< निर्गमन 23 >
1 १ “झूठी बात न फैलाना। अन्यायी साक्षी होकर दुष्ट का साथ न देना।
Du sollst kein Luggerücht annehmen! Reiche nicht die Hand dem Schuldigen, daß du unrecht Zeugnis gäbest!
2 २ बुराई करने के लिये न तो बहुतों के पीछे हो लेना; और न उनके पीछे फिरकर मुकद्दमे में न्याय बिगाड़ने को साक्षी देना;
Du sollst nicht einer Mehrheit zum Schlechten folgen! Du sollst nicht über einen Streitfall so abstimmen, daß du dich der Mehrheit beugest und das Recht biegest!
3 ३ और कंगाल के मुकद्दमे में उसका भी पक्ष न करना।
Den Reichen sollst du nicht in seinem Rechtsstreit beschönigen.
4 ४ “यदि तेरे शत्रु का बैल या गदहा भटकता हुआ तुझे मिले, तो उसे उसके पास अवश्य फेर ले आना।
Triffst du deines Feindes Rind oder Esel verlaufen an, dann sollst du sie ihm zuführen!
5 ५ फिर यदि तू अपने बैरी के गदहे को बोझ के मारे दबा हुआ देखे, तो चाहे उसको उसके स्वामी के लिये छुड़ाने के लिये तेरा मन न चाहे, तो भी अवश्य स्वामी का साथ देकर उसे छुड़ा लेना।
Und siehst du deines Widersachers Esel unter seiner Last erliegen und bist du fertig mit seinem Absatteln, dann sollst du mit ihm noch rasten!
6 ६ “तेरे लोगों में से जो दरिद्र हों उसके मुकद्दमे में न्याय न बिगाड़ना।
Du sollst nicht deines Armen Recht in seinem Rechtsstreit beugen!
7 ७ झूठे मुकद्दमे से दूर रहना, और निर्दोष और धर्मी को घात न करना, क्योंकि मैं दुष्ट को निर्दोष न ठहराऊँगा।
Fern sollst du dich von lügenhafter Aussage halten! Wer ohne Schuld und im Recht ist, den bringe nicht ums Leben! Ich lasse den Schuldigen nicht ungestraft.
8 ८ घूस न लेना, क्योंकि घूस देखनेवालों को भी अंधा कर देता, और धर्मियों की बातें पलट देता है।
Du sollst kein Geschenk annehmen! Denn das Geschenk blendet Sehende und verdreht der Gerechten Sache.
9 ९ “परदेशी पर अंधेर न करना; तुम तो परदेशी के मन की बातें जानते हो, क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे।
Du sollst keinen Fremdling bedrücken! Ihr wißt ja selbst, wie es Fremdlingen zumute ist; ihr seid ja selbst Fremdlinge im Ägypterland gewesen!
10 १० “छः वर्ष तो अपनी भूमि में बोना और उसकी उपज इकट्ठी करना;
Sechs Jahre sollst du dein Land besäen und seine Ernte heimsen!
11 ११ परन्तु सातवें वर्ष में उसको पड़ती रहने देना और वैसा ही छोड़ देना, तो तेरे भाई-बन्धुओं में के दरिद्र लोग उससे खाने पाएँ, और जो कुछ उनसे भी बचे वह जंगली पशुओं के खाने के काम में आए। और अपनी दाख और जैतून की बारियों को भी ऐसे ही करना।
Im siebten aber laß es brach liegen und gib es dann frei, daß deines Volkes Arme essen können! Und was sie übriglassen, soll das Tier des Feldes aufzehren! So sollst du auch mit deinem Weinberge und deinem Ölgarten tun!
12 १२ छः दिन तक तो अपना काम-काज करना, और सातवें दिन विश्राम करना; कि तेरे बैल और गदहे सुस्ताएँ, और तेरी दासियों के बेटे और परदेशी भी अपना जी ठंडा कर सके।
Sechs Tage sollst du deine Werke wirken! Am siebten aber sollst du feiern, damit dein Rind und dein Esel ruhe und aufatme das Kind deiner Magd und der Fremdling!
13 १३ और जो कुछ मैंने तुम से कहा है उसमें सावधान रहना; और दूसरे देवताओं के नाम की चर्चा न करना, वरन् वे तुम्हारे मुँह से सुनाई भी न दें।
In allem, was ich euch befehle, sollt ihr euch in acht nehmen! Der falschen Götter Namen sollt ihr nicht anrufen! Er soll aus deinem Munde nicht gehört werden!
14 १४ “प्रतिवर्ष तीन बार मेरे लिये पर्व मानना।
Dreimal im Jahr sollst du mir Feste feiern!
15 १५ अख़मीरी रोटी का पर्व मानना; उसमें मेरी आज्ञा के अनुसार अबीब महीने के नियत समय पर सात दिन तक अख़मीरी रोटी खाया करना, क्योंकि उसी महीने में तुम मिस्र से निकल आए। और मुझ को कोई खाली हाथ अपना मुँह न दिखाए।
Das Fest der ungesäuerten Brote sollst du halten! Sieben Tage sollst du nur ungesäuertes Brot essen, wie ich dir geboten, zur Zeit des Neumonds im Abib. An ihm bist du aus Ägypten fortgezogen. Mein Antlitz aber soll man nicht gabenleer schauen!
16 १६ और जब तेरी बोई हुई खेती की पहली उपज तैयार हो, तब कटनी का पर्व मानना। और वर्ष के अन्त में जब तू परिश्रम के फल बटोरकर ढेर लगाए, तब बटोरन का पर्व मानना।
Und das Fest der Ernte, der Erstlinge deines Ertrages, dessen, womit den Acker du besätest, und am Jahresschluß das Fest der Lese, wenn du vom Felde deinen Ertrag erntest.
17 १७ प्रतिवर्ष तीनों बार तेरे सब पुरुष प्रभु यहोवा को अपना मुँह दिखाएँ।
Dreimal im Jahre lasse sich alles Männliche bei dir vor dem Herrn, dem Herrn, sehen!
18 १८ “मेरे बलिपशु का लहू ख़मीरी रोटी के संग न चढ़ाना, और न मेरे पर्व के उत्तम बलिदान में से कुछ सवेरे तक रहने देना।
Du sollst nicht meines Opfers Blut mit Gesäuertem zusammen opfern! Nicht soll von meinen Festopfern das Fett bis zum Morgen noch da sein!
19 १९ अपनी भूमि की पहली उपज का पहला भाग अपने परमेश्वर यहोवा के भवन में ले आना। बकरी का बच्चा उसकी माता के दूध में न पकाना।
Von deines Ackers Erstlingen den ersten Abhub sollst du zum Hause des Herrn, deines Gottes, bringen! Du sollst kein Böckchen im Fett seiner Mutter braten!
20 २० “सुन, मैं एक दूत तेरे आगे-आगे भेजता हूँ जो मार्ग में तेरी रक्षा करेगा, और जिस स्थान को मैंने तैयार किया है उसमें तुझे पहुँचाएगा।
Nun sende ich einen Engel vor dir her, dich auf dem Wege zu hüten und dich zur Stätte zu bringen, die ich bestimmt habe.
21 २१ उसके सामने सावधान रहना, और उसकी मानना, उसका विरोध न करना, क्योंकि वह तुम्हारा अपराध क्षमा न करेगा; इसलिए कि उसमें मेरा नाम रहता है।
Nimm dich vor ihm in acht und hör auf seine Stimme! Sei gegen ihn nicht widerspenstig! Er kann euren Frevel nicht ertragen, weil mein Name in ihm ist.
22 २२ और यदि तू सचमुच उसकी माने और जो कुछ मैं कहूँ वह करे, तो मैं तेरे शत्रुओं का शत्रु और तेरे द्रोहियों का द्रोही बनूँगा।
Hörst du aber gehorsam auf seine Stimme und tust du alles, was ich sage, dann befeinde ich deine Feinde und dränge deine Dränger.
23 २३ इस रीति मेरा दूत तेरे आगे-आगे चलकर तुझे एमोरी, हित्ती, परिज्जी, कनानी, हिब्बी, और यबूसी लोगों के यहाँ पहुँचाएगा, और मैं उनको सत्यानाश कर डालूँगा।
Geht mein Engel vor dir her und bringt er dich dann zu den Amoritern und Chittitern, Perizitern, Kanaanitern, Chiwitern und den Jebusitem, die ich ausrotte,
24 २४ उनके देवताओं को दण्डवत् न करना, और न उनकी उपासना करना, और न उनके से काम करना, वरन् उन मूरतों को पूरी रीति से सत्यानाश कर डालना, और उन लोगों की लाटों के टुकड़े-टुकड़े कर देना।
dann sollst du nicht ihre Götter anbeten und ihnen nicht dienen! Auch sollst du keine Abbilder von ihnen machen! Du sollst sie vielmehr niederreißen und zerschmettern ihre Denksteine!
25 २५ तुम अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करना, तब वह तेरे अन्न जल पर आशीष देगा, और तेरे बीच में से रोग दूर करेगा।
Dient ihr aber dem Herrn, eurem Gott, dann segnet er dein Brot und dein Wasser, und Krankheit halte ich dir ferne.
26 २६ तेरे देश में न तो किसी का गर्भ गिरेगा और न कोई बाँझ होगी; और तेरी आयु मैं पूरी करूँगा।
Keine Fehlgebärende und Unfruchtbare wird in deinem Lande sein. Deiner Tage Zahl erfülle ich.
27 २७ जितने लोगों के बीच तू जाएगा उन सभी के मन में मैं अपना भय पहले से ऐसा समवा दूँगा कि उनको व्याकुल कर दूँगा, और मैं तुझे सब शत्रुओं की पीठ दिखाऊँगा।
Und mein Grauen sende ich vor dir her, und dann erschrecke ich alle Völker, zu denen du gelangst, und mache, daß vor dir alle deine Feinde fliehen.
28 २८ और मैं तुझ से पहले बर्रों को भेजूँगा जो हिब्बी, कनानी, और हित्ती लोगों को तेरे सामने से भगाकर दूर कर देंगी।
Vor dir her sende ich Hornissen, und sie vertreiben vor dir Chiwiter, Kanaaniter und Chittiter.
29 २९ मैं उनको तेरे आगे से एक ही वर्ष में तो न निकाल दूँगा, ऐसा न हो कि देश उजाड़ हो जाए, और जंगली पशु बढ़कर तुझे दुःख देने लगें।
Aber nicht in einem Jahre will ich sie vor dir vertreiben, sonst würde das Land zur Wüste, und die wilden Tiere nähmen zu deinem Schaden überhand.
30 ३० जब तक तू फूल-फलकर देश को अपने अधिकार में न कर ले तब तक मैं उन्हें तेरे आगे से थोड़ा-थोड़ा करके निकालता रहूँगा।
Nach und nach vertreibe ich sie vor dir, bis du zahlreich wirst und dann das Land besetzen kannst.
31 ३१ मैं लाल समुद्र से लेकर पलिश्तियों के समुद्र तक और जंगल से लेकर फरात तक के देश को तेरे वश में कर दूँगा; मैं उस देश के निवासियों को भी तेरे वश में कर दूँगा, और तू उन्हें अपने सामने से बरबस निकालेगा।
Und ich stecke dir die Gebiete vom Schilfmeer bis zum Philistermeer und von der Wüste bis zum Strome ab. Denn ich gebe in eure Hand des Landes Einwohner, daß du sie vor dir vertreibest.
32 ३२ तू न तो उनसे वाचा बाँधना और न उनके देवताओं से।
Du darfst keinen Bund mit ihnen und ihren Göttern schließen.
33 ३३ वे तेरे देश में रहने न पाएँ, ऐसा न हो कि वे तुझ से मेरे विरुद्ध पाप कराएँ; क्योंकि यदि तू उनके देवताओं की उपासना करे, तो यह तेरे लिये फंदा बनेगा।”
Sie dürfen nicht in deinem Lande bleiben, daß sie dich nicht zur Sünde gegen mich verleiten. Denn dientest du ihren Göttern, so würde dir dies zum Falle.