< व्यवस्था विवरण 1 >

1 जो बातें मूसा ने यरदन के पार जंगल में, अर्थात् सूफ के सामने के अराबा में, और पारान और तोपेल के बीच, और लाबान हसेरोत और दीजाहाब में, सारे इस्राएलियों से कहीं वे ये हैं।
هَذَا هُوَ ٱلْكَلَامُ ٱلَّذِي كَلَّمَ بِهِ مُوسَى جَمِيعَ إِسْرَائِيلَ فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ، فِي ٱلْبَرِّيَّةِ فِي ٱلْعَرَبَةِ، قُبَالَةَ سُوفَ، بَيْنَ فَارَانَ وَتُوفَلَ وَلَابَانَ وَحَضَيْرُوتَ وَذِي ذَهَبٍ.١
2 होरेब से कादेशबर्ने तक सेईर पहाड़ का मार्ग ग्यारह दिन का है।
أَحَدَ عَشَرَ يَوْمًا مِنْ حُورِيبَ عَلَى طَرِيقِ جَبَلِ سِعِيرَ إِلَى قَادَشَ بَرْنِيعَ.٢
3 चालीसवें वर्ष के ग्यारहवें महीने के पहले दिन को जो कुछ यहोवा ने मूसा को इस्राएलियों से कहने की आज्ञा दी थी, उसके अनुसार मूसा उनसे ये बातें कहने लगा।
فَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلْأَرْبَعِينَ، فِي ٱلشَّهْرِ ٱلْحَادِي عَشَرَ فِي ٱلْأَوَّلِ مِنَ ٱلشَّهْرِ، كَلَّمَ مُوسَى بَنِي إِسْرَائِيلَ حَسَبَ كُلِّ مَا أَوْصَاهُ ٱلرَّبُّ إِلَيْهِمْ.٣
4 अर्थात् जब मूसा ने एमोरियों के राजा हेशबोनवासी सीहोन और बाशान के राजा अश्तारोतवासी ओग को एद्रेई में मार डाला,
بَعْدَ مَا ضَرَبَ سِيحُونَ مَلِكَ ٱلْأَمُورِيِّينَ ٱلسَّاكِنَ فِي حَشْبُونَ، وَعُوجَ مَلِكَ بَاشَانَ ٱلسَّاكِنَ فِي عَشْتَارُوثَ فِي إِذْرَعِي.٤
5 उसके बाद यरदन के पार मोआब देश में वह व्यवस्था का विवरण ऐसे करने लगा,
فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ، فِي أَرْضِ مُوآبَ، ٱبْتَدَأَ مُوسَى يَشْرَحُ هَذِهِ ٱلشَّرِيعَةَ قَائِلًا:٥
6 “हमारे परमेश्वर यहोवा ने होरेब के पास हम से कहा था, ‘तुम लोगों को इस पहाड़ के पास रहते हुए बहुत दिन हो गए हैं;
«اَلرَّبُّ إِلَهُنَا كَلَّمَنَا فِي حُورِيبَ قَائِلًا: كَفَاكُمْ قُعُودٌ فِي هَذَا ٱلْجَبَلِ،٦
7 इसलिए अब यहाँ से कूच करो, और एमोरियों के पहाड़ी देश को, और क्या अराबा में, क्या पहाड़ों में, क्या नीचे के देश में, क्या दक्षिण देश में, क्या समुद्र के किनारे, जितने लोग एमोरियों के पास रहते हैं उनके देश को, अर्थात् लबानोन पर्वत तक और फरात नाम महानद तक रहनेवाले कनानियों के देश को भी चले जाओ।
تَحَوَّلُوا وَٱرْتَحِلُوا وَٱدْخُلُوا جَبَلَ ٱلْأَمُورِيِّينَ وَكُلَّ مَا يَلِيهِ مِنَ ٱلْعَرَبَةِ وَٱلْجَبَلِ وَٱلسَّهْلِ وَٱلْجَنُوبِ وَسَاحِلِ ٱلْبَحْرِ، أَرْضَ ٱلْكَنْعَانِيِّ وَلُبْنَانَ إِلَى ٱلنَّهْرِ ٱلْكَبِيرِ، نَهْرِ ٱلْفُرَاتِ.٧
8 सुनो, मैं उस देश को तुम्हारे सामने किए देता हूँ; जिस देश के विषय यहोवा ने अब्राहम, इसहाक, और याकूब, तुम्हारे पितरों से शपथ खाकर कहा था कि मैं इसे तुम को और तुम्हारे बाद तुम्हारे वंश को दूँगा, उसको अब जाकर अपने अधिकार में कर लो।’”
اُنْظُرْ. قَدْ جَعَلْتُ أَمَامَكُمُ ٱلْأَرْضَ. ٱدْخُلُوا وَتَمَلَّكُوا ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي أَقْسَمَ ٱلرَّبُّ لِآبَائِكُمْ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ أَنْ يُعْطِيَهَا لَهُمْ وَلِنَسْلِهِمْ مِنْ بَعْدِهِمْ.٨
9 “फिर उसी समय मैंने तुम से कहा, ‘मैं तुम्हारा भार अकेला नहीं उठा सकता;
«وَكَلَّمْتُكُمْ فِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ قَائِلًا: لَا أَقْدِرُ وَحْدِي أَنْ أَحْمِلَكُمْ.٩
10 १० क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को यहाँ तक बढ़ाया है कि तुम गिनती में आज आकाश के तारों के समान हो गए हो।
اَلرَّبُّ إِلَهُكُمْ قَدْ كَثَّرَكُمْ. وَهُوَذَا أَنْتُمُ ٱلْيَوْمَ كَنُجُومِ ٱلسَّمَاءِ فِي ٱلْكَثْرَةِ.١٠
11 ११ तुम्हारे पितरों का परमेश्वर तुम को हजारगुणा और भी बढ़ाए, और अपने वचन के अनुसार तुम को आशीष भी देता रहे!
ٱلرَّبُّ إِلَهُ آبَائِكُمْ يَزِيدُ عَلَيْكُمْ مِثْلَكُمْ أَلْفَ مَرَّةٍ، وَيُبَارِكُكُمْ كَمَا كَلَّمَكُمْ.١١
12 १२ परन्तु तुम्हारे झंझट, और भार, और झगड़ों को मैं अकेला कहाँ तक सह सकता हूँ।
كَيْفَ أَحْمِلُ وَحْدِي ثِقْلَكُمْ وَحِمْلَكُمْ وَخُصُومَتَكُمْ؟١٢
13 १३ इसलिए तुम अपने-अपने गोत्र में से एक-एक बुद्धिमान और समझदार और प्रसिद्ध पुरुष चुन लो, और मैं उन्हें तुम पर मुखिया ठहराऊँगा।’
هَاتُوا مِنْ أَسْبَاطِكُمْ رِجَالًا حُكَمَاءَ وَعُقَلَاءَ وَمَعْرُوفِينَ، فَأَجْعَلُهُمْ رُؤُوسَكُمْ.١٣
14 १४ इसके उत्तर में तुम ने मुझसे कहा, ‘जो कुछ तू हम से कहता है उसका करना अच्छा है।’
فَأَجَبْتُمُونِي وَقُلْتُمْ: حَسَنٌ ٱلْأَمْرُ ٱلَّذِي تَكَلَّمْتَ بِهِ أَنْ يُعْمَلَ.١٤
15 १५ इसलिए मैंने तुम्हारे गोत्रों के मुख्य पुरुषों को जो बुद्धिमान और प्रसिद्ध पुरुष थे चुनकर तुम पर मुखिया नियुक्त किया, अर्थात् हजार-हजार, सौ-सौ, पचास-पचास, और दस-दस के ऊपर प्रधान और तुम्हारे गोत्रों के सरदार भी नियुक्त किए।
فَأَخَذْتُ رُؤُوسَ أَسْبَاطِكُمْ رِجَالًا حُكَمَاءَ وَمَعْرُوفِينَ، وَجَعَلْتُهُمْ رُؤُوسًا عَلَيْكُمْ، رُؤَسَاءَ أُلُوفٍ، وَرُؤَسَاءَ مِئَاتٍ، وَرُؤَسَاءَ خَمَاسِينَ، وَرُؤَسَاءَ عَشَرَاتٍ، وَعُرَفَاءَ لِأَسْبَاطِكُمْ.١٥
16 १६ और उस समय मैंने तुम्हारे न्यायियों को आज्ञा दी, ‘तुम अपने भाइयों के मुकद्दमे सुना करो, और उनके बीच और उनके पड़ोसियों और परदेशियों के बीच भी धार्मिकता से न्याय किया करो।
وَأَمَرْتُ قُضَاتَكُمْ فِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ قَائِلًا: ٱسْمَعُوا بَيْنَ إِخْوَتِكُمْ وَٱقْضُوا بِٱلْحَقِّ بَيْنَ ٱلْإِنْسَانِ وَأَخِيهِ وَنَزِيلِهِ.١٦
17 १७ न्याय करते समय किसी का पक्ष न करना; जैसे बड़े की वैसे ही छोटे मनुष्य की भी सुनना; किसी का मुँह देखकर न डरना, क्योंकि न्याय परमेश्वर का काम है; और जो मुकद्दमा तुम्हारे लिये कठिन हो, वह मेरे पास ले आना, और मैं उसे सुनूँगा।’
لَا تَنْظُرُوا إِلَى ٱلْوُجُوهِ فِي ٱلْقَضَاءِ. لِلصَّغِيرِ كَٱلْكَبِيرِ تَسْمَعُونَ. لَا تَهَابُوا وَجْهَ إِنْسَانٍ لِأَنَّ ٱلْقَضَاءَ لِلهِ. وَٱلْأَمْرُ ٱلَّذِي يَعْسُرُ عَلَيْكُمْ تُقَدِّمُونَهُ إِلَيَّ لِأَسْمَعَهُ.١٧
18 १८ और मैंने उसी समय तुम्हारे सारे कर्तव्य तुम को बता दिए।
وَأَمَرْتُكُمْ فِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ بِكُلِّ ٱلْأُمُورِ ٱلَّتِي تَعْمَلُونَهَا.١٨
19 १९ “हम होरेब से कूच करके अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार उस सारे बड़े और भयानक जंगल में होकर चले, जिसे तुम ने एमोरियों के पहाड़ी देश के मार्ग में देखा, और हम कादेशबर्ने तक आए।
«ثُمَّ ٱرْتَحَلْنَا مِنْ حُورِيبَ، وَسَلَكْنَا كُلَّ ذَلِكَ ٱلْقَفْرِ ٱلْعَظِيمِ ٱلْمَخُوفِ ٱلَّذِي رَأَيْتُمْ فِي طَرِيقِ جَبَلِ ٱلْأَمُورِيِّينَ، كَمَا أَمَرَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُنَا. وَجِئْنَا إِلَى قَادَشَ بَرْنِيعَ.١٩
20 २० वहाँ मैंने तुम से कहा, ‘तुम एमोरियों के पहाड़ी देश तक आ गए हो जिसको हमारा परमेश्वर यहोवा हमें देता है।
فَقُلْتُ لَكُمْ: قَدْ جِئْتُمْ إِلَى جَبَلِ ٱلْأَمُورِيِّينَ ٱلَّذِي أَعْطَانَا ٱلرَّبُّ إِلَهُنَا.٢٠
21 २१ देखो, उस देश को तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे सामने किए देता है, इसलिए अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस पर चढ़ो, और उसे अपने अधिकार में ले लो; न तो तुम डरो और न तुम्हारा मन कच्चा हो।’
اُنْظُرْ. قَدْ جَعَلَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ ٱلْأَرْضَ أَمَامَكَ. ٱصْعَدْ تَمَلَّكْ كَمَا كَلَّمَكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ آبَائِكَ. لَا تَخَفْ وَلَا تَرْتَعِبْ.٢١
22 २२ और तुम सब मेरे पास आकर कहने लगे, ‘हम अपने आगे पुरुषों को भेज देंगे, जो उस देश का पता लगाकर हमको यह सन्देश दें, कि कौन से मार्ग से होकर चलना होगा और किस-किस नगर में प्रवेश करना पड़ेगा?’
فَتَقَدَّمْتُمْ إِلَيَّ جَمِيعُكُمْ وَقُلْتُمْ: دَعْنَا نُرْسِلْ رِجَالًا قُدَّامَنَا لِيَتَجَسَّسُوا لَنَا ٱلْأَرْضَ، وَيَرُدُّوا إِلَيْنَا خَبَرًا عَنِ ٱلطَّرِيقِ ٱلَّتِي نَصْعَدُ فِيهَا وَٱلْمُدُنِ ٱلَّتِي نَأْتِي إِلَيْهَا.٢٢
23 २३ इस बात से प्रसन्न होकर मैंने तुम में से बारह पुरुष, अर्थात् हर गोत्र में से एक पुरुष चुन लिया;
فَحَسُنَ ٱلْكَلَامُ لَدَيَّ، فَأَخَذْتُ مِنْكُمُ ٱثْنَيْ عَشَرَ رَجُلًا. رَجُلًا وَاحِدًا مِنْ كُلِّ سِبْطٍ.٢٣
24 २४ और वे पहाड़ पर चढ़ गए, और एशकोल नामक नाले को पहुँचकर उस देश का भेद लिया।
فَٱنْصَرَفُوا وَصَعِدُوا إِلَى ٱلْجَبَلِ وَأَتَوْا إِلَى وَادِي أَشْكُولَ وَتَجَسَّسُوهُ،٢٤
25 २५ और उस देश के फलों में से कुछ हाथ में लेकर हमारे पास आए, और हमको यह सन्देश दिया, ‘जो देश हमारा परमेश्वर यहोवा हमें देता है वह अच्छा है।’
وَأَخَذُوا فِي أَيْدِيهِمْ مِنْ أَثْمَارِ ٱلْأَرْضِ وَنَزَلُوا بِهِ إِلَيْنَا، وَرَدُّوا لَنَا خَبَرًا وَقَالُوا: جَيِّدَةٌ هِيَ ٱلْأَرْضُ ٱلَّتِي أَعْطَانَا ٱلرَّبُّ إِلَهُنَا.٢٥
26 २६ “तो भी तुम ने वहाँ जाने से मना किया, किन्तु अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के विरुद्ध होकर
«لَكِنَّكُمْ لَمْ تَشَاءُوا أَنْ تَصْعَدُوا، وَعَصَيْتُمْ قَوْلَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ،٢٦
27 २७ अपने-अपने डेरे में यह कहकर कुड़कुड़ाने लगे, ‘यहोवा हम से बैर रखता है, इस कारण हमको मिस्र देश से निकाल ले आया है, कि हमको एमोरियों के वश में करके हमारा सत्यानाश कर डाले।
وَتَمَرْمَرْتُمْ فِي خِيَامِكُمْ وَقُلْتُمُ: ٱلرَّبُّ بِسَبَبِ بُغْضَتِهِ لَنَا، قَدْ أَخْرَجَنَا مِنْ أَرْضِ مِصْرَ لِيَدْفَعَنَا إِلَى أَيْدِي ٱلْأَمُورِيِّينَ لِكَيْ يُهْلِكَنَا.٢٧
28 २८ हम किधर जाएँ? हमारे भाइयों ने यह कहकर हमारे मन को कच्चा कर दिया है कि वहाँ के लोग हम से बड़े और लम्बे हैं; और वहाँ के नगर बड़े-बड़े हैं, और उनकी शहरपनाह आकाश से बातें करती हैं; और हमने वहाँ अनाकवंशियों को भी देखा है।’
إِلَى أَيْنَ نَحْنُ صَاعِدُونَ؟ قَدْ أَذَابَ إِخْوَتُنَا قُلُوبَنَا قَائِلِينَ: شَعْبٌ أَعْظَمُ وَأَطْوَلُ مِنَّا. مُدُنٌ عَظِيمَةٌ مُحَصَّنَةٌ إِلَى ٱلسَّمَاءِ، وَأَيْضًا قَدْ رَأَيْنَا بَنِي عَنَاقَ هُنَاكَ.٢٨
29 २९ मैंने तुम से कहा, ‘उनके कारण भय मत खाओ और न डरो।
فَقُلْتُ لَكُمْ: لَا تَرْهَبُوا وَلَا تَخَافُوا مِنْهُمُ.٢٩
30 ३० तुम्हारा परमेश्वर यहोवा जो तुम्हारे आगे-आगे चलता है वह आप तुम्हारी ओर से लड़ेगा, जैसे कि उसने मिस्र में तुम्हारे देखते तुम्हारे लिये किया;
ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمُ ٱلسَّائِرُ أَمَامَكُمْ هُوَ يُحَارِبُ عَنْكُمْ حَسَبَ كُلِّ مَا فَعَلَ مَعَكُمْ فِي مِصْرَ أَمَامَ أَعْيُنِكُمْ٣٠
31 ३१ फिर तुम ने जंगल में भी देखा कि जिस रीति कोई पुरुष अपने लड़के को उठाए चलता है, उसी रीति हमारा परमेश्वर यहोवा हमको इस स्थान पर पहुँचने तक, उस सारे मार्ग में जिससे हम आए हैं, उठाए रहा।’
وَفِي ٱلْبَرِّيَّةِ، حَيْثُ رَأَيْتَ كَيْفَ حَمَلَكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ كَمَا يَحْمِلُ ٱلْإِنْسَانُ ٱبْنَهُ فِي كُلِّ ٱلطَّرِيقِ ٱلَّتِي سَلَكْتُمُوهَا حَتَّى جِئْتُمْ إِلَى هَذَا ٱلْمَكَانِ.٣١
32 ३२ इस बात पर भी तुम ने अपने उस परमेश्वर यहोवा पर विश्वास नहीं किया,
وَلَكِنْ فِي هَذَا ٱلْأَمْرِ لَسْتُمْ وَاثِقِينَ بِٱلرَّبِّ إِلَهِكُمُ٣٢
33 ३३ जो तुम्हारे आगे-आगे इसलिए चलता रहा कि डेरे डालने का स्थान तुम्हारे लिये ढूँढ़े, और रात को आग में और दिन को बादल में प्रगट होकर चला, ताकि तुम को वह मार्ग दिखाए जिससे तुम चलो।
ٱلسَّائِرِ أَمَامَكُمْ فِي ٱلطَّرِيقِ، لِيَلْتَمِسَ لَكُمْ مَكَانًا لِنُزُولِكُمْ، فِي نَارٍ لَيْلًا لِيُرِيَكُمُ ٱلطَّرِيقَ ٱلَّتِي تَسِيرُونَ فِيهَا، وَفِي سَحَابٍ نَهَارًا.٣٣
34 ३४ “परन्तु तुम्हारी वे बातें सुनकर यहोवा का कोप भड़क उठा, और उसने यह शपथ खाई,
وَسَمِعَ ٱلرَّبُّ صَوْتَ كَلَامِكُمْ فَسَخِطَ وَأَقْسَمَ قَائِلًا:٣٤
35 ३५ ‘निश्चय इस बुरी पीढ़ी के मनुष्यों में से एक भी उस अच्छे देश को देखने न पाएगा, जिसे मैंने उनके पितरों को देने की शपथ खाई थी।
لَنْ يَرَى إِنْسَانٌ مِنْ هَؤُلَاءِ ٱلنَّاسِ، مِنْ هَذَا ٱلْجِيلِ ٱلشِّرِّيرِ، ٱلْأَرْضَ ٱلْجَيِّدَةَ ٱلَّتِي أَقْسَمْتُ أَنْ أُعْطِيَهَا لِآبَائِكُمْ،٣٥
36 ३६ केवल यपुन्ने का पुत्र कालेब ही उसे देखने पाएगा, और जिस भूमि पर उसके पाँव पड़े हैं उसे मैं उसको और उसके वंश को भी दूँगा; क्योंकि वह मेरे पीछे पूरी रीति से हो लिया है।’
مَا عَدَا كَالِبَ بْنَ يَفُنَّةَ. هُوَ يَرَاهَا، وَلَهُ أُعْطِي ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي وَطِئَهَا، وَلِبَنِيهِ، لِأَنَّهُ قَدِ ٱتَّبَعَ ٱلرَّبَّ تَمَامًا.٣٦
37 ३७ और मुझ पर भी यहोवा तुम्हारे कारण क्रोधित हुआ, और यह कहा, ‘तू भी वहाँ जाने न पाएगा;
وَعَلَيَّ أَيْضًا غَضِبَ ٱلرَّبُّ بِسَبَبِكُمْ قَائِلًا: وَأَنْتَ أَيْضًا لَا تَدْخُلُ إِلَى هُنَاكَ.٣٧
38 ३८ नून का पुत्र यहोशू जो तेरे सामने खड़ा रहता है, वह तो वहाँ जाने पाएगा; इसलिए तू उसको हियाव दे, क्योंकि उस देश को इस्राएलियों के अधिकार में वही कर देगा।
يَشُوعُ بْنُ نُونَ ٱلْوَاقِفُ أَمَامَكَ هُوَ يَدْخُلُ إِلَى هُنَاكَ. شَدِّدْهُ لِأَنَّهُ هُوَ يَقْسِمُهَا لِإِسْرَائِيلَ.٣٨
39 ३९ फिर तुम्हारे बाल-बच्चे जिनके विषय में तुम कहते हो कि ये लूट में चले जाएँगे, और तुम्हारे जो बच्चे अभी भले बुरे का भेद नहीं जानते, वे वहाँ प्रवेश करेंगे, और उनको मैं वह देश दूँगा, और वे उसके अधिकारी होंगे।
وَأَمَّا أَطْفَالُكُمُ ٱلَّذِينَ قُلْتُمْ يَكُونُونَ غَنِيمَةً، وَبَنُوكُمُ ٱلَّذِينَ لَمْ يَعْرِفُوا ٱلْيَوْمَ ٱلْخَيْرَ وَٱلشَّرَّ فَهُمْ يَدْخُلُونَ إِلَى هُنَاكَ، وَلَهُمْ أُعْطِيهَا وَهُمْ يَمْلِكُونَهَا.٣٩
40 ४० परन्तु तुम लोग घूमकर कूच करो, और लाल समुद्र के मार्ग से जंगल की ओर जाओ।’
وَأَمَّا أَنْتُمْ فَتَحَوَّلُوا وَٱرْتَحِلُوا إِلَى ٱلْبَرِّيَّةِ عَلَى طَرِيقِ بَحْرِ سُوفَ.٤٠
41 ४१ “तब तुम ने मुझसे कहा, ‘हमने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है; अब हम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार चढ़ाई करेंगे और लड़ेंगे।’ तब तुम अपने-अपने हथियार बाँधकर पहाड़ पर बिना सोचे समझे चढ़ने को तैयार हो गए।
«فَأَجَبْتُمْ وَقُلْتُمْ لِي: قَدْ أَخْطَأْنَا إِلَى ٱلرَّبِّ. نَحْنُ نَصْعَدُ وَنُحَارِبُ حَسَبَ كُلِّ مَا أَمَرَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُنَا. وَتَنَطَّقْتُمْ كُلُّ وَاحِدٍ بِعُدَّةِ حَرْبِهِ، وَٱسْتَخْفَفْتُمُ ٱلصُّعُوْدَ إِلَى ٱلْجَبَلِ.٤١
42 ४२ तब यहोवा ने मुझसे कहा, ‘उनसे कह दे कि तुम मत चढ़ो, और न लड़ो; क्योंकि मैं तुम्हारे मध्य में नहीं हूँ; कहीं ऐसा न हो कि तुम अपने शत्रुओं से हार जाओ।’
فَقَالَ ٱلرَّبُّ لِي: قُلْ لَهُمْ: لَا تَصْعَدُوا وَلَا تُحَارِبُوا، لِأَنِّي لَسْتُ فِي وَسَطِكُمْ لِئَلَّا تَنْكَسِرُوا أَمَامَ أَعْدَائِكُمْ.٤٢
43 ४३ यह बात मैंने तुम से कह दी, परन्तु तुम ने न मानी; किन्तु ढिठाई से यहोवा की आज्ञा का उल्लंघन करके पहाड़ पर चढ़ गए।
فَكَلَّمْتُكُمْ وَلَمْ تَسْمَعُوا بَلْ عَصَيْتُمْ قَوْلَ ٱلرَّبِّ وَطَغَيْتُمْ، وَصَعِدْتُمْ إِلَى ٱلْجَبَلِ.٤٣
44 ४४ तब उस पहाड़ के निवासी एमोरियों ने तुम्हारा सामना करने को निकलकर मधुमक्खियों के समान तुम्हारा पीछा किया, और सेईर देश के होर्मा तक तुम्हें मारते-मारते चले आए।
فَخَرَجَ ٱلْأَمُورِيُّونَ ٱلسَّاكِنُونَ فِي ذَلِكَ ٱلْجَبَلِ لِلِقَائِكُمْ وَطَرَدُوكُمْ كَمَا يَفْعَلُ ٱلنَّحْلُ، وَكَسَرُوكُمْ فِي سِعِيرَ إِلَى حُرْمَةَ.٤٤
45 ४५ तब तुम लौटकर यहोवा के सामने रोने लगे; परन्तु यहोवा ने तुम्हारी न सुनी, न तुम्हारी बातों पर कान लगाया।
فَرَجَعْتُمْ وَبَكَيْتُمْ أَمَامَ ٱلرَّبِّ، وَلَمْ يَسْمَعِ ٱلرَّبُّ لِصَوْتِكُمْ وَلَا أَصْغَى إِلَيْكُمْ.٤٥
46 ४६ और तुम कादेश में बहुत दिनों तक रहे, यहाँ तक कि एक युग हो गया।
وَقَعَدْتُمْ فِي قَادَشَ أَيَّامًا كَثِيرَةً كَٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي قَعَدْتُمْ فِيهَا.٤٦

< व्यवस्था विवरण 1 >