< व्यवस्था विवरण 9 >
1 १ “हे इस्राएल, सुन, आज तू यरदन पार इसलिए जानेवाला है, कि ऐसी जातियों को जो तुझ से बड़ी और सामर्थी हैं, और ऐसे बड़े नगरों को जिनकी शहरपनाह आकाश से बातें करती हैं, अपने अधिकार में ले ले।
“You people of Israel, listen to me! You will soon [HYP] cross the Jordan [River]. In the land that you will enter, there are large cities that have very high walls [around them] that [seem to] [HYP] extend up to the sky. There are people-groups in that land that are more numerous and more powerful than you are.
2 २ उनमें बड़े-बड़े और लम्बे-लम्बे लोग, अर्थात् अनाकवंशी रहते हैं, जिनका हाल तू जानता है, और उनके विषय में तूने यह सुना है, कि अनाकवंशियों के सामने कौन ठहर सकता है?
Those people are very tall and strong. [Some of them] are giants who are descendants of Anak. You know about them, and you have heard people say that no one [RHQ] can defeat the descendants of Anak.
3 ३ इसलिए आज तू यह जान ले, कि जो तेरे आगे भस्म करनेवाली आग के समान पार जानेवाला है वह तेरा परमेश्वर यहोवा है; और वह उनका सत्यानाश करेगा, और वह उनको तेरे सामने दबा देगा; और तू यहोवा के वचन के अनुसार उनको उस देश से निकालकर शीघ्र ही नष्ट कर डालेगा।
But I want you to know that Yahweh our God will go ahead of you. He will be like a raging/roaring fire. While you advance, he will defeat and destroy them. As a result, you will quickly be able to expel some of them and kill the others, which is what Yahweh promised that you would do.
4 ४ “जब तेरा परमेश्वर यहोवा उन्हें तेरे सामने से निकाल देगा तब यह न सोचना, कि यहोवा तेरे धार्मिकता के कारण तुझे इस देश का अधिकारी होने को ले आया है, किन्तु उन जातियों की दुष्टता ही के कारण यहोवा उनको तेरे सामने से निकालता है।
“After Yahweh our God has expelled them for you, do not say to yourselves, ‘It is because we are righteous that Yahweh has enabled us to capture this land.’ The truth is that it is because the people in that land are wicked that Yahweh will expel them as you advance.
5 ५ तू जो उनके देश का अधिकारी होने के लिये जा रहा है, इसका कारण तेरा धार्मिकता या मन की सिधाई नहीं है; तेरा परमेश्वर यहोवा जो उन जातियों को तेरे सामने से निकालता है, उसका कारण उनकी दुष्टता है, और यह भी कि जो वचन उसने अब्राहम, इसहाक, और याकूब, अर्थात् तेरे पूर्वजों को शपथ खाकर दिया था, उसको वह पूरा करना चाहता है।
[I say again that] it is not because you are righteous or because you do things that are righteous that you will enter and capture that land. It is because those people-groups are very wicked that Yahweh our God will expel them as you advance, and because he intends to do what he vowed to your ancestors Abraham, Isaac, and Jacob that he would do.
6 ६ “इसलिए यह जान ले कि तेरा परमेश्वर यहोवा, जो तुझे वह अच्छा देश देता है कि तू उसका अधिकारी हो, उसे वह तेरे धार्मिकता के कारण नहीं दे रहा है; क्योंकि तू तो एक हठीली जाति है।
I want you to know that it is not because you are righteous that Yahweh our God is giving you this good/fertile land. I say that because [you are not righteous]; you are a very stubborn [IDM] people.”
7 ७ इस बात का स्मरण रख और कभी भी न भूलना, कि जंगल में तूने किस-किस रीति से अपने परमेश्वर यहोवा को क्रोधित किया; और जिस दिन से तू मिस्र देश से निकला है जब तक तुम इस स्थान पर न पहुँचे तब तक तुम यहोवा से बलवा ही बलवा करते आए हो।
“Never forget what your ancestors did in the desert that caused Yahweh our God to become angry. From the day that we left Egypt until the day that we arrived here, you and your ancestors have continually rebelled against him.
8 ८ फिर होरेब के पास भी तुम ने यहोवा को क्रोधित किया, और वह क्रोधित होकर तुम्हें नष्ट करना चाहता था।
Even at Sinai [Mountain] your ancestors caused Yahweh to become angry. Because he was very angry, he was ready to get rid of [all of] them.
9 ९ जब मैं उस वाचा के पत्थर की पटियाओं को जो यहोवा ने तुम से बाँधी थी लेने के लिये पर्वत के ऊपर चढ़ गया, तब चालीस दिन और चालीस रात पर्वत ही के ऊपर रहा; और मैंने न तो रोटी खाई न पानी पिया।
When I climbed the mountain to receive from him the stone tablets on which he had written the Ten Commandments that he was giving to them, I stayed there 40 days and nights, and [during that time] I did not eat or drink anything.
10 १० और यहोवा ने मुझे अपने ही हाथ की लिखी हुई पत्थर की दोनों पटियाओं को सौंप दिया, और वे ही वचन जिन्हें यहोवा ने पर्वत के ऊपर आग के मध्य में से सभा के दिन तुम से कहे थे वे सब उन पर लिखे हुए थे।
Yahweh gave me the two stone tablets on which he had written [the commandments] with his own fingers. They were the words/commandments that he had spoken to your ancestors from the fire on that mountain, when they were gathered together [at the bottom of the mountain].
11 ११ और चालीस दिन और चालीस रात के बीत जाने पर यहोवा ने पत्थर की वे दो वाचा की पटियाएँ मुझे दे दीं।
“At the end of those 40 days and nights, Yahweh gave me those two stone tablets on which he had written those commandments.
12 १२ और यहोवा ने मुझसे कहा, ‘उठ, यहाँ से झटपट नीचे जा; क्योंकि तेरी प्रजा के लोग जिनको तू मिस्र से निकालकर ले आया है वे बिगड़ गए हैं; जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा मैंने उन्हें दी थी उसको उन्होंने झटपट छोड़ दिया है; अर्थात् उन्होंने तुरन्त अपने लिये एक मूर्ति ढालकर बना ली है।’
But then he said to me, ‘Go down the mountain immediately, because [the people whom you are leading], the people whom you led out of Egypt, have committed a terrible sin! They have very quickly done what I commanded them not to do. They have made for themselves a metal statue [of a calf to worship].’
13 १३ “फिर यहोवा ने मुझसे यह भी कहा, ‘मैंने उन लोगों को देख लिया, वे हठीली जाति के लोग हैं;
Then Yahweh said to me, ‘I have been watching these people, and I see that they are very stubborn.
14 १४ इसलिए अब मुझे तू मत रोक, ताकि मैं उन्हें नष्ट कर डालूँ, और धरती के ऊपर से उनका नाम या चिन्ह तक मिटा डालूँ, और मैं उनसे बढ़कर एक बड़ी और सामर्थी जाति तुझी से उत्पन्न करूँगा।
So do not try to stop me. I am going to destroy all of them, with the result that no one anywhere will remember (their names [MTY]/that they ever existed). Then I will enable you to become [the ancestor of] a nation that will be more numerous and more powerful than they are.’
15 १५ तब मैं उलटे पैर पर्वत से नीचे उतर चला, और पर्वत अग्नि से दहक रहा था और मेरे दोनों हाथों में वाचा की दोनों पटियाएँ थीं।
So I turned and went down the mountain, carrying in my hands the two stone tablets on which the Ten Commandments were [written]. Fire was burning all over the mountain.
16 १६ और मैंने देखा कि तुम ने अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध महापाप किया; और अपने लिये एक बछड़ा ढालकर बना लिया है, और तुरन्त उस मार्ग से जिस पर चलने की आज्ञा यहोवा ने तुम को दी थी उसको तुम ने तज दिया।
I looked, and I was shocked to see that your ancestors had committed a [great] sin against Yahweh. They very quickly had begun to do what Yahweh our God had commanded them not to do. They had [requested Aaron to] make for them [a metal image of] a calf [to worship].
17 १७ तब मैंने उन दोनों पटियाओं को अपने दोनों हाथों से लेकर फेंक दिया, और तुम्हारी आँखों के सामने उनको तोड़ डाला।
So while they were watching, I lifted up those two stone tablets and threw them [on the ground], and they broke into pieces.
18 १८ तब तुम्हारे उस महापाप के कारण जिसे करके तुम ने यहोवा की दृष्टि में बुराई की, और उसे रिस दिलाई थी, मैं यहोवा के सामने मुँह के बल गिर पड़ा, और पहले के समान, अर्थात् चालीस दिन और चालीस रात तक, न तो रोटी खाई और न पानी पिया।
Then I (prostrated myself/lay) on the ground in Yahweh’s presence as I had done before, and I did not eat or drink anything for 40 days and nights. I did that because your ancestors had sinned against Yahweh and caused him to become very angry.
19 १९ मैं तो यहोवा के उस कोप और जलजलाहट से डर रहा था, क्योंकि वह तुम से अप्रसन्न होकर तुम्हारा सत्यानाश करने को था। परन्तु यहोवा ने उस बार भी मेरी सुन ली।
I was afraid/worried that because Yahweh was very angry with them, he would get rid of all of them. [But again I prayed that he would not do that], and again he listened to me [and answered my prayer].
20 २० और यहोवा हारून से इतना कोपित हुआ कि उसका भी सत्यानाश करना चाहा; परन्तु उसी समय मैंने हारून के लिये भी प्रार्थना की।
Yahweh was also very angry with Aaron [for making that golden calf] and was ready to kill Aaron. But at the same time I prayed for Aaron also, [and Yahweh answered my prayer].
21 २१ और मैंने वह बछड़ा जिसे बनाकर तुम पापी हो गए थे लेकर, आग में डालकर फूँक दिया; और फिर उसे पीस-पीसकर ऐसा चूर चूरकर डाला कि वह धूल के समान जीर्ण हो गया; और उसकी उस राख को उस नदी में फेंक दिया जो पर्वत से निकलकर नीचे बहती थी।
Your ancestors had sinned by [requesting Aaron to] make [a metal statue of] a calf. So I took that statue and [I melted it] in a fire and crushed it and ground it into very tiny pieces [HYP]. Then I threw those tiny pieces into the stream that flowed down the mountain.
22 २२ “फिर तबेरा, और मस्सा, और किब्रोतहत्तावा में भी तुम ने यहोवा को रिस दिलाई थी।
Your ancestors also caused Yahweh to become very angry [by what they did] at [places which they named] Taberah, Massah, and Kibroth-Hattaavah.
23 २३ फिर जब यहोवा ने तुम को कादेशबर्ने से यह कहकर भेजा, ‘जाकर उस देश के जिसे मैंने तुम्हें दिया है अधिकारी हो जाओ,’ तब भी तुम ने अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के विरुद्ध बलवा किया, और न तो उसका विश्वास किया, और न उसकी बात ही मानी।
And when we were at Kadesh-Barnea, Yahweh said to your ancestors, ‘Go up and capture the land that I am about to give to you!’ But they rebelled against him. They did not trust him, and they did not obey what he told [MTY] them to do.
24 २४ जिस दिन से मैं तुम्हें जानता हूँ उस दिन से तुम यहोवा से बलवा ही करते आए हो।
Your ancestors rebelled against Yahweh from the first day that I knew them, [in Egypt].
25 २५ “मैं यहोवा के सामने चालीस दिन और चालीस रात मुँह के बल पड़ा रहा, क्योंकि यहोवा ने कह दिया था, कि वह तुम्हारा सत्यानाश करेगा।
So, [as I said], I lay on the ground in Yahweh’s presence for 40 days and nights, because Yahweh had said that he would get rid of your ancestors.
26 २६ और मैंने यहोवा से यह प्रार्थना की, ‘हे प्रभु यहोवा, अपना प्रजारूपी निज भाग, जिनको तूने अपने महान प्रताप से छुड़ा लिया है, और जिनको तूने अपने बलवन्त हाथ से मिस्र से निकाल लिया है, उन्हें नष्ट न कर।
And I prayed to Yahweh, saying, ‘Lord God, these people belong to you; do not destroy them. They are people whom you rescued and brought out of Egypt by your very great power. [DOU, MTY]
27 २७ अपने दास अब्राहम, इसहाक, और याकूब को स्मरण कर; और इन लोगों की हठ, और दुष्टता, और पाप पर दृष्टि न कर,
Do not forget [what you promised to] Abraham, Isaac, and Jacob. Please ignore these stubborn and wicked people and the sin that they have committed.
28 २८ जिससे ऐसा न हो कि जिस देश से तू हमको निकालकर ले आया है, वहाँ के लोग कहने लगें, कि यहोवा उन्हें उस देश में जिसके देने का वचन उनको दिया था नहीं पहुँचा सका, और उनसे बैर भी रखता था, इसी कारण उसने उन्हें जंगल में लाकर मार डाला है।’
If you do not do that, [and if you get rid of them], the people of Egypt will [hear about it and] say that you were not able to bring them into the land that you promised to give to them. They will say that you took them into the desert only to kill them there because you hated them.
29 २९ ये लोग तेरी प्रजा और निज भाग हैं, जिनको तूने अपने बड़े सामर्थ्य और बलवन्त भुजा के द्वारा निकाल ले आया है।”
[Do not forget that] they are your people. [You chose them to] belong to you. You brought them out [from Egypt] by your very great power [DOU, MTY].’”