< निर्गमन 22 >
1 १ “यदि कोई मनुष्य बैल, या भेड़, या बकरी चुराकर उसका घात करे या बेच डाले, तो वह बैल के बदले पाँच बैल, और भेड़-बकरी के बदले चार भेड़-बकरी भर दे।
Wenn jemand einen Ochsen oder Schaf stiehlt und schlachtet es oder verkauft es, der soll fünf Ochsen für einen Ochsen wiedergeben und vier Schafe für ein Schaf.
2 २ यदि चोर सेंध लगाते हुए पकड़ा जाए, और उस पर ऐसी मार पड़े कि वह मर जाए, तो उसके खून का दोष न लगे;
Wenn ein Dieb ergriffen wird, daß er einbricht, und wird drob geschlagen, daß er stirbt, so soll man kein Blutgericht über jenen lassen gehen.
3 ३ यदि सूर्य निकल चुके, तो उसके खून का दोष लगे; अवश्य है कि वह हानि को भर दे, और यदि उसके पास कुछ न हो, तो वह चोरी के कारण बेच दिया जाए।
Ist aber die Sonne über ihm aufgegangen, so soll man das Blutgericht gehen lassen. Es soll aber ein Dieb wiedererstatten. Hat er nichts, so verkaufe man ihn um seinen Diebstahl.
4 ४ यदि चुराया हुआ बैल, या गदहा, या भेड़ या बकरी उसके हाथ में जीवित पाई जाए, तो वह उसका दूना भर दे।
Findet man aber bei ihm den Diebstahl lebendig, es sei Ochse, Esel oder Schaf, so soll er's zwiefältig wiedergeben.
5 ५ “यदि कोई अपने पशु से किसी का खेत या दाख की बारी चराए, अर्थात् अपने पशु को ऐसा छोड़ दे कि वह पराए खेत को चर ले, तो वह अपने खेत की और अपनी दाख की बारी की उत्तम से उत्तम उपज में से उस हानि को भर दे।
Wenn jemand einen Acker oder Weinberg beschädiget, daß er sein Vieh lässet Schaden tun in eines andern Acker, der soll von dem Besten auf seinem Acker und Weinberge wiedererstatten.
6 ६ “यदि कोई आग जलाए, और वह काँटों में लग जाए और फूलों के ढेर या अनाज या खड़ा खेत जल जाए, तो जिसने आग जलाई हो वह हानि को निश्चय भर दे।
Wenn ein Feuer auskommt und ergreift die Dornen und verbrennet die Garben oder Getreide, das noch stehet, oder den Acker, so soll der wiedererstatten, der das Feuer angezündet hat.
7 ७ “यदि कोई दूसरे को रुपये या सामग्री की धरोहर धरे, और वह उसके घर से चुराई जाए, तो यदि चोर पकड़ा जाए, तो दूना उसी को भर देना पड़ेगा।
Wenn jemand seinem Nächsten Geld oder Geräte zu behalten tut, und wird demselbigen aus seinem Hause gestohlen: findet man den Dieb, so soll er's zwiefältig wiedergeben.
8 ८ और यदि चोर न पकड़ा जाए, तो घर का स्वामी परमेश्वर के पास लाया जाए कि निश्चय हो जाए कि उसने अपने भाई-बन्धु की सम्पत्ति पर हाथ लगाया है या नहीं।
Findet man aber den Dieb nicht, so soll man den Hauswirt vor die Götter bringen, ob er nicht seine Hand habe an seines Nächsten Habe gelegt.
9 ९ चाहे बैल, चाहे गदहे, चाहे भेड़ या बकरी, चाहे वस्त्र, चाहे किसी प्रकार की ऐसी खोई हुई वस्तु के विषय अपराध क्यों न लगाया जाए, जिसे दो जन अपनी-अपनी कहते हों, तो दोनों का मुकद्दमा परमेश्वर के पास आए; और जिसको परमेश्वर दोषी ठहराए वह दूसरे को दूना भर दे।
Wo einer den andern schuldiget um einigerlei Unrecht, es sei um Ochsen oder Esel oder Schaf oder Kleider oder allerlei, das verloren ist, so sollen beider Sachen vor die Götter kommen. Welchen die Götter verdammen, der soll's zwiefältig seinem Nächsten wiedergeben.
10 १० “यदि कोई दूसरे को गदहा या बैल या भेड़-बकरी या कोई और पशु रखने के लिये सौंपे, और किसी के बिना देखे वह मर जाए, या चोट खाए, या हाँक दिया जाए,
Wenn jemand seinem Nächsten einen Esel oder Ochsen oder Schaf oder irgend ein Vieh zu behalten tut, und stirbt ihm, oder wird beschädiget, oder wird ihm weggetrieben, daß es niemand siehet,
11 ११ तो उन दोनों के बीच यहोवा की शपथ खिलाई जाए, ‘मैंने इसकी सम्पत्ति पर हाथ नहीं लगाया;’ तब सम्पत्ति का स्वामी इसको सच माने, और दूसरे को उसे कुछ भी भर देना न होगा।
so soll man's unter ihnen auf einen Eid bei dem HERRN kommen lassen, ob er nicht habe seine Hand an seines Nächsten Habe gelegt; und des Guts HERR soll's annehmen, daß jener nicht bezahlen müsse.
12 १२ यदि वह सचमुच उसके यहाँ से चुराया गया हो, तो वह उसके स्वामी को उसे भर दे।
Stiehlt es ihm aber ein Dieb, so soll er's seinem HERRN bezahlen.
13 १३ और यदि वह फाड़ डाला गया हो, तो वह फाड़े हुए को प्रमाण के लिये ले आए, तब उसे उसको भी भर देना न पड़ेगा।
Wird es aber zerrissen, so soll er Zeugnis davon bringen und nicht bezahlen.
14 १४ “फिर यदि कोई दूसरे से पशु माँग लाए, और उसके स्वामी के संग न रहते उसको चोट लगे या वह मर जाए, तो वह निश्चय उसकी हानि भर दे।
Wenn es jemand von seinem Nächsten entlehnet, und wird beschädiget oder stirbt, daß sein HERR nicht dabei ist, so soll er's bezahlen.
15 १५ यदि उसका स्वामी संग हो, तो दूसरे को उसकी हानि भरना न पड़े; और यदि वह भाड़े का हो तो उसकी हानि उसके भाड़े में आ गई।
Ist aber sein HERR dabei, so soll er's nicht bezahlen, so er's um sein Geld gedinget hat.
16 १६ “यदि कोई पुरुष किसी कन्या को जिसके ब्याह की बात न लगी हो फुसलाकर उसके संग कुकर्म करे, तो वह निश्चय उसका मोल देकर उसे ब्याह ले।
Wenn jemand eine Jungfrau beredet, die noch nicht vertrauet ist, und beschläft sie, der soll ihr geben ihre Morgengabe und sie zum Weibe haben.
17 १७ परन्तु यदि उसका पिता उसे देने को बिल्कुल इन्कार करे, तो कुकर्म करनेवाला कन्याओं के मोल की रीति के अनुसार रुपये तौल दे।
Weigert sich aber ihr Vater, sie ihm zu geben, so soll er Geld darwägen, wieviel einer Jungfrau zur Morgengabe gebührt.
18 १८ “तू जादू-टोना करनेवाली को जीवित रहने न देना।
Die Zauberinnen sollst du nicht leben lassen.
19 १९ “जो कोई पशुगमन करे वह निश्चय मार डाला जाए।
Wer ein Vieh beschläft, der soll des Todes sterben.
20 २० “जो कोई यहोवा को छोड़ किसी और देवता के लिये बलि करे वह सत्यानाश किया जाए।
Wer den Göttern opfert, ohne dem HERRN allein, der sei verbannet,
21 २१ “तुम परदेशी को न सताना और न उस पर अंधेर करना क्योंकि मिस्र देश में तुम भी परदेशी थे।
Die Fremdlinge sollst du nicht schinden noch unterdrücken; denn ihr seid auch Fremdlinge in Ägyptenland gewesen.
22 २२ किसी विधवा या अनाथ बालक को दुःख न देना।
Ihr sollt keine Witwen und Waisen beleidigen.
23 २३ यदि तुम ऐसों को किसी प्रकार का दुःख दो, और वे कुछ भी मेरी दुहाई दें, तो मैं निश्चय उनकी दुहाई सुनूँगा;
Wirst du sie beleidigen, so werden sie zu mir schreien, und ich werde ihr Schreien erhören;
24 २४ तब मेरा क्रोध भड़केगा, और मैं तुम को तलवार से मरवाऊँगा, और तुम्हारी पत्नियाँ विधवा और तुम्हारे बालक अनाथ हो जाएँगे।
so wird mein Zorn ergrimmen, daß ich euch mit dem Schwert töte und eure Weiber Witwen und eure Kinder Waisen werden.
25 २५ “यदि तू मेरी प्रजा में से किसी दीन को जो तेरे पास रहता हो रुपये का ऋण दे, तो उससे महाजन के समान ब्याज न लेना।
Wenn du Geld leihest meinem Volk, das arm ist bei dir, sollst du ihn nicht zu Schaden dringen und keinen Wucher auf ihn treiben.
26 २६ यदि तू कभी अपने भाई-बन्धु के वस्त्र को बन्धक करके रख भी ले, तो सूर्य के अस्त होने तक उसको लौटा देना;
Wenn du von deinem Nächsten ein Kleid zum Pfande nimmst, sollst du es ihm wiedergeben, ehe die Sonne untergehet.
27 २७ क्योंकि वह उसका एक ही ओढ़ना है, उसकी देह का वही अकेला वस्त्र होगा; फिर वह किसे ओढ़कर सोएगा? और जब वह मेरी दुहाई देगा तब मैं उसकी सुनूँगा, क्योंकि मैं तो करुणामय हूँ।
Denn sein Kleid ist seine einige Decke seiner Haut, darin er schläft. Wird er aber zu mir schreien, so werde ich, ihn erhören; denn ich bin gnädig.
28 २८ “परमेश्वर को श्राप न देना, और न अपने लोगों के प्रधान को श्राप देना।
Den Göttern sollst du nicht fluchen und den Obersten in deinem Volk sollst du nicht lästern.
29 २९ “अपने खेतों की उपज और फलों के रस में से कुछ मुझे देने में विलम्ब न करना। अपने बेटों में से पहलौठे को मुझे देना।
Deine Fülle und Tränen sollst du nicht verziehen. Deinen ersten Sohn sollst du mir geben.
30 ३० वैसे ही अपनी गायों और भेड़-बकरियों के पहलौठे भी देना; सात दिन तक तो बच्चा अपनी माता के संग रहे, और आठवें दिन तू उसे मुझे दे देना।
So sollst du auch tun mit deinem Ochsen und Schaf. Sieben Tage laß es bei seiner Mutter sein, am achten Tage sollst du mir's geben.
31 ३१ “तुम मेरे लिये पवित्र मनुष्य बनना; इस कारण जो पशु मैदान में फाड़ा हुआ पड़ा मिले उसका माँस न खाना, उसको कुत्तों के आगे फेंक देना।
Ihr sollt heilige Leute vor mir sein: darum sollt ihr kein Fleisch essen, das auf dem Felde von Tieren zerrissen ist, sondern vor die Hunde werfen.