< व्यवस्था विवरण 1 >

1 जो बातें मूसा ने यरदन के पार जंगल में, अर्थात् सूफ के सामने के अराबा में, और पारान और तोपेल के बीच, और लाबान हसेरोत और दीजाहाब में, सारे इस्राएलियों से कहीं वे ये हैं।
هَذِهِ هِيَ الأَقْوَالُ الَّتِي خَاطَبَ بِها مُوسَى جَمِيعَ الإِسْرَائِيلِيِّينَ الْمُخَيِّمِينَ فِي وَادِي الْعَرَبَةِ، فِي صَحْرَاءِ مُوآبَ شَرْقِيَّ نَهْرِ الأُرْدُنِّ، مُقَابِلَ سُوفٍ، مَا بَيْنَ فَارَانَ وَتُوفَلَ وَلابَانَ وَحَضَيْرُوتَ وَذِي ذَهَبٍ.١
2 होरेब से कादेशबर्ने तक सेईर पहाड़ का मार्ग ग्यारह दिन का है।
وَكَانَتِ الرِّحْلَةُ تَسْتَغْرِقُ مِنْ حُورِيبَ عَبْرَ طَرِيقِ جَبَلِ سِعِيرَ إِلَى قَادَشَ بَرْنِيعَ أَحَدَ عَشَرَ يَوْماً.٢
3 चालीसवें वर्ष के ग्यारहवें महीने के पहले दिन को जो कुछ यहोवा ने मूसा को इस्राएलियों से कहने की आज्ञा दी थी, उसके अनुसार मूसा उनसे ये बातें कहने लगा।
فَفِي الْيَوْمِ الأَوَّلِ مِنَ الشَّهْرِ الْحَادِي عَشَرَ، فِي السَّنَةِ الأَرْبَعِينَ، خَاطَبَ مُوسَى بَنِي إِسْرَائِيلَ بِكُلِّ مَا أَوْصَاهُ بِهِ الرَّبُّ إِلَيْهِمْ،٣
4 अर्थात् जब मूसा ने एमोरियों के राजा हेशबोनवासी सीहोन और बाशान के राजा अश्तारोतवासी ओग को एद्रेई में मार डाला,
وَذَلِكَ بَعْدَ هَزِيمَةِ سِيحُونَ مَلِكِ الأَمُورِيِّينَ الْمُقِيمِ فِي حَشْبُونَ، وَعُوجَ مَلِكِ بَاشَانَ السَّاكِنِ فِي عَشْتَارُوثَ فِي إِذْرَعِي.٤
5 उसके बाद यरदन के पार मोआब देश में वह व्यवस्था का विवरण ऐसे करने लगा,
وَابْتَدَأَ مُوسَى فِي أَرْضِ مُوآبَ شَرْقِيَّ نَهْرِ الأُرْدُنِّ يَشْرَحُ الشَّرِيعَةَ قَائِلاً:٥
6 “हमारे परमेश्वर यहोवा ने होरेब के पास हम से कहा था, ‘तुम लोगों को इस पहाड़ के पास रहते हुए बहुत दिन हो गए हैं;
«لَقَدْ قَالَ الرَّبُّ إِلَهُنَا لَنَا فِي جَبَلِ حُورِيبَ: كَفَاكُمُ الْمُقَامُ فِي هَذَا الْجَبَلِ.٦
7 इसलिए अब यहाँ से कूच करो, और एमोरियों के पहाड़ी देश को, और क्या अराबा में, क्या पहाड़ों में, क्या नीचे के देश में, क्या दक्षिण देश में, क्या समुद्र के किनारे, जितने लोग एमोरियों के पास रहते हैं उनके देश को, अर्थात् लबानोन पर्वत तक और फरात नाम महानद तक रहनेवाले कनानियों के देश को भी चले जाओ।
تَحَوَّلُوا وَتَقَدَّمُوا وَادْخُلُوا جَبَلَ الأَمُورِيِّينَ وَكُلَّ مَا يَلِيهِ مِنْ وَادِي الْعَرَبَةِ وَالْجَبَلِ وَالسَّهْلِ وَالنَّقَبِ وَسَاحِلِ بَحْرِ أَرْضِ الْكَنْعَانِيِّينَ وَلُبْنَانَ، إِلَى النَّهْرِ الْكَبِيرِ نَهْرِ الْفُرَاتِ.٧
8 सुनो, मैं उस देश को तुम्हारे सामने किए देता हूँ; जिस देश के विषय यहोवा ने अब्राहम, इसहाक, और याकूब, तुम्हारे पितरों से शपथ खाकर कहा था कि मैं इसे तुम को और तुम्हारे बाद तुम्हारे वंश को दूँगा, उसको अब जाकर अपने अधिकार में कर लो।’”
وَانْظُرُوا، فَهَا أَنَا قَدْ وَهَبْتُكُمُ الأَرْضَ، فَادْخُلُوا وَتَمَلَّكُوهَا لأَنِّي أَقْسَمْتُ أَنْ أُعْطِيَهَا لِآبَائِكُمْ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ وَلِنَسْلِهِمْ مِنْ بَعْدِهِمْ».٨
9 “फिर उसी समय मैंने तुम से कहा, ‘मैं तुम्हारा भार अकेला नहीं उठा सकता;
وَقَالَ مُوسَى لِلشَّعْبِ: «لا أَقْدِرُ وَحْدِي أَنْ أَتَحَمَّلَ مَسْؤولِيَّتَكُمْ،٩
10 १० क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को यहाँ तक बढ़ाया है कि तुम गिनती में आज आकाश के तारों के समान हो गए हो।
فَقَدْ كَثَّرَكُمُ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ، وَهَا أَنْتُمْ قَدْ أَصْبَحْتُمُ الْيَوْمَ فِي كَثْرَةِ نُجُومِ السَّمَاءِ.١٠
11 ११ तुम्हारे पितरों का परमेश्वर तुम को हजारगुणा और भी बढ़ाए, और अपने वचन के अनुसार तुम को आशीष भी देता रहे!
فَلْيَزِدْكُمُ الرَّبُّ إِلَهُ آبَائِكُمْ أَلْفَ مَرَّةٍ وَيُبَارِكْكُمْ كَمَا وَعَدَكُمْ.١١
12 १२ परन्तु तुम्हारे झंझट, और भार, और झगड़ों को मैं अकेला कहाँ तक सह सकता हूँ।
وَلَكِنْ كَيْفَ يُمْكِنُ أَنْ أَحْمِلَ وَحْدِي مَشَاكِلَكُمْ وَأَثْقَالَكُمْ وَخُصُومَاتِكُمْ؟١٢
13 १३ इसलिए तुम अपने-अपने गोत्र में से एक-एक बुद्धिमान और समझदार और प्रसिद्ध पुरुष चुन लो, और मैं उन्हें तुम पर मुखिया ठहराऊँगा।’
فَاخْتَارُوا مِنْ أَسْبَاطِكُمْ رِجَالاً حُكَمَاءَ عُقَلاءَ مِنْ ذَوِي الْمَقَامِ، فَأَجْعَلَهُمْ قَادَةً لَكُمْ.»١٣
14 १४ इसके उत्तर में तुम ने मुझसे कहा, ‘जो कुछ तू हम से कहता है उसका करना अच्छा है।’
فَأَجَبْتُمُونِي قَائِلِينَ: «إِنَّ مَا تَقْتَرِحُ عَلَيْنَا أَنْ نَفْعَلَهُ أَمْرٌ صَائِبٌ».١٤
15 १५ इसलिए मैंने तुम्हारे गोत्रों के मुख्य पुरुषों को जो बुद्धिमान और प्रसिद्ध पुरुष थे चुनकर तुम पर मुखिया नियुक्त किया, अर्थात् हजार-हजार, सौ-सौ, पचास-पचास, और दस-दस के ऊपर प्रधान और तुम्हारे गोत्रों के सरदार भी नियुक्त किए।
فَاخْتَرْتُ رُؤَسَاءَ أَسْبَاطِكُمْ رِجَالاً حُكَمَاءَ مِنْ ذَوِي الْمَقَامِ، وَأَقَمْتُهُمْ قَادَةً عَلَيْكُمْ، فَكَانُوا رُؤَسَاءَ أُلُوفٍ وَمِئَاتٍ وَخَمَاسِينَ وَعَشَرَاتٍ، وَعُرَفَاءَ لأَسْبَاطِكُمْ.١٥
16 १६ और उस समय मैंने तुम्हारे न्यायियों को आज्ञा दी, ‘तुम अपने भाइयों के मुकद्दमे सुना करो, और उनके बीच और उनके पड़ोसियों और परदेशियों के बीच भी धार्मिकता से न्याय किया करो।
وَأَمَرْتُ قُضَاتَكُمْ آنَئِذٍ قَائِلاً: اسْتَمِعُوا إِلَى الْخُصُومَاتِ النَّاشِبَةِ بَيْنَ إِخْوَتِكُمْ وَاقْضُوا بِالْعَدْلِ بَيْنَ الإِسْرَائِيلِيِّ وَأَخِيهِ أَوْ بَيْنَ الإِسْرَائِيلِيِّ وَالنَّزِيلِ.١٦
17 १७ न्याय करते समय किसी का पक्ष न करना; जैसे बड़े की वैसे ही छोटे मनुष्य की भी सुनना; किसी का मुँह देखकर न डरना, क्योंकि न्याय परमेश्वर का काम है; और जो मुकद्दमा तुम्हारे लिये कठिन हो, वह मेरे पास ले आना, और मैं उसे सुनूँगा।’
لَا تُحَابُوا فِي الْقَضَاءِ وَاسْتَمِعُوا لِلصَّغِيرِ كَمَا تَسْتَمِعُونَ لِلْكَبِيرِ. لَا تَهَابُوا إِنْسَاناً، لأَنَّ الْقَضَاءَ لِلهِ. وَمَا يَصْعُبُ عَلَيْكُمْ مِنْ أَمْرٍ تَرْفَعُونَهُ إِلَيَّ فَأَقْضِي فِيهِ.١٧
18 १८ और मैंने उसी समय तुम्हारे सारे कर्तव्य तुम को बता दिए।
وَأَوْصَيْتُكُمْ فِي ذَلِكَ الْوَقْتِ بِجَمِيعِ الأُمُورِ الَّتِي يَجِبُ أَنْ تُجْرُوهَا.١٨
19 १९ “हम होरेब से कूच करके अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार उस सारे बड़े और भयानक जंगल में होकर चले, जिसे तुम ने एमोरियों के पहाड़ी देश के मार्ग में देखा, और हम कादेशबर्ने तक आए।
ثُمَّ ارْتَحَلْنَا بِمُوْجِبِ أَمْرِ الرَّبِّ مِنْ جَبَلِ حُورِيبَ مُجْتَازِينَ تِلْكَ الصَّحْرَاءَ الْعَظِيمَةَ الْمَخُوفَةَ الَّتِي رَأَيْتُمُوهَا، مُتَّجِهِينَ نَحْوَ بِلادِ الأَمُورِيِّينَ الْجَبَلِيَّةِ، إِلَى أَنْ أَقْبَلْنَا عَلَى قَادَشَ بَرْنِيعَ.١٩
20 २० वहाँ मैंने तुम से कहा, ‘तुम एमोरियों के पहाड़ी देश तक आ गए हो जिसको हमारा परमेश्वर यहोवा हमें देता है।
فَقُلْتُ لَكُمْ: هَا قَدْ جِئْتُمْ إِلَى بِلادِ الأَمُورِيِّينَ الْجَبَلِيَّةِ الَّتِي وَهَبَهَا لَنَا الرَّبُّ إِلَهُنَا،٢٠
21 २१ देखो, उस देश को तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे सामने किए देता है, इसलिए अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस पर चढ़ो, और उसे अपने अधिकार में ले लो; न तो तुम डरो और न तुम्हारा मन कच्चा हो।’
فَانْظُرُوا لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمْ قَدْ أَعْطَاكُمُ الأَرْضَ، فَاصْعَدُوا وَاسْتَوْلُوا عَلَيْهَا كَمَا وَعَدَ الرَّبُّ إِلَهُ آبَائِكُمْ. لَا تَخَافُوا وَلا تَرْتَعِبُوا.٢١
22 २२ और तुम सब मेरे पास आकर कहने लगे, ‘हम अपने आगे पुरुषों को भेज देंगे, जो उस देश का पता लगाकर हमको यह सन्देश दें, कि कौन से मार्ग से होकर चलना होगा और किस-किस नगर में प्रवेश करना पड़ेगा?’
فَتَقَدَّمْتُمْ إِلَيَّ جَمِيعُكُمْ وَقُلْتُمْ: دَعْنَا نُرْسِلُ قَوْماً لِيَتَجَسَّسُوا الأَرْضَ لَنَا، ثُمَّ يُوَافُونَا بِنَبَإِ الطَّرِيقِ الَّتِي نَسْلُكُهَا وَالْمُدُنِ الَّتِي نَجْتَازُ بِها.٢٢
23 २३ इस बात से प्रसन्न होकर मैंने तुम में से बारह पुरुष, अर्थात् हर गोत्र में से एक पुरुष चुन लिया;
فَرَاقَنِي الاقْتِرَاحُ، وَانْتَخَبْتُ مِنْكُمُ اثْنَيْ عَشَرَ رَجُلاً، وَاحِداً مِنْ كُلِّ سِبْطٍ.٢٣
24 २४ और वे पहाड़ पर चढ़ गए, और एशकोल नामक नाले को पहुँचकर उस देश का भेद लिया।
فَاخْتَرَقُوا مَسَالِكَ الْجِبَالِ حَتَّى وَصَلُوا وَادِي أَشْكُولَ، فَاسْتَكْشَفُوهُ،٢٤
25 २५ और उस देश के फलों में से कुछ हाथ में लेकर हमारे पास आए, और हमको यह सन्देश दिया, ‘जो देश हमारा परमेश्वर यहोवा हमें देता है वह अच्छा है।’
وَقَطَفُوا مِنْ ثِمَارِ الأَرْضِ وَحَمَلُوهَا إِلَيْنَا، وَقَالُوا: الأَرْضُ الَّتِي وَهَبَهَا لَنَا الرَّبُّ إِلَهُنَا أَرْضٌ جَيِّدَةٌ.٢٥
26 २६ “तो भी तुम ने वहाँ जाने से मना किया, किन्तु अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के विरुद्ध होकर
لَكِنَّكُمْ تَقَاعَسْتُمْ عَنِ الصُّعُودِ إِلَيْهَا وَعَصَيْتُمْ أَمْرَ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ،٢٦
27 २७ अपने-अपने डेरे में यह कहकर कुड़कुड़ाने लगे, ‘यहोवा हम से बैर रखता है, इस कारण हमको मिस्र देश से निकाल ले आया है, कि हमको एमोरियों के वश में करके हमारा सत्यानाश कर डाले।
وَتَذَمَّرْتُمْ فِي خِيَامِكُمْ قَائِلِينَ: لأَنَّ الرَّبَّ يَكْرَهُنَا أَخْرَجَنَا مِنْ أَرْضِ مِصْرَ لِيُوْقِعَنَا فِي أَيْدِي الأَمُورِيِّينَ وَيُهْلِكَنَا.٢٧
28 २८ हम किधर जाएँ? हमारे भाइयों ने यह कहकर हमारे मन को कच्चा कर दिया है कि वहाँ के लोग हम से बड़े और लम्बे हैं; और वहाँ के नगर बड़े-बड़े हैं, और उनकी शहरपनाह आकाश से बातें करती हैं; और हमने वहाँ अनाकवंशियों को भी देखा है।’
فَإِلَى أَيْنَ نَذْهَبُ؟ لَقَدْ أَوْهَنَ إِخْوَتُنَا قُلُوبَنَا عِنْدَمَا أَخْبَرُونَا أَنَّ أَهْلَ الأَرْضِ أَعْظَمُ مِنَّا وَأَكْثَرُ طُولاً، وَمُدُنَهُمْ عَظِيمَةٌ تَبْلُغُ حُصُونُهَا عَنَانَ السَّمَاءِ، وَقَدْ شَاهَدْنَا هُنَاكَ بَنِي عَنَاقَ أَيْضاً.٢٨
29 २९ मैंने तुम से कहा, ‘उनके कारण भय मत खाओ और न डरो।
فَقُلْتُ لَكُمْ: لَا تَجْزَعُوا وَلا تَخَافُوا مِنْهُمْ،٢٩
30 ३० तुम्हारा परमेश्वर यहोवा जो तुम्हारे आगे-आगे चलता है वह आप तुम्हारी ओर से लड़ेगा, जैसे कि उसने मिस्र में तुम्हारे देखते तुम्हारे लिये किया;
لأَنَّ الرَّبَّ إِلَهَكُمُ السَّائِرَ أَمَامَكُمْ هُوَ يُحَارِبُ عَنْكُمْ كَمَا رَأَيْتُمُوهُ مَعَكُمْ فِي مِصْرَ.٣٠
31 ३१ फिर तुम ने जंगल में भी देखा कि जिस रीति कोई पुरुष अपने लड़के को उठाए चलता है, उसी रीति हमारा परमेश्वर यहोवा हमको इस स्थान पर पहुँचने तक, उस सारे मार्ग में जिससे हम आए हैं, उठाए रहा।’
كَذَلِكَ شَهِدْتُمْ فِي الصَّحْرَاءِ كَيْفَ حَمَلَكُمُ الرَّبُّ إِلَهُكُمْ كَمَا يَحْمِلُ الإِنْسَانُ ابْنَهُ، فِي كُلِّ الطَّرِيقِ الَّتِي سَلَكْتُمُوهَا، حَتَّى أَقْبَلْتُمْ إِلَى هَذَا الْمَكَانِ.٣١
32 ३२ इस बात पर भी तुम ने अपने उस परमेश्वर यहोवा पर विश्वास नहीं किया,
وَلَكِنْ عَلَى الرَّغْمِ مِنْ ذَلِكَ فَإِنَّكُمْ لَمْ تَثِقُوا بِالَّربِّ إِلَهِكُمُ٣٢
33 ३३ जो तुम्हारे आगे-आगे इसलिए चलता रहा कि डेरे डालने का स्थान तुम्हारे लिये ढूँढ़े, और रात को आग में और दिन को बादल में प्रगट होकर चला, ताकि तुम को वह मार्ग दिखाए जिससे तुम चलो।
السَّائِرِ أَمَامَكُمْ فِي رِحْلَتِكُمْ، لِيَلْتَمِسَ لَكُمْ مَكَاناً تَنْزِلُونَ فِيهِ. فَكَانَ يَقُودُكُمْ فِي عَمُودِ نَارٍ لَيْلاً وَفِي عَمُودِ سَحَابٍ نَهَاراً.٣٣
34 ३४ “परन्तु तुम्हारी वे बातें सुनकर यहोवा का कोप भड़क उठा, और उसने यह शपथ खाई,
وَسَمِعَ الرَّبُّ تَذَمُّرَكُمْ فَسَخَطَ عَلَيْكُمْ وَأَقْسَمَ قَائِلاً:٣٤
35 ३५ ‘निश्चय इस बुरी पीढ़ी के मनुष्यों में से एक भी उस अच्छे देश को देखने न पाएगा, जिसे मैंने उनके पितरों को देने की शपथ खाई थी।
لَنْ يَرَى إِنْسَانٌ مِنْ هَذَا الْجِيلِ الشِّرِّيرِ الأَرْضَ الْجَيِّدَةَ الَّتِي أَقْسَمْتُ أَنْ أَهَبَهَا لِآبَائِكُمْ.٣٥
36 ३६ केवल यपुन्ने का पुत्र कालेब ही उसे देखने पाएगा, और जिस भूमि पर उसके पाँव पड़े हैं उसे मैं उसको और उसके वंश को भी दूँगा; क्योंकि वह मेरे पीछे पूरी रीति से हो लिया है।’
إِلّا كَالِبَ بْنَ يَفُنَّةَ، فَهُوَ يَرَاهَا وَأُوَرِّثُهُ هُوَ وَبَنِيهِ الأَرْضَ الَّتِي وَطِئَهَا، لأَنَّهُ أَطَاعَ الرَّبَّ مِنْ كُلِّ قَلْبِهِ.٣٦
37 ३७ और मुझ पर भी यहोवा तुम्हारे कारण क्रोधित हुआ, और यह कहा, ‘तू भी वहाँ जाने न पाएगा;
كَمَا غَضِبَ الرَّبُّ عَلَيَّ بِسَبَبِكُمْ قَائِلاً: وَأَنْتَ أَيْضاً لَنْ تَدْخُلَ الأَرْضَ.٣٧
38 ३८ नून का पुत्र यहोशू जो तेरे सामने खड़ा रहता है, वह तो वहाँ जाने पाएगा; इसलिए तू उसको हियाव दे, क्योंकि उस देश को इस्राएलियों के अधिकार में वही कर देगा।
إِنَّمَا يَشُوعُ بْنُ نُونٍ الْمَاثِلُ أَمَامَكَ هُوَ يَدْخُلُهَا فَشَجِّعْهُ لأَنَّهُ هُوَ الَّذِي يُوَزِّعُهَا عَلَى الإِسْرَائيِليِّينَ.٣٨
39 ३९ फिर तुम्हारे बाल-बच्चे जिनके विषय में तुम कहते हो कि ये लूट में चले जाएँगे, और तुम्हारे जो बच्चे अभी भले बुरे का भेद नहीं जानते, वे वहाँ प्रवेश करेंगे, और उनको मैं वह देश दूँगा, और वे उसके अधिकारी होंगे।
أَمَّا أَطْفَالُكُمُ الَّذِينَ ادَّعَيْتُمْ أَنَّهُمْ يُصْبِحُونَ غَنِيمَةً، وَصِغَارُكُمُ الَّذِينَ لَا يُمَيِّزُونَ بَعْدُ الْخَيْرَ وَالشَّرَّ، فَهُمْ يَدْخُلُونَ إِلَى هُنَاكَ وَلَهُمْ أَهَبُ الأَرْضَ وَهُمْ يَرِثُونَهَا.٣٩
40 ४० परन्तु तुम लोग घूमकर कूच करो, और लाल समुद्र के मार्ग से जंगल की ओर जाओ।’
وَأَمَّا أَنْتُمْ فَتَحَوَّلُوا وَارْتَحِلُوا إِلَى الصَّحْرَاءِ عَلَى مُحَاذَاةِ طَرِيقِ الْبَحْرِ الأَحْمَرِ.٤٠
41 ४१ “तब तुम ने मुझसे कहा, ‘हमने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है; अब हम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार चढ़ाई करेंगे और लड़ेंगे।’ तब तुम अपने-अपने हथियार बाँधकर पहाड़ पर बिना सोचे समझे चढ़ने को तैयार हो गए।
فَأَجَبْتُمْ وَقُلْتُمْ لِي: لَقْدْ أَخْطَأْنَا إِلَى الرَّبِّ، وَنَحْنُ صَاعِدُونَ إِلَى الْحَرْبِ حَسَبَ كُلِّ مَا أَمَرَنَا بِهِ الرَّبُّ إِلَهُنَا. وَحَمَلَ كُلُّ وَاحِدٍ سِلاحَهُ، مَسْتَخِفّاً بِمَصَاعِبِ ارْتِقَاءِ الْجِبَالِ.٤١
42 ४२ तब यहोवा ने मुझसे कहा, ‘उनसे कह दे कि तुम मत चढ़ो, और न लड़ो; क्योंकि मैं तुम्हारे मध्य में नहीं हूँ; कहीं ऐसा न हो कि तुम अपने शत्रुओं से हार जाओ।’
فَأَمَرَنِي الرَّبُّ: قُلْ لَهُمْ لَا تَصْعَدُوا وَلا تُحَارِبُوا، لأَنِّي لَسْتُ فِي وَسَطِكُمْ، لِئَلّا تَنْهَزِمُوا أَمَامَ أَعْدَائِكُمْ.٤٢
43 ४३ यह बात मैंने तुम से कह दी, परन्तु तुम ने न मानी; किन्तु ढिठाई से यहोवा की आज्ञा का उल्लंघन करके पहाड़ पर चढ़ गए।
فَكَلَّمْتُكُمْ وَلَكِنَّكُمْ لَمْ تَسْمَعُوا، بَلْ عَصَيْتُمْ أَمْرَ الرَّبِّ وَتَمَرَّدْتُمْ وَصَعِدْتُمْ إِلَى الأَرَاضِي الْجَبَلِيَّةِ.٤٣
44 ४४ तब उस पहाड़ के निवासी एमोरियों ने तुम्हारा सामना करने को निकलकर मधुमक्खियों के समान तुम्हारा पीछा किया, और सेईर देश के होर्मा तक तुम्हें मारते-मारते चले आए।
فَانْدَفَعَ الأَمُورِيُّونَ الْمُسْتَوْطِنُونَ فِي الأَرَاضِي الْجَبَلِيَّةِ لِلِقَائِكُمْ، وَطَارَدُوكُمْ كَمَا يُطَارِدُ النَّحْلُ، وَهَزَمُوكُمْ فِي سِعِيرَ حَتَّى تُخُومِ حُرْمَةَ.٤٤
45 ४५ तब तुम लौटकर यहोवा के सामने रोने लगे; परन्तु यहोवा ने तुम्हारी न सुनी, न तुम्हारी बातों पर कान लगाया।
فَرَجَعْتُمْ وَنُحْتُمْ أَمَامَ الرَّبِّ، وَلَمْ يَسْمَعِ الرَّبُّ لِصَوْتِكُمْ وَلا أَنْصَتَ إِلَيْكُمْ.٤٥
46 ४६ और तुम कादेश में बहुत दिनों तक रहे, यहाँ तक कि एक युग हो गया।
وَمَكَثْتُمْ فِي قَادَشَ أَيَّاماً كَثِيرَةً، أَيْ طَوَالَ الْفَتْرَةِ الَّتِي بَقِيتُمْ فِيهَا هُنَاكَ.٤٦

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