< यहेजकेल 4 >

1 “हे मनुष्य के सन्तान, तू एक ईंट ले और उसे अपने सामने रखकर उस पर एक नगर, अर्थात् यरूशलेम का चित्र खींच;
خداوند فرمود: «ای پسر انسان، آجری بزرگ بگیر و در مقابل خود بگذار و نقش شهر اورشلیم را بر آن حک کن. دور شهر، برجها، سنگر، منجنیق و اردوگاه‌های دشمن را نقش کن تا نشان دهند که شهر در محاصره است.
2 तब उसे घेर अर्थात् उसके विरुद्ध किला बना और उसके सामने दमदमा बाँध; और छावनी डाल, और उसके चारों ओर युद्ध के यन्त्र लगा।
3 तब तू लोहे की थाली लेकर उसको लोहे की शहरपनाह मानकर अपने और उस नगर के बीच खड़ा कर; तब अपना मुँह उसके सामने करके उसकी घेराबन्दी कर, इस रीति से तू उसे घेरे रखना। यह इस्राएल के घराने के लिये चिन्ह ठहरेगा।
یک تابهٔ آهنی نیز بردار و مثل یک دیوار، بین خودت و تصویر شهر بگذار، تا نشان دهد که سپاه دشمن چگونه اورشلیم را با عزمی آهنین، محاصره خواهد کرد. «هر یک از این جزئیاتی که به تو گفتم، معنی بخصوصی دارد، زیرا تمام اینها اخطاری است به قوم اسرائیل.
4 “फिर तू अपने बायीं करवट के बल लेटकर इस्राएल के घराने का अधर्म अपने ऊपर रख; क्योंकि जितने दिन तू उस करवट के बल लेटा रहेगा, उतने दिन तक उन लोगों के अधर्म का भार सहता रहेगा।
«آنگاه بر پهلوی چپ خود دراز بکش و برای مدت سیصد و نود روز در همان حال بمان. من گناه اسرائیل را بر تو می‌گذارم و در طول این مدت برای گناه آنان، متحمل رنج خواهی شد. برای هر سال مجازات اسرائیل، یک روز دراز خواهی کشید.
5 मैंने उनके अधर्म के वर्षों के तुल्य तेरे लिये दिन ठहराए हैं, अर्थात् तीन सौ नब्बे दिन; उतने दिन तक तू इस्राएल के घराने के अधर्म का भार सहता रह।
6 जब इतने दिन पूरे हो जाएँ, तब अपने दाहिनी करवट के बल लेटकर यहूदा के घराने के अधर्म का भार सह लेना; मैंने उसके लिये भी और तेरे लिये एक वर्ष के बदले एक दिन अर्थात् चालीस दिन ठहराए हैं।
بعد از این مدت، برگرد و چهل روز بر پهلوی راست خود بخواب و برای گناهان یهودا متحمل رنج شو. برای هر سال مجازات یهودا یک روز دراز خواهی کشید.
7 तू यरूशलेम के घेरने के लिये बाँह उघाड़े हुए अपना मुँह उधर करके उसके विरुद्ध भविष्यद्वाणी करना।
«ضمن نمایش محاصرهٔ اورشلیم، آستینت را بالا بزن و با مشت گره کرده، کلام مرا بر ضد آن اعلام نما.
8 देख, मैं तुझे रस्सियों से जकड़ूँगा, और जब तक उसके घेरने के दिन पूरे न हों, तब तक तू करवट न ले सकेगा।
تو را با طناب می‌بندم تا نتوانی از یک پهلو به پهلوی دیگر برگردی، تا اینکه روزهای محاصره خاتمه یابد.
9 “तू गेहूँ, जौ, सेम, मसूर, बाजरा, और कठिया गेहूँ, लेकर एक बर्तन में रखकर उनसे रोटी बनाया करना। जितने दिन तू अपने करवट के बल लेटा रहेगा, उतने अर्थात् तीन सौ नब्बे दिन तक उसे खाया करना।
«در طی آن سیصد و نود روز اول که بر پهلوی چپت می‌خوابی، خوراک تو، نانی تهیه شده از آرد گندم، جو، باقلا، عدس و ارزن باشد. آنها را در یک ظرف با هم مخلوط کن و از آن، نان بپز.
10 १० जो भोजन तू खाए, उसे तौल-तौलकर खाना, अर्थात् प्रतिदिन बीस-बीस शेकेल भर खाया करना, और उसे समय-समय पर खाना।
نان را جیره‌بندی خواهی کرد و هر روز یک وعده از آن را خواهی خورد، آن هم نه بیشتر از بیست مثقال!
11 ११ पानी भी तू मापकर पिया करना, अर्थात् प्रतिदिन हीन का छठवाँ अंश पीना; और उसको समय-समय पर पीना।
روزی دو لیوان آب نیز بیشتر نخواهی نوشید!
12 १२ अपना भोजन जौ की रोटियों के समान बनाकर खाया करना, और उसको मनुष्य की विष्ठा से उनके देखते बनाया करना।”
برای پختن نان، آتش را با مدفوع خشک شدهٔ انسان درست خواهی کرد و این کار را در برابر چشمان مردم انجام خواهی داد.
13 १३ फिर यहोवा ने कहा, “इसी प्रकार से इस्राएल उन जातियों के बीच अपनी-अपनी रोटी अशुद्धता से खाया करेंगे, जहाँ में उन्हें जबरन पहुँचाऊँगा।”
به همین منوال قوم اسرائیل، در سرزمینهایی که تبعیدشان می‌کنم، نان نجس و حرام خواهند خورد.»
14 १४ तब मैंने कहा, “हाय, यहोवा परमेश्वर देख, मेरा मन कभी अशुद्ध नहीं हुआ, और न मैंने बचपन से लेकर अब तक अपनी मृत्यु से मरे हुए व फाड़े हुए पशु का माँस खाया, और न किसी प्रकार का घिनौना माँस मेरे मुँह में कभी गया है।”
گفتم: «آه، ای خداوند یهوه، چگونه چنین کاری بکنم؟ من در تمام عمرم هرگز نجس نشده‌ام. از جوانی تا به حال هرگز نه گوشت حرام خورده‌ام، نه گوشت حیواناتی که به‌وسیلۀ جانوران، دریده شده باشد و نه گوشت حیوانات مردار. من به هیچ وجه خوراک حرام نخورده‌ام.»
15 १५ तब उसने मुझसे कहा, “देख, मैंने तेरे लिये मनुष्य की विष्ठा के बदले गोबर ठहराया है, और उसी से तू अपनी रोटी बनाना।”
خداوند فرمود: «بسیار خوب، به جای مدفوع انسان، می‌توانی از مدفوع گاو استفاده کنی.»
16 १६ फिर उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, देख, मैं यरूशलेम में अन्‍नरूपी आधार को दूर करूँगा; इसलिए वहाँ के लोग तौल-तौलकर और चिन्ता कर करके रोटी खाया करेंगे; और माप-मापकर और विस्मित हो होकर पानी पिया करेंगे।
آنگاه خداوند فرمود: «ای پسر انسان، من نان را از اورشلیم قطع خواهم نمود! مردم با دقت زیاد نان و آب را جیره‌بندی خواهند کرد و با ترس و لرز، ذره‌ذره خواهند خورد.
17 १७ और इससे उन्हें रोटी और पानी की घटी होगी; और वे सब के सब घबराएँगे, और अपने अधर्म में फँसे हुए सूख जाएँगे।”
بله، مردم اورشلیم محتاج نان و آب خواهند شد. ایشان با ترس و لرز به یکدیگر نگاه خواهند کرد و زیر بار مجازات گناهانشان، هلاک خواهند گشت.»

< यहेजकेल 4 >