< निर्गमन 18 >

1 जब मूसा के ससुर मिद्यान के याजक यित्रो ने यह सुना, कि परमेश्वर ने मूसा और अपनी प्रजा इस्राएल के लिये क्या-क्या किया है, अर्थात् यह कि किस रीति से यहोवा इस्राएलियों को मिस्र से निकाल ले आया।
Or Jéthro, Sacrificateur de Madian, beau-père de Moïse, ayant appris toutes les choses que l'Eternel avait faites à Moïse, et à Israël son peuple, [savoir], comment l'Eternel avait retiré Israël de l'Egypte,
2 तब मूसा के ससुर यित्रो मूसा की पत्नी सिप्पोरा को, जो पहले अपने पिता के घर भेज दी गई थी,
Prit Séphora, la femme de Moïse, après que [Moïse] l'eut renvoyée;
3 और उसके दोनों बेटों को भी ले आया; इनमें से एक का नाम मूसा ने यह कहकर गेर्शोम रखा था, “मैं अन्य देश में परदेशी हुआ हूँ।”
Et les deux fils de cette femme, dont l'un s'appelait Guersom, parce, avait dit, que j'ai été voyageur dans un pays étranger;
4 और दूसरे का नाम उसने यह कहकर एलीएजेर रखा, “मेरे पिता के परमेश्वर ने मेरा सहायक होकर मुझे फ़िरौन की तलवार से बचाया।”
Et l'autre Elihézer; car, [avait-il dit], le Dieu de mon père m'a [été] en aide, et m'a délivré de l'épée de Pharaon.
5 मूसा की पत्नी और पुत्रों को उसका ससुर यित्रो संग लिए मूसा के पास जंगल के उस स्थान में आया, जहाँ परमेश्वर के पर्वत के पास उसका डेरा पड़ा था।
Jéthro donc, beau-père de Moïse, vint à Moïse avec ses enfants et sa femme au désert, où il était campé, en la montagne de Dieu.
6 और आकर उसने मूसा के पास यह कहला भेजा, “मैं तेरा ससुर यित्रो हूँ, और दोनों बेटों समेत तेरी पत्नी को तेरे पास ले आया हूँ।”
Et il fit dire à Moïse: Jéthro ton beau-père, vient à toi, et ta femme, et ses deux fils avec elle.
7 तब मूसा अपने ससुर से भेंट करने के लिये निकला, और उसको दण्डवत् करके चूमा; और वे परस्पर कुशलता पूछते हुए डेरे पर आ गए।
Et Moïse sortit au-devant de son beau-père, et s'étant prosterné le baisa; et ils s'enquirent l'un de l'autre touchant leur prospérité; puis ils entrèrent dans la tente.
8 वहाँ मूसा ने अपने ससुर से वर्णन किया कि यहोवा ने इस्राएलियों के निमित्त फ़िरौन और मिस्रियों से क्या-क्या किया, और इस्राएलियों ने मार्ग में क्या-क्या कष्ट उठाया, फिर यहोवा उन्हें कैसे-कैसे छुड़ाता आया है।
Et Moïse récita à son beau-père toutes les choses que l'Eternel avait faites à Pharaon, et aux Egyptiens en faveur d'Israël, et toute la fatigue qu'ils avaient soufferte par le chemin, et [comment] l'Eternel les avait délivrés.
9 तब यित्रो ने उस समस्त भलाई के कारण जो यहोवा ने इस्राएलियों के साथ की थी कि उन्हें मिस्रियों के वश से छुड़ाया था, मगन होकर कहा,
Et Jéthro se réjouit de tout le bien que l'Eternel avait fait à Israël, parce qu'il les avait délivrés de la main des Egyptiens.
10 १० “धन्य है यहोवा, जिसने तुम को फ़िरौन और मिस्रियों के वश से छुड़ाया, जिसने तुम लोगों को मिस्रियों की मुट्ठी में से छुड़ाया है।
Puis Jéthro dit: béni soit l'Eternel, qui vous a délivrés de la main des Egyptiens, et de la main de Pharaon, qui a, [dis-je], délivré le peuple de la main des Egyptiens.
11 ११ अब मैंने जान लिया है कि यहोवा सब देवताओं से बड़ा है; वरन् उस विषय में भी जिसमें उन्होंने इस्राएलियों के साथ अहंकारपूर्ण व्यवहार किया था।”
Je connais maintenant que l'Eternel est grand par-dessus tous les Dieux, car en cela même en quoi ils se sont enorgueillis, il a eu le dessus sur eux.
12 १२ तब मूसा के ससुर यित्रो ने परमेश्वर के लिये होमबलि और मेलबलि चढ़ाए, और हारून इस्राएलियों के सब पुरनियों समेत मूसा के ससुर यित्रो के संग परमेश्वर के आगे भोजन करने को आया।
Jéthro, beau-père de Moïse, prit aussi un holocauste et des sacrifices [pour les offrir] à Dieu; et Aaron et tous les Anciens d'Israël, vinrent pour manger du pain avec le beau-père de Moïse en la présence de Dieu.
13 १३ दूसरे दिन मूसा लोगों का न्याय करने को बैठा, और भोर से साँझ तक लोग मूसा के आस-पास खड़े रहे।
Et il arriva le lendemain, comme Moïse siégeait pour juger le peuple, et que le peuple se tenait devant Moïse, depuis le matin jusqu'au soir,
14 १४ यह देखकर कि मूसा लोगों के लिये क्या-क्या करता है, उसके ससुर ने कहा, “यह क्या काम है जो तू लोगों के लिये करता है? क्या कारण है कि तू अकेला बैठा रहता है, और लोग भोर से साँझ तक तेरे आस-पास खड़े रहते हैं?”
Que le beau-père de Moïse vit tout ce qu'il faisait au peuple, et il lui dit: qu'est-ce que tu fais à l'égard de ce peuple? Pourquoi es-tu assis seul, et tout le peuple se tient devant toi, depuis le matin jusqu'au soir?
15 १५ मूसा ने अपने ससुर से कहा, “इसका कारण यह है कि लोग मेरे पास परमेश्वर से पूछने आते हैं।
Et Moïse répondit à son beau-père: [c'est] que le peuple vient à moi pour s'enquérir de Dieu.
16 १६ जब जब उनका कोई मुकद्दमा होता है तब-तब वे मेरे पास आते हैं और मैं उनके बीच न्याय करता, और परमेश्वर की विधि और व्यवस्था उन्हें समझाता हूँ।”
Quand ils ont quelque affaire ils viennent à moi, et je juge entre l'un et l'autre, et leur fais entendre les ordonnances de Dieu, et ses lois.
17 १७ मूसा के ससुर ने उससे कहा, “जो काम तू करता है वह अच्छा नहीं।
Mais le beau-père de Moïse lui dit: ce que tu fais n'est pas bien.
18 १८ और इससे तू क्या, वरन् ये लोग भी जो तेरे संग हैं निश्चय थक जाएँगे, क्योंकि यह काम तेरे लिये बहुत भारी है; तू इसे अकेला नहीं कर सकता।
Certainement tu succomberas, toi et ce peuple qui est avec toi; car cela est trop pesant pour toi; tu ne saurais faire cela toi seul.
19 १९ इसलिए अब मेरी सुन ले, मैं तुझको सम्मति देता हूँ, और परमेश्वर तेरे संग रहे। तू तो इन लोगों के लिये परमेश्वर के सम्मुख जाया कर, और इनके मुकद्दमों को परमेश्वर के पास तू पहुँचा दिया कर।
Ecoute donc mon conseil. Je te conseillerai, et Dieu sera avec toi; sois pour le peuple envers Dieu, et rapporte les causes à Dieu.
20 २० इन्हें विधि और व्यवस्था प्रगट कर करके, जिस मार्ग पर इन्हें चलना, और जो-जो काम इन्हें करना हो, वह इनको समझा दिया कर।
Et instruis-les des ordonnances et des lois; et fais leur entendre la voie par laquelle ils auront à mArcher, et ce qu'ils auront à faire.
21 २१ फिर तू इन सब लोगों में से ऐसे पुरुषों को छाँट ले, जो गुणी, और परमेश्वर का भय माननेवाले, सच्चे, और अन्याय के लाभ से घृणा करनेवाले हों; और उनको हजार-हजार, सौ-सौ, पचास-पचास, और दस-दस मनुष्यों पर प्रधान नियुक्त कर दे।
Et choisis-toi, d'entre tout le peuple, des hommes vertueux, craignant Dieu; des hommes véritables, haïssant le gain déshonnête, et les établis chefs de milliers, et chefs de centaines, et chefs de cinquantaines, et chefs de dizaines;
22 २२ और वे सब समय इन लोगों का न्याय किया करें; और सब बड़े-बड़े मुकद्दमों को तो तेरे पास ले आया करें, और छोटे-छोटे मुकद्दमों का न्याय आप ही किया करें; तब तेरा बोझ हलका होगा, क्योंकि इस बोझ को वे भी तेरे साथ उठाएँगे।
Et qu'ils jugent le peuple en tout temps, mais qu'ils te rapportent toutes les grandes affaires, et qu'ils jugent toutes les petites causes; ainsi ils te soulageront, et porteront une partie [de la charge] avec toi.
23 २३ यदि तू यह उपाय करे, और परमेश्वर तुझको ऐसी आज्ञा दे, तो तू ठहर सकेगा, और ये सब लोग अपने स्थान को कुशल से पहुँच सकेंगे।”
Si tu fais cela, et que Dieu te le commande, tu pourras subsister, et tout le peuple arrivera heureusement en son lieu.
24 २४ अपने ससुर की यह बात मानकर मूसा ने उसके सब वचनों के अनुसार किया।
Moïse donc obéit à la parole de son beau-père, et fit tout ce qu'il lui avait dit.
25 २५ अतः उसने सब इस्राएलियों में से गुणी पुरुष चुनकर उन्हें हजार-हजार, सौ-सौ, पचास-पचास, दस-दस, लोगों के ऊपर प्रधान ठहराया।
Ainsi Moïse choisit de tout Israël des hommes vertueux, et les établit chefs sur le peuple, chefs de milliers, chefs de centaines, chefs de cinquantaines, et chefs de dizaines;
26 २६ और वे सब लोगों का न्याय करने लगे; जो मुकद्दमा कठिन होता उसे तो वे मूसा के पास ले आते थे, और सब छोटे मुकद्दमों का न्याय वे आप ही किया करते थे।
Lesquels devaient juger le peuple en tout temps, mais ils devaient rapporter à Moïse les choses difficiles, et juger de toutes les petites affaires.
27 २७ तब मूसा ने अपने ससुर को विदा किया, और उसने अपने देश का मार्ग लिया।
Puis Moïse laissa partir son beau-père, qui s'en alla en son pays.

< निर्गमन 18 >