< यहेजकेल 16 >

1 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
Et factus est sermo Domini ad me, dicens:
2 “हे मनुष्य के सन्तान, यरूशलेम को उसके सब घृणित काम जता दे,
Fili hominis, notas fac Jerusalem abominationes suas,
3 और उससे कह, हे यरूशलेम, प्रभु यहोवा तुझ से यह कहता है: तेरा जन्म और तेरी उत्पत्ति कनानियों के देश से हुई; तेरा पिता तो एमोरी और तेरी माता हित्तिन थी।
et dices: Hæc dicit Dominus Deus Jerusalem: Radix tua et generatio tua de terra Chanaan: pater tuus Amorrhæus, et mater tua Cethæa.
4 तेरा जन्म ऐसे हुआ कि जिस दिन तू जन्मी, उस दिन न तेरा नाल काटा गया, न तू शुद्ध होने के लिये धोई गई, न तुझ पर नमक मला गया और न तू कुछ कपड़ों में लपेटी गई।
Et quando nata es, in die ortus tui non est præcisus umbilicus tuus, et aqua non es lota in salutem, nec sale salita, nec involuta pannis.
5 किसी की दयादृष्टि तुझ पर नहीं हुई कि इन कामों में से तेरे लिये एक भी काम किया जाता; वरन् अपने जन्म के दिन तू घृणित होने के कारण खुले मैदान में फेंक दी गई थी।
Non pepercit super te oculus, ut faceret tibi unum de his, misertus tui: sed projecta es super faciem terræ in abjectione animæ tuæ in die qua nata es.
6 “जब मैं तेरे पास से होकर निकला, और तुझे लहू में लोटते हुए देखा, तब मैंने तुझ से कहा, ‘हे लहू में लोटती हुई जीवित रह;’ हाँ, तुझ ही से मैंने कहा, ‘हे लहू में लोटती हुई, जीवित रह।’
Transiens autem per te, vidi te conculcari in sanguine tuo: et dixi tibi cum esses in sanguine tuo: Vive, dixi, inquam, tibi: in sanguine tuo vive.
7 फिर मैंने तुझे खेत के पौधे के समान बढ़ाया, और तू बढ़ते-बढ़ते बड़ी हो गई और अति सुन्दर हो गई; तेरी छातियाँ सुडौल हुईं, और तेरे बाल बढ़े; तो भी तू नंगी थी।
Multiplicatam quasi germen agri dedi te: et multiplicata es, et grandis effecta, et ingressa es, et pervenisti ad mundum muliebrem: ubera tua intumuerunt, et pilus tuus germinavit: et eras nuda, et confusione plena.
8 “मैंने फिर तेरे पास से होकर जाते हुए तुझे देखा, और अब तू पूरी स्त्री हो गई थी; इसलिए मैंने तुझे अपना वस्त्र ओढ़ाकर तेरा तन ढाँप दिया; और सौगन्ध खाकर तुझ से वाचा बाँधी और तू मेरी हो गई, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
Et transivi per te, et vidi te: et ecce tempus tuum, tempus amantium: et expandi amictum meum super te, et operui ignominiam tuam: et juravi tibi, et ingressus sum pactum tecum, ait Dominus Deus, et facta es mihi.
9 तब मैंने तुझे जल से नहलाकर तुझ पर से लहू धो दिया, और तेरी देह पर तेल मला।
Et lavi te aqua, et emundavi sanguinem tuum ex te, et unxi te oleo.
10 १० फिर मैंने तुझे बूटेदार वस्त्र और सुइसों के चमड़े की जूतियाँ पहनाई; और तेरी कमर में सूक्ष्म सन बाँधा, और तुझे रेशमी कपड़ा ओढ़ाया।
Et vestivi te discoloribus, et calceavi te janthino, et cinxi te bysso, et indui te subtilibus:
11 ११ तब मैंने तेरा श्रृंगार किया, और तेरे हाथों में चूड़ियाँ और गले में हार पहनाया।
et ornavi te ornamento, et dedi armillas in manibus tuis, et torquem circa collum tuum:
12 १२ फिर मैंने तेरी नाक में नत्थ और तेरे कानों में बालियाँ पहनाई, और तेरे सिर पर शोभायमान मुकुट धरा।
et dedi inaurem super os tuum, et circulos auribus tuis, et coronam decoris in capite tuo.
13 १३ तेरे आभूषण सोने चाँदी के और तेरे वस्त्र सूक्ष्म सन, रेशम और बूटेदार कपड़े के बने; फिर तेरा भोजन मैदा, मधु और तेल हुआ; और तू अत्यन्त सुन्दर, वरन् रानी होने के योग्य हो गई।
Et ornata es auro et argento, et vestita es bysso et polymito et multicoloribus: similam, et mel, et oleum comedisti: et decora facta es vehementer nimis, et profecisti in regnum.
14 १४ तेरी सुन्दरता की कीर्ति अन्यजातियों में फैल गई, क्योंकि उस प्रताप के कारण, जो मैंने अपनी ओर से तुझे दिया था, तू अत्यन्त सुन्दर थी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
Et egressum est nomen tuum in gentes propter speciem tuam, quia perfecta eras in decore meo quem posueram super te, dicit Dominus Deus.
15 १५ “परन्तु तू अपनी सुन्दरता पर भरोसा करके अपनी नामवरी के कारण व्यभिचार करने लगी, और सब यात्रियों के संग बहुत कुकर्म किया, और जो कोई तुझे चाहता था तू उसी से मिलती थी।
Et habens fiduciam in pulchritudine tua, fornicata es in nomine tuo: et exposuisti fornicationem tuam omni transeunti, ut ejus fieres.
16 १६ तूने अपने वस्त्र लेकर रंग-बिरंगे ऊँचे स्थान बना लिए, और उन पर व्यभिचार किया, ऐसे कुकर्म किए जो न कभी हुए और न होंगे।
Et sumens de vestimentis tuis, fecisti tibi excelsa hinc inde consuta, et fornicata es super eis sicut non est factum, neque futurum est.
17 १७ तूने अपने सुशोभित गहने लेकर जो मेरे दिए हुए सोने-चाँदी के थे, उनसे पुरुषों की मूरतें बना ली, और उनसे भी व्यभिचार करने लगी;
Et tulisti vasa decoris tui de auro meo atque argento meo, quæ dedi tibi, et fecisti tibi imagines masculinas, et fornicata es in eis.
18 १८ और अपने बूटेदार वस्त्र लेकर उनको पहनाए, और मेरा तेल और मेरा धूप उनके सामने चढ़ाया।
Et sumpsisti vestimenta tua multicoloria, et operuisti illas, et oleum meum et thymiama meum posuisti coram eis.
19 १९ जो भोजन मैंने तुझे दिया था, अर्थात् जो मैदा, तेल और मधु मैं तुझे खिलाता था, वह सब तूने उनके सामने सुखदायक सुगन्ध करके रखा; प्रभु यहोवा की यही वाणी है कि ऐसा ही हुआ।
Et panem meum quem dedi tibi, similam, et oleum, et mel, quibus enutrivi te, posuisti in conspectu eorum in odorem suavitatis: et factum est, ait Dominus Deus.
20 २० फिर तूने अपने पुत्र-पुत्रियाँ लेकर जिन्हें तूने मेरे लिये जन्म दिया, उन मूर्तियों को बलिदान करके चढ़ाई। क्या तेरा व्यभिचार ऐसी छोटी बात थीं;
Et tulisti filios tuos et filias tuas quas generasti mihi, et immolasti eis ad devorandum. Numquid parva est fornicatio tua?
21 २१ कि तूने मेरे बाल-बच्चे उन मूर्तियों के आगे आग में चढ़ाकर घात किए हैं?
Immolasti filios meos, et dedisti, illos consecrans, eis.
22 २२ तूने अपने सब घृणित कामों में और व्यभिचार करते हुए, अपने बचपन के दिनों की कभी सुधि न ली, जबकि तू नंगी अपने लहू में लोटती थी।
Et post omnes abominationes tuas et fornicationes, non es recordata dierum adolescentiæ tuæ, quando eras nuda et confusione plena, conculcata in sanguine tuo.
23 २३ “तेरी उस सारी बुराई के पीछे क्या हुआ? प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हाय, तुझ पर हाय!
Et accidit post omnem malitiam tuam (væ, væ tibi! ait Dominus Deus),
24 २४ तूने एक गुम्मट बनवा लिया, और हर एक चौक में एक ऊँचा स्थान बनवा लिया;
et ædificasti tibi lupanar, et fecisti tibi prostibulum in cunctis plateis.
25 २५ और एक-एक सड़क के सिरे पर भी तूने अपना ऊँचा स्थान बनवाकर अपनी सुन्दरता घृणित करा दी, और हर एक यात्री को कुकर्म के लिये बुलाकर महाव्यभिचारिणी हो गई।
Ad omne caput viæ ædificasti signum prostitutionis tuæ, et abominabilem fecisti decorem tuum: et divisisti pedes tuos omni transeunti, et multiplicasti fornicationes tuas:
26 २६ तूने अपने पड़ोसी मिस्री लोगों से भी, जो मोटे-ताजे हैं, व्यभिचार किया और मुझे क्रोध दिलाने के लिये अपना व्यभिचार बढ़ाती गई।
et fornicata es cum filiis Ægypti, vicinis tuis, magnarum carnium: et multiplicasti fornicationem tuam ad irritandum me.
27 २७ इस कारण मैंने अपना हाथ तेरे विरुद्ध बढ़ाकर, तेरा प्रतिदिन का खाना घटा दिया, और तेरी बैरिन पलिश्ती स्त्रियाँ जो तेरे महापाप की चाल से लजाती है, उनकी इच्छा पर मैंने तुझे छोड़ दिया है।
Ecce ego extendam manum meam super te, et auferam justificationem tuam, et dabo te in animas odientium te filiarum Palæstinarum, quæ erubescunt in via tua scelerata.
28 २८ फिर भी तेरी तृष्णा न बुझी, इसलिए तूने अश्शूरी लोगों से भी व्यभिचार किया; और उनसे व्यभिचार करने पर भी तेरी तृष्णा न बुझी।
Et fornicata es in filiis Assyriorum eo quod necdum fueris expleta: et postquam fornicata es, nec sic es satiata:
29 २९ फिर तू लेन-देन के देश में व्यभिचार करते-करते कसदियों के देश तक पहुँची, और वहाँ भी तेरी तृष्णा न बुझी।
et multiplicasti fornicationem tuam in terra Chanaan cum Chaldæis, et nec sic satiata es.
30 ३० “प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि तेरा हृदय कैसा चंचल है कि तू ये सब काम करती है, जो निर्लज्ज वेश्या ही के काम हैं?
In quo mundabo cor tuum, ait Dominus Deus, cum facias omnia hæc opera mulieris meretricis et procacis?
31 ३१ तूने हर एक सड़क के सिरे पर जो अपना गुम्मट, और हर चौक में अपना ऊँचा स्थान बनवाया है, क्या इसी में तू वेश्या के समान नहीं ठहरी? क्योंकि तू ऐसी कमाई पर हँसती है।
Quia fabricasti lupanar tuum in capite omnis viæ, et excelsum tuum fecisti in omni platea: nec facta es quasi meretrix fastidio augens pretium,
32 ३२ तू व्यभिचारिणी पत्नी है। तू पराए पुरुषों को अपने पति के बदले ग्रहण करती है।
sed quasi mulier adultera, quæ super virum suum inducit alienos.
33 ३३ सब वेश्याओं को तो रुपया मिलता है, परन्तु तूने अपने सब मित्रों को स्वयं रुपये देकर, और उनको लालच दिखाकर बुलाया है कि वे चारों ओर से आकर तुझ से व्यभिचार करें।
Omnibus meretricibus dantur mercedes: tu autem dedisti mercedes cunctis amatoribus tuis, et dona donabas eis, ut intrarent ad te undique ad fornicandum tecum.
34 ३४ इस प्रकार तेरा व्यभिचार अन्य व्यभिचारियों से उलटा है। तेरे पीछे कोई व्यभिचारी नहीं चलता, और तू किसी से दाम लेती नहीं, वरन् तू ही देती है; इसी कारण तू उलटी ठहरी।
Factumque est in te contra consuetudinem mulierum in fornicationibus tuis, et post te non erit fornicatio: in eo enim quod dedisti mercedes, et mercedes non accepisti, factum est in te contrarium.
35 ३५ “इस कारण, हे वेश्या, यहोवा का वचन सुन,
Propterea, meretrix, audi verbum Domini.
36 ३६ प्रभु यहोवा यह कहता है: तूने जो व्यभिचार में अति निर्लज्ज होकर, अपनी देह अपने मित्रों को दिखाई, और अपनी मूर्तियों से घृणित काम किए, और अपने बच्चों का लहू बहाकर उन्हें बलि चढ़ाया है,
Hæc dicit Dominus Deus: Quia effusum est æs tuum et revelata est ignominia tua in fornicationibus tuis super amatores tuos, et super idola abominationum tuarum, in sanguine filiorum tuorum quos dedisti eis,
37 ३७ इस कारण देख, मैं तेरे सब मित्रों को जो तेरे प्रेमी हैं और जितनों से तूने प्रीति लगाई, और जितनों से तूने बैर रखा, उन सभी को चारों ओर से तेरे विरुद्ध इकट्ठा करके उनको तेरी देह नंगी करके दिखाऊँगा, और वे तेरा तन देखेंगे।
ecce ego congregabo omnes amatores tuos quibus commista es, et omnes quos dilexisti, cum universis quos oderas: et congregabo eos super te undique, et nudabo ignominiam tuam coram eis, et videbunt omnem turpitudinem tuam.
38 ३८ तब मैं तुझको ऐसा दण्ड दूँगा, जैसा व्यभिचारिणियों और लहू बहानेवाली स्त्रियों को दिया जाता है; और क्रोध और जलन के साथ तेरा लहू बहाऊँगा।
Et judicabo te judiciis adulterarum, et effundentium sanguinem: et dabo te in sanguinem furoris et zeli.
39 ३९ इस रीति मैं तुझे उनके वश में कर दूँगा, और वे तेरे गुम्मटों को ढा देंगे, और तेरे ऊँचे स्थानों को तोड़ देंगे; वे तेरे वस्त्र जबरन उतारेंगे, और तेरे सुन्दर गहने छीन लेंगे, और तुझे नंगा करके छोड़ देंगे।
Et dabo te in manus eorum, et destruent lupanar tuum, et demolientur prostibulum tuum: et denudabunt te vestimentis tuis, et auferent vasa decoris tui, et derelinquent te nudam, plenamque ignominia:
40 ४० तब तेरे विरुद्ध एक सभा इकट्ठी करके वे तुझ पर पथराव करेंगे, और अपनी कटारों से आर-पार छेदेंगे।
et adducent super te multitudinem, et lapidabunt te lapidibus, et trucidabunt te gladiis suis:
41 ४१ तब वे आग लगाकर तेरे घरों को जला देंगे, और तुझे बहुत सी स्त्रियों के देखते दण्ड देंगे; और मैं तेरा व्यभिचार बन्द करूँगा, और तू फिर वेश्यावृत्ति के लिये दाम न देगी।
et comburent domos tuas igni, et facient in te judicia in oculis mulierum plurimarum. Et desines fornicari, et mercedes ultra non dabis:
42 ४२ जब मैं तुझ पर पूरी जलजलाहट प्रगट कर चुकूँगा, तब तुझ पर और न जलूँगा वरन् शान्त हो जाऊँगा, और फिर क्रोध न करूँगा।
et requiescet indignatio mea in te, et auferetur zelus meus a te: et quiescam, nec irascar amplius.
43 ४३ तूने जो अपने बचपन के दिन स्मरण नहीं रखे, वरन् इन सब बातों के द्वारा मुझे चिढ़ाया; इस कारण मैं तेरा चाल चलन तेरे सिर पर डालूँगा और तू अपने सब पिछले घृणित कामों से और अधिक महापाप न करेगी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
Eo quod non fueris recordata dierum adolescentiæ tuæ, et provocasti me in omnibus his, quapropter et ego vias tuas in capite tuo dedi, ait Dominus Deus, et non feci juxta scelera tua in omnibus abominationibus tuis.
44 ४४ “देख, सब कहावत कहनेवाले तेरे विषय यह कहावत कहेंगे, ‘जैसी माँ वैसी पुत्री।’
Ecce omnis qui dicit vulgo proverbium, in te assumet illud, dicens: Sicut mater, ita et filia ejus.
45 ४५ तेरी माँ जो अपने पति और बच्चों से घृणा करती थी, तू भी ठीक उसकी पुत्री ठहरी; और तेरी बहनें जो अपने-अपने पति और बच्चों से घृणा करती थीं, तू भी ठीक उनकी बहन निकली। तेरी माता हित्तिन और पिता एमोरी था।
Filia matris tuæ es tu, quæ projecit virum suum et filios suos: et soror sororum tuarum es tu, quæ projecerunt viros suos et filios suos: mater vestra Cethæa, et pater vester Amorrhæus.
46 ४६ तेरी बड़ी बहन सामरिया है, जो अपनी पुत्रियों समेत तेरी बाईं ओर रहती है, और तेरी छोटी बहन, जो तेरी दाहिनी ओर रहती है वह पुत्रियों समेत सदोम है।
Et soror tua major, Samaria, ipsa et filiæ ejus, quæ habitant ad sinistram tuam: soror autem tua minor te, quæ habitat a dextris tuis, Sodoma, et filiæ ejus.
47 ४७ तू उनकी सी चाल नहीं चली, और न उनके से घृणित कामों ही से सन्तुष्ट हुई; यह तो बहुत छोटी बात ठहरती, परन्तु तेरा सारा चाल चलन उनसे भी अधिक बिगड़ गया।
Sed nec in viis earum ambulasti, neque secundum scelera earum fecisti pauxillum minus: pene sceleratiora fecisti illis in omnibus viis tuis.
48 ४८ प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, तेरी बहन सदोम ने अपनी पुत्रियों समेत तेरे और तेरी पुत्रियों के समान काम नहीं किए।
Vivo ego, dicit Dominus Deus, quia non fecit Sodoma soror tua, ipsa et filiæ ejus, sicut fecisti tu et filiæ tuæ.
49 ४९ देख, तेरी बहन सदोम का अधर्म यह था, कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरकर खाती और सुख चैन से रहती थी; और दीन दरिद्र को न सम्भालती थी।
Ecce hæc fuit iniquitas Sodomæ sororis tuæ: superbia, saturitas panis et abundantia, et otium ipsius et filiarum ejus: et manum egeno et pauperi non porrigebant:
50 ५० अतः वह गर्व करके मेरे सामने घृणित काम करने लगी, और यह देखकर मैंने उन्हें दूर कर दिया।
et elevatæ sunt, et fecerunt abominationes coram me: et abstuli eas sicut vidisti.
51 ५१ फिर सामरिया ने तेरे पापों के आधे भी पाप नहीं किए, तूने तो उससे बढ़कर घृणित काम किए, और अपने घोर घृणित कामों के द्वारा अपनी बहनों से जीत गई।
Et Samaria dimidium peccatorum tuorum non peccavit: sed vicisti eas sceleribus tuis, et justificasti sorores tuas in omnibus abominationibus tuis quas operata es.
52 ५२ इसलिए तूने जो अपनी बहनों का न्याय किया, इस कारण लज्जित हो, क्योंकि तूने उनसे बढ़कर घृणित पाप किए हैं; इस कारण वे तुझ से कम दोषी ठहरी हैं। इसलिए तू इस बात से लज्जा कर और लजाती रह, क्योंकि तूने अपनी बहनों को कम दोषी ठहराया है।
Ergo et tu porta confusionem tuam, quæ vicisti sorores tuas peccatis tuis, sceleratius agens ab eis: justificatæ sunt enim a te: ergo et tu confundere, et porta ignominiam tuam, quæ justificasti sorores tuas.
53 ५३ “जब मैं उनको अर्थात् पुत्रियों सहित सदोम और सामरिया को बँधुआई से लौटा लाऊँगा, तब उनके बीच ही तेरे बन्दियों को भी लौटा लाऊँगा,
Et convertam restituens eas conversione Sodomorum cum filiabus suis, et conversione Samariæ et filiarum ejus, et convertam reversionem tuam in medio earum,
54 ५४ जिससे तू लजाती रहे, और अपने सब कामों को देखकर लजाए, क्योंकि तू उनकी शान्ति ही का कारण हुई है।
ut portes ignominiam tuam, et confundaris in omnibus quæ fecisti consolans eas.
55 ५५ तेरी बहनें सदोम और सामरिया अपनी-अपनी पुत्रियों समेत अपनी पहली दशा को फिर पहुँचेंगी, और तू भी अपनी पुत्रियों सहित अपनी पहली दशा को फिर पहुँचेगी।
Et soror tua Sodoma et filiæ ejus revertentur ad antiquitatem suam, et Samaria et filiæ ejus revertentur ad antiquitatem suam, et tu et filiæ tuæ revertemini ad antiquitatem vestram.
56 ५६ जब तक तेरी बुराई प्रगट न हुई थी, अर्थात् जिस समय तक तू आस-पास के लोगों समेत अरामी और पलिश्ती स्त्रियों की जो अब चारों ओर से तुझे तुच्छ जानती हैं, नामधराई करती थी,
Non fuit autem Sodoma soror tua audita in ore tuo in die superbiæ tuæ,
57 ५७ उन अपने घमण्ड के दिनों में तो तू अपनी बहन सदोम का नाम भी न लेती थी।
antequam revelaretur malitia tua, sicut hoc tempore in opprobrium filiarum Syriæ, et cunctarum in circuitu tuo filiarum Palæstinarum quæ ambiunt te per gyrum.
58 ५८ परन्तु अब तुझको अपने महापाप और घृणित कामों का भार आप ही उठाना पड़ा है, यहोवा की यही वाणी है।
Scelus tuum et ignominiam tuam tu portasti, ait Dominus Deus.
59 ५९ “प्रभु यहोवा यह कहता है: मैं तेरे साथ ऐसा ही बर्ताव करूँगा, जैसा तूने किया है, क्योंकि तूने तो वाचा तोड़कर शपथ तुच्छ जानी है,
Quia hæc dicit Dominus Deus: Et faciam tibi sicut despexisti juramentum, ut irritum faceres pactum:
60 ६० तो भी मैं तेरे बचपन के दिनों की अपनी वाचा स्मरण करूँगा, और तेरे साथ सदा की वाचा बाँधूँगा।
et recordabor ego pacti mei tecum in diebus adolescentiæ tuæ, et suscitabo tibi pactum sempiternum.
61 ६१ जब तू अपनी बहनों को अर्थात् अपनी बड़ी और छोटी बहनों को ग्रहण करे, तब तू अपना चाल चलन स्मरण करके लज्जित होगी; और मैं उन्हें तेरी पुत्रियाँ ठहरा दूँगा; परन्तु यह तेरी वाचा के अनुसार न करूँगा।
Et recordaberis viarum tuarum, et confunderis, cum receperis sorores tuas te majores cum minoribus tuis: et dabo eas tibi in filias, sed non ex pacto tuo.
62 ६२ मैं तेरे साथ अपनी वाचा स्थिर करूँगा, और तब तू जान लेगी कि मैं यहोवा हूँ,
Et suscitabo ego pactum meum tecum, et scies quia ego Dominus:
63 ६३ जिससे तू स्मरण करके लज्जित हो, और लज्जा के मारे फिर कभी मुँह न खोले। यह उस समय होगा, जब मैं तेरे सब कामों को ढाँपूँगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।”
ut recorderis, et confundaris, et non sit tibi ultra aperire os præ confusione tua, cum placatus tibi fuero in omnibus quæ fecisti, ait Dominus Deus.

< यहेजकेल 16 >