< एस्तेर 8 >

1 उसी दिन राजा क्षयर्ष ने यहूदियों के विरोधी हामान का घरबार एस्तेर रानी को दे दिया। मोर्दकै राजा के सामने आया, क्योंकि एस्तेर ने राजा को बताया था, कि उससे उसका क्या नाता था
That day the king gave all the family of Haman, the hater of the Jews, to Esther the queen. And Mordecai came before the king, for Esther had made clear what he was to her.
2 तब राजा ने अपनी वह मुहर वाली अंगूठी जो उसने हामान से ले ली थी, उतार कर, मोर्दकै को दे दी। एस्तेर ने मोर्दकै को हामान के घरबार पर अधिकारी नियुक्त कर दिया।
And the king took off his ring, which he had taken from Haman, and gave it to Mordecai. And Esther put Mordecai over the family of Haman.
3 फिर एस्तेर दूसरी बार राजा से बोली; और उसके पाँव पर गिर, आँसू बहा बहाकर उससे गिड़गिड़ाकर विनती की, कि अगागी हामान की बुराई और यहूदियों की हानि की उसकी युक्ति निष्फल की जाए।
Then Esther again came before the king, falling down at his feet, and made request to him with weeping, that he would put a stop to the evil purposes of Haman the Agagite and the designs which he had made against the Jews.
4 तब राजा ने एस्तेर की ओर सोने का राजदण्ड बढ़ाया।
Then the king put out the rod of gold to Esther, and she got up before the king.
5 तब एस्तेर उठकर राजा के सामने खड़ी हुई; और कहने लगी, “यदि राजा को स्वीकार हो और वह मुझसे प्रसन्न है और यह बात उसको ठीक जान पड़े, और मैं भी उसको अच्छी लगती हूँ, तो जो चिट्ठियाँ हम्मदाता अगागी के पुत्र हामान ने राजा के सब प्रान्तों के यहूदियों को नाश करने की युक्ति करके लिखाई थीं, उनको पलटने के लिये लिखा जाए।
And she said, If it is the king's pleasure and if I have his approval and this thing seems right to the king and I am pleasing to him, then let letters be sent giving orders against those which Haman, the son of Hammedatha the Agagite, sent out for the destruction of the Jews in all divisions of the kingdom:
6 क्योंकि मैं अपने जाति के लोगों पर पड़नेवाली उस विपत्ति को किस रीति से देख सकूँगी? और मैं अपने भाइयों के विनाश को कैसे देख सकूँगी?”
For how is it possible for me to see the evil which is to overtake my nation? how may I see the destruction of my people?
7 तब राजा क्षयर्ष ने एस्तेर रानी से और मोर्दकै यहूदी से कहा, “मैं हामान का घरबार तो एस्तेर को दे चुका हूँ, और वह फांसी के खम्भे पर लटका दिया गया है, इसलिए कि उसने यहूदियों पर हाथ उठाया था।
Then King Ahasuerus said to Esther the queen and to Mordecai the Jew, See now, I have given Esther the family of Haman, and he has come to his death by hanging, because he made an attack on the Jews.
8 अतः तुम अपनी समझ के अनुसार राजा के नाम से यहूदियों के नाम पर लिखो, और राजा की मुहर वाली अंगूठी की छाप भी लगाओ; क्योंकि जो चिट्ठी राजा के नाम से लिखी जाए, और उस पर उसकी अंगूठी की छाप लगाई जाए, उसको कोई भी पलट नहीं सकता।”
So now send a letter about the Jews, writing whatever seems good to you, in the king's name, and stamping it with the king's ring: for a writing signed in the king's name and stamped with the king's ring may not be changed.
9 उसी समय अर्थात् सीवान नामक तीसरे महीने के तेईसवें दिन को राजा के लेखक बुलवाए गए और जिस-जिस बात की आज्ञा मोर्दकै ने उन्हें दी थी, उसे यहूदियों और अधिपतियों और भारत से लेकर कूश तक, जो एक सौ सत्ताईस प्रान्त हैं, उन सभी के अधिपतियों और हाकिमों को एक-एक प्रान्त के अक्षरों में और एक-एक देश के लोगों की भाषा में, और यहूदियों को उनके अक्षरों और भाषा में लिखी गईं।
Then at that time, on the twenty-third day of the third month, which is the month Sivan, the king's scribes were sent for; and everything ordered by Mordecai was put in writing and sent to the Jews and the captains and the rulers and the chiefs of all the divisions of the kingdom from India to Ethiopia, a hundred and twenty-seven divisions, to every division in the writing commonly used there, and to every people in their language, and to the Jews in their writing and their language.
10 १० मोर्दकै ने राजा क्षयर्ष के नाम से चिट्ठियाँ लिखाकर, और उन पर राजा की मुहर वाली अंगूठी की छाप लगाकर, वेग चलनेवाले सरकारी घोड़ों, खच्चरों और साँड़नियों पर सवार हरकारों के हाथ भेज दीं।
The letters were sent in the name of King Ahasuerus and stamped with his ring, and they were taken by men on horseback, going on the quick-running horses used for the king's business, the offspring of his best horses:
11 ११ इन चिट्ठियों में सब नगरों के यहूदियों को राजा की ओर से अनुमति दी गई, कि वे इकट्ठे हों और अपना-अपना प्राण बचाने के लिये तैयार होकर, जिस जाति या प्रान्त के लोग अन्याय करके उनको या उनकी स्त्रियों और बाल-बच्चों को दुःख देना चाहें, उनको घात और नाश करें, और उनकी धन-सम्पत्ति लूट लें।
In these letters the king gave authority to the Jews in every town to come together and make a fight for their lives, and to send death and destruction on the power of any people in any part of the kingdom attacking them or their children or their women, and to take their goods from them by force,
12 १२ और यह राजा क्षयर्ष के सब प्रान्तों में एक ही दिन में किया जाए, अर्थात् अदार नामक बारहवें महीने के तेरहवें दिन को।
On one day in every division of the kingdom of Ahasuerus, that is, on the thirteenth day of the twelfth month, the month Adar.
13 १३ इस आज्ञा के लेख की नकलें, समस्त प्रान्तों में सब देशों के लोगों के पास खुली हुई भेजी गईं; ताकि यहूदी उस दिन अपने शत्रुओं से पलटा लेने को तैयार रहें।
A copy of the writing, to be made public as an order in every division of the kingdom, was given out to all the peoples, so that the Jews might be ready when that day came to give punishment to their haters.
14 १४ अतः हरकारे वेग चलनेवाले सरकारी घोड़ों पर सवार होकर, राजा की आज्ञा से फुर्ती करके जल्दी चले गए, और यह आज्ञा शूशन राजगढ़ में दी गई थी।
So the men went out on the quick-running horses used on the king's business, wasting no time and forced on by the king's order; and the order was given out in Shushan, the king's town.
15 १५ तब मोर्दकै नीले और श्वेत रंग के राजकीय वस्त्र पहने और सिर पर सोने का बड़ा मुकुट धरे हुए और सूक्ष्म सन और बैंगनी रंग का बागा पहने हुए, राजा के सम्मुख से निकला, और शूशन नगर के लोग आनन्द के मारे ललकार उठे।
And Mordecai went out from before the king, dressed in king-like robes of blue and white, and with a great crown of gold and clothing of purple and the best linen: and all the town of Shushan gave loud cries of joy.
16 १६ और यहूदियों को आनन्द और हर्ष हुआ और उनकी बड़ी प्रतिष्ठा हुई।
And the Jews had light and joy and honour.
17 १७ और जिस-जिस प्रान्त, और जिस-जिस नगर में, जहाँ कहीं राजा की आज्ञा और नियम पहुँचे, वहाँ-वहाँ यहूदियों को आनन्द और हर्ष हुआ, और उन्होंने भोज करके उस दिन को खुशी का दिन माना। और उस देश के लोगों में से बहुत लोग यहूदी बन गए, क्योंकि उनके मन में यहूदियों का डर समा गया था।
And in every part of the kingdom and in every town, wherever the king's letter and his order came, the Jews were glad with great joy, and had a feast and a good day. And a great number of the people of the land became Jews: for the fear of the Jews had come on them.

< एस्तेर 8 >