< हबक्कूक 2 >

1 मैं अपने पहरे पर खड़ा रहूँगा, और गुम्मट पर चढ़कर ठहरा रहूँगा, और ताकता रहूँगा कि मुझसे वह क्या कहेगा? मैं अपने दिए हुए उलाहने के विषय में क्या उत्तर दूँ?
Je me tiendrai à ma garde et je me placerai sur les remparts, et je regarderai pour voir ce qu'il me dira, et ce que je répondrai au sujet de ma plainte.
2 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “दर्शन की बातें लिख दे; वरन् पटियाओं पर साफ-साफ लिख दे कि दौड़ते हुए भी वे सहज से पढ़ी जाएँ।
Yahvé me répondit: « Écris la vision, et mets-la en évidence sur des tablettes, afin que celui qui court puisse la lire.
3 क्योंकि इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है, वरन् इसके पूरे होने का समय वेग से आता है; इसमें धोखा न होगा। चाहे इसमें विलम्ब भी हो, तो भी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उसमें देर न होगी।
Car la vision est encore pour le temps fixé, et elle se hâte vers la fin, et ne se démentira pas. Même si elle prend du temps, attendez-la, car elle viendra sûrement. Elle ne tardera pas.
4 देख, उसका मन फूला हुआ है, उसका मन सीधा नहीं है; परन्तु धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा।
Voici, son âme s'enfle d'orgueil. Il n'est pas droit en lui, mais le juste vivra par sa foi.
5 दाखमधु से धोखा होता है; अहंकारी पुरुष घर में नहीं रहता, और उसकी लालसा अधोलोक के समान पूरी नहीं होती, और मृत्यु के समान उसका पेट नहीं भरता। वह सब जातियों को अपने पास खींच लेता, और सब देशों के लोगों को अपने पास इकट्ठे कर रखता है।” (Sheol h7585)
Oui, de plus, le vin est perfide: un homme arrogant qui ne reste pas chez lui, qui élargit son désir comme le séjour des morts; il est comme la mort et ne peut être satisfait, mais il rassemble à lui toutes les nations et entasse à lui tous les peuples. (Sheol h7585)
6 क्या वे सब उसका दृष्टान्त चलाकर, और उस पर ताना मारकर न कहेंगे “हाय उस पर जो पराया धन छीन छीनकर धनवान हो जाता है? कब तक? हाय उस पर जो अपना घर बन्धक की वस्तुओं से भर लेता है!”
Tous ne prendront-ils pas contre lui une parabole et un proverbe de raillerie, et ne diront-ils pas: « Malheur à celui qui augmente ce qui ne lui appartient pas, et qui s'enrichit par l'extorsion! ». Jusqu'à quand? »
7 जो तुझ से कर्ज लेते हैं, क्या वे लोग अचानक न उठेंगे? और क्या वे न जागेंगे जो तुझको संकट में डालेंगे?
Tes débiteurs ne vont-ils pas se lever soudainement, réveiller ceux qui te font trembler, et tu seras leur victime?
8 और क्या तू उनसे लूटा न जाएगा? तूने बहुत सी जातियों को लूट लिया है, इसलिए सब बचे हुए लोग तुझे भी लूट लेंगे। इसका कारण मनुष्यों की हत्या है, और वह उपद्रव भी जो तूने इस देश और राजधानी और इसके सब रहनेवालों पर किया है।
Parce que tu as pillé de nombreuses nations, tout le reste des peuples te pillera à cause du sang des hommes, des violences faites au pays, à la ville et à tous ceux qui l'habitent.
9 हाय उस पर, जो अपने घर के लिये अन्याय के लाभ का लोभी है ताकि वह अपना घोंसला ऊँचे स्थान में बनाकर विपत्ति से बचे।
Malheur à celui qui obtient un mauvais gain pour sa maison, afin de placer son nid en haut, afin d'être délivré de la main du malheur!
10 १० तूने बहुत सी जातियों को काटकर अपने घर के लिये लज्जा की युक्ति बाँधी, और अपने ही प्राण का दोषी ठहरा है।
Tu as conçu la honte de ta maison en exterminant de nombreux peuples, et tu as péché contre ton âme.
11 ११ क्योंकि घर की दीवार का पत्थर दुहाई देता है, और उसके छत की कड़ी उनके स्वर में स्वर मिलाकर उत्तर देती हैं।
Car la pierre criera de la muraille, et la poutre de la charpente y répondra.
12 १२ हाय उस पर जो हत्या करके नगर को बनाता, और कुटिलता करके शहर को दृढ़ करता है।
Malheur à celui qui bâtit une ville par le sang, et qui affermit une cité par l'iniquité!
13 १३ देखो, क्या सेनाओं के यहोवा की ओर से यह नहीं होता कि देश-देश के लोग परिश्रम तो करते हैं परन्तु वे आग का कौर होते हैं; और राज्य-राज्य के लोगों का परिश्रम व्यर्थ ही ठहरता है?
Voici, n'est-ce pas de la part de l'Éternel des armées que les peuples travaillent pour le feu, et que les nations se fatiguent pour la vanité?
14 १४ क्योंकि पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र जल से भर जाता है।
Car la terre sera remplie de la connaissance de la gloire de l'Éternel, comme les eaux couvrent la mer.
15 १५ हाय उस पर, जो अपने पड़ोसी को मदिरा पिलाता, और उसमें विष मिलाकर उसको मतवाला कर देता है कि उसको नंगा देखे।
« Malheur à celui qui donne à boire à son prochain, en versant votre vin brûlant jusqu'à ce qu'ils soient ivres, afin que vous puissiez contempler leurs corps nus!
16 १६ तू महिमा के बदले अपमान ही से भर गया है। तू भी पी, और अपने को खतनाहीन प्रगट कर! जो कटोरा यहोवा के दाहिने हाथ में रहता है, वह घूमकर तेरी ओर भी जाएगा, और तेरा वैभव तेरी छाँट से अशुद्ध हो जाएगा।
Vous êtes remplis de honte, et non de gloire. Vous aussi, vous boirez et serez exposés! La coupe de la main droite de Yahvé se retournera contre vous, et l'opprobre couvrira votre gloire.
17 १७ क्योंकि लबानोन में तेरा किया हुआ उपद्रव और वहाँ के जंगली पशुओं पर तेरा किया हुआ उत्पात, जिनसे वे भयभीत हो गए थे, तुझी पर आ पड़ेंगे। यह मनुष्यों की हत्या और उस उपद्रव के कारण होगा, जो इस देश और राजधानी और इसके सब रहनेवालों पर किया गया है।
Car la violence faite au Liban vous accablera, et la destruction des animaux vous terrifiera, à cause du sang des hommes et de la violence faite au pays, à chaque ville et à ceux qui y habitent.
18 १८ खुदी हुई मूरत में क्या लाभ देखकर बनानेवाले ने उसे खोदा है? फिर झूठ सिखानेवाली और ढली हुई मूरत में क्या लाभ देखकर ढालनेवाले ने उस पर इतना भरोसा रखा है कि न बोलनेवाली और निकम्मी मूरत बनाए?
« Quelle valeur a l'image gravée, pour que son créateur l'ait gravée; l'image fondue, pour que celui qui en façonne la forme s'y fie, pour fabriquer des idoles muettes?
19 १९ हाय उस पर जो काठ से कहता है, जाग, या अबोल पत्थर से, उठ! क्या वह सिखाएगा? देखो, वह सोने चाँदी में मढ़ा हुआ है, परन्तु उसमें जीवन नहीं है।
Malheur à celui qui dit au bois: « Réveille-toi! » ou à la pierre muette: « Lève-toi! ». Est-ce là un enseignement? Voici, elle est recouverte d'or et d'argent, et il n'y a en elle aucun souffle.
20 २० परन्तु यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में है; समस्त पृथ्वी उसके सामने शान्त रहे।
Mais Yahvé est dans son temple saint. Que toute la terre se taise devant lui! »

< हबक्कूक 2 >