< यहेजकेल 16 >

1 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
وَكَانَتْ إِلَيَّ كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ قَائِلَةً:١
2 “हे मनुष्य के सन्तान, यरूशलेम को उसके सब घृणित काम जता दे,
«يَا ٱبْنَ آدَمَ، عَرِّفْ أُورُشَلِيمَ بِرَجَاسَاتِهَا،٢
3 और उससे कह, हे यरूशलेम, प्रभु यहोवा तुझ से यह कहता है: तेरा जन्म और तेरी उत्पत्ति कनानियों के देश से हुई; तेरा पिता तो एमोरी और तेरी माता हित्तिन थी।
وَقُلْ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ لِأُورُشَلِيمَ: مَخْرَجُكِ وَمَوْلِدُكِ مِنْ أَرْضِ كَنْعَانَ. أَبُوكِ أَمُورِيٌّ وَأُمُّكِ حِثِّيَّةٌ.٣
4 तेरा जन्म ऐसे हुआ कि जिस दिन तू जन्मी, उस दिन न तेरा नाल काटा गया, न तू शुद्ध होने के लिये धोई गई, न तुझ पर नमक मला गया और न तू कुछ कपड़ों में लपेटी गई।
أَمَّا مِيلَادُكِ يَوْمَ وُلِدْتِ فَلَمْ تُقْطَعْ سُرَّتُكِ، وَلَمْ تُغْسَلِي بِٱلْمَاءِ لِلتَّنَظُّفِ، وَلَمْ تُمَلَّحِي تَمْلِيحًا، وَلَمْ تُقَمَّطِي تَقْمِيطًا.٤
5 किसी की दयादृष्टि तुझ पर नहीं हुई कि इन कामों में से तेरे लिये एक भी काम किया जाता; वरन् अपने जन्म के दिन तू घृणित होने के कारण खुले मैदान में फेंक दी गई थी।
لَمْ تَشْفُقْ عَلَيْكِ عَيْنٌ لِتَصْنَعَ لَكِ وَاحِدَةً مِنْ هَذِهِ لِتَرِقَّ لَكِ، بَلْ طُرِحْتِ عَلَى وَجْهِ ٱلْحَقْلِ بِكَرَاهَةِ نَفْسِكِ يَوْمَ وُلِدْتِ.٥
6 “जब मैं तेरे पास से होकर निकला, और तुझे लहू में लोटते हुए देखा, तब मैंने तुझ से कहा, ‘हे लहू में लोटती हुई जीवित रह;’ हाँ, तुझ ही से मैंने कहा, ‘हे लहू में लोटती हुई, जीवित रह।’
فَمَرَرْتُ بِكِ وَرَأَيْتُكِ مَدُوسَةً بِدَمِكِ، فَقُلْتُ لَكِ: بِدَمِكِ عِيشِي، قُلْتُ لَكِ: بِدَمِكِ عِيشِي.٦
7 फिर मैंने तुझे खेत के पौधे के समान बढ़ाया, और तू बढ़ते-बढ़ते बड़ी हो गई और अति सुन्दर हो गई; तेरी छातियाँ सुडौल हुईं, और तेरे बाल बढ़े; तो भी तू नंगी थी।
جَعَلْتُكِ رَبْوَةً كَنَبَاتِ ٱلْحَقْلِ، فَرَبَوْتِ وَكَبُرْتِ، وَبَلَغْتِ زِينَةَ ٱلْأَزْيَانِ. نَهَدَ ثَدْيَاكِ، وَنَبَتَ شَعْرُكِ وَقَدْ كُنْتِ عُرْيَانَةً وَعَارِيَةً.٧
8 “मैंने फिर तेरे पास से होकर जाते हुए तुझे देखा, और अब तू पूरी स्त्री हो गई थी; इसलिए मैंने तुझे अपना वस्त्र ओढ़ाकर तेरा तन ढाँप दिया; और सौगन्ध खाकर तुझ से वाचा बाँधी और तू मेरी हो गई, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
فَمَرَرْتُ بِكِ وَرَأَيْتُكِ، وَإِذَا زَمَنُكِ زَمَنُ ٱلْحُبِّ. فَبَسَطْتُ ذَيْلِي عَلَيْكِ وَسَتَرْتُ عَوْرَتَكِ، وَحَلَفْتُ لَكِ، وَدَخَلْتُ مَعَكِ فِي عَهْدٍ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، فَصِرْتِ لِي.٨
9 तब मैंने तुझे जल से नहलाकर तुझ पर से लहू धो दिया, और तेरी देह पर तेल मला।
فَحَمَّمْتُكِ بِٱلْمَاءِ، وَغَسَلْتُ عَنْكِ دِمَاءَكِ، وَمَسَحْتُكِ بِٱلزَّيْتِ،٩
10 १० फिर मैंने तुझे बूटेदार वस्त्र और सुइसों के चमड़े की जूतियाँ पहनाई; और तेरी कमर में सूक्ष्म सन बाँधा, और तुझे रेशमी कपड़ा ओढ़ाया।
وَأَلْبَسْتُكِ مُطَرَّزَةً، وَنَعَلْتُكِ بِٱلتُّخَسِ، وَأَزَّرْتُكِ بِٱلْكَتَّانِ، وَكَسَوْتُكِ بَزًّا،١٠
11 ११ तब मैंने तेरा श्रृंगार किया, और तेरे हाथों में चूड़ियाँ और गले में हार पहनाया।
وَحَلَّيْتُكِ بِٱلْحُلِيِّ، فَوَضَعْتُ أَسْوِرَةً فِي يَدَيْكِ وَطَوْقًا فِي عُنُقِكِ.١١
12 १२ फिर मैंने तेरी नाक में नत्थ और तेरे कानों में बालियाँ पहनाई, और तेरे सिर पर शोभायमान मुकुट धरा।
وَوَضَعْتُ خِزَامَةً فِي أَنْفِكِ وَأَقْرَاطًا فِي أُذُنَيْكِ وَتَاجَ جَمَالٍ عَلَى رَأْسِكِ.١٢
13 १३ तेरे आभूषण सोने चाँदी के और तेरे वस्त्र सूक्ष्म सन, रेशम और बूटेदार कपड़े के बने; फिर तेरा भोजन मैदा, मधु और तेल हुआ; और तू अत्यन्त सुन्दर, वरन् रानी होने के योग्य हो गई।
فَتَحَلَّيْتِ بِٱلذَّهَبِ وَٱلْفِضَّةِ، وَلِبَاسُكِ ٱلْكَتَّانُ وَٱلْبَزُّ وَٱلْمُطَرَّزُ. وَأَكَلْتِ ٱلسَّمِيذَ وَٱلْعَسَلَ وَٱلزَّيْتَ، وَجَمُلْتِ جِدًّا جِدًّا، فَصَلُحْتِ لِمَمْلَكَةٍ.١٣
14 १४ तेरी सुन्दरता की कीर्ति अन्यजातियों में फैल गई, क्योंकि उस प्रताप के कारण, जो मैंने अपनी ओर से तुझे दिया था, तू अत्यन्त सुन्दर थी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
وَخَرَجَ لَكِ ٱسْمٌ فِي ٱلْأُمَمِ لِجَمَالِكِ، لِأَنَّهُ كَانَ كَامِلًا بِبَهَائِي ٱلَّذِي جَعَلْتُهُ عَلَيْكِ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ.١٤
15 १५ “परन्तु तू अपनी सुन्दरता पर भरोसा करके अपनी नामवरी के कारण व्यभिचार करने लगी, और सब यात्रियों के संग बहुत कुकर्म किया, और जो कोई तुझे चाहता था तू उसी से मिलती थी।
«فَٱتَّكَلْتِ عَلَى جَمَالِكِ، وَزَنَيْتِ عَلَى ٱسْمِكِ، وَسَكَبْتِ زِنَاكِ عَلَى كُلِّ عَابِرٍ فَكَانَ لَهُ.١٥
16 १६ तूने अपने वस्त्र लेकर रंग-बिरंगे ऊँचे स्थान बना लिए, और उन पर व्यभिचार किया, ऐसे कुकर्म किए जो न कभी हुए और न होंगे।
وَأَخَذْتِ مِنْ ثِيَابِكِ وَصَنَعْتِ لِنَفْسِكِ مُرْتَفَعَاتٍ مُوَشَّاةٍ، وَزَنَيْتِ عَلَيْهَا. أَمْرٌ لَمْ يَأْتِ وَلَمْ يَكُنْ.١٦
17 १७ तूने अपने सुशोभित गहने लेकर जो मेरे दिए हुए सोने-चाँदी के थे, उनसे पुरुषों की मूरतें बना ली, और उनसे भी व्यभिचार करने लगी;
وَأَخَذْتِ أَمْتِعَةَ زِينَتِكِ مِنْ ذَهَبِي وَمِنْ فِضَّتِي ٱلَّتِي أَعْطَيْتُكِ، وَصَنَعْتِ لِنَفْسِكِ صُوَرَ ذُكُورٍ وَزَنَيْتِ بِهَا.١٧
18 १८ और अपने बूटेदार वस्त्र लेकर उनको पहनाए, और मेरा तेल और मेरा धूप उनके सामने चढ़ाया।
وَأَخَذْتِ ثِيَابَكِ ٱلْمُطَرَّزَةَ وَغَطَّيْتِهَا بِهَا، وَوَضَعْتِ أَمَامَهَا زَيْتِي وَبَخُورِي.١٨
19 १९ जो भोजन मैंने तुझे दिया था, अर्थात् जो मैदा, तेल और मधु मैं तुझे खिलाता था, वह सब तूने उनके सामने सुखदायक सुगन्ध करके रखा; प्रभु यहोवा की यही वाणी है कि ऐसा ही हुआ।
وَخُبْزِي ٱلَّذِي أَعْطَيْتُكِ، ٱلسَّمِيذَ وَٱلزَّيْتَ وَٱلْعَسَلَ ٱلَّذِي أَطْعَمْتُكِ، وَضَعْتِهَا أَمَامَهَا رَائِحَةَ سُرُورٍ. وَهَكَذَا كَانَ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ.١٩
20 २० फिर तूने अपने पुत्र-पुत्रियाँ लेकर जिन्हें तूने मेरे लिये जन्म दिया, उन मूर्तियों को बलिदान करके चढ़ाई। क्या तेरा व्यभिचार ऐसी छोटी बात थीं;
«أَخَذْتِ بَنِيكِ وَبَنَاتِكِ ٱلَّذِينَ وَلَدْتِهِمْ لِي، وَذَبَحْتِهِمْ لَهَا طَعَامًا. أَهُوَ قَلِيلٌ مِنْ زِنَاكِ٢٠
21 २१ कि तूने मेरे बाल-बच्चे उन मूर्तियों के आगे आग में चढ़ाकर घात किए हैं?
أَنَّكِ ذَبَحْتِ بَنِيَّ وَجَعَلْتِهِمْ يَجُوزُونَ فِي ٱلنَّارِ لَهَا؟٢١
22 २२ तूने अपने सब घृणित कामों में और व्यभिचार करते हुए, अपने बचपन के दिनों की कभी सुधि न ली, जबकि तू नंगी अपने लहू में लोटती थी।
وَفِي كُلِّ رَجَاسَاتِكِ وَزِنَاكِ لَمْ تَذْكُرِي أَيَّامَ صِبَاكِ، إِذْ كُنْتِ عُرْيَانَةً وَعَارِيَةً وَكُنْتِ مَدُوسَةً بِدَمِكِ.٢٢
23 २३ “तेरी उस सारी बुराई के पीछे क्या हुआ? प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हाय, तुझ पर हाय!
وَكَانَ بَعْدَ كُلِّ شَرِّكِ. وَيْلٌ، وَيْلٌ لَكِ! يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ،٢٣
24 २४ तूने एक गुम्मट बनवा लिया, और हर एक चौक में एक ऊँचा स्थान बनवा लिया;
أَنَّكِ بَنَيْتِ لِنَفْسِكِ قُبَّةً وَصَنَعْتِ لِنَفْسِكِ مُرْتَفَعَةً فِي كُلِّ شَارِعٍ.٢٤
25 २५ और एक-एक सड़क के सिरे पर भी तूने अपना ऊँचा स्थान बनवाकर अपनी सुन्दरता घृणित करा दी, और हर एक यात्री को कुकर्म के लिये बुलाकर महाव्यभिचारिणी हो गई।
فِي رَأْسِ كُلِّ طَرِيقٍ بَنَيْتِ مُرْتَفَعَتَكِ وَرَجَّسْتِ جَمَالَكِ، وَفَرَّجْتِ رِجْلَيْكِ لِكُلِّ عَابِرٍ وَأَكْثَرْتِ زِنَاكِ.٢٥
26 २६ तूने अपने पड़ोसी मिस्री लोगों से भी, जो मोटे-ताजे हैं, व्यभिचार किया और मुझे क्रोध दिलाने के लिये अपना व्यभिचार बढ़ाती गई।
وَزَنَيْتِ مَعَ جِيرَانِكِ بَنِي مِصْرَ ٱلْغِلَاظِ ٱللَّحْمِ، وَزِدْتِ فِي زِنَاكِ لِإِغَاظَتِي.٢٦
27 २७ इस कारण मैंने अपना हाथ तेरे विरुद्ध बढ़ाकर, तेरा प्रतिदिन का खाना घटा दिया, और तेरी बैरिन पलिश्ती स्त्रियाँ जो तेरे महापाप की चाल से लजाती है, उनकी इच्छा पर मैंने तुझे छोड़ दिया है।
«فَهَأَنَذَا قَدْ مَدَدْتُ يَدِي عَلَيْكِ، وَمَنَعْتُ عَنْكِ فَرِيضَتَكِ، وَأَسْلَمْتُكِ لِمَرَامِ مُبْغِضَاتِكِ، بَنَاتِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ، ٱللَّوَاتِي يَخْجَلْنَ مِنْ طَرِيقِكِ ٱلرَّذِيلَةِ.٢٧
28 २८ फिर भी तेरी तृष्णा न बुझी, इसलिए तूने अश्शूरी लोगों से भी व्यभिचार किया; और उनसे व्यभिचार करने पर भी तेरी तृष्णा न बुझी।
وَزَنَيْتِ مَعَ بَنِي أَشُّورَ، إِذْ كُنْتِ لَمْ تَشْبَعِي فَزَنَيْتِ بِهِمْ، وَلَمْ تَشْبَعِي أَيْضًا.٢٨
29 २९ फिर तू लेन-देन के देश में व्यभिचार करते-करते कसदियों के देश तक पहुँची, और वहाँ भी तेरी तृष्णा न बुझी।
وَكَثَّرْتِ زِنَاكِ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ إِلَى أَرْضِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ، وَبِهَذَا أَيْضًا لَمْ تَشْبَعِي.٢٩
30 ३० “प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि तेरा हृदय कैसा चंचल है कि तू ये सब काम करती है, जो निर्लज्ज वेश्या ही के काम हैं?
مَا أَمْرَضَ قَلْبَكِ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، إِذْ فَعَلْتِ كُلَّ هَذَا فِعْلَ ٱمْرَأَةٍ زَانِيَةٍ سَلِيطَةٍ،٣٠
31 ३१ तूने हर एक सड़क के सिरे पर जो अपना गुम्मट, और हर चौक में अपना ऊँचा स्थान बनवाया है, क्या इसी में तू वेश्या के समान नहीं ठहरी? क्योंकि तू ऐसी कमाई पर हँसती है।
بِبِنَائِكِ قُبَّتَكِ فِي رَأْسِ كُلِّ طَرِيقٍ، وَصُنْعِكِ مُرْتَفَعَتَكِ فِي كُلِّ شَارِعٍ. وَلَمْ تَكُونِي كَزَانِيَةٍ، بَلْ مُحْتَقَرةً ٱلْأُجْرَةَ.٣١
32 ३२ तू व्यभिचारिणी पत्नी है। तू पराए पुरुषों को अपने पति के बदले ग्रहण करती है।
أَيَّتُهَا ٱلزَّوْجَةُ ٱلْفَاسِقَةُ، تَأْخُذُ أَجْنَبِيِّينَ مَكَانَ زَوْجِهَا.٣٢
33 ३३ सब वेश्याओं को तो रुपया मिलता है, परन्तु तूने अपने सब मित्रों को स्वयं रुपये देकर, और उनको लालच दिखाकर बुलाया है कि वे चारों ओर से आकर तुझ से व्यभिचार करें।
لِكُلِّ ٱلزَّوَانِي يُعْطُونَ هَدِيَّةً، أَمَّا أَنْتِ فَقَدْ أَعْطَيْتِ كُلَّ مُحِبِّيكِ هَدَايَاكِ، وَرَشَيْتِهِمْ لِيَأْتُوكِ مِنْ كُلِّ جَانِبٍ لِلزِّنَا بِكِ.٣٣
34 ३४ इस प्रकार तेरा व्यभिचार अन्य व्यभिचारियों से उलटा है। तेरे पीछे कोई व्यभिचारी नहीं चलता, और तू किसी से दाम लेती नहीं, वरन् तू ही देती है; इसी कारण तू उलटी ठहरी।
وَصَارَ فِيكِ عَكْسُ عَادَةِ ٱلنِّسَاءِ فِي زِنَاكِ، إِذْ لَمْ يُزْنَ وَرَاءَكِ، بَلْ أَنْتِ تُعْطِينَ أُجْرَةً وَلَا أُجْرَةَ تُعْطَى لَكِ، فَصِرْتِ بِٱلْعَكْسِ.٣٤
35 ३५ “इस कारण, हे वेश्या, यहोवा का वचन सुन,
«فَلِذَلِكَ يَا زَانِيَةُ ٱسْمَعِي كَلَامَ ٱلرَّبِّ:٣٥
36 ३६ प्रभु यहोवा यह कहता है: तूने जो व्यभिचार में अति निर्लज्ज होकर, अपनी देह अपने मित्रों को दिखाई, और अपनी मूर्तियों से घृणित काम किए, और अपने बच्चों का लहू बहाकर उन्हें बलि चढ़ाया है,
هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: مِنْ أَجْلِ أَنَّهُ قَدْ أُنْفِقَ نُحَاسُكِ وَٱنْكَشَفَتْ عَوْرَتُكِ بِزِنَاكِ بِمُحِبِّيكِ وَبِكُلِّ أَصْنَامِ رَجَاسَاتِكِ، وَلِدِمَاءِ بَنِيكِ ٱلَّذِينَ بَذَلْتِهِمْ لَهَا،٣٦
37 ३७ इस कारण देख, मैं तेरे सब मित्रों को जो तेरे प्रेमी हैं और जितनों से तूने प्रीति लगाई, और जितनों से तूने बैर रखा, उन सभी को चारों ओर से तेरे विरुद्ध इकट्ठा करके उनको तेरी देह नंगी करके दिखाऊँगा, और वे तेरा तन देखेंगे।
لِذَلِكَ هَأَنَذَا أَجْمَعُ جَمِيعَ مُحِبِّيكِ ٱلَّذِينَ لَذَذْتِ لَهُمْ، وَكُلَّ ٱلَّذِينَ أَحْبَبْتِهِمْ مَعَ كُلِّ ٱلَّذِينَ أَبْغَضْتِهِمْ، فَأَجْمَعُهُمْ عَلَيْكِ مِنْ حَوْلِكِ، وَأَكْشِفُ عَوْرَتَكِ لَهُمْ لِيَنْظُرُوا كُلَّ عَوْرَتِكِ.٣٧
38 ३८ तब मैं तुझको ऐसा दण्ड दूँगा, जैसा व्यभिचारिणियों और लहू बहानेवाली स्त्रियों को दिया जाता है; और क्रोध और जलन के साथ तेरा लहू बहाऊँगा।
وَأَحْكُمُ عَلَيْكِ أَحْكَامَ ٱلْفَاسِقَاتِ ٱلسَّافِكَاتِ ٱلدَّمِ، وَأَجْعَلُكِ دَمَ ٱلسَّخْطِ وَٱلْغَيْرَةِ.٣٨
39 ३९ इस रीति मैं तुझे उनके वश में कर दूँगा, और वे तेरे गुम्मटों को ढा देंगे, और तेरे ऊँचे स्थानों को तोड़ देंगे; वे तेरे वस्त्र जबरन उतारेंगे, और तेरे सुन्दर गहने छीन लेंगे, और तुझे नंगा करके छोड़ देंगे।
وَأُسَلِّمُكِ لِيَدِهِمْ فَيَهْدِمُونَ قُبَّتَكِ وَيُهَدِّمُونَ مُرْتَفَعَاتِكِ، وَيَنْزِعُونَ عَنْكِ ثِيَابَكِ، وَيَأْخُذُونَ أَدَوَاتِ زِينَتِكِ، وَيَتْرُكُونَكِ عُرْيَانَةً وَعَارِيَةً.٣٩
40 ४० तब तेरे विरुद्ध एक सभा इकट्ठी करके वे तुझ पर पथराव करेंगे, और अपनी कटारों से आर-पार छेदेंगे।
وَيُصْعِدُونَ عَلَيْكِ جَمَاعَةً، وَيَرْجُمُونَكِ بِٱلْحِجَارَةِ وَيَقْطَعُونَكِ بِسُيُوفِهِمْ،٤٠
41 ४१ तब वे आग लगाकर तेरे घरों को जला देंगे, और तुझे बहुत सी स्त्रियों के देखते दण्ड देंगे; और मैं तेरा व्यभिचार बन्द करूँगा, और तू फिर वेश्यावृत्ति के लिये दाम न देगी।
وَيُحْرِقُونَ بُيُوتَكِ بِٱلنَّارِ، وَيُجْرُونَ عَلَيْكِ أَحْكَامًا قُدَّامَ عُيُونِ نِسَاءٍ كَثِيرَةٍ. وَأَكُفُّكِ عَنِ ٱلزِّنَا، وَأَيْضًا لَا تُعْطِينَ أُجْرَةً بَعْدُ.٤١
42 ४२ जब मैं तुझ पर पूरी जलजलाहट प्रगट कर चुकूँगा, तब तुझ पर और न जलूँगा वरन् शान्त हो जाऊँगा, और फिर क्रोध न करूँगा।
وَأُحِلُّ غَضَبِي بِكِ فَتَنْصَرِفُ غَيْرَتِي عَنْكِ، فَأَسْكُنُ وَلَا أَغْضَبُ بَعْدُ.٤٢
43 ४३ तूने जो अपने बचपन के दिन स्मरण नहीं रखे, वरन् इन सब बातों के द्वारा मुझे चिढ़ाया; इस कारण मैं तेरा चाल चलन तेरे सिर पर डालूँगा और तू अपने सब पिछले घृणित कामों से और अधिक महापाप न करेगी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
مِنْ أَجْلِ أَنَّكِ لَمْ تَذْكُرِي أَيَّامَ صِبَاكِ، بَلْ أَسْخَطْتِنِي فِي كُلِّ هَذِهِ، فَهَأَنَذَا أَيْضًا أَجْلِبُ طَرِيقَكِ عَلَى رَأْسِكِ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، فَلَا تَفْعَلِينَ هَذِهِ ٱلرَّذِيلَةَ فَوْقَ رَجَاسَاتِكِ كُلِّهَا.٤٣
44 ४४ “देख, सब कहावत कहनेवाले तेरे विषय यह कहावत कहेंगे, ‘जैसी माँ वैसी पुत्री।’
«هُوَذَا كُلُّ ضَارِبِ مَثَلٍ يَضْرِبُ مَثَلًا عَلَيْكِ قَائِلًا: مِثْلُ ٱلْأُمِّ بِنْتُهَا.٤٤
45 ४५ तेरी माँ जो अपने पति और बच्चों से घृणा करती थी, तू भी ठीक उसकी पुत्री ठहरी; और तेरी बहनें जो अपने-अपने पति और बच्चों से घृणा करती थीं, तू भी ठीक उनकी बहन निकली। तेरी माता हित्तिन और पिता एमोरी था।
اِبْنَةُ أُمِّكِ أَنْتِ، ٱلْكَارِهَةُ زَوْجَهَا وَبَنِيهَا. وَأَنْتِ أُخْتُ أَخَوَاتِكِ ٱللَّوَاتِي كَرِهْنَ أَزْوَاجَهُنَّ وَأَبْنَاءَهُنَّ. أُمُّكُنَّ حِثِّيَّةٌ وَأَبُوكُنَّ أَمُورِيٌّ.٤٥
46 ४६ तेरी बड़ी बहन सामरिया है, जो अपनी पुत्रियों समेत तेरी बाईं ओर रहती है, और तेरी छोटी बहन, जो तेरी दाहिनी ओर रहती है वह पुत्रियों समेत सदोम है।
وَأُخْتُكِ ٱلْكُبْرَى ٱلسَّامِرَةُ هِيَ وَبَنَاتُهَا ٱلسَّاكِنَةُ عَنْ شِمَالِكِ، وَأُخْتُكِ ٱلصُّغْرَى ٱلسَّاكِنَةُ عَنْ يَمِينِكِ هِيَ سَدُومُ وَبَنَاتُهَا.٤٦
47 ४७ तू उनकी सी चाल नहीं चली, और न उनके से घृणित कामों ही से सन्तुष्ट हुई; यह तो बहुत छोटी बात ठहरती, परन्तु तेरा सारा चाल चलन उनसे भी अधिक बिगड़ गया।
وَلَا فِي طَرِيقِهِنَّ سَلَكْتِ، وَلَا مِثْلَ رَجَاسَاتِهِنَّ فَعَلْتِ، كَأَنَّ ذَلِكَ قَلِيلٌ فَقَطْ، فَفَسَدْتِ أَكْثَرَ مِنْهُنَّ فِي كُلِّ طُرُقِكِ.٤٧
48 ४८ प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, तेरी बहन सदोम ने अपनी पुत्रियों समेत तेरे और तेरी पुत्रियों के समान काम नहीं किए।
حَيٌّ أَنَا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، إِنَّ سَدُومَ أُخْتَكِ لَمْ تَفْعَلْ هِيَ وَلَا بَنَاتُهَا كَمَا فَعَلْتِ أَنْتِ وَبَنَاتُكِ.٤٨
49 ४९ देख, तेरी बहन सदोम का अधर्म यह था, कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरकर खाती और सुख चैन से रहती थी; और दीन दरिद्र को न सम्भालती थी।
هَذَا كَانَ إِثْمَ أُخْتِكِ سَدُومَ: ٱلْكِبْرِيَاءُ وَٱلشَّبَعُ مِنَ ٱلْخُبْزِ وَسَلَامُ ٱلِٱطْمِئْنَانِ كَانَ لَهَا وَلِبَنَاتِهَا، وَلَمْ تُشَدِّدْ يَدَ ٱلْفَقِيرِ وَٱلْمِسْكِينِ،٤٩
50 ५० अतः वह गर्व करके मेरे सामने घृणित काम करने लगी, और यह देखकर मैंने उन्हें दूर कर दिया।
وَتَكَبَّرْنَ وَعَمِلْنَ ٱلرِّجْسَ أَمَامِي فَنَزَعْتُهُنَّ كَمَا رَأَيْتُ.٥٠
51 ५१ फिर सामरिया ने तेरे पापों के आधे भी पाप नहीं किए, तूने तो उससे बढ़कर घृणित काम किए, और अपने घोर घृणित कामों के द्वारा अपनी बहनों से जीत गई।
وَلَمْ تُخْطِئِ ٱلسَّامِرَةُ نِصْفَ خَطَايَاكِ. بَلْ زِدْتِ رَجَاسَاتِكِ أَكْثَرَ مِنْهُنَّ، وَبَرَّرْتِ أَخَوَاتِكِ بِكُلِّ رَجَاسَاتِكِ ٱلَّتِي فَعَلْتِ.٥١
52 ५२ इसलिए तूने जो अपनी बहनों का न्याय किया, इस कारण लज्जित हो, क्योंकि तूने उनसे बढ़कर घृणित पाप किए हैं; इस कारण वे तुझ से कम दोषी ठहरी हैं। इसलिए तू इस बात से लज्जा कर और लजाती रह, क्योंकि तूने अपनी बहनों को कम दोषी ठहराया है।
فَٱحْمِلِي أَيْضًا خِزْيَكِ، أَنْتِ ٱلْقَاضِيَةُ عَلَى أَخَوَاتِكِ، بِخَطَايَاكِ ٱلَّتِي بِهَا رَجَسْتِ أَكْثَرَ مِنْهُنَّ. هُنَّ أَبَرُّ مِنْكِ، فَٱخْجَلِي أَنْتِ أَيْضًا، وَٱحْمِلِي عَارَكِ بِتَبْرِيرِكِ أَخَوَاتِكِ.٥٢
53 ५३ “जब मैं उनको अर्थात् पुत्रियों सहित सदोम और सामरिया को बँधुआई से लौटा लाऊँगा, तब उनके बीच ही तेरे बन्दियों को भी लौटा लाऊँगा,
وَأُرَجِّعُ سَبْيَهُنَّ، سَبْيَ سَدُومَ وَبَنَاتِهَا، وَسَبْيَ ٱلسَّامِرَةِ وَبَنَاتِهَا، وَسَبْيَ مَسْبِيِّيكِ فِي وَسْطِهَا،٥٣
54 ५४ जिससे तू लजाती रहे, और अपने सब कामों को देखकर लजाए, क्योंकि तू उनकी शान्ति ही का कारण हुई है।
لِكَيْ تَحْمِلِي عَارَكِ وَتَخْزَيْ مِنْ كُلِّ مَا فَعَلْتِ بِتَعْزِيَتِكِ إِيَّاهُنَّ.٥٤
55 ५५ तेरी बहनें सदोम और सामरिया अपनी-अपनी पुत्रियों समेत अपनी पहली दशा को फिर पहुँचेंगी, और तू भी अपनी पुत्रियों सहित अपनी पहली दशा को फिर पहुँचेगी।
وَأَخَوَاتُكِ سَدُومُ وَبَنَاتُهَا يَرْجِعْنَ إِلَى حَالَتِهِنَّ ٱلْقَدِيمَةِ، وَٱلسَّامِرَةُ وَبَنَاتُهَا يَرْجِعْنَ إِلَى حَالَتِهِنَّ ٱلْقَدِيمَةِ، وَأَنْتِ وَبَنَاتُكِ تَرْجِعْنَ إِلَى حَالَتِكُنَّ ٱلْقَدِيمَةِ.٥٥
56 ५६ जब तक तेरी बुराई प्रगट न हुई थी, अर्थात् जिस समय तक तू आस-पास के लोगों समेत अरामी और पलिश्ती स्त्रियों की जो अब चारों ओर से तुझे तुच्छ जानती हैं, नामधराई करती थी,
وَأُخْتُكِ سَدُومُ لَمْ تَكُنْ تُذْكَرْ فِي فَمِكِ يَوْمَ كِبْرِيَائِكِ،٥٦
57 ५७ उन अपने घमण्ड के दिनों में तो तू अपनी बहन सदोम का नाम भी न लेती थी।
قَبْلَ مَا ٱنْكَشَفَ شَرُّكِ، كَمَا فِي زَمَانِ تَعْيِيرِ بَنَاتِ أَرَامَ وَكُلِّ مَنْ حَوْلَهَا، بَنَاتِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ ٱللَّوَاتِي يَحْتَقِرْنَكِ مِنْ كُلِّ جِهَةٍ.٥٧
58 ५८ परन्तु अब तुझको अपने महापाप और घृणित कामों का भार आप ही उठाना पड़ा है, यहोवा की यही वाणी है।
رَذِيلَتُكِ وَرَجَاسَاتُكِ أَنْتِ تَحْمِلِينَهَا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ.٥٨
59 ५९ “प्रभु यहोवा यह कहता है: मैं तेरे साथ ऐसा ही बर्ताव करूँगा, जैसा तूने किया है, क्योंकि तूने तो वाचा तोड़कर शपथ तुच्छ जानी है,
«لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: إِنِّي أَفْعَلُ بِكِ كَمَا فَعَلْتِ، إِذِ ٱزْدَرَيْتِ بِٱلْقَسَمِ لِنَكْثِ ٱلْعَهْدِ.٥٩
60 ६० तो भी मैं तेरे बचपन के दिनों की अपनी वाचा स्मरण करूँगा, और तेरे साथ सदा की वाचा बाँधूँगा।
وَلَكِنِّي أَذْكُرُ عَهْدِي مَعَكِ فِي أَيَّامِ صِبَاكِ، وَأُقِيمُ لَكِ عَهْدًا أَبَدِيًّا.٦٠
61 ६१ जब तू अपनी बहनों को अर्थात् अपनी बड़ी और छोटी बहनों को ग्रहण करे, तब तू अपना चाल चलन स्मरण करके लज्जित होगी; और मैं उन्हें तेरी पुत्रियाँ ठहरा दूँगा; परन्तु यह तेरी वाचा के अनुसार न करूँगा।
فَتَتَذَكَّرِينَ طُرُقَكِ وَتَخْجَلِينَ إِذْ تَقْبَلِينَ أَخَوَاتِكِ ٱلْكِبَرَ وَٱلصِّغَرَ، وَأَجْعَلُهُنَّ لَكِ بَنَاتٍ، وَلَكِنْ لَا بِعَهْدِكِ.٦١
62 ६२ मैं तेरे साथ अपनी वाचा स्थिर करूँगा, और तब तू जान लेगी कि मैं यहोवा हूँ,
وَأَنَا أُقِيمُ عَهْدِي مَعَكِ، فَتَعْلَمِينَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ،٦٢
63 ६३ जिससे तू स्मरण करके लज्जित हो, और लज्जा के मारे फिर कभी मुँह न खोले। यह उस समय होगा, जब मैं तेरे सब कामों को ढाँपूँगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।”
لِكَيْ تَتَذَكَّرِي فَتَخْزَيْ وَلَا تَفْتَحِي فَاكِ بَعْدُ بِسَبَبِ خِزْيِكِ، حِينَ أَغْفِرُ لَكِ كُلَّ مَا فَعَلْتِ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ».٦٣

< यहेजकेल 16 >