< निर्गमन 19 >
1 १ इस्राएलियों को मिस्र देश से निकले हुए जिस दिन तीन महीने बीत चुके, उसी दिन वे सीनै के जंगल में आए।
Im dritten Monat nach dem Auszuge der Kinder Israel aus dem Lande Ägypten, an diesem selbigen Tage kamen sie in die Wüste Sinai:
2 २ और जब वे रपीदीम से कूच करके सीनै के जंगल में आए, तब उन्होंने जंगल में डेरे खड़े किए; और वहीं पर्वत के आगे इस्राएलियों ने छावनी डाली।
Sie brachen auf von Rephidim und kamen in die Wüste Sinai und lagerten sich in der Wüste; und Israel lagerte sich daselbst dem Berge gegenüber.
3 ३ तब मूसा पर्वत पर परमेश्वर के पास चढ़ गया, और यहोवा ने पर्वत पर से उसको पुकारकर कहा, “याकूब के घराने से ऐसा कह, और इस्राएलियों को मेरा यह वचन सुना,
Und Mose stieg hinauf zu Gott; und Jehova rief ihm vom Berge zu und sprach: So sollst du zum Hause Jakob sprechen und den Kindern Israel kundtun:
4 ४ ‘तुम ने देखा है कि मैंने मिस्रियों से क्या-क्या किया; तुम को मानो उकाब पक्षी के पंखों पर चढ़ाकर अपने पास ले आया हूँ।
Ihr habt gesehen, was ich an den Ägyptern getan habe, wie ich euch getragen auf Adlers Flügeln und euch zu mir gebracht habe.
5 ५ इसलिए अब यदि तुम निश्चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा का पालन करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे; समस्त पृथ्वी तो मेरी है।
Und nun, wenn ihr fleißig auf meine Stimme hören und meinen Bund halten werdet, so sollt ihr mein Eigentum sein aus [O. vor] allen Völkern; denn die ganze Erde ist mein;
6 ६ और तुम मेरी दृष्टि में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे।’ जो बातें तुझे इस्राएलियों से कहनी हैं वे ये ही हैं।”
und ihr sollt mir ein Königreich von Priestern und eine heilige Nation sein. Das sind die Worte, die du zu den Kindern Israel reden sollst.
7 ७ तब मूसा ने आकर लोगों के पुरनियों को बुलवाया, और ये सब बातें, जिनके कहने की आज्ञा यहोवा ने उसे दी थी, उनको समझा दीं।
Und Mose kam und rief die Ältesten des Volkes und legte ihnen alle diese Worte vor, die Jehova ihm geboten hatte.
8 ८ और सब लोग मिलकर बोल उठे, “जो कुछ यहोवा ने कहा है वह सब हम नित करेंगे।” लोगों की यह बातें मूसा ने यहोवा को सुनाईं।
Da antwortete das ganze Volk insgesamt und sprach: Alles, was Jehova geredet hat, wollen wir tun! Und Mose brachte die Worte des Volkes zu Jehova zurück.
9 ९ तब यहोवा ने मूसा से कहा, “सुन, मैं बादल के अंधियारे में होकर तेरे पास आता हूँ, इसलिए कि जब मैं तुझ से बातें करूँ तब वे लोग सुनें, और सदा तेरा विश्वास करें।” और मूसा ने यहोवा से लोगों की बातों का वर्णन किया।
Und Jehova sprach zu Mose: Siehe, ich werde zu dir kommen im Dunkel des Gewölks, damit das Volk höre, wenn ich mit dir rede, und dir auch glaube ewiglich. Und Mose tat Jehova die Worte des Volkes kund.
10 १० तब यहोवा ने मूसा से कहा, “लोगों के पास जा और उन्हें आज और कल पवित्र करना, और वे अपने वस्त्र धो लें,
Und Jehova sprach zu Mose: Gehe zum Volke und heilige sie heute und morgen, und daß sie ihre Kleider waschen;
11 ११ और वे तीसरे दिन तक तैयार हो जाएँ; क्योंकि तीसरे दिन यहोवा सब लोगों के देखते सीनै पर्वत पर उतर आएगा।
und sie seien bereit auf den dritten Tag; denn am dritten Tage wird Jehova vor den Augen des ganzen Volkes auf den Berg Sinai herabsteigen.
12 १२ और तू लोगों के लिये चारों ओर बाड़ा बाँध देना, और उनसे कहना, ‘तुम सचेत रहो कि पर्वत पर न चढ़ो और उसकी सीमा को भी न छूओ; और जो कोई पहाड़ को छूए वह निश्चय मार डाला जाए।
Und mache eine Grenze um das Volk ringsum und sprich: Hütet euch, auf den Berg zu steigen und sein Äußerstes anzurühren; alles, was den Berg anrührt, soll gewißlich getötet werden
13 १३ उसको कोई हाथ से न छूए, जो छूए उस पर पथराव किया जाए, या उसे तीर से छेदा जाए; चाहे पशु हो चाहे मनुष्य, वह जीवित न बचे।’ जब महाशब्द वाले नरसिंगे का शब्द देर तक सुनाई दे, तब लोग पर्वत के पास आएँ।”
-keine Hand soll ihn anrühren-denn es soll gewißlich gesteinigt oder erschossen [d. h. mit einem Pfeile oder Wurfgeschoß] werden; ob Vieh oder Mensch, es darf nicht leben. Wenn das Lärmhorn [And.: Widderhorn] anhaltend ertönt, sollen sie gegen den Berg hinansteigen.
14 १४ तब मूसा ने पर्वत पर से उतरकर लोगों के पास आकर उनको पवित्र कराया; और उन्होंने अपने वस्त्र धो लिए।
Und Mose stieg vom Berge zu dem Volke hinab; und er heiligte das Volk, und sie wuschen ihre Kleider.
15 १५ और उसने लोगों से कहा, “तीसरे दिन तक तैयार हो जाओ; स्त्री के पास न जाना।”
Und er sprach zu dem Volke: Seid bereit auf den dritten Tag; nahet nicht zum Weibe.
16 १६ जब तीसरा दिन आया तब भोर होते बादल गरजने और बिजली चमकने लगी, और पर्वत पर काली घटा छा गई, फिर नरसिंगे का शब्द बड़ा भारी हुआ, और छावनी में जितने लोग थे सब काँप उठे।
Und es geschah am dritten Tage, als es Morgen war, da waren Donner und Blitze und eine schwere Wolke auf dem Berge und ein sehr starker Posaunenschall; und das ganze Volk zitterte, das im Lager war.
17 १७ तब मूसा लोगों को परमेश्वर से भेंट करने के लिये छावनी से निकाल ले गया; और वे पर्वत के नीचे खड़े हुए।
Und Mose führte das Volk aus dem Lager hinaus, Gott entgegen; und sie stellten sich auf am Fuße des Berges.
18 १८ और यहोवा जो आग में होकर सीनै पर्वत पर उतरा था, इस कारण समस्त पर्वत धुएँ से भर गया; और उसका धुआँ भट्ठे का सा उठ रहा था, और समस्त पर्वत बहुत काँप रहा था।
Und der ganze Berg Sinai rauchte, darum, daß Jehova auf ihn herabstieg im Feuer; und sein Rauch stieg auf, wie der Rauch eines Schmelzofens, und der ganze Berg bebte sehr.
19 १९ फिर जब नरसिंगे का शब्द बढ़ता और बहुत भारी होता गया, तब मूसा बोला, और परमेश्वर ने वाणी सुनाकर उसको उत्तर दिया।
Und der Posaunenschall wurde fort und fort stärker; Mose redete, und Gott antwortete ihm mit einer Stimme. [And.: im Donner; vergl. die Anm. zu Kap. 9,23]
20 २० और यहोवा सीनै पर्वत की चोटी पर उतरा; और मूसा को पर्वत की चोटी पर बुलाया और मूसा ऊपर चढ़ गया।
Und Jehova stieg auf den Berg Sinai herab, auf den Gipfel des Berges; und Jehova rief Mose auf den Gipfel des Berges, und Mose stieg hinauf.
21 २१ तब यहोवा ने मूसा से कहा, “नीचे उतरकर लोगों को चेतावनी दे, कहीं ऐसा न हो कि वे बाड़ा तोड़कर यहोवा के पास देखने को घुसें, और उनमें से बहुत नाश हो जाएँ।
Und Jehova sprach zu Mose: Steige hinab, warne das Volk, daß sie nicht zu Jehova durchbrechen, um zu schauen, und viele von ihnen fallen.
22 २२ और याजक जो यहोवा के समीप आया करते हैं वे भी अपने को पवित्र करें, कहीं ऐसा न हो कि यहोवा उन पर टूट पड़े।”
Und auch die Priester, die zu Jehova nahen, sollen sich heiligen, daß Jehova nicht in sie einbreche.
23 २३ मूसा ने यहोवा से कहा, “वे लोग सीनै पर्वत पर नहीं चढ़ सकते; तूने तो आप हमको यह कहकर चिताया कि पर्वत के चारों और बाड़ा बाँधकर उसे पवित्र रखो।”
Und Mose sprach zu Jehova: Das Volk wird den Berg Sinai nicht ersteigen können; denn du hast uns ja gewarnt und gesagt: Mache eine Grenze um den Berg und heilige ihn.
24 २४ यहोवा ने उससे कहा, “उतर तो जा, और हारून समेत तू ऊपर आ; परन्तु याजक और साधारण लोग कहीं यहोवा के पास बाड़ा तोड़कर न चढ़ आएँ, कहीं ऐसा न हो कि वह उन पर टूट पड़े।”
Und Jehova sprach zu ihm: Gehe, steige hinab, und du sollst heraufkommen, du und Aaron mit dir; aber die Priester und das Volk sollen nicht durchbrechen, um zu Jehova hinaufzusteigen, daß er nicht in sie einbreche.
25 २५ अतः ये बातें मूसा ने लोगों के पास उतरकर उनको सुनाईं।
Da stieg Mose zu dem Volke hinab und sagte es ihnen.