< उत्पत्ति 19 >
1 १ साँझ को वे दो दूत सदोम के पास आए; और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा था। उनको देखकर वह उनसे भेंट करने के लिये उठा; और मुँह के बल झुककर दण्डवत् कर कहा;
The two angels came to Sodom at evening. Lot sat in the gate of Sodom. Lot saw them, and rose up to meet them. He bowed himself with his face to the earth,
2 २ “हे मेरे प्रभुओं, अपने दास के घर में पधारिए, और रात भर विश्राम कीजिए, और अपने पाँव धोइये, फिर भोर को उठकर अपने मार्ग पर जाइए।” उन्होंने कहा, “नहीं; हम चौक ही में रात बिताएँगे।”
and he said, "See now, my lords, please turn aside into your servant's house, and stay all night, and wash your feet, then you may rise up early, and go on your way." They said, "No, but we will stay in the street all night."
3 ३ और उसने उनसे बहुत विनती करके उन्हें मनाया; इसलिए वे उसके साथ चलकर उसके घर में आए; और उसने उनके लिये भोजन तैयार किया, और बिना ख़मीर की रोटियाँ बनाकर उनको खिलाई।
But he urged them so strongly that they came in with him, and entered into his house. He made them a feast, and baked unleavened bread, and they ate.
4 ४ उनके सो जाने के पहले, सदोम नगर के पुरुषों ने, जवानों से लेकर बूढ़ों तक, वरन् चारों ओर के सब लोगों ने आकर उस घर को घेर लिया;
But before they could lie down to sleep, the men of the city, the men of Sodom, surrounded the house, both young and old, all the people from every quarter.
5 ५ और लूत को पुकारकर कहने लगे, “जो पुरुष आज रात को तेरे पास आए हैं वे कहाँ हैं? उनको हमारे पास बाहर ले आ, कि हम उनसे भोग करें।”
They called to Lot, and said to him, "Where are the men who came in to you this night? Bring them out to us, that we may have sex with them."
6 ६ तब लूत उनके पास द्वार के बाहर गया, और किवाड़ को अपने पीछे बन्द करके कहा,
Lot went out to them at the entrance, and shut the door behind him.
7 ७ “हे मेरे भाइयों, ऐसी बुराई न करो।
He said, "Please, my brothers, do not act so wickedly.
8 ८ सुनो, मेरी दो बेटियाँ हैं जिन्होंने अब तक पुरुष का मुँह नहीं देखा, इच्छा हो तो मैं उन्हें तुम्हारे पास बाहर ले आऊँ, और तुम को जैसा अच्छा लगे वैसा व्यवहार उनसे करो: पर इन पुरुषों से कुछ न करो; क्योंकि ये मेरी छत के तले आए हैं।”
Look, I have two virgin daughters. Please let me bring them out to you, and you may do to them what seems good to you. Only do not do anything to these men, because they have come under the protection of my roof."
9 ९ उन्होंने कहा, “हट जा!” फिर वे कहने लगे, “तू एक परदेशी होकर यहाँ रहने के लिये आया पर अब न्यायी भी बन बैठा है; इसलिए अब हम उनसे भी अधिक तेरे साथ बुराई करेंगे।” और वे उस पुरुष लूत को बहुत दबाने लगे, और किवाड़ तोड़ने के लिये निकट आए।
They said, "Stand back." They said, "This one fellow came in to live as a foreigner, and he appoints himself a judge. Now will we deal worse with you, than with them." They pressed hard on the man Lot, and drew near to break the door.
10 १० तब उन अतिथियों ने हाथ बढ़ाकर लूत को अपने पास घर में खींच लिया, और किवाड़ को बन्द कर दिया।
But the men reached out their hands and pulled Lot into the house to them, and shut the door.
11 ११ और उन्होंने क्या छोटे, क्या बड़े, सब पुरुषों को जो घर के द्वार पर थे अंधा कर दिया, अतः वे द्वार को टटोलते-टटोलते थक गए।
They struck the men who were at the door of the house with blindness, both small and great, so that they were unable to find the door.
12 १२ फिर उन अतिथियों ने लूत से पूछा, “यहाँ तेरा और कौन-कौन हैं? दामाद, बेटे, बेटियाँ, और नगर में तेरा जो कोई हो, उन सभी को लेकर इस स्थान से निकल जा।
The men said to Lot, "Do you have anybody else here? Sons-in-law, your sons, your daughters, and whoever you have in the city, bring them out of the place:
13 १३ क्योंकि हम यह स्थान नाश करने पर हैं, इसलिए कि इसकी चिल्लाहट यहोवा के सम्मुख बढ़ गई है; और यहोवा ने हमें इसका सत्यानाश करने के लिये भेज दिया है।”
for we will destroy this place, because the outcry against them has grown great before God that he has sent us to destroy it."
14 १४ तब लूत ने निकलकर अपने दामादों को, जिनके साथ उसकी बेटियों की सगाई हो गई थी, समझाकर कहा, “उठो, इस स्थान से निकल चलो; क्योंकि यहोवा इस नगर को नाश करने पर है।” उसके दामाद उसका मजाक उड़ाने लगे।
Lot went out, and spoke to his sons-in-law, who were pledged to marry his daughters, and said, "Get up. Get out of this place, for God will destroy the city." But he seemed to his sons-in-law to be joking.
15 १५ जब पौ फटने लगी, तब दूतों ने लूत से जल्दी करने को कहा और बोले, “उठ, अपनी पत्नी और दोनों बेटियों को जो यहाँ हैं ले जा: नहीं तो तू भी इस नगर के अधर्म में भस्म हो जाएगा।”
When the morning came, then the angels hurried Lot along, saying, "Get up. Take your wife, and your two daughters who are here, and get out, lest you be swept away in the punishment of the city."
16 १६ पर वह विलम्ब करता रहा, इस पर उन पुरुषों ने उसका और उसकी पत्नी, और दोनों बेटियों के हाथ पकड़े; क्योंकि यहोवा की दया उस पर थी: और उसको निकालकर नगर के बाहर कर दिया।
But he hesitated, so the men grabbed his hand, his wife's hand, and his two daughters' hands, God being merciful to him; and they took him out, and set him outside of the city.
17 १७ और ऐसा हुआ कि जब उन्होंने उनको बाहर निकाला, तब उसने कहा, “अपना प्राण लेकर भाग जा; पीछे की ओर न ताकना, और तराई भर में न ठहरना; उस पहाड़ पर भाग जाना, नहीं तो तू भी भस्म हो जाएगा।”
It came to pass, when they had taken them out, that he said, "Escape for your life. Do not look behind you, and do not stay anywhere in the plain. Escape to the mountains, or you will be swept away."
18 १८ लूत ने उनसे कहा, “हे प्रभु, ऐसा न कर!
Lot said to them, "Oh, not so, my lord.
19 १९ देख, तेरे दास पर तेरी अनुग्रह की दृष्टि हुई है, और तूने इसमें बड़ी कृपा दिखाई, कि मेरे प्राण को बचाया है; पर मैं पहाड़ पर भाग नहीं सकता, कहीं ऐसा न हो, कि कोई विपत्ति मुझ पर आ पड़े, और मैं मर जाऊँ।
See now, your servant has found favor in your sight, and you have magnified your loving kindness, which you have shown to me in saving my life. I can't escape to the mountain, lest the disaster overtake me, and I die.
20 २० देख, वह नगर ऐसा निकट है कि मैं वहाँ भाग सकता हूँ, और वह छोटा भी है। मुझे वहीं भाग जाने दे, क्या वह नगर छोटा नहीं है? और मेरा प्राण बच जाएगा।”
See now, this city is near to flee to, and it is a little one. Let me escape there--isn't it a little one?--and my life will be saved."
21 २१ उसने उससे कहा, “देख, मैंने इस विषय में भी तेरी विनती स्वीकार की है, कि जिस नगर की चर्चा तूने की है, उसको मैं नाश न करूँगा।
He said to him, "Look, I have granted your request concerning this thing also, that I will not overthrow the city of which you have spoken.
22 २२ फुर्ती से वहाँ भाग जा; क्योंकि जब तक तू वहाँ न पहुँचे तब तक मैं कुछ न कर सकूँगा।” इसी कारण उस नगर का नाम सोअर पड़ा।
Hurry, escape there, for I can't do anything until you get there." Therefore the name of the city was called Zoar.
23 २३ लूत के सोअर के निकट पहुँचते ही सूर्य पृथ्वी पर उदय हुआ।
The sun had risen on the earth when Lot came to Zoar.
24 २४ तब यहोवा ने अपनी ओर से सदोम और गमोरा पर आकाश से गन्धक और आग बरसाई;
Then God rained on Sodom and on Gomorrah sulfur and fire from the sky.
25 २५ और उन नगरों को और सम्पूर्ण तराई को, और नगरों के सब निवासियों को, भूमि की सारी उपज समेत नाश कर दिया।
He overthrew those cities, and all the plain, and all the inhabitants of the cities, and that which grew on the ground.
26 २६ लूत की पत्नी ने जो उसके पीछे थी पीछे मुड़कर देखा, और वह नमक का खम्भा बन गई।
But his wife looked back from behind him, and she became a pillar of salt.
27 २७ भोर को अब्राहम उठकर उस स्थान को गया, जहाँ वह यहोवा के सम्मुख खड़ा था;
Abraham got up early in the morning to the place where he had stood before God.
28 २८ और सदोम, और गमोरा, और उस तराई के सारे देश की ओर आँख उठाकर क्या देखा कि उस देश में से धधकती हुई भट्ठी का सा धुआँ उठ रहा है।
He looked toward Sodom and Gomorrah, and toward all the land of the plain, and he saw; and look, the smoke was rising from the land like smoke from a furnace.
29 २९ और ऐसा हुआ कि जब परमेश्वर ने उस तराई के नगरों को, जिनमें लूत रहता था, उलट-पुलट कर नाश किया, तब उसने अब्राहम को याद करके लूत को उस घटना से बचा लिया।
It happened, when God destroyed the cities of the plain, that God remembered Abraham, and sent Lot out of the middle of the overthrow, when he overthrew the cities in which Lot lived.
30 ३० लूत ने सोअर को छोड़ दिया, और पहाड़ पर अपनी दोनों बेटियों समेत रहने लगा; क्योंकि वह सोअर में रहने से डरता था; इसलिए वह और उसकी दोनों बेटियाँ वहाँ एक गुफा में रहने लगे।
Lot went up out of Zoar, and lived in the mountain, and his two daughters with him; for he was afraid to live in Zoar. He lived in a cave with his two daughters.
31 ३१ तब बड़ी बेटी ने छोटी से कहा, “हमारा पिता बूढ़ा है, और पृथ्वी भर में कोई ऐसा पुरुष नहीं जो संसार की रीति के अनुसार हमारे पास आए।
The firstborn said to the younger, "Our father is old, and there is not a man in the land to sleep with us according to the custom of all the land.
32 ३२ इसलिए आ, हम अपने पिता को दाखमधु पिलाकर, उसके साथ सोएँ, जिससे कि हम अपने पिता के वंश को बचाए रखें।”
Come, let's make our father drink wine, and we will sleep with him, that we may preserve our family through our father."
33 ३३ अतः उन्होंने उसी दिन-रात के समय अपने पिता को दाखमधु पिलाया, तब बड़ी बेटी जाकर अपने पिता के पास लेट गई; पर उसने न जाना, कि वह कब लेटी, और कब उठ गई।
They made their father drink wine that night: and the firstborn went in, and slept with her father. He did not know when she lay down, nor when she arose.
34 ३४ और ऐसा हुआ कि दूसरे दिन बड़ी ने छोटी से कहा, “देख, कल रात को मैं अपने पिता के साथ सोई; इसलिए आज भी रात को हम उसको दाखमधु पिलाएँ; तब तू जाकर उसके साथ सोना कि हम अपने पिता के द्वारा वंश उत्पन्न करें।”
It came to pass on the next day, that the firstborn said to the younger, "Look, I slept last night with my father. Let us make him drink wine again tonight. You go in, and sleep with him, that we may preserve our family through our father."
35 ३५ अतः उन्होंने उस दिन भी रात के समय अपने पिता को दाखमधु पिलाया, और छोटी बेटी जाकर उसके पास लेट गई; पर उसको उसके भी सोने और उठने का ज्ञान न था।
They made their father drink wine that night also. The younger went and slept with him. He did not know when she lay down, nor when she got up.
36 ३६ इस प्रकार से लूत की दोनों बेटियाँ अपने पिता से गर्भवती हुईं।
Thus both of Lot's daughters became pregnant by their father.
37 ३७ बड़ी एक पुत्र जनी और उसका नाम मोआब रखा; वह मोआब नामक जाति का जो आज तक है मूलपिता हुआ।
The firstborn bore a son, and named him Moab. He is the father of the Moabites to this day.
38 ३८ और छोटी भी एक पुत्र जनी, और उसका नाम बेनअम्मी रखा; वह अम्मोनवंशियों का जो आज तक है मूलपिता हुआ।
The younger also bore a son, and called his name Ben Ammi. He is the father of the people of Ammon to this day.