< एस्तेर 9 >
1 १ अदार नामक बारहवें महीने के तेरहवें दिन को, जिस दिन राजा की आज्ञा और नियम पूरे होने को थे, और यहूदियों के शत्रु उन पर प्रबल होने की आशा रखते थे, परन्तु इसके विपरीत यहूदी अपने बैरियों पर प्रबल हुए; उस दिन,
ἐν γὰρ τῷ δωδεκάτῳ μηνὶ τρισκαιδεκάτῃ τοῦ μηνός ὅς ἐστιν Αδαρ παρῆν τὰ γράμματα τὰ γραφέντα ὑπὸ τοῦ βασιλέως
2 २ यहूदी लोग राजा क्षयर्ष के सब प्रान्तों में अपने-अपने नगर में इकट्ठे हुए, कि जो उनकी हानि करने का यत्न करे, उन पर हाथ चलाएँ। कोई उनका सामना न कर सका, क्योंकि उनका भय देश-देश के सब लोगों के मन में समा गया था।
ἐν αὐτῇ τῇ ἡμέρᾳ ἀπώλοντο οἱ ἀντικείμενοι τοῖς Ιουδαίοις οὐδεὶς γὰρ ἀντέστη φοβούμενος αὐτούς
3 ३ वरन् प्रान्तों के सब हाकिमों और अधिपतियों और प्रधानों और राजा के कर्मचारियों ने यहूदियों की सहायता की, क्योंकि उनके मन में मोर्दकै का भय समा गया था।
οἱ γὰρ ἄρχοντες τῶν σατραπῶν καὶ οἱ τύραννοι καὶ οἱ βασιλικοὶ γραμματεῖς ἐτίμων τοὺς Ιουδαίους ὁ γὰρ φόβος Μαρδοχαίου ἐνέκειτο αὐτοῖς
4 ४ मोर्दकै तो राजा के यहाँ बहुत प्रतिष्ठित था, और उसकी कीर्ति सब प्रान्तों में फैल गई; वरन् उस पुरुष मोर्दकै की महिमा बढ़ती चली गई।
προσέπεσεν γὰρ τὸ πρόσταγμα τοῦ βασιλέως ὀνομασθῆναι ἐν πάσῃ τῇ βασιλείᾳ
5 ५ अतः यहूदियों ने अपने सब शत्रुओं को तलवार से मारकर और घात करके नाश कर डाला, और अपने बैरियों से अपनी इच्छा के अनुसार बर्ताव किया।
6 ६ शूशन राजगढ़ में यहूदियों ने पाँच सौ मनुष्यों को घात करके नाश किया।
καὶ ἐν Σούσοις τῇ πόλει ἀπέκτειναν οἱ Ιουδαῖοι ἄνδρας πεντακοσίους
7 ७ उन्होंने पर्शन्दाता, दल्पोन, अस्पाता,
τόν τε Φαρσαννεσταιν καὶ Δελφων καὶ Φασγα
8 ८ पोराता, अदल्या, अरीदाता,
καὶ Φαρδαθα καὶ Βαρεα καὶ Σαρβαχα
9 ९ पर्मशता, अरीसै, अरीदै और वैजाता,
καὶ Μαρμασιμα καὶ Αρουφαιον καὶ Αρσαιον καὶ Ζαβουθαιθαν
10 १० अर्थात् हम्मदाता के पुत्र यहूदियों के विरोधी हामान के दसों पुत्रों को भी घात किया; परन्तु उनके धन को न लूटा।
τοὺς δέκα υἱοὺς Αμαν Αμαδαθου Βουγαίου τοῦ ἐχθροῦ τῶν Ιουδαίων καὶ διήρπασαν
11 ११ उसी दिन शूशन राजगढ़ में घात किए हुओं की गिनती राजा को सुनाई गई।
ἐν αὐτῇ τῇ ἡμέρᾳ ἐπεδόθη ὁ ἀριθμὸς τῷ βασιλεῖ τῶν ἀπολωλότων ἐν Σούσοις
12 १२ तब राजा ने एस्तेर रानी से कहा, “यहूदियों ने शूशन राजगढ़ ही में पाँच सौ मनुष्यों और हामान के दसों पुत्रों को भी घात करके नाश किया है; फिर राज्य के अन्य प्रान्तों में उन्होंने न जाने क्या-क्या किया होगा! अब इससे अधिक तेरा निवेदन क्या है? वह भी पूरा किया जाएगा। और तू क्या माँगती है? वह भी तुझे दिया जाएगा।”
εἶπεν δὲ ὁ βασιλεὺς πρὸς Εσθηρ ἀπώλεσαν οἱ Ιουδαῖοι ἐν Σούσοις τῇ πόλει ἄνδρας πεντακοσίους ἐν δὲ τῇ περιχώρῳ πῶς οἴει ἐχρήσαντο τί οὖν ἀξιοῖς ἔτι καὶ ἔσται σοι
13 १३ एस्तेर ने कहा, “यदि राजा को स्वीकार हो तो शूशन के यहूदियों को आज के समान कल भी करने की आज्ञा दी जाए, और हामान के दसों पुत्र फांसी के खम्भों पर लटकाए जाएँ।”
καὶ εἶπεν Εσθηρ τῷ βασιλεῖ δοθήτω τοῖς Ιουδαίοις χρῆσθαι ὡσαύτως τὴν αὔριον ὥστε τοὺς δέκα υἱοὺς κρεμάσαι Αμαν
14 १४ राजा ने आज्ञा दी, “ऐसा किया जाए;” यह आज्ञा शूशन में दी गई, और हामान के दसों पुत्र लटकाए गए।
καὶ ἐπέτρεψεν οὕτως γενέσθαι καὶ ἐξέθηκε τοῖς Ιουδαίοις τῆς πόλεως τὰ σώματα τῶν υἱῶν Αμαν κρεμάσαι
15 १५ शूशन के यहूदियों ने अदार महीने के चौदहवें दिन को भी इकट्ठे होकर शूशन में तीन सौ पुरुषों को घात किया, परन्तु धन को न लूटा।
καὶ συνήχθησαν οἱ Ιουδαῖοι ἐν Σούσοις τῇ τεσσαρεσκαιδεκάτῃ τοῦ Αδαρ καὶ ἀπέκτειναν ἄνδρας τριακοσίους καὶ οὐδὲν διήρπασαν
16 १६ राज्य के अन्य प्रान्तों के यहूदी इकट्ठा होकर अपना-अपना प्राण बचाने के लिये खड़े हुए, और अपने बैरियों में से पचहत्तर हजार मनुष्यों को घात करके अपने शत्रुओं से विश्राम पाया; परन्तु धन को न लूटा।
οἱ δὲ λοιποὶ τῶν Ιουδαίων οἱ ἐν τῇ βασιλείᾳ συνήχθησαν καὶ ἑαυτοῖς ἐβοήθουν καὶ ἀνεπαύσαντο ἀπὸ τῶν πολεμίων ἀπώλεσαν γὰρ αὐτῶν μυρίους πεντακισχιλίους τῇ τρισκαιδεκάτῃ τοῦ Αδαρ καὶ οὐδὲν διήρπασαν
17 १७ यह अदार महीने के तेरहवें दिन को किया गया, और चौदहवें दिन को उन्होंने विश्राम करके भोज किया और आनन्द का दिन ठहराया।
καὶ ἀνεπαύσαντο τῇ τεσσαρεσκαιδεκάτῃ τοῦ αὐτοῦ μηνὸς καὶ ἦγον αὐτὴν ἡμέραν ἀναπαύσεως μετὰ χαρᾶς καὶ εὐφροσύνης
18 १८ परन्तु शूशन के यहूदी अदार महीने के तेरहवें दिन को, और उसी महीने के चौदहवें दिन को इकट्ठा हुए, और उसी महीने के पन्द्रहवें दिन को उन्होंने विश्राम करके भोज का और आनन्द का दिन ठहराया।
οἱ δὲ Ιουδαῖοι οἱ ἐν Σούσοις τῇ πόλει συνήχθησαν καὶ τῇ τεσσαρεσκαιδεκάτῃ καὶ οὐκ ἀνεπαύσαντο ἦγον δὲ καὶ τὴν πεντεκαιδεκάτην μετὰ χαρᾶς καὶ εὐφροσύνης
19 १९ इस कारण देहाती यहूदी जो बिना शहरपनाह की बस्तियों में रहते हैं, वे अदार महीने के चौदहवें दिन को आनन्द और भोज और खुशी और आपस में भोजन सामग्री भेजने का दिन नियुक्त करके मानते हैं।
διὰ τοῦτο οὖν οἱ Ιουδαῖοι οἱ διεσπαρμένοι ἐν πάσῃ χώρᾳ τῇ ἔξω ἄγουσιν τὴν τεσσαρεσκαιδεκάτην τοῦ Αδαρ ἡμέραν ἀγαθὴν μετ’ εὐφροσύνης ἀποστέλλοντες μερίδας ἕκαστος τῷ πλησίον οἱ δὲ κατοικοῦντες ἐν ταῖς μητροπόλεσιν καὶ τὴν πεντεκαιδεκάτην τοῦ Αδαρ ἡμέραν εὐφροσύνην ἀγαθὴν ἄγουσιν ἐξαποστέλλοντες μερίδας τοῖς πλησίον
20 २० इन बातों का वृत्तान्त लिखकर, मोर्दकै ने राजा क्षयर्ष के सब प्रान्तों में, क्या निकट क्या दूर रहनेवाले सारे यहूदियों के पास चिट्ठियाँ भेजीं,
ἔγραψεν δὲ Μαρδοχαῖος τοὺς λόγους τούτους εἰς βιβλίον καὶ ἐξαπέστειλεν τοῖς Ιουδαίοις ὅσοι ἦσαν ἐν τῇ Ἀρταξέρξου βασιλείᾳ τοῖς ἐγγὺς καὶ τοῖς μακράν
21 २१ और यह आज्ञा दी, कि अदार महीने के चौदहवें और उसी महीने के पन्द्रहवें दिन को प्रतिवर्ष माना करें।
στῆσαι τὰς ἡμέρας ταύτας ἀγαθὰς ἄγειν τε τὴν τεσσαρεσκαιδεκάτην καὶ τὴν πεντεκαιδεκάτην τοῦ Αδαρ
22 २२ जिनमें यहूदियों ने अपने शत्रुओं से विश्राम पाया, और यह महीना जिसमें शोक आनन्द से, और विलाप खुशी से बदला गया; (माना करें) और उनको भोज और आनन्द और एक दूसरे के पास भोजन सामग्री भेजने और कंगालों को दान देने के दिन मानें।
ἐν γὰρ ταύταις ταῖς ἡμέραις ἀνεπαύσαντο οἱ Ιουδαῖοι ἀπὸ τῶν ἐχθρῶν αὐτῶν καὶ τὸν μῆνα ἐν ᾧ ἐστράφη αὐτοῖς ὃς ἦν Αδαρ ἀπὸ πένθους εἰς χαρὰν καὶ ἀπὸ ὀδύνης εἰς ἀγαθὴν ἡμέραν ἄγειν ὅλον ἀγαθὰς ἡμέρας γάμων καὶ εὐφροσύνης ἐξαποστέλλοντας μερίδας τοῖς φίλοις καὶ τοῖς πτωχοῖς
23 २३ अतः यहूदियों ने जैसा आरम्भ किया था, और जैसा मोर्दकै ने उन्हें लिखा, वैसा ही करने का निश्चय कर लिया।
καὶ προσεδέξαντο οἱ Ιουδαῖοι καθὼς ἔγραψεν αὐτοῖς ὁ Μαρδοχαῖος
24 २४ क्योंकि हम्मदाता अगागी का पुत्र हामान जो सब यहूदियों का विरोधी था, उसने यहूदियों का नाश करने की युक्ति की, और उन्हें मिटा डालने और नाश करने के लिये पूर अर्थात् चिट्ठी डाली थी।
πῶς Αμαν Αμαδαθου ὁ Μακεδὼν ἐπολέμει αὐτούς καθὼς ἔθετο ψήφισμα καὶ κλῆρον ἀφανίσαι αὐτούς
25 २५ परन्तु जब राजा ने यह जान लिया, तब उसने आज्ञा दी और लिखवाई कि जो दुष्ट युक्ति हामान ने यहूदियों के विरुद्ध की थी वह उसी के सिर पर पलट आए, तब वह और उसके पुत्र फांसी के खम्भों पर लटकाए गए।
καὶ ὡς εἰσῆλθεν πρὸς τὸν βασιλέα λέγων κρεμάσαι τὸν Μαρδοχαῖον ὅσα δὲ ἐπεχείρησεν ἐπάξαι ἐπὶ τοὺς Ιουδαίους κακά ἐπ’ αὐτὸν ἐγένοντο καὶ ἐκρεμάσθη αὐτὸς καὶ τὰ τέκνα αὐτοῦ
26 २६ इस कारण उन दिनों का नाम पूर शब्द से पूरीम रखा गया। इस चिट्ठी की सब बातों के कारण, और जो कुछ उन्होंने इस विषय में देखा और जो कुछ उन पर बीता था, उसके कारण भी
διὰ τοῦτο ἐπεκλήθησαν αἱ ἡμέραι αὗται Φρουραι διὰ τοὺς κλήρους ὅτι τῇ διαλέκτῳ αὐτῶν καλοῦνται Φρουραι διὰ τοὺς λόγους τῆς ἐπιστολῆς ταύτης καὶ ὅσα πεπόνθασιν διὰ ταῦτα καὶ ὅσα αὐτοῖς ἐγένετο
27 २७ यहूदियों ने अपने-अपने लिये और अपनी सन्तान के लिये, और उन सभी के लिये भी जो उनमें मिल गए थे यह अटल प्रण किया, कि उस लेख के अनुसार प्रतिवर्ष उसके ठहराए हुए समय में वे ये दो दिन मानें।
καὶ ἔστησεν καὶ προσεδέχοντο οἱ Ιουδαῖοι ἐφ’ ἑαυτοῖς καὶ ἐπὶ τῷ σπέρματι αὐτῶν καὶ ἐπὶ τοῖς προστεθειμένοις ἐπ’ αὐτῶν οὐδὲ μὴν ἄλλως χρήσονται αἱ δὲ ἡμέραι αὗται μνημόσυνον ἐπιτελούμενον κατὰ γενεὰν καὶ γενεὰν καὶ πόλιν καὶ πατριὰν καὶ χώραν
28 २८ और पीढ़ी-पीढ़ी, कुल-कुल, प्रान्त-प्रान्त, नगर-नगर में ये दिन स्मरण किए और माने जाएँगे। और पूरीम नाम के दिन यहूदियों में कभी न मिटेंगे और उनका स्मरण उनके वंश से जाता न रहेगा।
αἱ δὲ ἡμέραι αὗται τῶν Φρουραι ἀχθήσονται εἰς τὸν ἅπαντα χρόνον καὶ τὸ μνημόσυνον αὐτῶν οὐ μὴ ἐκλίπῃ ἐκ τῶν γενεῶν
29 २९ फिर अबीहैल की बेटी एस्तेर रानी, और मोर्दकै यहूदी ने, पूरीम के विषय यह दूसरी चिट्ठी बड़े अधिकार के साथ लिखी।
καὶ ἔγραψεν Εσθηρ ἡ βασίλισσα θυγάτηρ Αμιναδαβ καὶ Μαρδοχαῖος ὁ Ιουδαῖος ὅσα ἐποίησαν τό τε στερέωμα τῆς ἐπιστολῆς τῶν Φρουραι
30 ३० इसकी नकलें मोर्दकै ने क्षयर्ष के राज्य के, एक सौ सत्ताईस प्रान्तों के सब यहूदियों के पास शान्ति देनेवाली और सच्ची बातों के साथ इस आशय से भेजीं,
31 ३१ कि पूरीम के उन दिनों के विशेष ठहराए हुए समयों में मोर्दकै यहूदी और एस्तेर रानी की आज्ञा के अनुसार, और जो यहूदियों ने अपने और अपनी सन्तान के लिये ठान लिया था, उसके अनुसार भी उपवास और विलाप किए जाएँ।
καὶ Μαρδοχαῖος καὶ Εσθηρ ἡ βασίλισσα ἔστησαν ἑαυτοῖς καθ’ ἑαυτῶν καὶ τότε στήσαντες κατὰ τῆς ὑγιείας αὐτῶν καὶ τὴν βουλὴν αὐτῶν
32 ३२ पूरीम के विषय का यह नियम एस्तेर की आज्ञा से भी स्थिर किया गया, और उनकी चर्चा पुस्तक में लिखी गई।
καὶ Εσθηρ λόγῳ ἔστησεν εἰς τὸν αἰῶνα καὶ ἐγράφη εἰς μνημόσυνον