< यहेजकेल 14 >
1 १ फिर इस्राएल के कितने पुरनिये मेरे पास आकर मेरे सामने बैठ गए।
Then came certain of the elders of Israel to me, and sat before me.
2 २ तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
And the word of the LORD came to me, saying,
3 ३ “हे मनुष्य के सन्तान, इन पुरुषों ने तो अपनी मूरतें अपने मन में स्थापित की, और अपने अधर्म की ठोकर अपने सामने रखी है; फिर क्या वे मुझसे कुछ भी पूछने पाएँगे?
Son of man, these men have set up their idols in their heart, and put the stumbling block of their iniquity before their face: should I be inquired of at all by them?
4 ४ इसलिए तू उनसे कह, प्रभु यहोवा यह कहता है: इस्राएल के घराने में से जो कोई अपनी मूर्तियाँ अपने मन में स्थापित करके, और अपने अधर्म की ठोकर अपने सामने रखकर भविष्यद्वक्ता के पास आए, उसको, मैं यहोवा, उसकी बहुत सी मूरतों के अनुसार ही उत्तर दूँगा,
Therefore speak to them, and say to them, Thus says the Lord GOD; Every man of the house of Israel that sets up his idols in his heart, and puts the stumbling block of his iniquity before his face, and comes to the prophet; I the LORD will answer him that comes according to the multitude of his idols;
5 ५ जिससे इस्राएल का घराना, जो अपनी मूर्तियाँ के द्वारा मुझे त्याग कर दूर हो गया है, उन्हें मैं उन्हीं के मन के द्वारा फँसाऊँगा।
That I may take the house of Israel in their own heart, because they are all estranged from me through their idols.
6 ६ “इसलिए इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा यह कहता है: फिरो और अपनी मूर्तियाँ को पीठ के पीछे करो; और अपने सब घृणित कामों से मुँह मोड़ो।
Therefore say to the house of Israel, Thus says the Lord GOD; Repent, and turn yourselves from your idols; and turn away your faces from all your abominations.
7 ७ क्योंकि इस्राएल के घराने में से और उसके बीच रहनेवाले परदेशियों में से भी कोई क्यों न हो, जो मेरे पीछे हो लेना छोड़कर अपनी मूर्तियाँ अपने मन में स्थापित करे, और अपने अधर्म की ठोकर अपने सामने रखे, और तब मुझसे अपनी कोई बात पूछने के लिये भविष्यद्वक्ता के पास आए, तो उसको मैं यहोवा आप ही उत्तर दूँगा।
For every one of the house of Israel, or of the stranger that sojourns in Israel, which separates himself from me, and sets up his idols in his heart, and puts the stumbling block of his iniquity before his face, and comes to a prophet to inquire of him concerning me; I the LORD will answer him by myself:
8 ८ मैं उस मनुष्य के विरुद्ध होकर उसको विस्मित करूँगा, और चिन्ह ठहराऊँगा; और उसकी कहावत चलाऊँगा और उसे अपनी प्रजा में से नाश करूँगा; तब तुम लोग जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।
And I will set my face against that man, and will make him a sign and a proverb, and I will cut him off from the middle of my people; and you shall know that I am the LORD.
9 ९ यदि भविष्यद्वक्ता ने धोखा खाकर कोई वचन कहा हो, तो जानो कि मुझ यहोवा ने उस भविष्यद्वक्ता को धोखा दिया है; और मैं अपना हाथ उसके विरुद्ध बढ़ाकर उसे अपनी प्रजा इस्राएल में से नाश करूँगा।
And if the prophet be deceived when he has spoken a thing, I the LORD have deceived that prophet, and I will stretch out my hand on him, and will destroy him from the middle of my people Israel.
10 १० वे सब लोग अपने-अपने अधर्म का बोझ उठाएँगे, अर्थात् जैसा भविष्यद्वक्ता से पूछनेवाले का अधर्म ठहरेगा, वैसा ही भविष्यद्वक्ता का भी अधर्म ठहरेगा।
And they shall bear the punishment of their iniquity: the punishment of the prophet shall be even as the punishment of him that seeks to him;
11 ११ ताकि इस्राएल का घराना आगे को मेरे पीछे हो लेना न छोड़े और न अपने भाँति-भाँति के अपराधों के द्वारा आगे को अशुद्ध बने; वरन् वे मेरी प्रजा बनें और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँ, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।”
That the house of Israel may go no more astray from me, neither be polluted any more with all their transgressions; but that they may be my people, and I may be their God, says the Lord GOD.
12 १२ तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
The word of the LORD came again to me, saying,
13 १३ “हे मनुष्य के सन्तान, जब किसी देश के लोग मुझसे विश्वासघात करके पापी हो जाएँ, और मैं अपना हाथ उस देश के विरुद्ध बढ़ाकर उसका अन्नरूपी आधार दूर करूँ, और उसमें अकाल डालकर उसमें से मनुष्य और पशु दोनों को नाश करूँ,
Son of man, when the land sins against me by trespassing grievously, then will I stretch out my hand on it, and will break the staff of the bread thereof, and will send famine on it, and will cut off man and beast from it:
14 १४ तब चाहे उसमें नूह, दानिय्येल और अय्यूब ये तीनों पुरुष हों, तो भी वे अपने धार्मिकता के द्वारा केवल अपने ही प्राणों को बचा सकेंगे; प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
Though these three men, Noah, Daniel, and Job, were in it, they should deliver but their own souls by their righteousness, says the Lord GOD.
15 १५ यदि मैं किसी देश में दुष्ट जन्तु भेजूँ जो उसको निर्जन करके उजाड़ कर डालें, और जन्तुओं के कारण कोई उसमें होकर न जाएँ,
If I cause noisome beasts to pass through the land, and they spoil it, so that it be desolate, that no man may pass through because of the beasts:
16 १६ तो चाहे उसमें वे तीन पुरुष हों, तो भी प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, न वे पुत्रों को और न पुत्रियों को बचा सकेंगे; वे ही अकेले बचेंगे; परन्तु देश उजाड़ हो जाएगा।
Though these three men were in it, as I live, says the Lord GOD, they shall deliver neither sons nor daughters; they only shall be delivered, but the land shall be desolate.
17 १७ यदि मैं उस देश पर तलवार खींचकर कहूँ, ‘हे तलवार उस देश में चल;’ और इस रीति मैं उसमें से मनुष्य और पशु नाश करूँ,
Or if I bring a sword on that land, and say, Sword, go through the land; so that I cut off man and beast from it:
18 १८ तब चाहे उसमें वे तीन पुरुष भी हों, तो भी प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, न तो वे पुत्रों को और न पुत्रियों को बचा सकेंगे, वे ही अकेले बचेंगे।
Though these three men were in it, as I live, says the Lord GOD, they shall deliver neither sons nor daughters, but they only shall be delivered themselves.
19 १९ यदि मैं उस देश में मरी फैलाऊँ और उस पर अपनी जलजलाहट भड़काकर उसका लहू ऐसा बहाऊँ कि वहाँ के मनुष्य और पशु दोनों नाश हों,
Or if I send a pestilence into that land, and pour out my fury on it in blood, to cut off from it man and beast:
20 २० तो चाहे नूह, दानिय्येल और अय्यूब भी उसमें हों, तो भी, प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, वे न पुत्रों को और न पुत्रियों को बचा सकेंगे, अपने धार्मिकता के द्वारा वे केवल अपने ही प्राणों को बचा सकेंगे।
Though Noah, Daniel, and Job were in it, as I live, says the Lord GOD, they shall deliver neither son nor daughter; they shall but deliver their own souls by their righteousness.
21 २१ “क्योंकि प्रभु यहोवा यह कहता है: मैं यरूशलेम पर अपने चारों दण्ड पहुँचाऊँगा, अर्थात् तलवार, अकाल, दुष्ट जन्तु और मरी, जिनसे मनुष्य और पशु सब उसमें से नाश हों।
For thus says the Lord GOD; How much more when I send my four sore judgments on Jerusalem, the sword, and the famine, and the noisome beast, and the pestilence, to cut off from it man and beast?
22 २२ तो भी उसमें थोड़े से पुत्र-पुत्रियाँ बचेंगी जो वहाँ से निकालकर तुम्हारे पास पहुँचाई जाएँगी, और तुम उनके चाल चलन और कामों को देखकर उस विपत्ति के विषय में जो मैं यरूशलेम पर डालूँगा, वरन् जितनी विपत्ति मैं उस पर डालूँगा, उस सब के विषय में शान्ति पाओगे।
Yet, behold, therein shall be left a remnant that shall be brought forth, both sons and daughters: behold, they shall come forth to you, and you shall see their way and their doings: and you shall be comforted concerning the evil that I have brought on Jerusalem, even concerning all that I have brought on it.
23 २३ जब तुम उनका चाल चलन और काम देखो, तब वे तुम्हारी शान्ति के कारण होंगे; और तुम जान लोगे कि मैंने यरूशलेम में जो कुछ किया, वह बिना कारण नहीं किया, प्रभु यहोवा की यही वाणी हैं।”
And they shall comfort you, when you see their ways and their doings: and you shall know that I have not done without cause all that I have done in it, says the Lord GOD.