< एस्तेर 5 >
1 १ तीसरे दिन एस्तेर अपने राजकीय वस्त्र पहनकर राजभवन के भीतरी आँगन में जाकर, राजभवन के सामने खड़ी हो गई। राजा तो राजभवन में राजगद्दी पर भवन के द्वार के सामने विराजमान था;
Now it came to pass on the third day, that Esther put on her royal apparel, and stood in the inner court of the king's house, opposite the king's house. And the king sat upon his royal throne in the royal house, opposite the entrance of the house.
2 २ और जब राजा ने एस्तेर रानी को आँगन में खड़ी हुई देखा, तब उससे प्रसन्न होकर सोने का राजदण्ड जो उसके हाथ में था उसकी ओर बढ़ाया। तब एस्तेर ने निकट जाकर राजदण्ड की नोक छुई।
And it was so, when the king saw Esther the queen standing in the court, that she obtained favor in his sight, and the king held out to Esther the golden scepter that was in his hand. So Esther drew near, and touched the top of the scepter.
3 ३ तब राजा ने उससे पूछा, “हे एस्तेर रानी, तुझे क्या चाहिये? और तू क्या माँगती है? माँग और तुझे आधा राज्य तक दिया जाएगा।”
Then the king said to her, What will thou, queen Esther? And what is thy request? It shall be given thee even to the half of the kingdom.
4 ४ एस्तेर ने कहा, “यदि राजा को स्वीकार हो, तो आज हामान को साथ लेकर उस भोज में आए, जो मैंने राजा के लिये तैयार किया है।”
And Esther said, If it seems good to the king, let the king and Haman come this day to the banquet that I have prepared for him.
5 ५ तब राजा ने आज्ञा दी, “हामान को तुरन्त ले आओ, कि एस्तेर का निमंत्रण ग्रहण किया जाए।” अतः राजा और हामान एस्तेर के तैयार किए हुए भोज में आए।
Then the king said, Cause Haman to make haste that it may be done as Esther has said. So the king and Haman came to the banquet that Esther had prepared.
6 ६ भोज के समय जब दाखमधु पिया जाता था, तब राजा ने एस्तेर से कहा, “तेरा क्या निवेदन है? वह पूरा किया जाएगा। और तू क्या माँगती है? माँग, और आधा राज्य तक तुझे दिया जाएगा।”
And the king said to Esther at the banquet of wine, What is thy petition? And it shall be granted thee. And what is thy request? Even to the half of the kingdom it shall be performed.
7 ७ एस्तेर ने उत्तर दिया, “मेरा निवेदन और जो मैं माँगती हूँ वह यह है,
Then Esther answered, and said, My petition and my request is,
8 ८ कि यदि राजा मुझ पर प्रसन्न है और मेरा निवेदन सुनना और जो वरदान मैं माँगू वही देना राजा को स्वीकार हो, तो राजा और हामान कल उस भोज में आएँ जिसे मैं उनके लिये करूँगी, और कल मैं राजा के इस वचन के अनुसार करूँगी।”
if I have found favor in the sight of the king, and if it please the king to grant my petition, and to perform my request, let the king and Haman come to the banquet that I shall prepare for them, and I will do tomorrow as the king has said.
9 ९ उस दिन हामान आनन्दित और मन में प्रसन्न होकर बाहर गया। परन्तु जब उसने मोर्दकै को राजभवन के फाटक में देखा, कि वह उसके सामनेन तो खड़ा हुआ, और न हटा, तब वह मोर्दकै के विरुद्ध क्रोध से भर गया।
Then Haman went forth that day joyful and glad of heart. But when Haman saw Mordecai in the king's gate, that he did not stand up nor move for him, he was filled with wrath against Mordecai.
10 १० तो भी वह अपने को रोककर अपने घर गया; और अपने मित्रों और अपनी स्त्री जेरेश को बुलवा भेजा।
Nevertheless Haman restrained himself, and went home, and he sent and fetched his friends and Zeresh his wife.
11 ११ तब हामान ने, उनसे अपने धन का वैभव, और अपने बाल-बच्चों की बढ़ती और राजा ने उसको कैसे-कैसे बढ़ाया, और सब हाकिमों और अपने सब कर्मचारियों से ऊँचा पद दिया था, इन सब का वर्णन किया।
And Haman recounted to them the glory of his riches, and the multitude of his sons, and all the things in which the king had promoted him, and how he had advanced him above the rulers and servants of the king.
12 १२ हामान ने यह भी कहा, “एस्तेर रानी ने भी मुझे छोड़ और किसी को राजा के संग, अपने किए हुए भोज में आने न दिया; और कल के लिये भी राजा के संग उसने मुझी को नेवता दिया है।
Haman said moreover, Yea, Esther the queen let no man come in with the king to the banquet that she had prepared but myself, and tomorrow also I am invited by her together with the king.
13 १३ तो भी जब जब मुझे वह यहूदी मोर्दकै राजभवन के फाटक में बैठा हुआ दिखाई पड़ता है, तब-तब यह सब मेरी दृष्टि में व्यर्थ लगता है।”
Yet all this avails me nothing so long as I see Mordecai the Jew sitting at the king's gate.
14 १४ उसकी पत्नी जेरेश और उसके सब मित्रों ने उससे कहा, “पचास हाथ ऊँचा फांसी का एक खम्भा बनाया जाए, और सवेरे को राजा से कहना, कि उस पर मोर्दकै लटका दिया जाए; तब राजा के संग आनन्द से भोज में जाना।” इस बात से प्रसन्न होकर हामान ने वैसा ही फांसी का एक खम्भा बनवाया।
Then Zeresh his wife and all his friends said to him, Let a gallows be made fifty cubits high, and in the morning speak thou to the king that Mordecai may be hanged on it. Then go thou in merrily with the king to the banquet. And the thing pleased Haman, and he caused the gallows to be made.