< निर्गमन 31 >

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
E falou o SENHOR a Moisés, dizendo:
2 “सुन, मैं ऊरी के पुत्र बसलेल को, जो हूर का पोता और यहूदा के गोत्र का है, नाम लेकर बुलाता हूँ।
Olha, eu chamei por seu nome a Bezalel, filho de Uri, filho de Hur, da tribo de Judá;
3 और मैं उसको परमेश्वर की आत्मा से जो बुद्धि, प्रवीणता, ज्ञान, और सब प्रकार के कार्यों की समझ देनेवाली आत्मा है परिपूर्ण करता हूँ,
E o enchi de espírito de Deus, em sabedoria, e em inteligência, e em conhecimento, e em todo artifício,
4 जिससे वह कारीगरी के कार्य बुद्धि से निकाल निकालकर सब भाँति की बनावट में, अर्थात् सोने, चाँदी, और पीतल में,
Para inventar desenhos, para trabalhar em ouro, e em prata, e em bronze,
5 और जड़ने के लिये मणि काटने में, और लकड़ी पर नक्काशी का काम करे।
E em artifício de pedras para engastá-las, e em artifício de madeira; para agir em todo tipo de trabalho.
6 और सुन, मैं दान के गोत्रवाले अहीसामाक के पुत्र ओहोलीआब को उसके संग कर देता हूँ; वरन् जितने बुद्धिमान हैं उन सभी के हृदय में मैं बुद्धि देता हूँ, जिससे जितनी वस्तुओं की आज्ञा मैंने तुझे दी है उन सभी को वे बनाएँ;
E eis que eu pus com ele a Aoliabe, filho de Aisamaque, da tribo de Dã: e pus sabedoria no ânimo de todo sábio de coração, para que façam tudo o que te mandei:
7 अर्थात् मिलापवाले तम्बू, और साक्षीपत्र का सन्दूक, और उस पर का प्रायश्चितवाला ढकना, और तम्बू का सारा सामान,
O tabernáculo do testemunho, e a arca do testemunho, e o propiciatório que está sobre ela, e todos os utensílios do tabernáculo;
8 और सामान सहित मेज, और सारे सामान समेत शुद्ध सोने की दीवट, और धूपवेदी,
E a mesa e seus utensílios, e o candelabro limpo e todos os seus utensílios, e o altar do incenso;
9 और सारे सामान सहित होमवेदी, और पाए समेत हौदी,
E o altar do holocausto e todos os seus utensílios, e a pia e sua base;
10 १० और काढ़े हुए वस्त्र, और हारून याजक के याजकवाले काम के पवित्र वस्त्र, और उसके पुत्रों के वस्त्र,
E as roupas do serviço, e as santas vestiduras para Arão o sacerdote, e as vestiduras de seus filhos, para que exerçam o sacerdócio;
11 ११ और अभिषेक का तेल, और पवित्रस्थान के लिये सुगन्धित धूप, इन सभी को वे उन सब आज्ञाओं के अनुसार बनाएँ जो मैंने तुझे दी हैं।”
E o azeite da unção, e o incenso aromático para o santuário: farão conforme tudo o que te mandei.
12 १२ फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
Falou também o SENHOR a Moisés, dizendo:
13 १३ “तू इस्राएलियों से यह भी कहना, ‘निश्चय तुम मेरे विश्रामदिनों को मानना, क्योंकि तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में मेरे और तुम लोगों के बीच यह एक चिन्ह ठहरा है, जिससे तुम यह बात जान रखो कि यहोवा हमारा पवित्र करनेवाला है।
E tu falarás aos filhos de Israel, dizendo: Com tudo isso vós guardareis meus sábados: porque é sinal entre mim e vós por vossas gerações, para que saibais que eu sou o SENHOR que vos santifico.
14 १४ इस कारण तुम विश्रामदिन को मानना, क्योंकि वह तुम्हारे लिये पवित्र ठहरा है; जो उसको अपवित्र करे वह निश्चय मार डाला जाए; जो कोई उस दिन में कुछ काम-काज करे वह प्राणी अपने लोगों के बीच से नाश किया जाए।
Assim guardareis o sábado, porque santo é a vós: o que o profanar, certamente morrerá; porque qualquer um que fizer obra alguma nele, aquela alma será cortada do meio de seus povos.
15 १५ छः दिन तो काम-काज किया जाए, पर सातवाँ दिन पवित्र विश्राम का दिन और यहोवा के लिये पवित्र है; इसलिए जो कोई विश्राम के दिन में कुछ काम-काज करे वह निश्चय मार डाला जाए।
Seis dias se fará obra, mas o dia sétimo é sábado de repouso consagrado ao SENHOR; qualquer um que fizer obra no dia do sábado certamente morrerá.
16 १६ इसलिए इस्राएली विश्रामदिन को माना करें, वरन् पीढ़ी-पीढ़ी में उसको सदा की वाचा का विषय जानकर माना करें।
Guardarão, pois, o sábado os filhos de Israel: celebrando-o por suas gerações por pacto perpétuo:
17 १७ वह मेरे और इस्राएलियों के बीच सदा एक चिन्ह रहेगा, क्योंकि छः दिन में यहोवा ने आकाश और पृथ्वी को बनाया, और सातवें दिन विश्राम करके अपना जी ठंडा किया।’”
Sinal é para sempre entre mim e os filhos de Israel; porque em seis dias fez o SENHOR os céus e a terra, e no sétimo dia cessou, e repousou.
18 १८ जब परमेश्वर मूसा से सीनै पर्वत पर ऐसी बातें कर चुका, तब परमेश्वर ने उसको अपनी उँगली से लिखी हुई साक्षी देनेवाली पत्थर की दोनों तख्तियाँ दीं।
E deu a Moisés quando acabou de falar com ele no monte de Sinai, duas tábuas do testemunho, tábuas de pedra escritas com o dedo de Deus.

< निर्गमन 31 >