیشِنَح پْرَواسِنَشْچاسْمَہَ اِتِ سْوِیکرِتْیَ وِشْواسینَ پْرانانْ تَتْیَجُح۔
14 १४ जो ऐसी-ऐसी बातें कहते हैं, वे प्रगट करते हैं, कि स्वदेश की खोज में हैं।
یے تُ جَنا اِتّھَں کَتھَیَنْتِ تَیح پَیترِکَدیشو سْمابھِرَنْوِشْیَتَ اِتِ پْرَکاشْیَتے۔
15 १५ और जिस देश से वे निकल आए थे, यदि उसकी सुधि करते तो उन्हें लौट जाने का अवसर था।
تے یَسْمادْ دیشاتْ نِرْگَتاسْتَں یَدْیَسْمَرِشْیَنْ تَرْہِ پَراوَرْتَّنایَ سَمَیَمْ اَلَپْسْیَنْتَ۔
16 १६ पर वे एक उत्तम अर्थात् स्वर्गीय देश के अभिलाषी हैं, इसलिए परमेश्वर उनका परमेश्वर कहलाने में नहीं लजाता, क्योंकि उसने उनके लिये एक नगर तैयार किया है।
کِنْتُ تے سَرْوّوتْکرِشْٹَمْ اَرْتھَتَح سْوَرْگِییَں دیشَمْ آکانْکْشَنْتِ تَسْمادْ اِیشْوَرَسْتانَدھِ نَ لَجَّمانَسْتیشامْ اِیشْوَرَ اِتِ نامَ گرِہِیتَوانْ یَتَح سَ تیشاں کرِتے نَگَرَمیکَں سَںسْتھاپِتَوانْ۔
17 १७ विश्वास ही से अब्राहम ने, परखे जाने के समय में, इसहाक को बलिदान चढ़ाया, और जिसने प्रतिज्ञाओं को सच माना था।
اَپَرَمْ اِبْراہِیمَح پَرِیکْشایاں جاتایاں سَ وِشْواسینیسْہاکَمْ اُتْسَسَرْجَ،
18 १८ और जिससे यह कहा गया था, “इसहाक से तेरा वंश कहलाएगा,” वह अपने एकलौते को चढ़ाने लगा।
وَسْتُتَ اِسْہاکِ تَوَ وَںشو وِکھْیاسْیَتَ اِتِ واگْ یَمَدھِ کَتھِتا تَمْ اَدْوِتِییَں پُتْرَں پْرَتِجْناپْراپْتَح سَ اُتْسَسَرْجَ۔
19 १९ क्योंकि उसने मान लिया, कि परमेश्वर सामर्थी है, कि उसे मरे हुओं में से जिलाए, इस प्रकार उन्हीं में से दृष्टान्त की रीति पर वह उसे फिर मिला।
یَتَ اِیشْوَرو مرِتانَپْیُتّھاپَیِتُں شَکْنوتِیتِ سَ مینے تَسْماتْ سَ اُپَمارُوپَں تَں لیبھے۔
20 २० विश्वास ही से इसहाक ने याकूब और एसाव को आनेवाली बातों के विषय में आशीष दी।
اَپَرَمْ اِسْہاکْ وِشْواسینَ یاکُوبْ ایشاوے چَ بھاوِوِشَیانَدھْیاشِشَں دَدَو۔
21 २१ विश्वास ही से याकूब ने मरते समय यूसुफ के दोनों पुत्रों में से एक-एक को आशीष दी, और अपनी लाठी के सिरे पर सहारा लेकर दण्डवत् किया।
اَپَرَں یاکُوبْ مَرَنَکالے وِشْواسینَ یُوشَپھَح پُتْرَیوریکَیکَسْمَے جَنایاشِشَں دَدَو یَشْٹْیا اَگْرَبھاگے سَمالَمْبْیَ پْرَنَنامَ چَ۔
22 २२ विश्वास ही से यूसुफ ने, जब वह मरने पर था, तो इस्राएल की सन्तान के निकल जाने की चर्चा की, और अपनी हड्डियों के विषय में आज्ञा दी।
اَپَرَں یُوشَپھْ چَرَمَکالے وِشْواسینیسْراییلْوَںشِییاناں مِسَرَدیشادْ بَہِرْگَمَنَسْیَ واچَں جَگادَ نِجاسْتھِینِ چادھِ سَمادِدیشَ۔
23 २३ विश्वास ही से मूसा के माता पिता ने उसको, उत्पन्न होने के बाद तीन महीने तक छिपा रखा; क्योंकि उन्होंने देखा, कि बालक सुन्दर है, और वे राजा की आज्ञा से न डरे।
نَوَجاتو مُوساشْچَ وِشْواساتْ تْرانْ ماسانْ سْوَپِترِبھْیامْ اَگوپْیَتَ یَتَسْتَو سْوَشِشُں پَرَمَسُنْدَرَں درِشْٹَوَنْتَو راجاجْنانْچَ نَ شَنْکِتَوَنْتَو۔
24 २४ विश्वास ही से मूसा ने सयाना होकर फ़िरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्कार किया।
اَپَرَں وَیَحپْراپْتو مُوسا وِشْواساتْ پھِرَونو دَوہِتْرَ اِتِ نامَ نانْگِیچَکارَ۔
25 २५ इसलिए कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुःख भोगना और भी उत्तम लगा।
یَتَح سَ کْشَنِکاتْ پاپَجَسُکھَبھوگادْ اِیشْوَرَسْیَ پْرَجابھِح سارْدّھَں دُحکھَبھوگَں وَوْرے۔
26 २६ और मसीह के कारण निन्दित होने को मिस्र के भण्डार से बड़ा धन समझा क्योंकि उसकी आँखें फल पाने की ओर लगी थीं।
تَتھا مِسَرَدیشِییَنِدھِبھْیَح کھْرِیشْٹَنِمِتّاں نِنْداں مَہَتِیں سَمْپَتِّں مینے یَتو ہیتوح سَ پُرَسْکارَدانَمْ اَپَیکْشَتَ۔
27 २७ विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डरकर उसने मिस्र को छोड़ दिया, क्योंकि वह अनदेखे को मानो देखता हुआ दृढ़ रहा।
اَپَرَں سَ وِشْواسینَ راجْنَح کْرودھاتْ نَ بھِیتْوا مِسَرَدیشَں پَرِتَتْیاجَ، یَتَسْتینادرِشْیَں وِیکْشَمانینیوَ دھَیرْیَّمْ آلَمْبِ۔
28 २८ विश्वास ही से उसने फसह और लहू छिड़कने की विधि मानी, कि पहिलौठों का नाश करनेवाला इस्राएलियों पर हाथ न डाले।
اَپَرَں پْرَتھَمَجاتاناں ہَنْتا یَتْ سْوِییَلوکانْ نَ سْپرِشیتْ تَدَرْتھَں سَ وِشْواسینَ نِسْتارَپَرْوِّییَبَلِچّھیدَنَں رُدھِرَسیچَنَنْچانُشْٹھِتاوانْ۔
29 २९ विश्वास ही से वे लाल समुद्र के पार ऐसे उतर गए, जैसे सूखी भूमि पर से; और जब मिस्रियों ने वैसा ही करना चाहा, तो सब डूब मरे।
اَپَرَں تے وِشْواساتْ سْتھَلینیوَ سُوپھْساگَرینَ جَگْمُح کِنْتُ مِسْرِییَلوکاسْتَتْ کَرْتُّمْ اُپَکْرَمْیَ توییشُ مَمَجُّح۔
30 ३० विश्वास ही से यरीहो की शहरपनाह, जब सात दिन तक उसका चक्कर लगा चुके तो वह गिर पड़ी।
اَپَرَنْچَ وِشْواساتْ تَیح سَپْتاہَں یاوَدْ یِرِیہوح پْراچِیرَسْیَ پْرَدَکْشِنے کرِتے تَتْ نِپَپاتَ۔
31 ३१ विश्वास ही से राहाब वेश्या आज्ञा न माननेवालों के साथ नाश नहीं हुई; इसलिए कि उसने भेदियों को कुशल से रखा था।
وِشْواسادْ راہَبْنامِکا ویشْیاپِ پْرِیتْیا چارانْ اَنُگرِہْیاوِشْواسِبھِح سارْدّھَں نَ وِنَناشَ۔
32 ३२ अब और क्या कहूँ? क्योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और शिमशोन का, और यिफतह का, और दाऊद का और शमूएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूँ।
اَدھِکَں کِں کَتھَیِشْیامِ؟ گِدِیونو بارَکَح شِمْشونو یِپْتَہو دایُودْ شِمُوییلو بھَوِشْیَدْوادِنَشْچَیتیشاں ورِتّانْتَکَتھَنایَ مَمَ سَمَیابھاوو بھَوِشْیَتِ۔
33 ३३ इन्होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धार्मिकता के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएँ प्राप्त कीं, सिंहों के मुँह बन्द किए,
وِشْواساتْ تے راجْیانِ وَشِیکرِتَوَنْتو دھَرْمَّکَرْمّانِ سادھِتَوَنْتَح پْرَتِجْناناں پھَلَں لَبْدھَوَنْتَح سِںہاناں مُکھانِ رُدّھَوَنْتو
34 ३४ आग की ज्वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
وَہْنیرْداہَں نِرْوّاپِتَوَنْتَح کھَنْگَدھارادْ رَکْشاں پْراپْتَوَنْتو دَورْبَّلْیے سَبَلِیکرِتا یُدّھے پَراکْرَمِنو جاتاح پَریشاں سَینْیانِ دَوَیِتَوَنْتَشْچَ۔
35 ३५ स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीविते पाया; कितने तो मार खाते-खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिए कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों।
یوشِتَح پُنَرُتّھانینَ مرِتانْ آتْمَجانْ لیبھِرے، اَپَرے چَ شْریشْٹھوتّھانَسْیَ پْراپْتیراشَیا رَکْشامْ اَگرِہِیتْوا تاڈَنینَ مرِتَوَنْتَح۔
36 ३६ दूसरे लोग तो उपहास में उड़ाए जाने; और कोड़े खाने; वरन् बाँधे जाने; और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए।
اَپَرے تِرَسْکارَیح کَشابھِ رْبَنْدھَنَیح کارَیا چَ پَرِیکْشِتاح۔
37 ३७ पथराव किए गए; आरे से चीरे गए; उनकी परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्लेश में और दुःख भोगते हुए भेड़ों और बकरियों की खालें ओढ़े हुए, इधर-उधर मारे-मारे फिरे।
بَہَوَشْچَ پْرَسْتَراگھاتَے رْہَتاح کَرَپَتْرَے رْوا وِدِیرْنا یَنْتْرَے رْوا کْلِشْٹاح کھَنْگَدھارَے رْوا وْیاپادِتاح۔ تے میشاناں چھاگاناں وا چَرْمّانِ پَرِدھایَ دِیناح پِیڈِتا دُحکھارْتّاشْچابھْرامْیَنْ۔
38 ३८ और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे। संसार उनके योग्य न था।
سَںسارو ییشامْ اَیوگْیَسْتے نِرْجَنَسْتھانیشُ پَرْوَّتیشُ گَہْوَریشُ پرِتھِوْیاشْچھِدْریشُ چَ پَرْیَّٹَنْ۔
39 ३९ विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तो भी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली।
ایتَیح سَرْوَّے رْوِشْواساتْ پْرَمانَں پْراپِ کِنْتُ پْرَتِجْنایاح پھَلَں نَ پْراپِ۔
40 ४० क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुँचें।
یَتَسْتے یَتھاسْمانْ وِنا سِدّھا نَ بھَوییُسْتَتھَیویشْوَریناسْماکَں کرِتے شْریشْٹھَتَرَں کِمَپِ نِرْدِدِشے۔

< इब्रानियों 11 >