< इब्रानियों 10 >

1 क्योंकि व्यवस्था जिसमें आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उनका असली स्वरूप नहीं, इसलिए उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रतिवर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आनेवालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकती।
ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗᏰᏃ ᎣᏍᏛ ᎤᎵᏰᎢᎶᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᎤᏓᏩᏗᏍᏙᏛ ᏧᏪᎲᎩ, ᎠᎴ ᎠᎧᎵᎢ ᏗᏟᎶᏍᏔᏅᎯ ᏂᎨᏒᎾ ᏥᎨᏒᎩ, ᎥᏝ ᏰᎵᎦ, ᎾᏍᎩ ᏗᏓᏍᎪᎸᏙᏗ ᏓᏅᏗᏍᎬ, ᏂᏓᏕᏘᏴᎯᏒ ᏂᎪᎯᎸ ᏥᏓᎾᎵᏍᎪᎸᏗᏍᎨᎢ ᎾᎿᎭᎠᏂᎷᎩ ᏄᏂᎪᎸᎾ ᎢᎬᏩᏅᏁᏗ ᏱᎨᏎᎢ.
2 नहीं तो उनका चढ़ाना बन्द क्यों न हो जाता? इसलिए कि जब सेवा करनेवाले एक ही बार शुद्ध हो जाते, तो फिर उनका विवेक उन्हें पापी न ठहराता।
ᎢᏳᏰᏃ ᏰᎵᏉ ᏱᎨᏎᎢ, Ꮭ ᏱᎬᏩᏂᏲᎯᏍᏔᏁ ᏧᎾᎵᏍᎪᎸᏗᏍᎬᎢ; ᎠᎾᎵᏍᎪᎸᏗᏍᎩᏰᏃ ᎨᏒ ᏌᏉ ᏱᏄᎾᏓᏅᎦᎸᎮ ᎥᏝ ᎿᎭᏉ ᎠᏂᏍᎦᎾ ᏱᎬᏩᏂᏰᎸᏎᎢ.
3 परन्तु उनके द्वारा प्रतिवर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है।
ᎾᏍᎩᏍᎩᏂ Ꮎ ᏓᎾᎵᏍᎪᎸᏗᏍᎬᎢ, ᏂᏓᏕᏘᏴᎯᏒ ᎤᎾᏅᏓᏗᏏᏐᏗᏉ ᏂᎦᎵᏍᏗᏍᎪ ᎤᏂᏍᎦᏅᏨᎢ.
4 क्योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लहू पापों को दूर करे।
ᎥᏝᏰᏃ ᏩᎦ ᏧᎾᎪᏅᏍᏓᎵ ᎠᎴ ᎠᏫ ᏗᏂᎭᏄᎸᎯ ᎤᏂᎩᎬ ᏰᎵ ᎬᏩᏂᎲᏍᏗ ᏱᎨᏎ ᎠᏍᎦᏂ ᎨᏒᎢ.
5 इसी कारण मसीह जगत में आते समय कहता है, “बलिदान और भेंट तूने न चाही, पर मेरे लिये एक देह तैयार की।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ( ᎦᎶᏁᏛ ) ᎡᎶᎯ ᎤᎾᏄᎪᏥᎸ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎠᏥᎸ-ᎨᎳᏍᏙᏗ ᎠᎴ ᎢᎵᏍᎪᎸᏙᏗ ᎨᏒ ᎥᏝ ᏰᎵ ᏱᏗᏣᏰᎸᏁᎢ, ᎠᏰᎸᏍᎩᏂ ᏍᏆᏛᏅᎢᏍᏓᏁᎸ.
6 होमबलियों और पापबलियों से तू प्रसन्न नहीं हुआ।
ᏧᏃᏍᏛ ᎠᏥᎸ-ᏗᎨᎳᏍᏙᏗ ᎠᎴ ᏗᎵᏍᎪᎸᏙᏗ ᎠᏍᎦᏂ ᎠᎫᏴᏙᏗ ᎥᏝ ᎣᏏᏳ ᏱᏗᏣᏰᎸᏁᎢ;
7 तब मैंने कहा, ‘देख, मैं आ गया हूँ, (पवित्रशास्त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है) ताकि हे परमेश्वर तेरी इच्छा पूरी करूँ।’”
ᎿᎭᏉᏃ ᎯᎠ ᎾᎩᏪᏒᎩ, ᎬᏂᏳᏉ ᏥᎷᎩ, [ ᎪᏪᎵᎯ ᎪᏪᎳ ᎥᎩᏃᎮᏍᎬᎢ, ] [ ᏥᎷᎩ ] ᏄᏍᏛ ᏣᏚᎵᏍᎬ ᎢᏯᏆᏛᏁᏗ Ᏹ, ᏣᏁᎳᏅᎯ.
8 ऊपर तो वह कहता है, “न तूने बलिदान और भेंट और होमबलियों और पापबलियों को चाहा, और न उनसे प्रसन्न हुआ,” यद्यपि ये बलिदान तो व्यवस्था के अनुसार चढ़ाए जाते हैं।
ᎦᏳᎳ ᎯᎠ ᎢᏳᏪᏛ ᏥᎩ, ᎠᏥᎸᎨᎳᏍᏙᏗ ᎠᎴ ᎠᎵᏍᎪᎸᏙᏗ, ᎠᎴ ᏧᏃᏍᏗ ᎠᏥᎸ-ᏗᎨᎳᏍᏙᏗ, ᎠᎴ ᏗᎵᏍᎪᎸᏙᏗ ᎠᏍᎦᏂ ᎠᎫᏴᏙᏗ, ᎥᏝ ᏰᎵ ᏱᏗᏣᏰᎸᏁᎢ, ᎥᏝ ᎠᎴ ᎣᏏᏳ ᏱᏗᏣᏰᎸᏁᎢ; ᎾᏍᎩ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᎾᏍᎩᏯ ᏂᎬᏅ ᏗᎵᏍᎪᎸᏔᏅᎯ ᏥᎨᏎᎢ;
9 फिर यह भी कहता है, “देख, मैं आ गया हूँ, ताकि तेरी इच्छा पूरी करूँ,” अतः वह पहले को हटा देता है, ताकि दूसरे को स्थापित करे।
ᎿᎭᏉ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎬᏂᏳᏉ, ᏥᎷᎩ ᏄᏍᏛ ᏣᏚᎵᏍᎬ ᎢᏯᏆᏛᏁᏗᏱ ᏣᏁᎳᏅᎯ. ᎢᎬᏱᏱ [ ᎤᏁᎢᏍᏔᏅ ] ᎠᏲᏍᏗᎭ, ᎾᏍᎩ ᏔᎵᏁ [ ᎤᏁᎢᏍᏔᏅ ] ᎤᏍᏓᏱᏗᏍᏗᏱ.
10 १० उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं।
[ ᎤᏁᎳᏅᎯᏰᏃ ] ᎣᏏᏳ ᎤᏰᎸᏗ ᎡᎩᏅᎦᎸᏗᏱ ᏥᏌ ᎦᎶᏁᏛ ᎠᏰᎸ ᏌᏉ ᎢᏯᎵᏍᎪᎸᏔᏅᎯ ᎨᏒ ᎢᏳᏩᏂᏌᏛ.
11 ११ और हर एक याजक तो खड़े होकर प्रतिदिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते; बार बार चढ़ाता है।
ᎠᎴ ᎾᏂᎥ ᎠᏥᎸ-ᎠᏁᎶᎯ ᏓᏂᏙᎨ ᏚᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎮ ᏂᏓᏙᏓᏈᏒᎢ, ᎠᎴ ᏂᎪᎯᎸ ᎤᏠᏱᏉ ᎠᏥᎸ-ᏗᎨᎳᏍᏙᏗ ᏧᎾᎵᏍᎪᎸᏗᏍᎨᎢ, ᎾᏍᎩ ᎠᏍᎦᏂ ᎨᏒ ᎢᎸᎯᏳ ᏰᎵ ᎬᏩᎲᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒᎢ.
12 १२ पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।
ᎯᎠᏍᎩᏂ ᎠᏍᎦᏯ ᏌᏉ ᎢᏳᎵᏍᎪᎸᏔᏅᎯ ᎨᏎ ᎠᏥᎸ-ᎨᎳᏍᏙᏗ ᎠᏍᎦᏂ ᎠᎫᎪᏙᏗ, ᎤᏪᏁ ᎤᎵᏍᏆᏗᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎠᎦᏗᏏᏗᏢ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏬᎸᎢ;
13 १३ और उसी समय से इसकी प्रतीक्षा कर रहा है, कि उसके बैरी उसके पाँवों के नीचे की चौकी बनें।
ᎠᎴ ᎿᎭᏉ ᏂᎪᎯᎸ ᎠᎦᏘᏯ ᎬᏂ ᎬᏩᏍᎦᎩ ᏧᎳᏏᏗᏱ ᎦᏍᎩᎶ ᏂᎨᎬᏁᎸᎭ.
14 १४ क्योंकि उसने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है।
ᏌᏉᏰᏃ ᎢᏳᎵᏍᎪᎸᏔᏅᎯ ᎨᏒ ᎤᏮᏔᏅ ᎤᎵᏍᏆᏗᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᏄᏂᎪᎸᎾ ᏂᏚᏩᏁᎸ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎾᏂᏍᎦᏅᎾ ᎢᎨᎬᏁᎸᎯ.
15 १५ और पवित्र आत्मा भी हमें यही गवाही देता है; क्योंकि उसने पहले कहा था
ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎦᎸᏉᏗ ᎠᏓᏅᏙ ᎣᎪᎯᏳᏓᏁᎯ; ᎦᏳᎳᏰᏃ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏪᏛ ᏂᎨᏐᎢ,
16 १६ “प्रभु कहता है; कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँधूँगा वह यह है कि मैं अपनी व्यवस्थाओं को उनके हृदय पर लिखूँगा और मैं उनके विवेक में डालूँगा।”
ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏄᏍᏕᏍᏗ ᎧᏃᎮᏛ ᏙᏓᎦᏥᏯᏠᎢᏍᏓᏁᎵ ᎾᎯᏳ ᎦᎶᏐᏅᎭ ᎠᏗᎭ ᎤᎬᏫᏳᎯ; ᏗᏆᏤᎵ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᏧᏂᎾᏫᏱ ᏙᏓᏥᎳᏂ, ᎠᎴ ᏚᎾᏓᏅᏛ ᏙᏓᎪᏪᎳᏂ.
17 १७ (फिर वह यह कहता है, ) “मैं उनके पापों को, और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूँगा।”
ᎠᎴ ᎤᏂᏍᎦᏅᏨ ᎠᎴ ᎤᏲ ᏄᎾᏛᏁᎵᏙᎸ ᎥᏝ ᎿᎭᏉ ᎠᏆᏅᏓᏗᏍᏗ ᏱᎨᏎᏍᏗ.
18 १८ और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।
ᎾᏍᎩᏃ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎠᏍᎦᏅᏨᎯ ᎨᏒ ᎦᏴᏓᏗᏁᎸᎯ ᏱᎩ, ᎥᏝ ᎿᎭᏉ ᎠᏍᎦᏂ ᎠᎫᏴᏙᏗ ᎠᎵᏍᎪᎸᏙᏗ ᏱᏂᎦᎵᏍᏗᎭ.
19 १९ इसलिए हे भाइयों, जबकि हमें यीशु के लहू के द्वारा उस नये और जीविते मार्ग से पवित्रस्थान में प्रवेश करने का साहस हो गया है,
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ, ᎢᏓᎵᏅᏟ, ᏂᏗᎾᏰᏍᎬᎾ ᏫᎨᎩᏴᏍᏗ ᏥᏄᎵᏍᏔᎤ ᎤᏟ ᎢᎦᎸᏉᏗᎨᏒ ᏥᏌ ᎤᎩᎬ ᎢᏳᏩᏂᏌᏅᎯ.
20 २० जो उसने परदे अर्थात् अपने शरीर में से होकर, हमारे लिये अभिषेक किया है,
ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎢᏤ ᎠᎴ ᎬᏂᏛ ᎠᏓᏁᎯ ᎦᏅᏅ ᎬᏔᏅᎯ, ᎾᏍᎩ ᎢᎩᏍᏓᏱᏕᎸᎯ ᏥᎩ ᎠᏰᏙᎳᏛ ᎤᎶᏒᎢ, ᎾᏍᎩ ᎤᏇᏓᎸ ᏥᎦᏛᎦ;
21 २१ और इसलिए कि हमारा ऐसा महान याजक है, जो परमेश्वर के घर का अधिकारी है।
ᎠᎴ [ ᏥᎩᎧᎭ ] ᏄᎬᏫᏳᏌᏕᎩ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵ ᎠᏓᏁᎸ ᎤᎦᏌᏯᏍᏗᏕᎩ;
22 २२ तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्वर के समीप जाएँ।
ᎾᎥ ᎢᏗᎷᎨᏍᏗ ᎢᏛᏗᏍᎨᏍᏗ ᏄᏠᎾᏍᏛᏅ ᏗᎩᎾᏫ, ᎠᎴ ᎤᎵᏂᎩᏛ ᎪᎯᏳᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᏗᎩᎾᏫ ᏤᎩᏍᏚᏞᎸᎯ ᏤᎩᏅᎦᎸᎯ ᎤᏲ ᎠᏓᏅᏖᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᏗᏗᏰᎸ ᎦᏓᎭ ᏂᎨᏒᎾ ᎠᎹ ᏤᎪᏑᎴᏓᏁᎸᎯ.
23 २३ और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें; क्योंकि जिसने प्रतिज्ञा की है, वह विश्वासयोग्य है।
ᎠᏍᏓᏯ ᏕᎩᏂᏴᏎᏍᏗ ᎬᏂᎨᏒ ᏂᎬᏁᎸ ᎤᏚᎩ ᎢᎬᏒ ᏂᎦᏜᏓᏏᏛᎡᎲᎾ; ᏄᏓᎵᏓᏍᏛᎾᏰᏃ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎤᏚᎢᏍᏔᏅᎯ ᎨᏒᎢ.
24 २४ और प्रेम, और भले कामों में उकसाने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें।
ᎠᎴ ᏕᏓᏓᏓᏅᏖᏍᎨᏍᏗ, ᎠᏓᎨᏳᏗ ᎨᏒ ᎠᎴ ᏱᏍᏛ ᏗᎦᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᎨᏒ ᏗᎦᏓᏂᎳᏕᏗᏱ ᏗᎩᏄᏫᏍᏓᏁᏗᏱ;
25 २५ और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों-ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों-त्यों और भी अधिक यह किया करो।
ᏞᏍᏗᏉ ᏱᏗᏑᎵᎪᎨᏍᏗ ᎢᏓᏓᏟᏌᏂᏙᎲᎢ, ᎢᎦᏛ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᎾᏛᏁᏗ ᏥᎩ; ᏕᏣᏓᏬᏁᏗᏍᎨᏍᏗᏍᎩᏂ; ᎠᎴ Ꮀ ᎤᎬᏫᏳᏎᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᏂᏣᏛᏁᎮᏍᏗ ᏥᏥᎪᏩᏗ ᎤᏍᏆᎸᎯᏗᏒ ᎾᎯᏳ ᎢᎦ.
26 २६ क्योंकि सच्चाई की पहचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं।
ᎢᏳᏰᏃ ᎢᎬᏒ ᎢᎦᏚᎸᏛ ᏱᏗᏍᎦᏅᎬ ᏚᏳᎳ ᎨᎩᎦᏁᎥᏒᎯ ᏚᏳᎪᏛ ᎨᏒᎢ, ᎥᏝ ᏅᏩᏓᎴ ᏯᎵᏃᎯᏯ ᎠᏥᎸ-ᎨᎳᏍᏗ ᎠᏍᎦᏂ ᎠᎫᏴᏙᏗ,
27 २७ हाँ, दण्ड की एक भयानक उम्मीद और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा।
ᎤᎾᏰᎯᏍᏗᏉᏍᎩᏂ ᎣᏓᏅᏛ ᎠᎦᏖᎾᏍᏗᏱ ᏗᎫᎪᏙᏗ ᎢᎦ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎤᏔᎳᏬᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᎠᏥᎸ ᎾᏍᎩᏯ, ᎾᏍᎩ ᎤᏂᏛᏙᏗ ᏥᎩ ᎬᏩᏍᎦᎩ.
28 २८ जबकि मूसा की व्यवस्था का न माननेवाला दो या तीन जनों की गवाही पर, बिना दया के मार डाला जाता है।
ᎩᎶ ᎼᏏ ᎤᏤᎵ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᎢᏴᏛ ᎢᏳᏩᏁᏔᏅᎯ ᏥᎨᏎ ᎠᏲᎱᏍᎨ ᎦᏰᏥᏙᎵᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎠᏂᏔᎵᎭ ᎠᏂᎦᏔᎯ ᎤᏂᏃᎮᎸᎯ ᎬᏔᏅᎯ;
29 २९ तो सोच लो कि वह कितने और भी भारी दण्ड के योग्य ठहरेगा, जिसने परमेश्वर के पुत्र को पाँवों से रौंदा, और वाचा के लहू को जिसके द्वारा वह पवित्र ठहराया गया था, अपवित्र जाना हैं, और अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया।
ᏝᏍᎪ ᎤᏟ ᎢᎦᎢ ᏱᏂᏙᎬᏩᏳᎪᏗ ᎠᏥᏍᏛᏗᏍᏙᏗᏱ ᎩᎶ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏪᏥ ᎤᎳᏍᏓᎡᎸᎯ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎩᎬᎧᏃᎮᏛ ᏗᏠᎯᏍᏙᏔᏅᎯ ᎾᏍᎩ ᎤᏓᏅᎦᎶᏔᏅᎯ ᎨᏒ ᎦᏓᎭ ᎤᏰᎸᏅᎯ, ᎠᎴ ᎦᎬᏩᏐᏢᏔᏅᎯ ᎬᏩᎦᏘᏯ ᎠᏓᏙᎵᎩ ᎠᏓᏅᏙ.
30 ३० क्योंकि हम उसे जानते हैं, जिसने कहा, “पलटा लेना मेरा काम है, मैं ही बदला दूँगा।” और फिर यह, कि “प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।”
ᎡᏗᎦᏔᎭᏰᏃ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎯᎠ ᎢᏳᏪᏛ ᏥᎩ, ᎠᏞᎢᏍᏗ ᎨᏒ ᎠᏴ ᎠᏆᏤᎵᎦ, ᎠᏴ ᏓᎦᎫᏴᎯ, ᎠᏗᎭ ᏱᎰᏩ. ᎠᎴ ᏔᎵᏁᎢ, ᏱᎰᏩ ᏙᏓᎫᎪᏓᏁᎵ ᏧᏤᎵ ᏴᏫ.
31 ३१ जीविते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है।
ᎤᎾᏰᎯᏍᏗᏳ ᎬᏂᏛ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏧᏬᏰᏂ ᏫᏗᎩᏅᎢᏍᏗᏱ.
32 ३२ परन्तु उन पहले दिनों को स्मरण करो, जिनमें तुम ज्योति पाकर दुःखों के बड़े संघर्ष में स्थिर रहे।
ᎠᏎᏃ ᎢᏣᏅᏓᏓ ᏧᏩᎫᏔᏅᏒᎢ, ᎾᏍᎩ ᎾᎯᏳ ᎢᎦ ᏂᏕᏣᏗᏍᏓᏁᎶᎢ, ᎤᏣᏘ ᎢᏣᏟᏂᎬᏁᎸ ᏕᏥᎦᏘᎸᏒ ᎠᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᎨᏒᎢ;
33 ३३ कुछ तो यह, कि तुम निन्दा, और क्लेश सहते हुए तमाशा बने, और कुछ यह, कि तुम उनके सहभागी हुए जिनकी दुर्दशा की जाती थी।
ᎾᏍᎩ ᎢᎸᎯᏳ ᏥᎦᏰᏥᏐᏢᏛᎢ, ᎠᎴ ᏤᏥᎩᎵᏲᎢᏍᏗᏍᎬᎢ; ᎢᎸᎯᏳᏃ ᏕᏣᎵᎪᏁᎸ ᎾᏍᎩ ᎢᎨᎬᏁᎸᎯ.
34 ३४ क्योंकि तुम कैदियों के दुःख में भी दुःखी हुए, और अपनी सम्पत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जानकर, कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरनेवाली सम्पत्ति है।
ᎥᏆᎸᎢᏛᏰᏃ ᎨᏒ ᎢᏳᏍᏗ ᎥᏍᎩᏯᏙᎵᏨᎩ, ᎠᎴ ᎤᎵᎮᎵᏍᏗᏉ ᎥᏣᏓᏅᏛᎩ ᎡᏥᏬᏅᎲ ᏧᎬᏩᎶᏗ ᎢᏥᎲᎢ, ᎢᏥᎦᏔᎲᎩᏰᏃ ᎦᎸᎳᏗ ᏫᏥᏍᏆᏂᎪᏛ ᎤᏟ ᎢᏲᏍᏛ ᎠᎴ ᎠᏲᎩ ᏂᎨᏒᎾ ᏧᎬᏩᎶᏗ.
35 ३५ इसलिए, अपना साहस न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏞᏍᏗ ᎢᏴᏛ ᎢᏨᏁᏔᏅᎩ ᎢᏦᎯᏳᏒᎢ, ᎾᏍᎩ ᎤᏣᏘ ᎤᏓᎫᏴᎡᏗ ᏥᎩ.
36 ३६ क्योंकि तुम्हें धीरज रखना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।
ᏗᏨᏂᏗᏳ ᎢᏣᎵᏍᏙᏗᏱ ᎤᏚᎸᏗᏳ ᏂᏣᎵᏍᏓᏁᎭ; ᎾᏍᎩ ᎿᎭᏉ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏏᏳ ᎤᏴᎸᏗ ᎨᏒ ᎢᏣᏛᏁᎸᎯ ᎨᏎᏍᏗ, ᎢᏣᏤᎵ ᎢᎬᏩᎵᏍᏙᏗ ᏱᎩ ᏄᏍᏛ ᎠᏚᎢᏍᏛᎢ.
37 ३७ “क्योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जबकि आनेवाला आएगा, और देर न करेगा।
ᎿᎭᏉᏰᏃ ᏂᎪᎯᎸᎾᏉ, ᎾᏍᎩ ᎤᎷᎯᏍᏗ ᏥᎩ ᏓᎦᎷᏥ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᏴᏛᏙᎯᏗ.
38 ३८ और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उससे प्रसन्न न होगा।”
ᎤᎾᏓᏅᏘᏃ ᎪᎯᏳᏗ ᎨᏒ ᎤᎾᏛᏂᏗᏍᏕᏍᏗ; ᎩᎶᏍᎩᏂ ᎢᏳᏍᏗ ᎢᎠᏨᏍᎨᏍᏗ ᎠᏆᏓᏅᏙ ᎥᏝ ᎣᏏᏳ ᏳᏰᎸᏎᏍᏗ ᎾᏍᎩ.
39 ३९ पर हम हटनेवाले नहीं, कि नाश हो जाएँ पर विश्वास करनेवाले हैं, कि प्राणों को बचाएँ।
ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᎠᎾᏨᏍᎩ ᏥᎩ [ ᎤᎾᏓᏡᎬ ] ᎢᏖᎳ ᏱᎩ, ᎾᏍᎩ ᎨᏥᏛᏙᏗ ᎨᏒ ᎢᏴᏛ ᏥᏩᏂᎷᎦ, ᎾᏍᎩᏍᎩᏂ Ꮎ ᎤᎾᏓᏡᎬ ᎢᏖᎳ, ᎾᏍᎩ ᎤᏃᎯᏳᏒ ᏥᏓᏂᏍᏕᎸᏗ ᏧᎾᏓᏅᏙ.

< इब्रानियों 10 >