< उत्पत्ति 44 >
1 १ तब उसने अपने घर के अधिकारी को आज्ञा दी, “इन मनुष्यों के बोरों में जितनी भोजनवस्तु समा सके उतनी भर दे, और एक-एक जन के रुपये को उसके बोरे के मुँह पर रख दे।
Joseph donna cet ordre à l’intendant de sa maison "Remplis de vivres les sacs de ces hommes, autant qu’ils en peuvent contenir et dépose l’argent de chacun à l’entrée de son sac.
2 २ और मेरा चाँदी का कटोरा छोटे भाई के बोरे के मुँह पर उसके अन्न के रुपये के साथ रख दे।” यूसुफ की इस आज्ञा के अनुसार उसने किया।
Et ma coupe, la coupe d’argent, tu la mettras à l’entrée du sac du plus jeune, avec le prix de son blé." Ce que Joseph avait dit fut exécuté.
3 ३ सवेरे भोर होते ही वे मनुष्य अपने गदहों समेत विदा किए गए।
Le matin venu, on laissa repartir ces hommes, eux et leurs ânes.
4 ४ वे नगर से निकले ही थे, और दूर न जाने पाए थे कि यूसुफ ने अपने घर के अधिकारी से कहा, “उन मनुष्यों का पीछा कर, और उनको पाकर उनसे कह, ‘तुम ने भलाई के बदले बुराई क्यों की है?
Or, ils venaient de quitter la ville, ils en étaient à peu de distance, lorsque Joseph dit à l’intendant de sa maison: "Va, cours après ces hommes et, aussitôt atteints, dis leur: "Pourquoi avez-vous rendu le mal pour le bien?
5 ५ क्या यह वह वस्तु नहीं जिसमें मेरा स्वामी पीता है, और जिससे वह शकुन भी विचारा करता है? तुम ने यह जो किया है सो बुरा किया।’”
N’Est ce pas dans cette coupe que boit mon maître et ne lui sert elle pas pour la divination? C’Est une mauvaise action que la vôtre!"
6 ६ तब उसने उन्हें जा पकड़ा, और ऐसी ही बातें उनसे कहीं।
II les atteignit et leur adressa ces mêmes paroles.
7 ७ उन्होंने उससे कहा, “हे हमारे प्रभु, तू ऐसी बातें क्यों कहता है? ऐसा काम करना तेरे दासों से दूर रहे।
Ils lui répondirent: "Pourquoi mon seigneur tient il de pareils discours? Dieu préserve tes serviteurs d’avoir commis une telle action!
8 ८ देख जो रुपया हमारे बोरों के मुँह पर निकला था, जब हमने उसको कनान देश से ले आकर तुझे लौटा दिया, तब भला, तेरे स्वामी के घर में से हम कोई चाँदी या सोने की वस्तु कैसे चुरा सकते हैं?
Quoi! L’Argent que nous avons trouvé à l’entrée de nos sacs, nous te l’avons rapporté du pays de Canaan; et nous déroberions, dans la maison de ton maître, de l’argent ou de l’or!
9 ९ तेरे दासों में से जिस किसी के पास वह निकले, वह मार डाला जाए, और हम भी अपने उस प्रभु के दास हो जाएँ।”
Celui de tes serviteurs qui l’aura en sa possession, qu’il meure; et nous-mêmes, nous serons les esclaves de mon seigneur."
10 १० उसने कहा, “तुम्हारा ही कहना सही, जिसके पास वह निकले वह मेरा दास होगा; और तुम लोग निर्दोष ठहरोगे।”
Il répliqua: "Oui certes, ce que vous dites est juste. Seulement celui qui en sera trouvé possesseur sera mon esclave et vous serez quittes."
11 ११ इस पर वे जल्दी से अपने-अपने बोरे को उतार भूमि पर रखकर उन्हें खोलने लगे।
Ils se hâtèrent, chacun, de descendre leurs sacs à terre et chacun ouvrit le sien.
12 १२ तब वह ढूँढ़ने लगा, और बडे़ के बोरे से लेकर छोटे के बोरे तक खोज की: और कटोरा बिन्यामीन के बोरे में मिला।
L’Intendant fouilla, commençant par le plus âgé, finissant par le plus jeune. La coupe fut trouvée dans le sac de Benjamin.
13 १३ तब उन्होंने अपने-अपने वस्त्र फाड़े, और अपना-अपना गदहा लादकर नगर को लौट गए।
Ils déchirèrent leurs vêtements; chacun rechargea son âne et ils retournèrent à la ville.
14 १४ जब यहूदा और उसके भाई यूसुफ के घर पर पहुँचे, और यूसुफ वहीं था, तब वे उसके सामने भूमि पर गिरे।
Juda entra avec ses frères dans la demeure de Joseph, lequel s’y trouvait encore; et ils se jetèrent à ses pieds contre terre.
15 १५ यूसुफ ने उनसे कहा, “तुम लोगों ने यह कैसा काम किया है? क्या तुम न जानते थे कि मुझ सा मनुष्य शकुन विचार सकता है?”
Joseph leur dit "Quelle action venez vous de commettre! Ne savez vous pas qu’un homme tel que moi devine les mystères?"
16 १६ यहूदा ने कहा, “हम लोग अपने प्रभु से क्या कहें? हम क्या कहकर अपने को निर्दोष ठहराएँ? परमेश्वर ने तेरे दासों के अधर्म को पकड़ लिया है। हम, और जिसके पास कटोरा निकला वह भी, हम सब के सब अपने प्रभु के दास ही हैं।”
Juda répondit: "Que dirons-nous à mon seigneur? Comment parler et comment nous justifier? Le Tout Puissant a su atteindre l’iniquité de tes serviteurs. Nous sommes maintenant les esclaves de mon seigneur et nous et celui aux mains duquel s’est trouvée la coupe."
17 १७ उसने कहा, “ऐसा करना मुझसे दूर रहे, जिस जन के पास कटोरा निकला है, वही मेरा दास होगा; और तुम लोग अपने पिता के पास कुशल क्षेम से चले जाओ।”
II répliqua: "Loin de moi d’agir ainsi! L’Homme aux mains duquel la coupe s’est trouvée, sera mon esclave; pour vous, retournez en paix auprès de votre père."
18 १८ तब यहूदा उसके पास जाकर कहने लगा, “हे मेरे प्रभु, तेरे दास को अपने प्रभु से एक बात कहने की आज्ञा हो, और तेरा कोप तेरे दास पर न भड़के; क्योंकि तू तो फ़िरौन के तुल्य है।
Alors Juda s’avança vers lui, en disant: "De grâce, seigneur! que ton serviteur fasse entendre une parole aux oreilles de mon seigneur et que ta colère n’éclate pas contre ton serviteur! Car tu es l’égal de Pharaon.
19 १९ मेरे प्रभु ने अपने दासों से पूछा था, ‘क्या तुम्हारे पिता या भाई हैं?’
Mon seigneur avait interrogé ses serviteurs, disant: ‘Vous reste-t-il un père, un frère?’
20 २० और हमने अपने प्रभु से कहा, ‘हाँ, हमारा बूढ़ा पिता है, और उसके बुढ़ापे का एक छोटा सा बालक भी है, परन्तु उसका भाई मर गया है, इसलिए वह अब अपनी माता का अकेला ही रह गया है, और उसका पिता उससे स्नेह रखता है।’
Nous répondîmes à mon seigneur: ‘Nous avons un père âgé et un jeune frère enfant de sa vieillesse: son frère est mort et lui, resté seul des enfants de sa mère, son père le chérit.’
21 २१ तब तूने अपने दासों से कहा था, ‘उसको मेरे पास ले आओ, जिससे मैं उसको देखूँ।’
Tu dis alors à tes serviteurs: ‘Amenez-le moi, que je l’examine.’
22 २२ तब हमने अपने प्रभु से कहा था, ‘वह लड़का अपने पिता को नहीं छोड़ सकता; नहीं तो उसका पिता मर जाएगा।’
Et nous répondîmes à mon seigneur: ‘Le jeune homme ne saurait quitter son père; s’il quittait son père, il en mourrait.’
23 २३ और तूने अपने दासों से कहा, ‘यदि तुम्हारा छोटा भाई तुम्हारे संग न आए, तो तुम मेरे सम्मुख फिर न आने पाओगे।’
Mais tu dis à tes serviteurs: ‘Si votre jeune frère ne vous accompagne, ne reparaissez point devant moi.’
24 २४ इसलिए जब हम अपने पिता तेरे दास के पास गए, तब हमने उससे अपने प्रभु की बातें कहीं।
Or, de retour auprès de ton serviteur, notre père, nous lui rapportâmes les paroles de mon seigneur.
25 २५ तब हमारे पिता ने कहा, ‘फिर जाकर हमारे लिये थोड़ी सी भोजनवस्तु मोल ले आओ।’
Notre père nous dit: ‘Retournez acheter pour nous quelques provisions.’
26 २६ हमने कहा, ‘हम नहीं जा सकते, हाँ, यदि हमारा छोटा भाई हमारे संग रहे, तब हम जाएँगे; क्योंकि यदि हमारा छोटा भाई हमारे संग न रहे, तो हम उस पुरुष के सम्मुख न जाने पाएँगे।’
Nous répondîmes: ‘Nous ne saurions partir. Si notre jeune frère nous accompagne, nous irons; car nous ne pouvons paraître devant ce personnage, notre jeune frère n’étant point avec nous.’
27 २७ तब तेरे दास मेरे पिता ने हम से कहा, ‘तुम तो जानते हो कि मेरी स्त्री से दो पुत्र उत्पन्न हुए।
Ton serviteur, notre père, nous dit: ‘Vous savez que ma femme m’a donné deux enfants.
28 २८ और उनमें से एक तो मुझे छोड़ ही गया, और मैंने निश्चय कर लिया, कि वह फाड़ डाला गया होगा; और तब से मैं उसका मुँह न देख पाया।
L’Un a disparu d’auprès de moi et j’ai dit: ‘Assurément il a été dévoré!’ et je ne l’ai point revu jusqu’ici.
29 २९ अतः यदि तुम इसको भी मेरी आँख की आड़ में ले जाओ, और कोई विपत्ति इस पर पड़े, तो तुम्हारे कारण मैं इस बुढ़ापे की अवस्था में शोक के साथ अधोलोक में उतर जाऊँगा।’ (Sheol )
Que vous m’arrachiez encore celui ci, qu’il lui arrive malheur et vous aurez précipité cruellement ma vieillesse dans la tombe.’ (Sheol )
30 ३० इसलिए जब मैं अपने पिता तेरे दास के पास पहुँचूँ, और यह लड़का संग न रहे, तब, उसका प्राण जो इसी पर अटका रहता है,
Et maintenant, en retournant chez ton serviteur, mon père, nous ne serions point accompagnés du jeune homme et sa vie est attachée à la sienne!
31 ३१ इस कारण, यह देखकर कि लड़का नहीं है, वह तुरन्त ही मर जाएगा। तब तेरे दासों के कारण तेरा दास हमारा पिता, जो बुढ़ापे की अवस्था में है, शोक के साथ अधोलोक में उतर जाएगा। (Sheol )
Certes, ne voyant point paraître le jeune homme, il mourra; et tes serviteurs auront fait descendre les cheveux blancs de ton serviteur, notre père, douloureusement dans la tombe. (Sheol )
32 ३२ फिर तेरा दास अपने पिता के यहाँ यह कहकर इस लड़के का जामिन हुआ है, ‘यदि मैं इसको तेरे पास न पहुँचा दूँ, तब तो मैं सदा के लिये तेरा अपराधी ठहरूँगा।’
Car ton serviteur a répondu de cet enfant à son père, en disant: ‘Si je ne te le ramène, je serai coupable à jamais envers mon père.’
33 ३३ इसलिए अब तेरा दास इस लड़के के बदले अपने प्रभु का दास होकर रहने की आज्ञा पाए, और यह लड़का अपने भाइयों के संग जाने दिया जाए।
Donc, de grâce, que ton serviteur, à la place du jeune homme, reste esclave de mon seigneur et que le jeune homme reparte avec ses frères.
34 ३४ क्योंकि लड़के के बिना संग रहे मैं कैसे अपने पिता के पास जा सकूँगा; ऐसा न हो कि मेरे पिता पर जो दुःख पड़ेगा वह मुझे देखना पड़े।”
Car comment retournerais-je près de mon père sans ramener son enfant? Pourrais-je voir la douleur qui accablerait mon père?"