< उत्पत्ति 33 >

1 और याकूब ने आँखें उठाकर यह देखा, कि एसाव चार सौ पुरुष संग लिये हुए चला आता है। तब उसने बच्चों को अलग-अलग बाँटकर लिआ और राहेल और दोनों दासियों को सौंप दिया।
Iacob lyfte vp his eyes and sawe hys brother Esau come and with him. iiij. hundred men. And he deuyded the childern vnto Lea and vnto Rahel and vnto ye ij. maydens.
2 और उसने सब के आगे लड़कों समेत दासियों को उसके पीछे लड़कों समेत लिआ को, और सब के पीछे राहेल और यूसुफ को रखा,
And he put the maydens ad their childern formest ad Lea and hir childern after and Rahel ad Ioseph hindermost.
3 और आप उन सब के आगे बढ़ा और सात बार भूमि पर गिरकर दण्डवत् की, और अपने भाई के पास पहुँचा।
And he went before them and fell on the grownde, vij. tymes vntill he came vnto his brother.
4 तब एसाव उससे भेंट करने को दौड़ा, और उसको हृदय से लगाकर, गले से लिपटकर चूमा; फिर वे दोनों रो पड़े।
Esau ranne agaynst him and enbraced hym and fell on his necke and kyssed him and they wepte.
5 तब उसने आँखें उठाकर स्त्रियों और बच्चों को देखा; और पूछा, “ये जो तेरे साथ हैं वे कौन हैं?” उसने कहा, “ये तेरे दास के लड़के हैं, जिन्हें परमेश्वर ने अनुग्रह करके मुझ को दिया है।”
And he lifte vp his eyes and sawe the wyves and their childern and sayde: what are these which thou there hast? And he sayde: they are the childern which God hath geuen thy seruaunte.
6 तब लड़कों समेत दासियों ने निकट आकर दण्डवत् किया।
Than came the maydens forth ad dyd their obaysaunce.
7 फिर लड़कों समेत लिआ निकट आई, और उन्होंने भी दण्डवत् किया; अन्त में यूसुफ और राहेल ने भी निकट आकर दण्डवत् किया।
Lea also and hir childern came and dyd their obaysaunce. And last of all came Ioseph and Rahel and dyd their obaysaunce.
8 तब उसने पूछा, “तेरा यह बड़ा दल जो मुझ को मिला, उसका क्या प्रयोजन है?” उसने कहा, “यह कि मेरे प्रभु की अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो।”
And he sayde: what meanyst thou with all ye drooues which I mett. And he answered: to fynde grace in the syghte of my lorde.
9 एसाव ने कहा, “हे मेरे भाई, मेरे पास तो बहुत है; जो कुछ तेरा है वह तेरा ही रहे।”
And Esau sayde: I haue ynough my brother kepe that thou hast vnto thy silf.
10 १० याकूब ने कहा, “नहीं नहीं, यदि तेरा अनुग्रह मुझ पर हो, तो मेरी भेंट ग्रहण कर: क्योंकि मैंने तेरा दर्शन पाकर, मानो परमेश्वर का दर्शन पाया है, और तू मुझसे प्रसन्न हुआ है।
Iacob answered: oh nay but yf I haue founde grace in thy syghte receaue my preaset of my hade: for I haue sene thy face as though I had sene ye face of God: wherfore receaue me to grace
11 ११ इसलिए यह भेंट, जो तुझे भेजी गई है, ग्रहण कर; क्योंकि परमेश्वर ने मुझ पर अनुग्रह किया है, और मेरे पास बहुत है।” जब उसने उससे बहुत आग्रह किया, तब उसने भेंट को ग्रहण किया।
and take my blessynge that I haue brought the for God hath geuen it me frely. And I haue ynough of all thynges. And so he compelled him to take it.
12 १२ फिर एसाव ने कहा, “आ, हम बढ़ चलें: और मैं तेरे आगे-आगे चलूँगा।”
And he sayde: let us take oure iourney and goo and I will goo in thy copany.
13 १३ याकूब ने कहा, “हे मेरे प्रभु, तू जानता ही है कि मेरे साथ सुकुमार लड़के, और दूध देनेहारी भेड़-बकरियाँ और गायें है; यदि ऐसे पशु एक दिन भी अधिक हाँके जाएँ, तो सब के सब मर जाएँगे।
And he sayde vnto him: my lorde knoweth that I haue tendre childern ewes and kyne with yonge vnder myne hande which yf men shulde ouerdryue but euen one daye the hole flocke wolde dye.
14 १४ इसलिए मेरा प्रभु अपने दास के आगे बढ़ जाए, और मैं इन पशुओं की गति के अनुसार, जो मेरे आगे हैं, और बच्चों की गति के अनुसार धीरे धीरे चलकर सेईर में अपने प्रभु के पास पहुँचूँगा।”
Let my lorde therfore goo before his servaunte and I will dryue fayre and softly accordynge as the catell that goth before me and the childern be able to endure: vntill I come to mi lorde vnto Seir.
15 १५ एसाव ने कहा, “तो अपने साथियों में से मैं कई एक तेरे साथ छोड़ जाऊँ।” उसने कहा, “यह क्यों? इतना ही बहुत है, कि मेरे प्रभु के अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर बनी रहे।”
And Esau sayde: let me yet leaue some of my folke with the. And he sayde: what neadeth it? let me fynde grace in the syghte of my lorde
16 १६ तब एसाव ने उसी दिन सेईर जाने को अपना मार्ग लिया।
So Esau went his waye agayne yt same daye vnto Seir.
17 १७ परन्तु याकूब वहाँ से निकलकर सुक्कोत को गया, और वहाँ अपने लिये एक घर, और पशुओं के लिये झोंपड़े बनाए। इसी कारण उस स्थान का नाम सुक्कोत पड़ा।
And Iacob toke his iourney toward Sucoth and bylt him an house and made boothes for his catell: wherof the name of the place is called Sucoth.
18 १८ और याकूब जो पद्दनराम से आया था, उसने कनान देश के शेकेम नगर के पास कुशल क्षेम से पहुँचकर नगर के सामने डेरे खड़े किए।
And Iacob went to Salem to ye cytie of Sichem in the lande of Canaa after that he was come from Mesopotamia and pitched before the cyte
19 १९ और भूमि के जिस खण्ड पर उसने अपना तम्बू खड़ा किया, उसको उसने शेकेम के पिता हमोर के पुत्रों के हाथ से एक सौ कसीतों में मोल लिया।
and bought a parcell of ground where he pitched his tent of the childern of Hemor Sichems father for an hundred lambes.
20 २० और वहाँ उसने एक वेदी बनाकर उसका नाम एल-एलोहे-इस्राएल रखा।
And he made there an aulter and there called vpon the myghtie God of Israell.

< उत्पत्ति 33 >