< निर्गमन 1 >
1 १ इस्राएल के पुत्रों के नाम, जो अपने-अपने घराने को लेकर याकूब के साथ मिस्र देश में आए, ये हैं:
Hæc sunt nomina filiorum Israël qui ingressi sunt in Ægyptum cum Jacob: singuli cum domibus suis introierunt:
2 २ रूबेन, शिमोन, लेवी, यहूदा,
Ruben, Simeon, Levi, Judas,
3 ३ इस्साकार, जबूलून, बिन्यामीन,
Issachar, Zabulon et Benjamin,
4 ४ दान, नप्ताली, गाद और आशेर।
Dan et Nephthali, Gad et Aser.
5 ५ और यूसुफ तो मिस्र में पहले ही आ चुका था। याकूब के निज वंश में जो उत्पन्न हुए वे सब सत्तर प्राणी थे।
Erant igitur omnes animæ eorum qui egressi sunt de femore Jacob, septuaginta: Joseph autem in Ægypto erat.
6 ६ यूसुफ, और उसके सब भाई, और उस पीढ़ी के सब लोग मर मिटे।
Quo mortuo, et universis fratribus ejus, omnique cognatione illa,
7 ७ परन्तु इस्राएल की सन्तान फूलने-फलने लगी; और वे अत्यन्त सामर्थी बनते चले गए; और इतना अधिक बढ़ गए कि सारा देश उनसे भर गया।
filii Israël creverunt, et quasi germinantes multiplicati sunt: ac roborati nimis, impleverunt terram.
8 ८ मिस्र में एक नया राजा गद्दी पर बैठा जो यूसुफ को नहीं जानता था।
Surrexit interea rex novus super Ægyptum, qui ignorabat Joseph.
9 ९ और उसने अपनी प्रजा से कहा, “देखो, इस्राएली हम से गिनती और सामर्थ्य में अधिक बढ़ गए हैं।
Et ait ad populum suum: Ecce, populus filiorum Israël multus, et fortior nobis est.
10 १० इसलिए आओ, हम उनके साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करें, कहीं ऐसा न हो कि जब वे बहुत बढ़ जाएँ, और यदि युद्ध का समय आ पड़े, तो हमारे बैरियों से मिलकर हम से लड़ें और इस देश से निकल जाएँ।”
Venite, sapienter opprimamus eum, ne forte multiplicetur: et si ingruerit contra nos bellum, addatur inimicis nostris, expugnatisque nobis egrediatur de terra.
11 ११ इसलिए मिस्रियों ने उन पर बेगारी करानेवालों को नियुक्त किया कि वे उन पर भार डाल-डालकर उनको दुःख दिया करें; तब उन्होंने फ़िरौन के लिये पितोम और रामसेस नामक भण्डारवाले नगरों को बनाया।
Præposuit itaque eis magistros operum, ut affligerent eos oneribus: ædificaveruntque urbes tabernaculorum Pharaoni, Phithom et Ramesses.
12 १२ पर ज्यों-ज्यों वे उनको दुःख देते गए त्यों-त्यों वे बढ़ते और फैलते चले गए; इसलिए वे इस्राएलियों से अत्यन्त डर गए।
Quantoque opprimebant eos, tanto magis multiplicabantur, et crescebant:
13 १३ तो भी मिस्रियों ने इस्राएलियों से कठोरता के साथ सेवा करवाई;
oderantque filios Israël Ægyptii, et affligebant illudentes eis,
14 १४ और उनके जीवन को गारे, ईंट और खेती के भाँति-भाँति के काम की कठिन सेवा से दुःखी कर डाला; जिस किसी काम में वे उनसे सेवा करवाते थे उसमें वे कठोरता का व्यवहार करते थे।
atque ad amaritudinem perducebant vitam eorum operibus duris luti et lateris, omnique famulatu, quo in terræ operibus premebantur.
15 १५ शिप्रा और पूआ नामक दो इब्री दाइयों को मिस्र के राजा ने आज्ञा दी,
Dixit autem rex Ægypti obstetricibus Hebræorum, quarum una vocabatur Sephora, altera Phua,
16 १६ “जब तुम इब्री स्त्रियों को बच्चा उत्पन्न होने के समय प्रसव के पत्थरों पर बैठी देखो, तब यदि बेटा हो, तो उसे मार डालना; और बेटी हो, तो जीवित रहने देना।”
præcipiens eis: Quando obstetricabitis Hebræas, et partus tempus advenerit: si masculus fuerit, interficite eum: si femina, reservate.
17 १७ परन्तु वे दाइयाँ परमेश्वर का भय मानती थीं, इसलिए मिस्र के राजा की आज्ञा न मानकर लड़कों को भी जीवित छोड़ देती थीं।
Timuerunt autem obstetrices Deum, et non fecerunt juxta præceptum regis Ægypti, sed conservabant mares.
18 १८ तब मिस्र के राजा ने उनको बुलवाकर पूछा, “तुम जो लड़कों को जीवित छोड़ देती हो, तो ऐसा क्यों करती हो?”
Quibus ad se accersitis, rex ait: Quidnam est hoc quod facere voluistis, ut pueros servaretis?
19 १९ दाइयों ने फ़िरौन को उतर दिया, “इब्री स्त्रियाँ मिस्री स्त्रियों के समान नहीं हैं; वे ऐसी फुर्तीली हैं कि दाइयों के पहुँचने से पहले ही उनको बच्चा उत्पन्न हो जाता है।”
Quæ responderunt: Non sunt Hebreæ sicut ægyptiæ mulieres: ipsæ enim obstetricandi habent scientiam, et priusquam veniamus ad eas, pariunt.
20 २० इसलिए परमेश्वर ने दाइयों के साथ भलाई की; और वे लोग बढ़कर बहुत सामर्थी हो गए।
Bene ergo fecit Deus obstetricibus: et crevit populus, confortatusque est nimis.
21 २१ इसलिए कि दाइयाँ परमेश्वर का भय मानती थीं उसने उनके घर बसाए।
Et quia timuerunt obstetrices Deum, ædificavit eis domos.
22 २२ तब फ़िरौन ने अपनी सारी प्रजा के लोगों को आज्ञा दी, “इब्रियों के जितने बेटे उत्पन्न हों उन सभी को तुम नील नदी में डाल देना, और सब बेटियों को जीवित रख छोड़ना।”
Præcepit ergo Pharao omni populo suo, dicens: Quidquid masculini sexus natum fuerit, in flumen projicite: quidquid feminini, reservate.