< उत्पत्ति 18 >

1 अब्राहम मम्रे के बांजवृक्षों के बीच कड़ी धूप के समय तम्बू के द्वार पर बैठा हुआ था, तब यहोवा ने उसे दर्शन दिया:
And YHWH appears to him among the oaks of Mamre, and he is sitting at the opening of the tent, about the heat of the day;
2 उसने आँख उठाकर दृष्टि की तो क्या देखा, कि तीन पुरुष उसके सामने खड़े हैं। जब उसने उन्हें देखा तब वह उनसे भेंट करने के लिये तम्बू के द्वार से दौड़ा, और भूमि पर गिरकर दण्डवत् की और कहने लगा,
and he lifts up his eyes and looks, and behold, three men standing by him, and he sees, and runs to meet them from the opening of the tent, and bows himself toward the earth,
3 “हे प्रभु, यदि मुझ पर तेरी अनुग्रह की दृष्टि है तो मैं विनती करता हूँ, कि अपने दास के पास से चले न जाना।
and he says, “My Lord, if now I have found grace in Your eyes, please do not pass on from Your servant;
4 मैं थोड़ा सा जल लाता हूँ और आप अपने पाँव धोकर इस वृक्ष के तले विश्राम करें।
please let a little water be accepted, and wash Your feet, and recline under the tree;
5 फिर मैं एक टुकड़ा रोटी ले आऊँ, और उससे आप अपने-अपने जीव को तृप्त करें; तब उसके पश्चात् आगे बढ़ें क्योंकि आप अपने दास के पास इसी लिए पधारे हैं।” उन्होंने कहा, “जैसा तू कहता है वैसा ही कर।”
and I bring a piece of bread, and support Your heart; afterward pass on, for therefore You have passed over to Your servant”; and they say, “So may you do as you have spoken.”
6 तब अब्राहम तुरन्त तम्बू में सारा के पास गया और कहा, “तीन सआ मैदा जल्दी से गूँध, और फुलके बना।”
And Abraham hurries toward the tent, to Sarah, and says, “Hurry three measures of flour-meal, knead, and make cakes”;
7 फिर अब्राहम गाय-बैल के झुण्ड में दौड़ा, और एक कोमल और अच्छा बछड़ा लेकर अपने सेवक को दिया, और उसने जल्दी से उसको पकाया।
and Abraham ran to the herd, and takes a son of the herd, tender and good, and gives to the young man, and he hurries to prepare it;
8 तब उसने दही, और दूध, और बछड़े का माँस, जो उसने पकवाया था, लेकर उनके आगे परोस दिया; और आप वृक्ष के तले उनके पास खड़ा रहा, और वे खाने लगे।
and he takes butter and milk, and the son of the herd which he has prepared, and sets before them; and he is standing by them under the tree, and they eat.
9 उन्होंने उससे पूछा, “तेरी पत्नी सारा कहाँ है?” उसने कहा, “वह तो तम्बू में है।”
And they say to him, “Where [is] Sarah your wife?” And he says, “Behold—in the tent”;
10 १० उसने कहा, “मैं वसन्त ऋतु में निश्चय तेरे पास फिर आऊँगा; और तेरी पत्नी सारा के एक पुत्र उत्पन्न होगा।” सारा तम्बू के द्वार पर जो अब्राहम के पीछे था सुन रही थी।
and He says, “Returning I return to you, about the time of life, and behold, to Sarah your wife a son.” And Sarah is listening at the opening of the tent, which is behind him;
11 ११ अब्राहम और सारा दोनों बहुत बूढ़े थे; और सारा का मासिक धर्म बन्द हो गया था।
and Abraham and Sarah [are] aged, entering into days—the way of women has ceased to be to Sarah;
12 १२ इसलिए सारा मन में हँसकर कहने लगी, “मैं तो बूढ़ी हूँ, और मेरा स्वामी भी बूढ़ा है, तो क्या मुझे यह सुख होगा?”
and Sarah laughs in her heart, saying, “After I have waxed old have I had pleasure? My lord [is] also old!”
13 १३ तब यहोवा ने अब्राहम से कहा, “सारा यह कहकर क्यों हँसी, कि क्या मेरे, जो ऐसी बुढ़िया हो गई हूँ, सचमुच एक पुत्र उत्पन्न होगा?
And YHWH says to Abraham, “Why [is] this? Sarah has laughed, saying, Is it really true—I bear—and I am aged?
14 १४ क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है? नियत समय में, अर्थात् वसन्त ऋतु में, मैं तेरे पास फिर आऊँगा, और सारा के पुत्र उत्पन्न होगा।”
Is anything too wonderful for YHWH? At the appointed time I return to you, about the time of life, and Sarah has a son.”
15 १५ तब सारा डर के मारे यह कहकर मुकर गई, “मैं नहीं हँसी।” उसने कहा, “नहीं; तू हँसी तो थी।”
And Sarah denies, saying, “I did not laugh”; for she has been afraid; and He says, “No, but you did laugh.”
16 १६ फिर वे पुरुष वहाँ से चलकर, सदोम की ओर दृष्टि की; और अब्राहम उन्हें विदा करने के लिये उनके संग-संग चला।
And the men rise from there, and look on the face of Sodom, and Abraham is going with them to send them away;
17 १७ तब यहोवा ने कहा, “यह जो मैं करता हूँ उसे क्या अब्राहम से छिपा रखूँ?
and YHWH said, “Am I concealing from Abraham that which I am doing,
18 १८ अब्राहम से तो निश्चय एक बड़ी और सामर्थी जाति उपजेगी, और पृथ्वी की सारी जातियाँ उसके द्वारा आशीष पाएँगी।
and Abraham certainly becomes a great and mighty nation, and blessed in him have been all nations of the earth?
19 १९ क्योंकि मैं जानता हूँ, कि वह अपने पुत्रों और परिवार को जो उसके पीछे रह जाएँगे, आज्ञा देगा कि वे यहोवा के मार्ग में अटल बने रहें, और धार्मिकता और न्याय करते रहें, ताकि जो कुछ यहोवा ने अब्राहम के विषय में कहा है उसे पूरा करे।”
For I have known him, that he commands his children, and his house after him (and they have kept the way of YHWH), to do righteousness and judgment, that YHWH may bring on Abraham that which He has spoken concerning him.”
20 २० फिर यहोवा ने कहा, “सदोम और गमोरा के विरुद्ध चिल्लाहट बढ़ गई है, और उनका पाप बहुत भारी हो गया है;
And YHWH says, “The cry of Sodom and Gomorrah—because great; and their sin—because exceedingly grievous:
21 २१ इसलिए मैं उतरकर देखूँगा, कि उसकी जैसी चिल्लाहट मेरे कान तक पहुँची है, उन्होंने ठीक वैसा ही काम किया है कि नहीं; और न किया हो तो मैं उसे जान लूँगा।”
I go down now, and see whether according to its cry which is coming to Me they have done completely—and if not—I know”;
22 २२ तब वे पुरुष वहाँ से मुड़कर सदोम की ओर जाने लगे; पर अब्राहम यहोवा के आगे खड़ा रह गया।
and the men turn from there, and go toward Sodom; and Abraham is yet standing before YHWH.
23 २३ तब अब्राहम उसके समीप जाकर कहने लगा, “क्या तू सचमुच दुष्ट के संग धर्मी भी नाश करेगा?
And Abraham draws near and says, “Do You also consume righteous with wicked?
24 २४ कदाचित् उस नगर में पचास धर्मी हों तो क्या तू सचमुच उस स्थान को नाश करेगा और उन पचास धर्मियों के कारण जो उसमें हों न छोड़ेगा?
Perhaps there are fifty righteous in the midst of the city; do You also consume, and not bear with the place for the sake of the fifty righteous who [are] in its midst?
25 २५ इस प्रकार का काम करना तुझ से दूर रहे कि दुष्ट के संग धर्मी को भी मार डाले और धर्मी और दुष्ट दोनों की एक ही दशा हो। यह तुझ से दूर रहे। क्या सारी पृथ्वी का न्यायी न्याय न करे?”
Far be it from You to do according to this thing, to put to death the righteous with the wicked; that it has been—as the righteous so the wicked—far be it from You; does the Judge of all the earth not do justice?”
26 २६ यहोवा ने कहा, “यदि मुझे सदोम में पचास धर्मी मिलें, तो उनके कारण उस सारे स्थान को छोड़ूँगा।”
And YHWH says, “If I find in Sodom fifty righteous in the midst of the city, then have I borne with all the place for their sake.”
27 २७ फिर अब्राहम ने कहा, “हे प्रभु, सुन मैं तो मिट्टी और राख हूँ; तो भी मैंने इतनी ढिठाई की कि तुझ से बातें करूँ।
And Abraham answers and says, “Now behold, I have willed to speak to the Lord, and I [am] dust and ashes;
28 २८ कदाचित् उन पचास धर्मियों में पाँच घट जाएँ; तो क्या तू पाँच ही के घटने के कारण उस सारे नगर का नाश करेगा?” उसने कहा, “यदि मुझे उसमें पैंतालीस भी मिलें, तो भी उसका नाश न करूँगा।”
perhaps there are lacking five of the fifty righteous—do You destroy for five the whole of the city?” And He says, “I do not destroy [it], if I find there forty-five.”
29 २९ फिर उसने उससे यह भी कहा, “कदाचित् वहाँ चालीस मिलें।” उसने कहा, “तो मैं चालीस के कारण भी ऐसा न करूँगा।”
And he adds again to speak to Him and says, “Perhaps there are found there forty?” And He says, “I do not do [it], because of the forty.”
30 ३० फिर उसने कहा, “हे प्रभु, क्रोध न कर, तो मैं कुछ और कहूँ: कदाचित् वहाँ तीस मिलें।” उसने कहा, “यदि मुझे वहाँ तीस भी मिलें, तो भी ऐसा न करूँगा।”
And he says, “Please let it not be displeasing to the Lord, and I speak: perhaps there are found there thirty?” And He says, “I do not do [it], if I find there thirty.”
31 ३१ फिर उसने कहा, “हे प्रभु, सुन, मैंने इतनी ढिठाई तो की है कि तुझ से बातें करूँ: कदाचित् उसमें बीस मिलें।” उसने कहा, “मैं बीस के कारण भी उसका नाश न करूँगा।”
And he says, “Now behold, I have willed to speak to the Lord: perhaps there are found there twenty?” And He says, “I do not destroy [it], because of the twenty.”
32 ३२ फिर उसने कहा, “हे प्रभु, क्रोध न कर, मैं एक ही बार और कहूँगा: कदाचित् उसमें दस मिलें।” उसने कहा, “तो मैं दस के कारण भी उसका नाश न करूँगा।”
And he says, “Please let it not be displeasing to the Lord, and I speak only this time: perhaps there are found there ten?” And He says, “I do not destroy [it], because of the ten.”
33 ३३ जब यहोवा अब्राहम से बातें कर चुका, तब चला गया: और अब्राहम अपने घर को लौट गया।
And YHWH goes on, when He has finished speaking to Abraham, and Abraham has turned back to his place.

< उत्पत्ति 18 >