< निर्गमन 31 >
1 १ फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
Der Herr sprach zu Moses:
2 २ “सुन, मैं ऊरी के पुत्र बसलेल को, जो हूर का पोता और यहूदा के गोत्र का है, नाम लेकर बुलाता हूँ।
"Sieh! Ich berufe Besalel, des Uri Sohn, den Enkel Hurs, vom Stamme Juda.
3 ३ और मैं उसको परमेश्वर की आत्मा से जो बुद्धि, प्रवीणता, ज्ञान, और सब प्रकार के कार्यों की समझ देनेवाली आत्मा है परिपूर्ण करता हूँ,
Ich erfülle ihn mit Gottesgeist, mit Weisheit, Einsicht und Wissen um jeglich Werk,
4 ४ जिससे वह कारीगरी के कार्य बुद्धि से निकाल निकालकर सब भाँति की बनावट में, अर्थात् सोने, चाँदी, और पीतल में,
um Pläne zu ersinnen und sie in Gold, Silber und Kupfer auszuführen,
5 ५ और जड़ने के लिये मणि काटने में, और लकड़ी पर नक्काशी का काम करे।
im Schnitt von Steinen zu Füllungen und im Schnitt von Hölzern, in vielgestaltiger Ausführung.
6 ६ और सुन, मैं दान के गोत्रवाले अहीसामाक के पुत्र ओहोलीआब को उसके संग कर देता हूँ; वरन् जितने बुद्धिमान हैं उन सभी के हृदय में मैं बुद्धि देता हूँ, जिससे जितनी वस्तुओं की आज्ञा मैंने तुझे दी है उन सभी को वे बनाएँ;
Oholiab, den Sohn Achisamaks, vom Danstamme gebe ich ihm bei und verleihe Weisheit allen anderen Künstlern, daß sie alles machen, was ich dir befehle.
7 ७ अर्थात् मिलापवाले तम्बू, और साक्षीपत्र का सन्दूक, और उस पर का प्रायश्चितवाला ढकना, और तम्बू का सारा सामान,
Das Festgezelt und die Lade des Zeugnisses, die Deckplatte darüber und die anderen Geräte im Zelt,
8 ८ और सामान सहित मेज, और सारे सामान समेत शुद्ध सोने की दीवट, और धूपवेदी,
den Tisch und seine Geräte, den reinen Leuchter mit all seinen Geräten, den Rauchaltar,
9 ९ और सारे सामान सहित होमवेदी, और पाए समेत हौदी,
den Altar für Brandopfer und alle seine Geräte, das Becken mit seinem Gestell,
10 १० और काढ़े हुए वस्त्र, और हारून याजक के याजकवाले काम के पवित्र वस्त्र, और उसके पुत्रों के वस्त्र,
die feineren Schutzdecken und die Gewänder für das Heiligtum, für Aaron, den Priester, und die Gewänder seiner Söhne für den priesterlichen Dienst,
11 ११ और अभिषेक का तेल, और पवित्रस्थान के लिये सुगन्धित धूप, इन सभी को वे उन सब आज्ञाओं के अनुसार बनाएँ जो मैंने तुझे दी हैं।”
das Salböl und das würzige Rauchwerk für das Heiligtum. Ganz wie ich es dir befehle, sollen sie es machen!"
12 १२ फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
Und der Herr sprach zu Moses:
13 १३ “तू इस्राएलियों से यह भी कहना, ‘निश्चय तुम मेरे विश्रामदिनों को मानना, क्योंकि तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में मेरे और तुम लोगों के बीच यह एक चिन्ह ठहरा है, जिससे तुम यह बात जान रखो कि यहोवा हमारा पवित्र करनेवाला है।
"Sag dies den Söhnen Israels: 'Beobachtet doch meine Ruhetage! Ein Zeichen zwischen mir und euch ist ein solcher in euren Geschlechtern, auf daß man wisse, daß ich, der Herr, euch heilige.
14 १४ इस कारण तुम विश्रामदिन को मानना, क्योंकि वह तुम्हारे लिये पवित्र ठहरा है; जो उसको अपवित्र करे वह निश्चय मार डाला जाए; जो कोई उस दिन में कुछ काम-काज करे वह प्राणी अपने लोगों के बीच से नाश किया जाए।
Haltet auch den Sabbat! Er sei euch ein heilig Ding! Wer ihn entweiht, sterbe des Todes! Wer an ihm Arbeit tut, solch Wesen werde getilgt aus seinem Volke!
15 १५ छः दिन तो काम-काज किया जाए, पर सातवाँ दिन पवित्र विश्राम का दिन और यहोवा के लिये पवित्र है; इसलिए जो कोई विश्राम के दिन में कुछ काम-काज करे वह निश्चय मार डाला जाए।
Sechs Tage werde Arbeit getan! Am siebten Tage aber ist der rechte Ruhetag, ein heilig Ding dem Herrn! Wer am Sabbat Arbeit tut, sei des Todes!'
16 १६ इसलिए इस्राएली विश्रामदिन को माना करें, वरन् पीढ़ी-पीढ़ी में उसको सदा की वाचा का विषय जानकर माना करें।
So sollen die Söhne Israels den Sabbat halten! Zum ewigen Bunde sollen sie den Sabbat in ihren Geschlechtern machen!
17 १७ वह मेरे और इस्राएलियों के बीच सदा एक चिन्ह रहेगा, क्योंकि छः दिन में यहोवा ने आकाश और पृथ्वी को बनाया, और सातवें दिन विश्राम करके अपना जी ठंडा किया।’”
Er sei ein Zeichen zwischen mir und den Söhnen Israels für immer! Denn in sechs Tagen hat der Herr den Himmel und die Erde gemacht. Am siebten Tage aber hat er aufatmend geruht."
18 १८ जब परमेश्वर मूसा से सीनै पर्वत पर ऐसी बातें कर चुका, तब परमेश्वर ने उसको अपनी उँगली से लिखी हुई साक्षी देनेवाली पत्थर की दोनों तख्तियाँ दीं।
Und er übergab Moses, nachdem er mit ihm auf dem Berg Sinai zu Ende geredet, die beiden Tafeln des Zeugnisses, steinerne Tafeln, vom Finger Gottes beschrieben.