< यहेजकेल 16 >
1 १ फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
et factus est sermo Domini ad me dicens
2 २ “हे मनुष्य के सन्तान, यरूशलेम को उसके सब घृणित काम जता दे,
fili hominis notas fac Hierusalem abominationes suas
3 ३ और उससे कह, हे यरूशलेम, प्रभु यहोवा तुझ से यह कहता है: तेरा जन्म और तेरी उत्पत्ति कनानियों के देश से हुई; तेरा पिता तो एमोरी और तेरी माता हित्तिन थी।
et dices haec dicit Dominus Deus Hierusalem radix tua et generatio tua de terra chananea pater tuus Amorreus et mater tua Cetthea
4 ४ तेरा जन्म ऐसे हुआ कि जिस दिन तू जन्मी, उस दिन न तेरा नाल काटा गया, न तू शुद्ध होने के लिये धोई गई, न तुझ पर नमक मला गया और न तू कुछ कपड़ों में लपेटी गई।
et quando nata es in die ortus tui non est praecisus umbilicus tuus et in aqua non es lota in salutem nec sale salita nec involuta pannis
5 ५ किसी की दयादृष्टि तुझ पर नहीं हुई कि इन कामों में से तेरे लिये एक भी काम किया जाता; वरन् अपने जन्म के दिन तू घृणित होने के कारण खुले मैदान में फेंक दी गई थी।
non pepercit super te oculus ut facerem tibi unum de his miseratus tui sed proiecta es super faciem terrae in abiectione animae tuae in die qua nata es
6 ६ “जब मैं तेरे पास से होकर निकला, और तुझे लहू में लोटते हुए देखा, तब मैंने तुझ से कहा, ‘हे लहू में लोटती हुई जीवित रह;’ हाँ, तुझ ही से मैंने कहा, ‘हे लहू में लोटती हुई, जीवित रह।’
transiens autem per te vidi te conculcari in sanguine tuo et dixi tibi cum esses in sanguine tuo vive dixi inquam tibi in sanguine tuo vive
7 ७ फिर मैंने तुझे खेत के पौधे के समान बढ़ाया, और तू बढ़ते-बढ़ते बड़ी हो गई और अति सुन्दर हो गई; तेरी छातियाँ सुडौल हुईं, और तेरे बाल बढ़े; तो भी तू नंगी थी।
multiplicatam quasi germen agri dedi te et multiplicata es et grandis effecta et ingressa es et pervenisti ad mundum muliebrem ubera tua intumuerunt et pilus tuus germinavit et eras nuda et confusionis plena
8 ८ “मैंने फिर तेरे पास से होकर जाते हुए तुझे देखा, और अब तू पूरी स्त्री हो गई थी; इसलिए मैंने तुझे अपना वस्त्र ओढ़ाकर तेरा तन ढाँप दिया; और सौगन्ध खाकर तुझ से वाचा बाँधी और तू मेरी हो गई, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
et transivi per te et vidi te et ecce tempus tuum tempus amantium et expandi amictum meum super te et operui ignominiam tuam et iuravi tibi et ingressus sum pactum tecum ait Dominus Deus et facta es mihi
9 ९ तब मैंने तुझे जल से नहलाकर तुझ पर से लहू धो दिया, और तेरी देह पर तेल मला।
et lavi te aqua et emundavi sanguinem tuum ex te et unxi te oleo
10 १० फिर मैंने तुझे बूटेदार वस्त्र और सुइसों के चमड़े की जूतियाँ पहनाई; और तेरी कमर में सूक्ष्म सन बाँधा, और तुझे रेशमी कपड़ा ओढ़ाया।
et vestivi te discoloribus et calciavi te ianthino et cinxi te bysso et indui te subtilibus
11 ११ तब मैंने तेरा श्रृंगार किया, और तेरे हाथों में चूड़ियाँ और गले में हार पहनाया।
et ornavi te ornamento et dedi armillas in manibus tuis et torquem circa collum tuum
12 १२ फिर मैंने तेरी नाक में नत्थ और तेरे कानों में बालियाँ पहनाई, और तेरे सिर पर शोभायमान मुकुट धरा।
et dedi inaurem super os tuum et circulos auribus tuis et coronam decoris in capite tuo
13 १३ तेरे आभूषण सोने चाँदी के और तेरे वस्त्र सूक्ष्म सन, रेशम और बूटेदार कपड़े के बने; फिर तेरा भोजन मैदा, मधु और तेल हुआ; और तू अत्यन्त सुन्दर, वरन् रानी होने के योग्य हो गई।
et ornata es auro et argento et vestita es bysso et polymito et multicoloribus similam et mel et oleum comedisti et decora facta es vehementer nimis et profecisti in regnum
14 १४ तेरी सुन्दरता की कीर्ति अन्यजातियों में फैल गई, क्योंकि उस प्रताप के कारण, जो मैंने अपनी ओर से तुझे दिया था, तू अत्यन्त सुन्दर थी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
et egressum est nomen tuum in gentes propter speciem tuam quia perfecta eras in decore meo quem posueram super te dicit Dominus Deus
15 १५ “परन्तु तू अपनी सुन्दरता पर भरोसा करके अपनी नामवरी के कारण व्यभिचार करने लगी, और सब यात्रियों के संग बहुत कुकर्म किया, और जो कोई तुझे चाहता था तू उसी से मिलती थी।
et habens fiduciam in pulchritudine tua fornicata es in nomine tuo et exposuisti fornicationem tuam omni transeunti ut eius fieres
16 १६ तूने अपने वस्त्र लेकर रंग-बिरंगे ऊँचे स्थान बना लिए, और उन पर व्यभिचार किया, ऐसे कुकर्म किए जो न कभी हुए और न होंगे।
et sumens de vestimentis meis fecisti tibi excelsa hinc inde consuta et fornicata es super eis sicut non est factum neque futurum est
17 १७ तूने अपने सुशोभित गहने लेकर जो मेरे दिए हुए सोने-चाँदी के थे, उनसे पुरुषों की मूरतें बना ली, और उनसे भी व्यभिचार करने लगी;
et tulisti vasa decoris tui de auro meo et argento meo quae dedi tibi et fecisti tibi imagines masculinas et fornicata es in eis
18 १८ और अपने बूटेदार वस्त्र लेकर उनको पहनाए, और मेरा तेल और मेरा धूप उनके सामने चढ़ाया।
et sumpsisti vestimenta tua multicoloria et vestita es eis et oleum meum et thymiama meum posuisti coram eis
19 १९ जो भोजन मैंने तुझे दिया था, अर्थात् जो मैदा, तेल और मधु मैं तुझे खिलाता था, वह सब तूने उनके सामने सुखदायक सुगन्ध करके रखा; प्रभु यहोवा की यही वाणी है कि ऐसा ही हुआ।
et panem meum quem dedi tibi similam et oleum et mel quibus enutrivi te posuisti in conspectu eorum in odorem suavitatis et factum est ait Dominus Deus
20 २० फिर तूने अपने पुत्र-पुत्रियाँ लेकर जिन्हें तूने मेरे लिये जन्म दिया, उन मूर्तियों को बलिदान करके चढ़ाई। क्या तेरा व्यभिचार ऐसी छोटी बात थीं;
et tulisti filios tuos et filias tuas quas generasti mihi et immolasti eis ad devorandum numquid parva est fornicatio tua
21 २१ कि तूने मेरे बाल-बच्चे उन मूर्तियों के आगे आग में चढ़ाकर घात किए हैं?
immolantis filios meos et dedisti illos consecrans eis
22 २२ तूने अपने सब घृणित कामों में और व्यभिचार करते हुए, अपने बचपन के दिनों की कभी सुधि न ली, जबकि तू नंगी अपने लहू में लोटती थी।
et post omnes abominationes tuas et fornicationes non es recordata dierum adulescentiae tuae quando eras nuda et confusione plena conculcata in sanguine tuo
23 २३ “तेरी उस सारी बुराई के पीछे क्या हुआ? प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हाय, तुझ पर हाय!
et accidit post omnem malitiam tuam vae vae tibi ait Dominus Deus
24 २४ तूने एक गुम्मट बनवा लिया, और हर एक चौक में एक ऊँचा स्थान बनवा लिया;
et aedificasti tibi lupanar et fecisti tibi prostibulum in cunctis plateis
25 २५ और एक-एक सड़क के सिरे पर भी तूने अपना ऊँचा स्थान बनवाकर अपनी सुन्दरता घृणित करा दी, और हर एक यात्री को कुकर्म के लिये बुलाकर महाव्यभिचारिणी हो गई।
ad omne caput viae aedificasti signum prostitutionis tuae et abominabilem fecisti decorem tuum et divisisti pedes tuos omni transeunti et multiplicasti fornicationes tuas
26 २६ तूने अपने पड़ोसी मिस्री लोगों से भी, जो मोटे-ताजे हैं, व्यभिचार किया और मुझे क्रोध दिलाने के लिये अपना व्यभिचार बढ़ाती गई।
et fornicata es cum filiis Aegypti vicinis tuis magnarum carnium et multiplicasti fornicationem tuam ad inritandum me
27 २७ इस कारण मैंने अपना हाथ तेरे विरुद्ध बढ़ाकर, तेरा प्रतिदिन का खाना घटा दिया, और तेरी बैरिन पलिश्ती स्त्रियाँ जो तेरे महापाप की चाल से लजाती है, उनकी इच्छा पर मैंने तुझे छोड़ दिया है।
ecce ego extendi manum meam super te et auferam ius tuum et dabo te in animam odientium te filiarum Palestinarum quae erubescunt in via tua scelerata
28 २८ फिर भी तेरी तृष्णा न बुझी, इसलिए तूने अश्शूरी लोगों से भी व्यभिचार किया; और उनसे व्यभिचार करने पर भी तेरी तृष्णा न बुझी।
et fornicata es in filiis Assyriorum eo quod necdum fueris expleta et postquam fornicata es nec sic es satiata
29 २९ फिर तू लेन-देन के देश में व्यभिचार करते-करते कसदियों के देश तक पहुँची, और वहाँ भी तेरी तृष्णा न बुझी।
et multiplicasti fornicationem tuam in terra Chanaan cum Chaldeis et nec sic satiata es
30 ३० “प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि तेरा हृदय कैसा चंचल है कि तू ये सब काम करती है, जो निर्लज्ज वेश्या ही के काम हैं?
in quo mundabo cor tuum ait Dominus Deus cum facias omnia haec opera mulieris meretricis et procacis
31 ३१ तूने हर एक सड़क के सिरे पर जो अपना गुम्मट, और हर चौक में अपना ऊँचा स्थान बनवाया है, क्या इसी में तू वेश्या के समान नहीं ठहरी? क्योंकि तू ऐसी कमाई पर हँसती है।
quia fabricasti lupanar tuum in capite omnis viae et excelsum tuum fecisti in omni platea nec facta es quasi meretrix fastidio augens pretium
32 ३२ तू व्यभिचारिणी पत्नी है। तू पराए पुरुषों को अपने पति के बदले ग्रहण करती है।
sed quasi mulier adultera quae super virum suum inducit alienos
33 ३३ सब वेश्याओं को तो रुपया मिलता है, परन्तु तूने अपने सब मित्रों को स्वयं रुपये देकर, और उनको लालच दिखाकर बुलाया है कि वे चारों ओर से आकर तुझ से व्यभिचार करें।
omnibus meretricibus dantur mercedes tu autem dedisti mercedes cunctis amatoribus tuis et donabas eis ut intrarent ad te undique ad fornicandum tecum
34 ३४ इस प्रकार तेरा व्यभिचार अन्य व्यभिचारियों से उलटा है। तेरे पीछे कोई व्यभिचारी नहीं चलता, और तू किसी से दाम लेती नहीं, वरन् तू ही देती है; इसी कारण तू उलटी ठहरी।
factumque in te est contra consuetudinem mulierum in fornicationibus tuis et post te non erit fornicatio in eo enim quod dedisti mercedes et mercedes non accepisti factum est in te contrarium
35 ३५ “इस कारण, हे वेश्या, यहोवा का वचन सुन,
propterea meretrix audi verbum Domini
36 ३६ प्रभु यहोवा यह कहता है: तूने जो व्यभिचार में अति निर्लज्ज होकर, अपनी देह अपने मित्रों को दिखाई, और अपनी मूर्तियों से घृणित काम किए, और अपने बच्चों का लहू बहाकर उन्हें बलि चढ़ाया है,
haec dicit Dominus Deus quia effusum est aes tuum et revelata est ignominia tua in fornicationibus tuis super amatores tuos et super idola abominationum tuarum in sanguine filiorum tuorum quos dedisti eis
37 ३७ इस कारण देख, मैं तेरे सब मित्रों को जो तेरे प्रेमी हैं और जितनों से तूने प्रीति लगाई, और जितनों से तूने बैर रखा, उन सभी को चारों ओर से तेरे विरुद्ध इकट्ठा करके उनको तेरी देह नंगी करके दिखाऊँगा, और वे तेरा तन देखेंगे।
ecce ego congregabo omnes amatores tuos quibus commixta es et omnes quos dilexisti cum universis quos oderas et congregabo eos super te undique et nudabo ignominiam tuam coram eis et videbunt omnem turpitudinem tuam
38 ३८ तब मैं तुझको ऐसा दण्ड दूँगा, जैसा व्यभिचारिणियों और लहू बहानेवाली स्त्रियों को दिया जाता है; और क्रोध और जलन के साथ तेरा लहू बहाऊँगा।
et iudicabo te iudiciis adulterarum et effundentium sanguinem et dabo te in sanguinem furoris et zeli
39 ३९ इस रीति मैं तुझे उनके वश में कर दूँगा, और वे तेरे गुम्मटों को ढा देंगे, और तेरे ऊँचे स्थानों को तोड़ देंगे; वे तेरे वस्त्र जबरन उतारेंगे, और तेरे सुन्दर गहने छीन लेंगे, और तुझे नंगा करके छोड़ देंगे।
et dabo te in manus eorum et destruent lupanar tuum et demolientur prostibulum tuum et denudabunt te vestimentis tuis et auferent vasa decoris tui et derelinquent te nudam plenamque ignominia
40 ४० तब तेरे विरुद्ध एक सभा इकट्ठी करके वे तुझ पर पथराव करेंगे, और अपनी कटारों से आर-पार छेदेंगे।
et adducent super te multitudinem et lapidabunt te lapidibus et trucidabunt te gladiis suis
41 ४१ तब वे आग लगाकर तेरे घरों को जला देंगे, और तुझे बहुत सी स्त्रियों के देखते दण्ड देंगे; और मैं तेरा व्यभिचार बन्द करूँगा, और तू फिर वेश्यावृत्ति के लिये दाम न देगी।
et conburent domos tuas igni et facient in te iudicia in oculis mulierum plurimarum et desines fornicari et mercedes ultra non dabis
42 ४२ जब मैं तुझ पर पूरी जलजलाहट प्रगट कर चुकूँगा, तब तुझ पर और न जलूँगा वरन् शान्त हो जाऊँगा, और फिर क्रोध न करूँगा।
et requiescet indignatio mea in te et auferetur zelus meus a te et quiescam nec irascar amplius
43 ४३ तूने जो अपने बचपन के दिन स्मरण नहीं रखे, वरन् इन सब बातों के द्वारा मुझे चिढ़ाया; इस कारण मैं तेरा चाल चलन तेरे सिर पर डालूँगा और तू अपने सब पिछले घृणित कामों से और अधिक महापाप न करेगी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
eo quod non fueris recordata dierum adulescentiae tuae et provocasti me in omnibus his quapropter et ego vias tuas in capite tuo dedi ait Dominus Deus et non feci iuxta scelera tua in omnibus abominationibus tuis
44 ४४ “देख, सब कहावत कहनेवाले तेरे विषय यह कहावत कहेंगे, ‘जैसी माँ वैसी पुत्री।’
ecce omnis qui dicit vulgo proverbium in te adsumet illud dicens sicut mater ita et filia eius
45 ४५ तेरी माँ जो अपने पति और बच्चों से घृणा करती थी, तू भी ठीक उसकी पुत्री ठहरी; और तेरी बहनें जो अपने-अपने पति और बच्चों से घृणा करती थीं, तू भी ठीक उनकी बहन निकली। तेरी माता हित्तिन और पिता एमोरी था।
filia matris tuae es tu quae proiecit virum suum et filios suos et soror sororum tuarum tu quae proiecerunt viros suos et filios suos mater vestra Cetthea et pater vester Amorreus
46 ४६ तेरी बड़ी बहन सामरिया है, जो अपनी पुत्रियों समेत तेरी बाईं ओर रहती है, और तेरी छोटी बहन, जो तेरी दाहिनी ओर रहती है वह पुत्रियों समेत सदोम है।
et soror tua maior Samaria ipsa et filiae eius quae habitat ad sinistram tuam soror autem tua minor te quae habitat a dextris tuis Sodoma et filiae eius
47 ४७ तू उनकी सी चाल नहीं चली, और न उनके से घृणित कामों ही से सन्तुष्ट हुई; यह तो बहुत छोटी बात ठहरती, परन्तु तेरा सारा चाल चलन उनसे भी अधिक बिगड़ गया।
sed nec in viis earum ambulasti neque secundum scelera earum fecisti pauxillum minus paene sceleratiora fecisti illis in omnibus viis tuis
48 ४८ प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, तेरी बहन सदोम ने अपनी पुत्रियों समेत तेरे और तेरी पुत्रियों के समान काम नहीं किए।
vivo ego dicit Dominus Deus quia non fecit Sodoma soror tua ipsa et filiae eius sicut fecisti tu et filiae tuae
49 ४९ देख, तेरी बहन सदोम का अधर्म यह था, कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरकर खाती और सुख चैन से रहती थी; और दीन दरिद्र को न सम्भालती थी।
ecce haec fuit iniquitas Sodomae sororis tuae superbia saturitas panis et abundantia et otium ipsius et filiarum eius et manum egeno et pauperi non porrigebant
50 ५० अतः वह गर्व करके मेरे सामने घृणित काम करने लगी, और यह देखकर मैंने उन्हें दूर कर दिया।
et elevatae sunt et fecerunt abominationes coram me et abstuli eas sicut vidisti
51 ५१ फिर सामरिया ने तेरे पापों के आधे भी पाप नहीं किए, तूने तो उससे बढ़कर घृणित काम किए, और अपने घोर घृणित कामों के द्वारा अपनी बहनों से जीत गई।
et Samaria dimidium peccatorum tuorum non peccavit sed vicisti eas sceleribus tuis et iustificasti sorores tuas in omnibus abominationibus tuis quas operata es
52 ५२ इसलिए तूने जो अपनी बहनों का न्याय किया, इस कारण लज्जित हो, क्योंकि तूने उनसे बढ़कर घृणित पाप किए हैं; इस कारण वे तुझ से कम दोषी ठहरी हैं। इसलिए तू इस बात से लज्जा कर और लजाती रह, क्योंकि तूने अपनी बहनों को कम दोषी ठहराया है।
ergo et tu porta confusionem tuam quae vicisti sorores tuas peccatis tuis sceleratius agens ab eis iustificatae sunt enim a te ergo et tu confundere et porta ignominiam tuam quae iustificasti sorores tuas
53 ५३ “जब मैं उनको अर्थात् पुत्रियों सहित सदोम और सामरिया को बँधुआई से लौटा लाऊँगा, तब उनके बीच ही तेरे बन्दियों को भी लौटा लाऊँगा,
et convertam restituens eas conversione Sodomorum cum filiabus suis et conversione Samariae et filiarum eius et convertam reversionem tuam in medio earum
54 ५४ जिससे तू लजाती रहे, और अपने सब कामों को देखकर लजाए, क्योंकि तू उनकी शान्ति ही का कारण हुई है।
ut portes ignominiam tuam et confundaris in omnibus quae fecisti consolans eas
55 ५५ तेरी बहनें सदोम और सामरिया अपनी-अपनी पुत्रियों समेत अपनी पहली दशा को फिर पहुँचेंगी, और तू भी अपनी पुत्रियों सहित अपनी पहली दशा को फिर पहुँचेगी।
et soror tua Sodoma et filiae eius revertentur ad antiquitatem suam et Samaria et filiae eius revertentur ad antiquitatem suam et tu et filiae tuae revertimini ad antiquitatem vestram
56 ५६ जब तक तेरी बुराई प्रगट न हुई थी, अर्थात् जिस समय तक तू आस-पास के लोगों समेत अरामी और पलिश्ती स्त्रियों की जो अब चारों ओर से तुझे तुच्छ जानती हैं, नामधराई करती थी,
non fuit autem Sodoma soror tua audita in ore tuo in die superbiae tuae
57 ५७ उन अपने घमण्ड के दिनों में तो तू अपनी बहन सदोम का नाम भी न लेती थी।
antequam revelaretur malitia tua sicut hoc tempore in obprobrium filiarum Syriae et cunctarum in circuitu tuo filiarum Palestinarum quae ambiunt te per gyrum
58 ५८ परन्तु अब तुझको अपने महापाप और घृणित कामों का भार आप ही उठाना पड़ा है, यहोवा की यही वाणी है।
scelus tuum et ignominiam tuam tu portasti ait Dominus Deus
59 ५९ “प्रभु यहोवा यह कहता है: मैं तेरे साथ ऐसा ही बर्ताव करूँगा, जैसा तूने किया है, क्योंकि तूने तो वाचा तोड़कर शपथ तुच्छ जानी है,
quia haec dicit Dominus Deus et faciam tibi sicut dispexisti iuramentum ut irritum faceres pactum
60 ६० तो भी मैं तेरे बचपन के दिनों की अपनी वाचा स्मरण करूँगा, और तेरे साथ सदा की वाचा बाँधूँगा।
et recordabor ego pacti mei tecum in diebus adulescentiae tuae et suscitabo tibi pactum sempiternum
61 ६१ जब तू अपनी बहनों को अर्थात् अपनी बड़ी और छोटी बहनों को ग्रहण करे, तब तू अपना चाल चलन स्मरण करके लज्जित होगी; और मैं उन्हें तेरी पुत्रियाँ ठहरा दूँगा; परन्तु यह तेरी वाचा के अनुसार न करूँगा।
et recordaberis viarum tuarum et confunderis cum receperis sorores tuas te maiores cum minoribus tuis et dabo eas tibi in filias sed non ex pacto tuo
62 ६२ मैं तेरे साथ अपनी वाचा स्थिर करूँगा, और तब तू जान लेगी कि मैं यहोवा हूँ,
et suscitabo ego pactum meum tecum et scies quia ego Dominus
63 ६३ जिससे तू स्मरण करके लज्जित हो, और लज्जा के मारे फिर कभी मुँह न खोले। यह उस समय होगा, जब मैं तेरे सब कामों को ढाँपूँगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।”
ut recorderis et confundaris et non sit tibi ultra aperire os prae confusione tua cum placatus fuero tibi in omnibus quae fecisti ait Dominus Deus