< निर्गमन 14 >

1 यहोवा ने मूसा से कहा,
Locutus est autem Dominus ad Moysen, dicens:
2 “इस्राएलियों को आज्ञा दे, कि वे लौटकर मिग्दोल और समुद्र के बीच पीहहीरोत के सम्मुख, बाल-सपोन के सामने अपने डेरे खड़े करें, उसी के सामने समुद्र के तट पर डेरे खड़े करें।
Loquere filiis Israel: Reversi castrametentur e regione Phihahiroth quæ est inter Magdalum et mare contra Beelsephon: in conspectu eius castra ponetis super mare.
3 तब फ़िरौन इस्राएलियों के विषय में सोचेगा, ‘वे देश के उलझनों में फँसे हैं और जंगल में घिर गए हैं।’
Dicturusque est Pharao super filiis Israel: Coarctati sunt in terra, conclusit eos desertum.
4 तब मैं फ़िरौन के मन को कठोर कर दूँगा, और वह उनका पीछा करेगा, तब फ़िरौन और उसकी सारी सेना के द्वारा मेरी महिमा होगी; और मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।” और उन्होंने वैसा ही किया।
Et indurabo cor eius, ac persequetur vos: et glorificabor in Pharaone, et in omni exercitu eius. scientque Ægyptii quia ego sum Dominus. Feceruntque ita.
5 जब मिस्र के राजा को यह समाचार मिला कि वे लोग भाग गए, तब फ़िरौन और उसके कर्मचारियों का मन उनके विरुद्ध पलट गया, और वे कहने लगे, “हमने यह क्या किया, कि इस्राएलियों को अपनी सेवकाई से छुटकारा देकर जाने दिया?”
Et nunciatum est regi Ægyptiorum quod fugisset populus: immutatumque est cor Pharaonis et servorum eius super populo, et dixerunt: Quid voluimus facere ut dimitteremus Israel, ne serviret nobis?
6 तब उसने अपना रथ तैयार करवाया और अपनी सेना को संग लिया।
Iunxit ergo currum, et omnem populum suum assumpsit secum.
7 उसने छः सौ अच्छे से अच्छे रथ वरन् मिस्र के सब रथ लिए और उन सभी पर सरदार बैठाए।
Tulitque sexcentos currus electos, et quidquid in Ægypto curruum fuit: et duces totius exercitus.
8 और यहोवा ने मिस्र के राजा फ़िरौन के मन को कठोर कर दिया। इसलिए उसने इस्राएलियों का पीछा किया; परन्तु इस्राएली तो बेखटके निकले चले जाते थे।
Induravitque Dominus cor Pharaonis regis Ægypti, et persecutus est filios Israel: at illi egressi sunt in manu excelsa.
9 पर फ़िरौन के सब घोड़ों, और रथों, और सवारों समेत मिस्री सेना ने उनका पीछा करके उनके पास, जो पीहहीरोत के पास, बाल-सपोन के सामने, समुद्र के किनारे पर डेरे डालें पड़े थे, जा पहुँची।
Cumque persequerentur Ægyptii vestigia præcedentium, repererunt eos in castris super mare: omnis equitatus et currus Pharaonis, et universus exercitus erant in Phihahiroth contra Beelsephon.
10 १० जब फ़िरौन निकट आया, तब इस्राएलियों ने आँखें उठाकर क्या देखा, कि मिस्री हमारा पीछा किए चले आ रहे हैं; और इस्राएली अत्यन्त डर गए, और चिल्लाकर यहोवा की दुहाई दी।
Cumque appropinquasset Pharao, levantes filii Israel oculos, viderunt Ægyptios post se: et timuerunt valde: clamaveruntque ad Dominum,
11 ११ और वे मूसा से कहने लगे, “क्या मिस्र में कब्रें न थीं जो तू हमको वहाँ से मरने के लिये जंगल में ले आया है? तूने हम से यह क्या किया कि हमको मिस्र से निकाल लाया?
et dixerunt ad Moysen: Forsitan non erant sepulchra in Ægypto, ideo tulisti nos ut moreremur in solitudine: quid hoc facere voluisti, ut educeres nos ex Ægypto?
12 १२ क्या हम तुझ से मिस्र में यही बात न कहते रहे, कि हमें रहने दे कि हम मिस्रियों की सेवा करें? हमारे लिये जंगल में मरने से मिस्रियों कि सेवा करनी अच्छी थी।”
Nonne iste est sermo, quem loquebamur ad te in Ægypto, dicentes: Recede a nobis, ut serviamus Ægyptiis? multo enim melius erat servire eis, quam mori in solitudine.
13 १३ मूसा ने लोगों से कहा, “डरो मत, खड़े-खड़े वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा; क्योंकि जिन मिस्रियों को तुम आज देखते हो, उनको फिर कभी न देखोगे।
Et ait Moyses ad populum: Nolite timere: state, et videte magnalia Domini quæ facturus est hodie: Ægyptios enim, quos nunc videtis, nequaquam ultra videbitis usque in sempiternum.
14 १४ यहोवा आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा, इसलिए तुम चुपचाप रहो।”
Dominus pugnabit pro vobis, et vos tacebitis.
15 १५ तब यहोवा ने मूसा से कहा, “तू क्यों मेरी दुहाई दे रहा है? इस्राएलियों को आज्ञा दे कि यहाँ से कूच करें।
Dixitque Dominus ad Moysen: Quid clamas ad me? Loquere filiis Israel ut proficiscantur.
16 १६ और तू अपनी लाठी उठाकर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा; तब इस्राएली समुद्र के बीच होकर स्थल ही स्थल पर चले जाएँगे।
Tu autem eleva virgam tuam, et extende manum tuam super mare, et divide illud: ut gradiantur filii Israel in medio mari per siccum.
17 १७ और सुन, मैं आप मिस्रियों के मन को कठोर करता हूँ, और वे उनका पीछा करके समुद्र में घुस पड़ेंगे, तब फ़िरौन और उसकी सेना, और रथों, और सवारों के द्वारा मेरी महिमा होगी।
Ego autem indurabo cor Ægyptiorum ut persequantur vos: et glorificabor in Pharaone, et in omni exercitu eius, et in curribus et in equitibus illius.
18 १८ और जब फ़िरौन, और उसके रथों, और सवारों के द्वारा मेरी महिमा होगी, तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”
Et scient Ægyptii quia ego sum Dominus cum glorificatus fuero in Pharaone, et in curribus atque in equitibus eius.
19 १९ तब परमेश्वर का दूत जो इस्राएली सेना के आगे-आगे चला करता था जाकर उनके पीछे हो गया; और बादल का खम्भा उनके आगे से हटकर उनके पीछे जा ठहरा।
Tollensque se Angelus Dei, qui præcedebat castra Israel, abiit post eos: et cum eo pariter columna nubis, priora dimittens, post tergum
20 २० इस प्रकार वह मिस्रियों की सेना और इस्राएलियों की सेना के बीच में आ गया; और बादल और अंधकार तो हुआ, तो भी उससे रात को उन्हें प्रकाश मिलता रहा; और वे रात भर एक दूसरे के पास न आए।
stetit, inter castra Ægyptiorum et castra Israel: et erat nubes tenebrosa, et illuminans noctem, ita ut ad se invicem toto noctis tempore accedere non valerent.
21 २१ तब मूसा ने अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ाया; और यहोवा ने रात भर प्रचण्ड पुरवाई चलाई, और समुद्र को दो भाग करके जल ऐसा हटा दिया, जिससे कि उसके बीच सूखी भूमि हो गई।
Cumque extendisset Moyses manum super mare, abstulit illud Dominus flante vento vehementi et urente tota nocte, et vertit in siccum: divisaque est aqua.
22 २२ तब इस्राएली समुद्र के बीच स्थल ही स्थल पर होकर चले, और जल उनकी दाहिनी और बाईं ओर दीवार का काम देता था।
Et ingressi sunt filii Israel per medium sicci maris: erat enim aqua quasi murus a dextra eorum et læva.
23 २३ तब मिस्री, अर्थात् फ़िरौन के सब घोड़े, रथ, और सवार उनका पीछा किए हुए समुद्र के बीच में चले गए।
Persequentesque Ægyptii ingressi sunt post eos, et omnis equitatus Pharaonis, currus eius et equites per medium maris.
24 २४ और रात के अन्तिम पहर में यहोवा ने बादल और आग के खम्भे में से मिस्रियों की सेना पर दृष्टि करके उन्हें घबरा दिया।
Iamque advenerat vigilia matutina, et ecce respiciens Dominus super castra Ægyptiorum per columnam ignis et nubis, interfecit exercitum eorum:
25 २५ और उसने उनके रथों के पहियों को निकाल डाला, जिससे उनका चलना कठिन हो गया; तब मिस्री आपस में कहने लगे, “आओ, हम इस्राएलियों के सामने से भागें; क्योंकि यहोवा उनकी ओर से मिस्रियों के विरुद्ध युद्ध कर रहा है।”
et subvertit rotas curruum, ferebanturque in profundum. Dixerunt ergo Ægyptii: Fugiamus Israelem: Dominus enim pugnat pro eis contra nos.
26 २६ फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, कि जल मिस्रियों, और उनके रथों, और सवारों पर फिर बहने लगे।”
Et ait Dominus ad Moysen: Extende manum tuam super mare, ut revertantur aquæ ad Ægyptios super currus et equites eorum.
27 २७ तब मूसा ने अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ाया, और भोर होते-होते क्या हुआ कि समुद्र फिर ज्यों का त्यों अपने बल पर आ गया; और मिस्री उलटे भागने लगे, परन्तु यहोवा ने उनको समुद्र के बीच ही में झटक दिया।
Cumque extendisset Moyses manum contra mare, reversum est primo diluculo ad priorem locum: fugientibusque Ægyptiis occurrerunt aquæ, et involvit eos Dominus in mediis fluctibus.
28 २८ और जल के पलटने से, जितने रथ और सवार इस्राएलियों के पीछे समुद्र में आए थे, वे सब वरन् फ़िरौन की सारी सेना उसमें डूब गई, और उसमें से एक भी न बचा।
Reversæque sunt aquæ, et operuerunt currus et equites cuncti exercitus Pharaonis, qui sequentes ingressi fuerant mare: nec unus quidem superfuit ex eis.
29 २९ परन्तु इस्राएली समुद्र के बीच स्थल ही स्थल पर होकर चले गए, और जल उनकी दाहिनी और बाईं दोनों ओर दीवार का काम देता था।
Filii autem Israel perrexerunt per medium sicci maris, et aquæ eis erant quasi pro muro a dextris et a sinistris:
30 ३० इस प्रकार यहोवा ने उस दिन इस्राएलियों को मिस्रियों के वश से इस प्रकार छुड़ाया; और इस्राएलियों ने मिस्रियों को समुद्र के तट पर मरे पड़े हुए देखा।
liberavitque Dominus in die illa Israel de manu Ægyptiorum.
31 ३१ और यहोवा ने मिस्रियों पर जो अपना पराक्रम दिखलाता था, उसको देखकर इस्राएलियों ने यहोवा का भय माना और यहोवा की और उसके दास मूसा की भी प्रतीति की।
Et viderunt Ægyptios mortuos super littus maris, et manum magnam quam exercuerat Dominus contra eos: timuitque populus Dominum, et crediderunt Domino, et Moysi servo eius.

< निर्गमन 14 >