< उत्पत्ति 35 >
1 १ तब परमेश्वर ने याकूब से कहा, “यहाँ से निकलकर बेतेल को जा, और वहीं रह; और वहाँ परमेश्वर के लिये वेदी बना, जिसने तुझे उस समय दर्शन दिया, जब तू अपने भाई एसाव के डर से भागा जाता था।”
Y dijo Dios a Jacob: Levántate, sube a Bet-el, y está allí: y haz allí altar al Dios, que te apareció cuando huías de tu hermano Esaú.
2 २ तब याकूब ने अपने घराने से, और उन सबसे भी जो उसके संग थे, कहा, “तुम्हारे बीच में जो पराए देवता हैं, उन्हें निकाल फेंको; और अपने-अपने को शुद्ध करो, और अपने वस्त्र बदल डालो;
Entonces Jacob dijo a su familia, y a todos los que estaban con él: Quitád los dioses ajenos que hay entre vosotros, y limpiaos, y mudád vuestros vestidos:
3 ३ और आओ, हम यहाँ से निकलकर बेतेल को जाएँ; वहाँ मैं परमेश्वर के लिये एक वेदी बनाऊँगा, जिसने संकट के दिन मेरी सुन ली, और जिस मार्ग से मैं चलता था, उसमें मेरे संग रहा।”
Y levantémonos, y subamos a Bet-el: y allí haré altar al Dios que me respondió en el día de mi angustia, y ha sido conmigo en el camino que he andado.
4 ४ इसलिए जितने पराए देवता उनके पास थे, और जितने कुण्डल उनके कानों में थे, उन सभी को उन्होंने याकूब को दिया; और उसने उनको उस बांज वृक्ष के नीचे, जो शेकेम के पास है, गाड़ दिया।
Así dieron a Jacob todos los dioses ajenos que había en su poder, y los zarcillos que estaban en sus orejas; y Jacob los escondió debajo de un alcornoque, que estaba en Siquem.
5 ५ तब उन्होंने कूच किया; और उनके चारों ओर के नगर निवासियों के मन में परमेश्वर की ओर से ऐसा भय समा गया, कि उन्होंने याकूब के पुत्रों का पीछा न किया।
Y partiéronse; y el terror de Dios fue sobre las ciudades que estaban en sus alrededores, y no siguieron tras los hijos de Jacob.
6 ६ याकूब उन सब समेत, जो उसके संग थे, कनान देश के लूज नगर को आया। वह नगर बेतेल भी कहलाता है।
Y vino Jacob a Luza, que era en tierra de Canaán, esta es Bet-el; él y todo el pueblo que con él estaba.
7 ७ वहाँ उसने एक वेदी बनाई, और उस स्थान का नाम एलबेतेल रखा; क्योंकि जब वह अपने भाई के डर से भागा जाता था तब परमेश्वर उस पर वहीं प्रगट हुआ था।
Y edificó allí altar, y llamó al lugar, El-bet-el; porque allí le había aparecido Dios cuando huía de su hermano.
8 ८ और रिबका की दूध पिलानेहारी दाई दबोरा मर गई, और बेतेल के बांज वृक्ष के तले उसको मिट्टी दी गई, और उस बांज वृक्ष का नाम अल्लोनबक्कूत रखा गया।
Entonces murió Débora, ama de Rebeca, y fue sepultada a las raíces de Bet-el, debajo de un alcornoque; y llamó su nombre, Allón-bacut.
9 ९ फिर याकूब के पद्दनराम से आने के पश्चात् परमेश्वर ने दूसरी बार उसको दर्शन देकर आशीष दी।
Y aparecióse otra vez Dios a Jacob cuando fue vuelto de Padan-aram, y bendíjole.
10 १० और परमेश्वर ने उससे कहा, “अब तक तो तेरा नाम याकूब रहा है; पर आगे को तेरा नाम याकूब न रहेगा, तू इस्राएल कहलाएगा।” इस प्रकार उसने उसका नाम इस्राएल रखा।
Y díjole Dios: Tu nombre es Jacob, no se llamará más tu nombre Jacob, mas Israel será tu nombre: y llamó su nombre Israel.
11 ११ फिर परमेश्वर ने उससे कहा, “मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ। तू फूले-फले और बढ़े; और तुझ से एक जाति वरन् जातियों की एक मण्डली भी उत्पन्न होगी, और तेरे वंश में राजा उत्पन्न होंगे।
Y díjole Dios: Yo soy el Dios omnipotente, crece y multiplícate: gente, y compañía de gente, saldrá de ti; y reyes saldrán de tus lomos.
12 १२ और जो देश मैंने अब्राहम और इसहाक को दिया है, वही देश तुझे देता हूँ, और तेरे पीछे तेरे वंश को भी दूँगा।”
Y la tierra, que yo he dado a Abraham y a Isaac, te daré a ti; y a tu simiente después de ti daré la tierra.
13 १३ तब परमेश्वर उस स्थान में, जहाँ उसने याकूब से बातें कीं, उसके पास से ऊपर चढ़ गया।
Y fuése de él Dios, del lugar donde había hablado con él.
14 १४ और जिस स्थान में परमेश्वर ने याकूब से बातें कीं, वहाँ याकूब ने पत्थर का एक खम्भा खड़ा किया, और उस पर अर्घ देकर तेल डाल दिया।
Y Jacob puso un título en el lugar donde había hablado con él, un título de piedra: y derramó sobre él derramadura, y echó sobre él aceite.
15 १५ जहाँ परमेश्वर ने याकूब से बातें कीं, उस स्थान का नाम उसने बेतेल रखा।
Y llamó Jacob el nombre de aquel lugar donde Dios había hablado con él, Bet-el.
16 १६ फिर उन्होंने बेतेल से कूच किया; और एप्राता थोड़ी ही दूर रह गया था कि राहेल को बच्चा जनने की बड़ी पीड़ा उठने लगी।
Y partieron de Bet-el, y había aun como medía legua de tierra para venir a Efrata; y parió Raquel, y hubo trabajo en su parto.
17 १७ जब उसको बड़ी-बड़ी पीड़ा उठती थी तब दाई ने उससे कहा, “मत डर; अब की भी तेरे बेटा ही होगा।”
Y fue, que como hubo trabajo en su parir, díjole la partera: No temas, que aun este hijo también tendrás.
18 १८ तब ऐसा हुआ कि वह मर गई, और प्राण निकलते-निकलते उसने उस बेटे का नाम बेनोनी रखा; पर उसके पिता ने उसका नाम बिन्यामीन रखा।
Y fue, que saliéndosele el alma, porque murió, llamó su nombre Ben-oni; mas su padre le llamó Ben-jamín.
19 १९ और राहेल मर गई, और एप्राता, अर्थात् बैतलहम के मार्ग में, उसको मिट्टी दी गई।
Así murió Raquel; y fue sepultada en el camino de Efrata, esta es Belén.
20 २० और याकूब ने उसकी कब्र पर एक खम्भा खड़ा किया: राहेल की कब्र का वह खम्भा आज तक बना है।
Y puso Jacob un título sobre su sepultura; este es el título de la sepultura de Raquel, hasta hoy.
21 २१ फिर इस्राएल ने कूच किया, और एदेर नामक गुम्मट के आगे बढ़कर अपना तम्बू खड़ा किया।
Y partió Israel, y tendió su tienda de la otra parte de la torre de Eder.
22 २२ जब इस्राएल उस देश में बसा था, तब एक दिन ऐसा हुआ कि रूबेन ने जाकर अपने पिता की रखैली बिल्हा के साथ कुकर्म किया; और यह बात इस्राएल को मालूम हो गई। याकूब के बारह पुत्र हुए।
Y fue que morando Israel en aquella tierra, fue Rubén, y durmió con Bala la concubina de su padre: lo cual oyó Israel. Y fueron los hijos de Israel doce.
23 २३ उनमें से लिआ के पुत्र ये थे; अर्थात् याकूब का जेठा, रूबेन, फिर शिमोन, लेवी, यहूदा, इस्साकार, और जबूलून।
Los hijos de Lia: el primogénito de Jacob, Rubén; y Simeón, y Leví, y Judá, e Isacar, y Zabulón.
24 २४ और राहेल के पुत्र ये थे; अर्थात् यूसुफ, और बिन्यामीन।
Los hijos de Raquel: José, y Ben-jamín.
25 २५ और राहेल की दासी बिल्हा के पुत्र ये थे; अर्थात् दान, और नप्ताली।
Y los hijos de Bala, sierva de Raquel: Dan, y Neftalí.
26 २६ और लिआ की दासी जिल्पा के पुत्र ये थे: अर्थात् गाद, और आशेर। याकूब के ये ही पुत्र हुए, जो उससे पद्दनराम में उत्पन्न हुए।
Y los hijos de Zelfa, sierva de Lia: Gad, y Aser. Estos fueron los hijos de Jacob, que le nacieron en Padan-aram.
27 २७ और याकूब मम्रे में, जो किर्यतअर्बा, अर्थात् हेब्रोन है, जहाँ अब्राहम और इसहाक परदेशी होकर रहे थे, अपने पिता इसहाक के पास आया।
Y vino Jacob a Isaac su padre a Mamré, ciudad de Arbee, esta es Hebrón, donde habitó Abraham e Isaac.
28 २८ इसहाक की आयु एक सौ अस्सी वर्ष की हुई।
Y fueron los días de Isaac ciento y ochenta años.
29 २९ और इसहाक का प्राण छूट गया, और वह मर गया, और वह बूढ़ा और पूरी आयु का होकर अपने लोगों में जा मिला; और उसके पुत्र एसाव और याकूब ने उसको मिट्टी दी।
Y espiró Isaac y murió; y fue recogido a sus pueblos viejo, y harto de días, y sepultáronle Esaú y Jacob sus hijos.