< हाग्गै 2 >

1 फिर सातवें महीने के इक्कीसवें दिन को यहोवा का यह वचन हाग्गै भविष्यद्वक्ता के पास पहुँचा,
وَفِي الْيَوْمِ الْحَادِي وَالْعِشْرِينَ مِنَ الشَّهْرِ السَّابِعِ (أَيْ شَهْرِ تِشْرِينَ الأَوَّلِ – أُكْتُوبَرَ) أَوْحَى الرَّبُّ بِهَذِهِ الْكَلِمَةِ إِلَى حَجَّيِ النَّبِيِّ:١
2 “शालतीएल के पुत्र यहूदा के अधिपति जरुब्बाबेल, और यहोसादाक के पुत्र यहोशू महायाजक और सब बचे हुए लोगों से यह बात कह,
«خَاطِبْ زَرُبَّابِلَ بْنَ شَأَلْتِيئِيلَ حَاكِمَ يَهُوذَا، وَيَهُوشَعَ بْنَ يَهُوصَادِقَ رَئِيسَ الْكَهَنَةِ وَجَمِيعَ الْبَقِيَّةِ النَّاجِيَةِ مِنَ الشَّعْبِ قَائِلاً:٢
3 ‘तुम में से कौन है, जिसने इस भवन की पहली महिमा देखी है? अब तुम इसे कैसी दशा में देखते हो? क्या यह सच नहीं कि यह तुम्हारी दृष्टि में उस पहले की अपेक्षा कुछ भी अच्छा नहीं है?
مَنْ بَقِيَ مِنْكُمْ مِمَّنْ شَاهَدُوا هَذَا الْهَيْكَلَ فِي مَجْدِهِ السَّابِقِ؟ كَيْفَ تَرَوْنَهُ الآنَ؟ أَلَيْسَ هُوَ فِي نَظَرِكُمْ كَلا شَيْءٍ؟٣
4 तो भी, अब यहोवा की यह वाणी है, हे जरुब्बाबेल, हियाव बाँध; और हे यहोसादाक के पुत्र यहोशू महायाजक, हियाव बाँध; और यहोवा की यह भी वाणी है कि हे देश के सब लोगों हियाव बाँधकर काम करो, क्योंकि मैं तुम्हारे संग हूँ, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।
وَالآنَ تَشَجَّعْ يَازَرُبَّابِلُ، يَقُولُ الرَّبُّ، وَتَشَدَّدْ يَا يَهُوشَعُ بْنُ يَهُوصَادِقَ رَئِيسُ الْكَهَنَةِ، وَأَنْتُمْ كَذَلِكَ يَا جَمِيعَ سُكَّانِ الأَرْضِ. تَشَجَّعُوا وَاعْمَلُوا بِجَدٍّ لأَنِّي مَعَكُمْ، يَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ.٤
5 तुम्हारे मिस्र से निकलने के समय जो वाचा मैंने तुम से बाँधी थी, उसी वाचा के अनुसार मेरा आत्मा तुम्हारे बीच में बना है; इसलिए तुम मत डरो।
بِمُقْتَضَى عَهْدِي الَّذِي أَبْرَمْتُهُ مَعَكُمْ عِنْدَمَا خَرَجْتُمْ مِنْ دِيَارِ مِصْرَ. إِنَّ رُوحِي مَاكِثٌ مَعَكُمْ، فَلا تَفْزَعُوا.٥
6 क्योंकि सेनाओं का यहोवा यह कहता है, अब थोड़ी ही देर बाकी है कि मैं आकाश और पृथ्वी और समुद्र और स्थल सब को कँपित करूँगा।
لأَنَّهُ هَكَذَا يَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ: هَا أَنَا مُزْمِعٌ مَرَّةً أُخْرَى، عَمَّا قَلِيلٍ، أَنْ أُزَلْزِلَ السَّمَاءَ وَالأَرْضَ وَالْبَحْرَ وَالْيَابِسَةَ.٦
7 और मैं सारी जातियों को हिलाऊँगा, और सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएँ आएँगी; और मैं इस भवन को अपनी महिमा के तेज से भर दूँगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।
وَأُزَعْزِعَ أَرْكَانَ جَمِيعِ الأُمَمِ فَتُجْلَبَ نَفَائِسُهُمْ إِلَى هَذَا الْمَكَانِ وَأَمْلأَ هَذَا الْهَيْكَلَ بِالْمَجْدِ.٧
8 चाँदी तो मेरी है, और सोना भी मेरा ही है, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।
فَالذَّهَبُ وَالْفِضَّةُ لِي يَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ.٨
9 इस भवन की पिछली महिमा इसकी पहली महिमा से बड़ी होगी, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है, और इस स्थान में मैं शान्ति दूँगा, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।’”
وَيَكُونُ مَجْدُ هَذَا الْهَيْكَلِ الأَخِيرِ أَعْظَمَ مِنْ مَجْدِ الْهَيْكَلِ السَّابِقِ، وَأَجْعَلُ السَّلامَ يَسُودُ هَذَا الْمَوْضِعَ يَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ».٩
10 १० दारा के राज्य के दूसरे वर्ष के नौवें महीने के चौबीसवें दिन को, यहोवा का यह वचन हाग्गै भविष्यद्वक्ता के पास पहुँचा,
وَفِي الْيَوْمِ الرَّابِعِ وَالْعِشْرِينَ مِنَ الشَّهْرِ التَّاسِعِ (أَيْ شَهْرِ كَانُونَ الأَوَّلِ – دِيسَمْبَر)، فِي السَّنَةِ الثَّانِيَةِ لِحُكْمِ دَارِيُّوسَ أَوْحَى الرَّبُّ بِهَذِهِ الْكَلِمَةِ إِلَى النَّبِيِّ حَجَّيِ:١٠
11 ११ “सेनाओं का यहोवा यह कहता है: याजकों से इस बात की व्यवस्था पूछ,
«هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ: اسْأَلِ الْكَهَنَةَ عَمَّا تَقُولُهُ الشَّرِيعَةُ بِشَأْنِ هَذَا السُّؤَالِ:١١
12 १२ ‘यदि कोई अपने वस्त्र के आँचल में पवित्र माँस बाँधकर, उसी आँचल से रोटी या पकाए हुए भोजन या दाखमधु या तेल या किसी प्रकार के भोजन को छूए, तो क्या वह भोजन पवित्र ठहरेगा?’” याजकों ने उत्तर दिया, “नहीं।”
إِنْ حَمَلَ إِنْسَانٌ لَحْماً مُقَدَّساً بَيْنَ طَيَّاتِ ثَوْبِهِ، وَلَمَسَ طَرَفُهُ خُبْزاً أَوْ طَبِيخاً أَوْ خَمْراً أَوْ زَيْتاً أَوْ أَيَّ طَعَامٍ آخَرَ، فَهَلْ يُصْبِحُ ذَاكَ مُقَدَّساً؟» فَأَجَابَ الْكَهَنَةُ: «لا».١٢
13 १३ फिर हाग्गै ने पूछा, “यदि कोई जन मनुष्य की लोथ के कारण अशुद्ध होकर ऐसी किसी वस्तु को छूए, तो क्या वह अशुद्ध ठहरेगी?” याजकों ने उत्तर दिया, “हाँ अशुद्ध ठहरेगी।”
ثُمَّ سَأَلَ حَجَّي: «إِنْ لَمَسَ إِنْسَانٌ تَنَجَّسَ بِمَسِّ مَيْتٍ شَيْئاً مِنْ هَذِهِ هَلْ تُصْبِحُ نَجِسَةً؟» فَأَجَابَ الْكَهَنَةُ: «نَعَمْ، تُصْبِحُ نَجِسَةً».١٣
14 १४ फिर हाग्गै ने कहा, “यहोवा की यही वाणी है, कि मेरी दृष्टि में यह प्रजा और यह जाति वैसी ही है, और इनके सब काम भी वैसे हैं; और जो कुछ वे वहाँ चढ़ाते हैं, वह भी अशुद्ध है;
عِنْدَئِذٍ قَالَ حَجَّي: «هَذَا هُوَ حَالُ الشَّعْبِ، وَهَذَا هُوَ حَالُ الأُمَّةِ أَمَامِي يَقُولُ الرَّبُّ، فَكُلُّ أَعْمَالِ أَيْدِيهِمْ وَجَمِيعُ مَا يُقَدِّمُونَهُ نَجِسٌ.١٤
15 १५ “अब सोच-विचार करो कि आज से पहले अर्थात् जब यहोवा के मन्दिर में पत्थर पर पत्थर रखा ही नहीं गया था,
وَالآنَ تَأَمَّلُوا فِيمَا صَنَعْتُمُ الْيَوْمَ وَالأَيَّامَ السَّالِفَةَ قَبْلَ أَنْ تَضَعُوا حَجَراً فَوْقَ حَجَرٍ لِبِنَاءِ هَيْكَلِ الرَّبِّ.١٥
16 १६ उन दिनों में जब कोई अन्न के बीस नपुओं की आशा से जाता, तब दस ही पाता था, और जब कोई दाखरस के कुण्ड के पास इस आशा से जाता कि पचास बर्तन भर निकालें, तब बीस ही निकलते थे।
عِنْدَمَا كَانَ يُقْبِلُ أَحَدٌ عَلَى كَوْمَةِ حُبُوبٍ ظَنّاً مِنْهُ أَنَّ الأَرْضَ قَدْ غَلَّتْ عِشْرِينَ مِكْيَالاً، يَجِدُ أَنَّهَا لَمْ تُغِلَّ سِوَى عَشَرَةٍ فَقَطْ. وَحِينَ يَدْنُو مِنَ الْمِعْصَرَةِ لِيَغْرُفَ مِلْءَ خَمْسِينَ وِعَاءً، لَا يَجِدُ إِلّا عِشْرِينَ.١٦
17 १७ “मैंने तुम्हारी सारी खेती को लू और गेरूई और ओलों से मारा, तो भी तुम मेरी ओर न फिरे, यहोवा की यही वाणी है।
إِنِّي ابْتَلَيْتُ تَعَبَ أَيْدِيكُمْ بِالْقَحْطِ وَالذُّبُولِ وَالْبَرَدِ، وَلَكِنَّكُمْ لَمْ تَرْجِعُوا تَائِبِينَ إِلَيَّ، يَقُولُ الرَّبُّ.١٧
18 १८ अब सोच-विचार करो, कि आज से पहले अर्थात् जिस दिन यहोवा के मन्दिर की नींव डाली गई, उस दिन से लेकर नौवें महीने के इसी चौबीसवें दिन तक क्या दशा थी? इसका सोच-विचार करो।
وَلَكِنْ تَأَمَّلُوا فِيمَا يَجْرِي مُنْذُ هَذَا الْيَوْمِ وَصَاعِداً، مِنَ الْيَوْمِ الرَّابِعِ وَالْعِشْرِينَ مِنَ الشَّهْرِ التَّاسِعِ، مُنْذُ أَنْ تَمَّ وَضْعُ أَسَاسِ هَيْكَلِ الرَّبِّ. تَأَمَّلُوا.١٨
19 १९ क्या अब तक बीज खत्ते में है? अब तक दाखलता और अंजीर और अनार और जैतून के वृक्ष नहीं फले, परन्तु आज के दिन से मैं तुम को आशीष देता रहूँगा।”
هَلْ فِي الأَهْرَاءِ بِذَارٌ بَعْدُ؟ حَتَّى الْكُرُومُ وَالتِّينُ وَالرُّمَّانُ وَالزَّيْتُونُ لَمْ تُثْمِرْ بَعْدُ. لَكِنْ مُنْذُ هَذَا الْيَوْمِ أُبَارِكُ فِيهَا».١٩
20 २० उसी महीने के चौबीसवें दिन को दूसरी बार यहोवा का यह वचन हाग्गै के पास पहुँचा,
ثُمَّ أَوْحَى الرَّبُّ بِكَلِمَتِهِ إِلَى حَجَّي لِلْمَرَّةِ الثَّانِيَةِ فِي الْيَوْمِ الرَّابِعِ وَالْعِشْرِينَ مِنَ الشَّهْرِ قَائِلاً:٢٠
21 २१ “यहूदा के अधिपति जरुब्बाबेल से यह कह: मैं आकाश और पृथ्वी दोनों को हिलाऊँगा,
«كَلِّمْ زَرُبَّابِلَ حَاكِمَ يَهُوذَا وَقُلْ لَهُ: أَنَا مُزْمِعٌ أَنْ أُزَلْزِلَ السَّمَاءَ وَالأَرْضَ.٢١
22 २२ और मैं राज्य- राज्य की गद्दी को उलट दूँगा; मैं अन्यजातियों के राज्य-राज्य का बल तोड़ूँगा, और रथों को चढ़वैयों समेत उलट दूँगा; और घोड़ों समेत सवार हर एक अपने भाई की तलवार से गिरेंगे।
وَأُطَوِّحَ بِعُرُوشِ مَمَالِكِ الأُمَمِ، وَأُدَمِّرَ قُوَّتَهَا وَأَقْلِبَ الْمَرْكَبَاتِ وَفُرْسَانَهَا، فَتَهْوِي الْخُيُولُ وَرُكَّابُهَا وَيَلْقَى كُلُّ وَاحِدٍ حَتْفَهُ بِسَيْفِ صَاحِبِهِ.٢٢
23 २३ सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है, उस दिन, हे शालतीएल के पुत्र मेरे दास जरुब्बाबेल, मैं तुझे लेकर मुहर वाली अंगूठी के समान रखूँगा, यहोवा की यही वाणी है; क्योंकि मैंने तुझी को चुन लिया है, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।”
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ، يَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ، أَصْطَفِيكَ يَازَرُبَّابِلُ بْنُ شَأَلْتِيئِيلَ عَبْدِي، وَأَجْعَلُكَ كَخَاتَمٍ فِي إِصْبَعِي (حَاكِماً بِاسْمِي) لأَنِّي اخْتَرْتُكَ يَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ».٢٣

< हाग्गै 2 >