< निर्गमन 38 >
1 १ फिर उसने बबूल की लकड़ी की होमबलि के लिये वेदी भी बनाई; उसकी लम्बाई पाँच हाथ और चौड़ाई पाँच हाथ की थी; इस प्रकार से वह चौकोर बनी, और ऊँचाई तीन हाथ की थी।
καὶ ἐποίησεν Βεσελεηλ τὴν κιβωτὸν
2 २ और उसने उसके चारों कोनों पर उसके चार सींग बनाए, वे उसके साथ बिना जोड़ के बने; और उसने उसको पीतल से मढ़ा।
καὶ κατεχρύσωσεν αὐτὴν χρυσίῳ καθαρῷ ἔσωθεν καὶ ἔξωθεν
3 ३ और उसने वेदी का सारा सामान, अर्थात् उसकी हाँड़ियों, फावड़ियों, कटोरों, काँटों, और करछों को बनाया। उसका सारा सामान उसने पीतल का बनाया।
καὶ ἐχώνευσεν αὐτῇ τέσσαρας δακτυλίους χρυσοῦς δύο ἐπὶ τὸ κλίτος τὸ ἓν καὶ δύο ἐπὶ τὸ κλίτος τὸ δεύτερον
4 ४ और वेदी के लिये उसके चारों ओर की कँगनी के तले उसने पीतल की जाली की एक झंझरी बनाई, वह नीचे से वेदी की ऊँचाई के मध्य तक पहुँची।
εὐρεῖς τοῖς διωστῆρσιν ὥστε αἴρειν αὐτὴν ἐν αὐτοῖς
5 ५ और उसने पीतल की झंझरी के चारों कोनों के लिये चार कड़े ढाले, जो डंडों के खानों का काम दें।
καὶ ἐποίησεν τὸ ἱλαστήριον ἐπάνωθεν τῆς κιβωτοῦ ἐκ χρυσίου
6 ६ फिर उसने डंडों को बबूल की लकड़ी का बनाया, और पीतल से मढ़ा।
καὶ τοὺς δύο χερουβιμ χρυσοῦς
7 ७ तब उसने डंडों को वेदी की ओर के कड़ों में वेदी के उठाने के लिये डाल दिया। वेदी को उसने तख्तों से खोखली बनाया।
χερουβ ἕνα ἐπὶ τὸ ἄκρον τοῦ ἱλαστηρίου τὸ ἓν καὶ χερουβ ἕνα ἐπὶ τὸ ἄκρον τὸ δεύτερον τοῦ ἱλαστηρίου
8 ८ उसने हौदी और उसका पाया दोनों पीतल के बनाए, यह मिलापवाले तम्बू के द्वार पर सेवा करनेवाली महिलाओं के पीतल के दर्पणों के लिये बनाए गए।
σκιάζοντα ταῖς πτέρυξιν αὐτῶν ἐπὶ τὸ ἱλαστήριον
9 ९ फिर उसने आँगन बनाया; और दक्षिण की ओर के लिये आँगन के पर्दे बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के थे, और सब मिलाकर सौ हाथ लम्बे थे;
καὶ ἐποίησεν τὴν τράπεζαν τὴν προκειμένην ἐκ χρυσίου καθαροῦ
10 १० उनके लिये बीस खम्भे, और इनकी पीतल की बीस कुर्सियाँ बनीं; और खम्भों की घुंडियाँ और जोड़ने की छड़ें चाँदी की बनीं।
καὶ ἐχώνευσεν αὐτῇ τέσσαρας δακτυλίους δύο ἐπὶ τοῦ κλίτους τοῦ ἑνὸς καὶ δύο ἐπὶ τοῦ κλίτους τοῦ δευτέρου εὐρεῖς ὥστε αἴρειν τοῖς διωστῆρσιν ἐν αὐτοῖς
11 ११ और उत्तर की ओर के लिये भी सौ हाथ लम्बे पर्दे बने; और उनके लिये बीस खम्भे, और इनकी पीतल की बीस ही कुर्सियाँ बनीं, और खम्भों की घुंडियाँ और जोड़ने की छड़ें चाँदी की बनीं।
καὶ τοὺς διωστῆρας τῆς κιβωτοῦ καὶ τῆς τραπέζης ἐποίησεν καὶ κατεχρύσωσεν αὐτοὺς χρυσίῳ
12 १२ और पश्चिम की ओर के लिये सब पर्दे मिलाकर पचास हाथ के थे; उनके लिए दस खम्भे, और दस ही उनकी कुर्सियाँ थीं, और खम्भों की घुंडियाँ और जोड़ने की छड़ें चाँदी की थीं।
καὶ ἐποίησεν τὰ σκεύη τῆς τραπέζης τά τε τρυβλία καὶ τὰς θυίσκας καὶ τοὺς κυάθους καὶ τὰ σπονδεῖα ἐν οἷς σπείσει ἐν αὐτοῖς χρυσᾶ
13 १३ और पूरब की ओर भी वह पचास हाथ के थे।
καὶ ἐποίησεν τὴν λυχνίαν ἣ φωτίζει χρυσῆν στερεὰν τὸν καυλόν
14 १४ आँगन के द्वार के एक ओर के लिये पन्द्रह हाथ के पर्दे बने; और उनके लिये तीन खम्भे और तीन कुर्सियाँ थीं।
καὶ τοὺς καλαμίσκους ἐξ ἀμφοτέρων τῶν μερῶν αὐτῆς
15 १५ और आँगन के द्वार के दूसरी ओर भी वैसा ही बना था; और आँगन के दरवाजे के इधर और उधर पन्द्रह-पन्द्रह हाथ के पर्दे बने थे; और उनके लिये तीन ही तीन खम्भे, और तीन ही तीन इनकी कुर्सियाँ भी थीं।
ἐκ τῶν καλαμίσκων αὐτῆς οἱ βλαστοὶ ἐξέχοντες τρεῖς ἐκ τούτου καὶ τρεῖς ἐκ τούτου ἐξισούμενοι ἀλλήλοις
16 १६ आँगन के चारों ओर सब पर्दे सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े के बने हुए थे।
καὶ τὰ λαμπάδια αὐτῶν ἅ ἐστιν ἐπὶ τῶν ἄκρων καρυωτὰ ἐξ αὐτῶν καὶ τὰ ἐνθέμια ἐξ αὐτῶν ἵνα ὦσιν ἐπ’ αὐτῶν οἱ λύχνοι καὶ τὸ ἐνθέμιον τὸ ἕβδομον ἀπ’ ἄκρου τοῦ λαμπαδίου ἐπὶ τῆς κορυφῆς ἄνωθεν στερεὸν ὅλον χρυσοῦν
17 १७ और खम्भों की कुर्सियाँ पीतल की, और घुंडियाँ और छड़ें चाँदी की बनीं, और उनके सिरे चाँदी से मढ़े गए, और आँगन के सब खम्भे चाँदी के छड़ों से जोड़े गए थे।
καὶ ἑπτὰ λύχνους ἐπ’ αὐτῆς χρυσοῦς καὶ τὰς λαβίδας αὐτῆς χρυσᾶς καὶ τὰς ἐπαρυστρίδας αὐτῶν χρυσᾶς
18 १८ आँगन के द्वार के पर्दे पर बेलबूटे का काम किया हुआ था, और वह नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े का; और सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े के बने थे; और उसकी लम्बाई बीस हाथ की थी, और उसकी ऊँचाई आँगन की कनात की चौड़ाई के समान पाँच हाथ की बनी।
οὗτος περιηργύρωσεν τοὺς στύλους καὶ ἐχώνευσεν τῷ στύλῳ δακτυλίους χρυσοῦς καὶ ἐχρύσωσεν τοὺς μοχλοὺς χρυσίῳ καὶ κατεχρύσωσεν τοὺς στύλους τοῦ καταπετάσματος χρυσίῳ καὶ ἐποίησεν τὰς ἀγκύλας χρυσᾶς
19 १९ और उनके लिये चार खम्भे, और खम्भों की चार ही कुर्सियाँ पीतल की बनीं, उनकी घुंडियाँ चाँदी की बनीं, और उनके सिरे चाँदी से मढ़े गए, और उनकी छड़ें चाँदी की बनीं।
οὗτος ἐποίησεν καὶ τοὺς κρίκους τῆς σκηνῆς χρυσοῦς καὶ τοὺς κρίκους τῆς αὐλῆς καὶ κρίκους εἰς τὸ ἐκτείνειν τὸ κατακάλυμμα ἄνωθεν χαλκοῦς
20 २० और निवास और आँगन के चारों ओर के सब खूँटे पीतल के बने थे।
οὗτος ἐχώνευσεν τὰς κεφαλίδας τὰς ἀργυρᾶς τῆς σκηνῆς καὶ τὰς κεφαλίδας τὰς χαλκᾶς τῆς θύρας τῆς σκηνῆς καὶ τὴν πύλην τῆς αὐλῆς καὶ ἀγκύλας ἐποίησεν τοῖς στύλοις ἀργυρᾶς ἐπὶ τῶν στύλων οὗτος περιηργύρωσεν αὐτάς
21 २१ साक्षीपत्र के निवास का सामान जो लेवियों के सेवाकार्य के लिये बना; और जिसकी गिनती हारून याजक के पुत्र ईतामार के द्वारा मूसा के कहने से हुई थी, उसका वर्णन यह है।
οὗτος ἐποίησεν καὶ τοὺς πασσάλους τῆς σκηνῆς καὶ τοὺς πασσάλους τῆς αὐλῆς χαλκοῦς
22 २२ जिस-जिस वस्तु के बनाने की आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी उसको यहूदा के गोत्रवाले बसलेल ने, जो हूर का पोता और ऊरी का पुत्र था, बना दिया।
οὗτος ἐποίησεν τὸ θυσιαστήριον τὸ χαλκοῦν ἐκ τῶν πυρείων τῶν χαλκῶν ἃ ἦσαν τοῖς ἀνδράσιν τοῖς καταστασιάσασι μετὰ τῆς Κορε συναγωγῆς
23 २३ और उसके संग दान के गोत्रवाले, अहीसामाक का पुत्र, ओहोलीआब था, जो नक्काशी करने और काढ़नेवाला और नीले, बैंगनी और लाल रंग के और सूक्ष्म सनी के कपड़े में कढ़ाई करनेवाला निपुण कारीगर था।
οὗτος ἐποίησεν πάντα τὰ σκεύη τοῦ θυσιαστηρίου καὶ τὸ πυρεῖον αὐτοῦ καὶ τὴν βάσιν καὶ τὰς φιάλας καὶ τὰς κρεάγρας χαλκᾶς
24 २४ पवित्रस्थान के सारे काम में जो भेंट का सोना लगा वह पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से उनतीस किक्कार, और सात सौ तीस शेकेल था।
οὗτος ἐποίησεν τῷ θυσιαστηρίῳ παράθεμα ἔργον δικτυωτόν κάτωθεν τοῦ πυρείου ὑπὸ αὐτὸ ἕως τοῦ ἡμίσους αὐτοῦ καὶ ἐπέθηκεν αὐτῷ τέσσαρας δακτυλίους ἐκ τῶν τεσσάρων μερῶν τοῦ παραθέματος τοῦ θυσιαστηρίου χαλκοῦς τοῖς μοχλοῖς εὐρεῖς ὥστε αἴρειν τὸ θυσιαστήριον ἐν αὐτοῖς
25 २५ और मण्डली के गिने हुए लोगों की भेंट की चाँदी पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से सौ किक्कार, और सत्रह सौ पचहत्तर शेकेल थी।
οὗτος ἐποίησεν τὸ ἔλαιον τῆς χρίσεως τὸ ἅγιον καὶ τὴν σύνθεσιν τοῦ θυμιάματος καθαρὸν ἔργον μυρεψοῦ
26 २६ अर्थात् जितने बीस वर्ष के और उससे अधिक आयु के गिने गए थे, वे छः लाख तीन हजार साढ़े पाँच सौ पुरुष थे, और एक-एक जन की ओर से पवित्रस्थान के शेकेल के अनुसार आधा शेकेल, जो एक बेका होता है, मिला।
οὗτος ἐποίησεν τὸν λουτῆρα χαλκοῦν καὶ τὴν βάσιν αὐτοῦ χαλκῆν ἐκ τῶν κατόπτρων τῶν νηστευσασῶν αἳ ἐνήστευσαν παρὰ τὰς θύρας τῆς σκηνῆς τοῦ μαρτυρίου ἐν ᾗ ἡμέρᾳ ἔπηξεν αὐτήν
27 २७ और वह सौ किक्कार चाँदी पवित्रस्थान और बीचवाले पर्दे दोनों की कुर्सियों के ढालने में लग गई; सौ किक्कार से सौ कुर्सियाँ बनीं, एक-एक कुर्सी एक किक्कार की बनी।
καὶ ἐποίησεν τὸν λουτῆρα ἵνα νίπτωνται ἐξ αὐτοῦ Μωυσῆς καὶ Ααρων καὶ οἱ υἱοὶ αὐτοῦ τὰς χεῖρας αὐτῶν καὶ τοὺς πόδας εἰσπορευομένων αὐτῶν εἰς τὴν σκηνὴν τοῦ μαρτυρίου ἢ ὅταν προσπορεύωνται πρὸς τὸ θυσιαστήριον λειτουργεῖν ἐνίπτοντο ἐξ αὐτοῦ καθάπερ συνέταξεν κύριος τῷ Μωυσῇ
28 २८ और सत्रह सौ पचहत्तर शेकेल जो बच गए उनसे खम्भों की घुंडियाँ बनाई गईं, और खम्भों की चोटियाँ मढ़ी गईं, और उनकी छड़ें भी बनाई गईं।
29 २९ और भेंट का पीतल सत्तर किक्कार और दो हजार चार सौ शेकेल था;
30 ३० इससे मिलापवाले तम्बू के द्वार की कुर्सियाँ, और पीतल की वेदी, पीतल की झंझरी, और वेदी का सारा सामान;
31 ३१ और आँगन के चारों ओर की कुर्सियाँ, और उसके द्वार की कुर्सियाँ, और निवास, और आँगन के चारों ओर के खूँटे भी बनाए गए।