< एज्रा 9 >
1 १ जब ये काम हो चुके, तब हाकिम मेरे पास आकर कहने लगे, “न तो इस्राएली लोग, न याजक, न लेवीय इस ओर के देशों के लोगों से अलग हुए; वरन् उनके से, अर्थात् कनानियों, हित्तियों, परिज्जियों, यबूसियों, अम्मोनियों, मोआबियों, मिस्रियों और एमोरियों के से घिनौने काम करते हैं।
Y acabadas estas cosas, los príncipes se llegaron a mí, diciendo: No se han apartado el pueblo de Israel, y los sacerdotes y Levitas, de los pueblos de las tierras, de los Cananeos, Jetteos, Ferezeos, Jebuseos, Ammonitas, y Moabitas, Egipcios, y Amorreos, haciendo conforme a sus abominaciones.
2 २ क्योंकि उन्होंने उनकी बेटियों में से अपने और अपने बेटों के लिये स्त्रियाँ कर ली हैं; और पवित्र वंश इस ओर के देशों के लोगों में मिल गया है। वरन् हाकिम और सरदार इस विश्वासघात में मुख्य हुए हैं।”
Porque han tomado de sus hijas para sí, y para sus hijos: y la simiente santa es mezclada con los pueblos de las tierras: y la mano de los príncipes y de los gobernadores ha sido la primera en esta prevaricación.
3 ३ यह बात सुनकर मैंने अपने वस्त्र और बागे को फाड़ा, और अपने सिर और दाढ़ी के बाल नोचे, और विस्मित होकर बैठा रहा।
Lo cual oyendo yo, rompí mi vestido y mi manto, y arranqué de los cabellos de mi cabeza, y mi barba, y sentéme atónito.
4 ४ तब जितने लोग इस्राएल के परमेश्वर के वचन सुनकर बँधुआई से आए हुए लोगों के विश्वासघात के कारण थरथराते थे, सब मेरे पास इकट्ठे हुए, और मैं साँझ की भेंट के समय तक विस्मित होकर बैठा रहा।
Y juntáronse a mí todos los temerosos de las palabras del Dios de Israel a causa de la prevaricación de los de la transmigración: mas yo estuve sentado atónito hasta el sacrificio de la tarde.
5 ५ परन्तु साँझ की भेंट के समय मैं वस्त्र और बागा फाड़े हुए उपवास की दशा में उठा, फिर घुटनों के बल झुका, और अपने हाथ अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फैलाकर कहा:
Y al sacrificio de la tarde levantéme de mi aflicción: y habiendo rompido mi vestido y mi manto, arrodilléme sobre mis rodillas, y extendí mis palmas a Jehová mi Dios,
6 ६ “हे मेरे परमेश्वर! मुझे तेरी ओर अपना मुँह उठाते लज्जा आती है, और हे मेरे परमेश्वर! मेरा मुँह काला है; क्योंकि हम लोगों के अधर्म के काम हमारे सिर पर बढ़ गए हैं, और हमारा दोष बढ़ते-बढ़ते आकाश तक पहुँचा है।
Y dije: Dios mío, confuso y avergonzado estoy para levantar, Dios mío, mi rostro a ti: porque nuestras iniquidades se han multiplicado sobre la cabeza, y nuestros delitos han crecido hasta el cielo.
7 ७ अपने पुरखाओं के दिनों से लेकर आज के दिन तक हम बड़े दोषी हैं, और अपने अधर्म के कामों के कारण हम अपने राजाओं और याजकों समेत देश-देश के राजाओं के हाथ में किए गए कि तलवार, दासत्व, लूटे जाने, और मुँह काला हो जाने की विपत्तियों में पड़ें, जैसे कि आज हमारी दशा है।
Desde los días de nuestros padres hasta este día hemos sido en delito grande; y por nuestras iniquidades habemos sido entregados nosotros, nuestros reyes, y nuestros sacerdotes en mano de los reyes de las tierras, a espada, a cautiverio, y a robo, y a confusión de rostros, como este día.
8 ८ अब थोड़े दिन से हमारे परमेश्वर यहोवा का अनुग्रह हम पर हुआ है, कि हम में से कोई-कोई बच निकले, और हमको उसके पवित्रस्थान में एक खूँटी मिले, और हमारा परमेश्वर हमारी आँखों में ज्योति आने दे, और दासत्व में हमको कुछ विश्रान्ति मिले।
Y ahora como un pequeño momento fue la misericordia de Jehová nuestro Dios, para hacer que nos quedase escapada, y nos diese estaca en el lugar de su santuario, para alumbrar nuestros ojos nuestro Dios, y darnos una poca de vida en nuestra servidumbre:
9 ९ हम दास तो हैं ही, परन्तु हमारे दासत्व में हमारे परमेश्वर ने हमको नहीं छोड़ दिया, वरन् फारस के राजाओं को हम पर ऐसे कृपालु किया, कि हम नया जीवन पाकर अपने परमेश्वर के भवन को उठाने, और इसके खण्डहरों को सुधारने पाए, और हमें यहूदा और यरूशलेम में आड़ मिली।
Porque siervos éramos, mas en nuestra servidumbre no nos desamparó nuestro Dios: antes inclinó sobre nosotros misericordia delante de los reyes de Persia, para que nos diese vida para alzar la casa de nuestro Dios, y para hacer restaurar sus asolamientos, y para darnos vallado en Judá y en Jerusalem.
10 १० “अब हे हमारे परमेश्वर, इसके बाद हम क्या कहें, यही कि हमने तेरी उन आज्ञाओं को तोड़ दिया है,
Mas ahora, ¿qué diremos, oh Dios nuestro, después de esto? Que hemos dejado tus mandamientos.
11 ११ जो तूने यह कहकर अपने दास नबियों के द्वारा दीं, ‘जिस देश के अधिकारी होने को तुम जाने पर हो, वह तो देश-देश के लोगों की अशुद्धता के कारण और उनके घिनौने कामों के कारण अशुद्ध देश है, उन्होंने उसे एक सीमा से दूसरी सीमा तक अपनी अशुद्धता से भर दिया है।
Que mandaste por la mano de tus siervos los profetas, diciendo: La tierra a la cual entráis para poseerla, tierra inmunda es a causa de la inmundicia de los pueblos de las tierras, por las abominaciones de que la han henchido de boca a boca con su inmundicia.
12 १२ इसलिए अब तू न तो अपनी बेटियाँ उनके बेटों को ब्याह देना और न उनकी बेटियों से अपने बेटों का ब्याह करना, और न कभी उनका कुशल क्षेम चाहना, इसलिए कि तुम बलवान बनो और उस देश के अच्छे-अच्छे पदार्थ खाने पाओ, और उसे ऐसा छोड़ जाओ, कि वह तुम्हारे वंश के अधिकार में सदैव बना रहे।’
Por tanto ahora no daréis vuestras hijas a los hijos de ellos, ni sus hijas tomaréis para vuestros hijos: ni procuraréis su paz ni su bien para siempre: para que seáis corroborados, y comáis el bien de la tierra, y la dejéis por heredad a vuestros hijos para siempre.
13 १३ और उस सब के बाद जो हमारे बुरे कामों और बड़े दोष के कारण हम पर बीता है, जबकि हे हमारे परमेश्वर तूने हमारे अधर्म के बराबर हमें दण्ड नहीं दिया, वरन् हम में से कितनों को बचा रखा है,
Mas después de todo lo que nos ha avenido a causa de nuestras obras malas, y a causa de nuestro delito grande, (porque tú Dios nuestro estorbaste que no fuésemos oprimidos a causa de nuestras iniquidades, y nos diste esta semejante escapada; )
14 १४ तो क्या हम तेरी आज्ञाओं को फिर से उल्लंघन करके इन घिनौने काम करनेवाले लोगों से समधियाना का सम्बंध करें? क्या तू हम पर यहाँ तक कोप न करेगा जिससे हम मिट जाएँ और न तो कोई बचे और न कोई रह जाए?
¿Hemos de volver a disipar tus mandamientos, y a emparentar con los pueblos de estas abominaciones? ¿No te ensañarás contra nosotros hasta consumir nos, que no quede resto ni escapada?
15 १५ हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा! तू धर्मी है, हम बचकर मुक्त हुए हैं जैसे कि आज वर्तमान है। देख, हम तेरे सामने दोषी हैं, इस कारण कोई तेरे सामने खड़ा नहीं रह सकता।”
Jehová Dios de Israel, tú eres justo: que hemos quedado escapada como este día: hénos aquí delante de ti en nuestros delitos: porque no hay estar delante de ti a causa de esto.