< एज्रा 5 >

1 तब हाग्गै नामक नबी और इद्दो का पोता जकर्याह यहूदा और यरूशलेम के यहूदियों से नबूवत करने लगे, उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर के नाम से उनसे नबूवत की।
तब भविष्यद्वक्ता हाग्गय तथा इद्दो के पुत्र भविष्यद्वक्ता ज़करयाह ने उन यहूदियों के लिए, जो यहूदिया तथा येरूशलेम में रह रहे थे, इस्राएल के परमेश्वर के नाम में भविष्यवाणी की.
2 तब शालतीएल का पुत्र जरुब्बाबेल और योसादाक का पुत्र येशुअ, कमर बाँधकर परमेश्वर के भवन को जो यरूशलेम में है बनाने लगे; और परमेश्वर के वे नबी उनका साथ देते रहे।
तब शअलतीएल के पुत्र ज़ेरुब्बाबेल तथा योज़ादक के पुत्र येशुआ ने येरूशलेम में परमेश्वर के भवन को बनाने का काम दोबारा शुरू कर दिया. उन्होंने परमेश्वर के इन भविष्यवक्ताओं का पूरा साथ था.
3 उसी समय महानद के इस पार का तत्तनै नामक अधिपति और शतर्बोजनै अपने सहयोगियों समेत उनके पास जाकर यह पूछने लगे, “इस भवन के बनाने और इस शहरपनाह को खड़ा करने की किसने तुम को आज्ञा दी है?”
उसी समय उस नदी के पार के प्रदेश के राज्यपाल तत्तेनाई, शेथर-बोज़नाई तथा इनके सहयोगी आकर उनसे यह पूछने लगे:
4 उन्होंने लोगों से यह भी कहा, “इस भवन के बनानेवालों के क्या नाम हैं?”
“किसने तुम्हें इस भवन को दोबारा बनाने की आज्ञा दी है? परमेश्वर के भवन बनाने वालों के नाम क्या है?”
5 परन्तु यहूदियों के पुरनियों के परमेश्वर की दृष्टि उन पर रही, इसलिए जब तक इस बात की चर्चा दारा से न की गई और इसके विषय चिट्ठी के द्वारा उत्तर न मिला, तब तक उन्होंने इनको न रोका।
किंतु बात यह थी, कि उनके परमेश्वर की कृपादृष्टि यहूदियों के पुरनियों पर बनी थी और वे उन्हें तब तक न रोक सके जब तक यह समाचार दारयावेश तक न पहुंचा. तब इससे संबंधित उत्तर-पत्र लिखकर दिया गया.
6 जो चिट्ठी महानद के इस पार के अधिपति तत्तनै और शतर्बोजनै और महानद के इस पार के उनके सहयोगियों फारसियों ने राजा दारा के पास भेजी उसकी नकल यह है;
उस नदी के पार के प्रदेश के राज्यपाल तत्तेनाई तथा शेथर-बोज़नाई तथा उसके सहयोगी अधिकारियों ने मिलकर राजा दारयावेश को एक पत्र भेजा.
7 उन्होंने उसको एक चिट्ठी लिखी, जिसमें यह लिखा थाः “राजा दारा का कुशल क्षेम सब प्रकार से हो।
पत्र में उन्होंने यह लिखकर भेजा: महाराज दारयावेश: आप सभी का भला हो.
8 राजा को विदित हो, कि हम लोग यहूदा नामक प्रान्त में महान परमेश्वर के भवन के पास गए थे, वह बड़े-बड़े पत्थरों से बन रहा है, और उसकी दीवारों में कड़ियाँ जुड़ रही हैं; और यह काम उन लोगों के द्वारा फुर्ती के साथ हो रहा है, और सफल भी होता जाता है।
महाराज को यह मालूम हो कि हमने यहूदिया प्रदेश के, महान परमेश्वर के भवन का निरीक्षण किया है, जिसको विशालकाय पत्थरों से बनाया जा रहा है. इसकी शहरपनाह को लकड़ी से मजबूत किया जा रहा है, सारा काम बहुत ही तेजी से किया जा रहा है, और उनका यह काम सफल भी होता जा रहा है.
9 इसलिए हमने उन पुरनियों से यह पूछा, ‘यह भवन बनवाने, और यह शहरपनाह खड़ी करने की आज्ञा किसने तुम्हें दी?’
यह देखकर हमने उन पुरनियों से प्रश्न किया, “किसके आदेश से आप यह भवन बना रहे हैं और इसका काम पूरा करते जा रहे हैं?”
10 १० और हमने उनके नाम भी पूछे, कि हम उनके मुख्य पुरुषों के नाम लिखकर तुझको जता सकें।
आपको बताने के उद्देश्य से हमने उनके नाम भी पूछ लिए, इसलिये भी कि हम उनके अधिकारियों के नाम पत्र में लिख सकें.
11 ११ उन्होंने हमें यह उत्तर दिया, ‘हम तो आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर के दास हैं, और जिस भवन को बहुत वर्ष हुए इस्राएलियों के एक बड़े राजा ने बनाकर तैयार किया था, उसी को हम बना रहे हैं।
उन्होंने हमें यह उत्तर दिया: “हम तो स्वर्ग तथा पृथ्वी के परमेश्वर के सेवक हैं और उस भवन को दोबारा बना रहे हैं, जिसको कई वर्षों पहले बनाया गया था, इस्राएल के एक प्रतापी राजा के द्वारा.
12 १२ जब हमारे पुरखाओं ने स्वर्ग के परमेश्वर को रिस दिलाई थी, तब उसने उन्हें बाबेल के कसदी राजा नबूकदनेस्सर के हाथ में कर दिया था, और उसने इस भवन को नाश किया और लोगों को बन्दी बनाकर बाबेल को ले गया।
सिर्फ इसलिये कि हमारे पुरखों ने स्वर्ग के परमेश्वर के क्रोध को भड़का दिया था, परमेश्वर ने उन्हें बाबेल के कसदी राजा नबूकदनेज्ज़र के अधीन कर दिया, जिसने इस भवन को खत्म कर दिया तथा देशवासियों को बाबेल में बंदी बना लिया था.
13 १३ परन्तु बाबेल के राजा कुस्रू के पहले वर्ष में उसी कुस्रू राजा ने परमेश्वर के इस भवन को बनाने की आज्ञा दी।
“फिर भी, बाबेल के राजा महाराज कोरेश ने अपने शासन के पहले वर्ष में यह राज आज्ञा दे दी, कि परमेश्वर के भवन को दोबारा बनाया जाए.
14 १४ परमेश्वर के भवन के जो सोने और चाँदी के पात्र नबूकदनेस्सर यरूशलेम के मन्दिर में से निकलवाकर बाबेल के मन्दिर में ले गया था, उनको राजा कुस्रू ने बाबेल के मन्दिर में से निकलवाकर शेशबस्सर नामक एक पुरुष को जिसे उसने अधिपति ठहरा दिया था, सौंप दिया।
इसके अलावा परमेश्वर के भवन जो येरूशलेम में था जिसके सोने और चांदी के बर्तन जिसे नबूकदनेज्ज़र द्वारा ले जाए गए वे भी महाराज कोरेश के आदेश से बाबेल के भवन से निकाल लिए गए तथा शेशबाज्ज़र नामक व्यक्ति को सौंप दिए गए. इस व्यक्ति को राज्यपाल बनाया गया था.
15 १५ उसने उससे कहा, “ये पात्र ले जाकर यरूशलेम के मन्दिर में रख, और परमेश्वर का वह भवन अपने स्थान पर बनाया जाए।”
महाराज ने ही उसे आदेश दिया था, ‘इन बर्तनों को ले जाकर येरूशलेम के भवन में जमा कर दो तथा परमेश्वर के भवन को दोबारा अपने स्थान पर बनाया जाए.’
16 १६ तब उसी शेशबस्सर ने आकर परमेश्वर के भवन की जो यरूशलेम में है नींव डाली; और तब से अब तक यह बन रहा है, परन्तु अब तक नहीं बन पाया।’
“तब इसी शेशबाज्ज़र ने येरूशलेम आकर परमेश्वर के भवन की नींव रखी थी. उसी समय से अब तक यह बन रहा हैं यह कार्य अब तक खत्म नहीं हुआ है.”
17 १७ अब यदि राजा को अच्छा लगे तो बाबेल के राजभण्डार में इस बात की खोज की जाए, कि राजा कुस्रू ने सचमुच परमेश्वर के भवन के जो यरूशलेम में है बनवाने की आज्ञा दी थी, या नहीं। तब राजा इस विषय में अपनी इच्छा हमको बताए।”
अब यदि महाराज चाहें तो बाबेल में राजकीय खजाने में खोज की जाए, कि येरूशलेम में परमेश्वर के भवन को दोबारा बनाने की राज आज्ञा राजा कोरेश द्वारा दी गई थी या नहीं. तब महाराज इस विषय पर अपना निर्णय हमें दे दें.

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