< व्यवस्था विवरण 4 >

1 “अब, हे इस्राएल, जो-जो विधि और नियम मैं तुम्हें सिखाना चाहता हूँ उन्हें सुन लो, और उन पर चलो; जिससे तुम जीवित रहो, और जो देश तुम्हारे पितरों का परमेश्वर यहोवा तुम्हें देता है उसमें जाकर उसके अधिकारी हो जाओ।
Und nun höre, Israel, die Satzungen und Rechte, die ich euch zu tun lehre, auf daß ihr lebet und hineinkommet und das Land einnehmet, das euch der HERR, der Gott eurer Väter, gibt.
2 जो आज्ञा मैं तुम को सुनाता हूँ उसमें न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना; तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की जो-जो आज्ञा मैं तुम्हें सुनाता हूँ उन्हें तुम मानना
Ihr sollt nichts hinzutun zu dem Worte, das ich euch gebiete, und sollt auch nichts davontun, damit ihr die Gebote des HERRN, eures Gottes, haltet, die ich euch gebiete.
3 तुम ने तो अपनी आँखों से देखा है कि बालपोर के कारण यहोवा ने क्या-क्या किया; अर्थात् जितने मनुष्य बालपोर के पीछे हो लिये थे उन सभी को तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे बीच में से सत्यानाश कर डाला;
Eure Augen haben gesehen, was der HERR wegen des Baal-Peor getan hat. Denn alle, die Baal-Peor nachwandelten, hat der HERR, dein Gott, aus deiner Mitte vertilgt!
4 परन्तु तुम जो अपने परमेश्वर यहोवा के साथ लिपटे रहे हो सब के सब आज तक जीवित हो।
Aber ihr, die ihr dem HERRN, eurem Gott, anhinget, lebet alle heute noch.
5 सुनो, मैंने तो अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार तुम्हें विधि और नियम सिखाए हैं, कि जिस देश के अधिकारी होने जाते हो उसमें तुम उनके अनुसार चलो।
Siehe, ich habe euch Satzungen und Rechte gelehrt, wie mir der HERR, mein Gott, geboten hat, daß ihr also tun sollt im Lande, darein ihr kommen werdet, um es in Besitz zu nehmen.
6 इसलिए तुम उनको धारण करना और मानना; क्योंकि और देशों के लोगों के सामने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात् वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है।
So behaltet sie nun und tut sie; denn das ist eure Weisheit und euer Verstand vor allen Völkern. Wenn sie alle diese Gebote hören, werden sie sagen: Wie ist doch dieses große Volk ein so weises und verständiges Volk!
7 देखो, कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसका देवता उसके ऐसे समीप रहता हो जैसा हमारा परमेश्वर यहोवा, जब भी हम उसको पुकारते हैं?
Denn wo ist ein so großes Volk, zu dem sich die Götter also nahen, wie der HERR, unser Gott, es tut, so oft wir ihn anrufen?
8 फिर कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसके पास ऐसी धर्ममय विधि और नियम हों, जैसी कि यह सारी व्यवस्था जिसे मैं आज तुम्हारे सामने रखता हूँ?
Und wo ist ein so großes Volk, das so gerechte Satzungen und Rechte habe, wie dieses ganze Gesetz ist, das ich euch heute vorlege?
9 “यह अत्यन्त आवश्यक है कि तुम अपने विषय में सचेत रहो, और अपने मन की बड़ी चौकसी करो, कहीं ऐसा न हो कि जो-जो बातें तुम ने अपनी आँखों से देखीं उनको भूल जाओ, और वह जीवन भर के लिये तुम्हारे मन से जाती रहें; किन्तु तुम उन्हें अपने बेटों पोतों को सिखाना।
Nur hüte dich und bewahre deine Seele wohl, daß du die Geschichten nicht vergessest, die deine Augen gesehen haben, und daß sie nicht aus deinem Herzen kommen alle Tage deines Lebens; sondern du sollst sie deinen Kindern und Kindeskindern kundtun;
10 १० विशेष करके उस दिन की बातें जिसमें तुम होरेब के पास अपने परमेश्वर यहोवा के सामने खड़े थे, जब यहोवा ने मुझसे कहा था, ‘उन लोगों को मेरे पास इकट्ठा कर कि मैं उन्हें अपने वचन सुनाऊँ, जिससे वे सीखें, ताकि जितने दिन वे पृथ्वी पर जीवित रहें उतने दिन मेरा भय मानते रहें, और अपने बाल-बच्चों को भी यही सिखाएँ।’
was geschah an dem Tage, als du vor dem HERRN, deinem Gott, standest am Berge Horeb, als der HERR zu mir sprach: Versammle mir das Volk, daß ich sie meine Worte hören lasse, und damit sie mich fürchten lernen alle Tage ihres Lebens auf Erden, und damit sie die Worte auch ihre Kinder lehren.
11 ११ तब तुम समीप जाकर उस पर्वत के नीचे खड़े हुए, और वह पहाड़ आग से धधक रहा था, और उसकी लौ आकाश तक पहुँचती थी, और उसके चारों ओर अंधियारा और बादल, और घोर अंधकार छाया हुआ था।
Und ihr tratet herzu und standet unten am Berg. Aber der Berg brannte im Feuer bis in den Himmel hinein, der voller Finsternis, Wolken und Dunkel war.
12 १२ तब यहोवा ने उस आग के बीच में से तुम से बातें की; बातों का शब्द तो तुम को सुनाई पड़ा, परन्तु कोई रूप न देखा; केवल शब्द ही शब्द सुन पड़ा।
Und der HERR redete mit euch mitten aus dem Feuer. Die Stimme seiner Worte hörtet ihr, aber ihr sahet keine Gestalt, sondern vernahmet nur die Stimme.
13 १३ और उसने तुम को अपनी वाचा के दसों वचन बताकर उनके मानने की आज्ञा दी; और उन्हें पत्थर की दो पटियाओं पर लिख दिया।
Und er verkündigte euch seinen Bund, den er euch zu halten gebot, nämlich die zehn Worte, die er auf zwei steinerne Tafeln schrieb.
14 १४ और मुझ को यहोवा ने उसी समय तुम्हें विधि और नियम सिखाने की आज्ञा दी, इसलिए कि जिस देश के अधिकारी होने को तुम पार जाने पर हो उसमें तुम उनको माना करो।
Und der HERR gebot mir zu jener Zeit, daß ich euch die Satzungen und Rechte lehre, die ihr tun sollt in dem Lande, darein ihr ziehet, um es einzunehmen.
15 १५ “इसलिए तुम अपने विषय में बहुत सावधान रहना। क्योंकि जब यहोवा ने तुम से होरेब पर्वत पर आग के बीच में से बातें की, तब तुम को कोई रूप न दिखाई पड़ा,
So bewahret nun eure Seelen wohl, weil ihr keine Gestalt gesehen habt an dem Tage, als der HERR aus dem Feuer heraus mit euch redete auf dem Berge Horeb;
16 १६ कहीं ऐसा न हो कि तुम बिगड़कर चाहे पुरुष चाहे स्त्री के,
daß ihr nicht verderblich handelt und euch irgend ein gemeißeltes Bild machet, irgend eine männliche oder weibliche Figur,
17 १७ चाहे पृथ्वी पर चलनेवाले किसी पशु, चाहे आकाश में उड़नेवाले किसी पक्षी के।
oder das Bild irgend eines Viehes, das auf Erden ist, oder eines Vogels, der am Himmel fliegt,
18 १८ “चाहे भूमि पर रेंगनेवाले किसी जन्तु, चाहे पृथ्वी के जल में रहनेवाली किसी मछली के रूप की कोई मूर्ति खोदकर बना लो,
oder das Bild eines Reptils, das auf dem Erdboden kriecht, oder der Fische, die im Wasser unter der Erde sind;
19 १९ या जब तुम आकाश की ओर आँखें उठाकर, सूर्य, चन्द्रमा, और तारों को, अर्थात् आकाश का सारा तारागण देखो, तब बहक कर उन्हें दण्डवत् करके उनकी सेवा करने लगो, जिनको तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने धरती पर के सब देशवालों के लिये रखा है।
daß du deine Augen auch nicht gen Himmel hebest, und die Sonne und den Mond und die Sterne und das ganze Heer des Himmels beschauest und dich verführen lassest, sie anzubeten und ihnen zu dienen, die doch der HERR, dein Gott, allen Völkern unter dem ganzen Himmel zugeteilt hat.
20 २० और तुम को यहोवा लोहे के भट्ठे के सरीखे मिस्र देश से निकाल ले आया है, इसलिए कि तुम उसका प्रजारूपी निज भाग ठहरो, जैसा आज प्रगट है।
Euch aber hat der HERR angenommen und aus dem eisernen Ofen, aus Ägypten, geführt, daß ihr sein Erbvolk sein solltet, wie es heute der Fall ist.
21 २१ फिर तुम्हारे कारण यहोवा ने मुझसे क्रोध करके यह शपथ खाई, ‘तू यरदन पार जाने न पाएगा, और जो उत्तम देश इस्राएलियों का परमेश्वर यहोवा उन्हें उनका निज भाग करके देता है, उसमें तू प्रवेश करने न पाएगा।’
Und der HERR war um euretwillen so zornig über mich, daß er schwur, ich sollte nicht über den Jordan gehen, noch in das gute Land kommen, das der HERR, dein Gott, dir zum Erbe gibt;
22 २२ किन्तु मुझे इसी देश में मरना है, मैं तो यरदन पार नहीं जा सकता; परन्तु तुम पार जाकर उस उत्तम देश के अधिकारी हो जाओगे।
sondern ich muß in diesem Lande sterben und darf nicht über den Jordan gehen; ihr aber dürft hinübergehen und jenes gute Land einnehmen.
23 २३ इसलिए अपने विषय में तुम सावधान रहो, कहीं ऐसा न हो कि तुम उस वाचा को भूलकर, जो तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम से बाँधी है, किसी और वस्तु की मूर्ति खोदकर बनाओ, जिसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को मना किया है।
So hütet euch nun, daß ihr des Bundes des HERRN, eures Gottes, den er mit euch gemacht hat, nicht vergesset und euch nicht Bilder machet von irgend einer Gestalt, was der HERR, dein Gott, dir verboten hat.
24 २४ क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा भस्म करनेवाली आग है; वह जलन रखनेवाला परमेश्वर है।
Denn der HERR, dein Gott, ist ein verzehrendes Feuer, ein eifriger Gott.
25 २५ “यदि उस देश में रहते-रहते बहुत दिन बीत जाने पर, और अपने बेटे-पोते उत्पन्न होने पर, तुम बिगड़कर किसी वस्तु के रूप की मूर्ति खोदकर बनाओ, और इस रीति से अपने परमेश्वर यहोवा के प्रति बुराई करके उसे अप्रसन्न कर दो,
Wenn du nun Kinder und Kindeskinder zeugst und ihr alt werdet im Lande und verderblich handelt und euch Bilder machet von irgend einer Gestalt und vor dem HERRN, eurem Gott, Übles tut, daß ihr ihn erzürnet,
26 २६ तो मैं आज आकाश और पृथ्वी को तुम्हारे विरुद्ध साक्षी करके कहता हूँ, कि जिस देश के अधिकारी होने के लिये तुम यरदन पार जाने पर हो उसमें तुम जल्दी बिल्कुल नाश हो जाओगे; और बहुत दिन रहने न पाओगे, किन्तु पूरी रीति से नष्ट हो जाओगे।
so rufe ich heute Himmel und Erde zu Zeugen wider euch an, daß ihr gewiß bald umkommen werdet in dem Lande, wohin ihr über den Jordan ziehet, um es einzunehmen; ihr werdet nicht lange darin wohnen, sondern sicherlich vertilgt werden!
27 २७ और यहोवा तुम को देश-देश के लोगों में तितर-बितर करेगा, और जिन जातियों के बीच यहोवा तुम को पहुँचाएगा उनमें तुम थोड़े ही से रह जाओगे।
Und der HERR wird euch unter die Völker zerstreuen, und es wird eine geringe Zahl von euch übrigbleiben unter den Heiden, dahin euch der HERR führen wird.
28 २८ और वहाँ तुम मनुष्य के बनाए हुए लकड़ी और पत्थर के देवताओं की सेवा करोगे, जो न देखते, और न सुनते, और न खाते, और न सूँघते हैं।
Daselbst werdet ihr den Göttern dienen, die der Menschen Hände Werk sind, Holz und Stein, die weder sehen noch hören noch essen noch riechen.
29 २९ परन्तु वहाँ भी यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा को ढूँढ़ोगे, तो वह तुम को मिल जाएगा, शर्त यह है कि तुम अपने पूरे मन से और अपने सारे प्राण से उसे ढूँढ़ो।
Wenn du aber daselbst den HERRN, deinen Gott, suchen wirst, so wirst du ihn finden, ja wenn du ihn von ganzem Herzen und von ganzer Seele suchen wirst.
30 ३० अन्त के दिनों में जब तुम संकट में पड़ो, और ये सब विपत्तियाँ तुम पर आ पड़ें, तब तुम अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो और उसकी मानना;
Wenn du in der Not bist und dich alle diese Dinge treffen, so wirst du in den letzten Tagen zu dem HERRN, deinem Gott, umkehren und seiner Stimme gehorsam sein;
31 ३१ क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा दयालु परमेश्वर है, वह तुम को न तो छोड़ेगा और न नष्ट करेगा, और जो वाचा उसने तेरे पितरों से शपथ खाकर बाँधी है उसको नहीं भूलेगा।
denn der HERR, dein Gott, ist ein barmherziger Gott; Er wird dich nicht verlassen, noch verderben; Er wird auch des Bundes, den er deinen Vätern geschworen hat, nicht vergessen.
32 ३२ “जब से परमेश्वर ने मनुष्य को उत्पन्न करके पृथ्वी पर रखा तब से लेकर तू अपने उत्पन्न होने के दिन तक की बातें पूछ, और आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक की बातें पूछ, क्या ऐसी बड़ी बात कभी हुई या सुनने में आई है?
Denn frage doch nach den früheren Zeiten, die vor dir gewesen sind, von dem Tage an, als Gott den Menschen auf Erden erschuf, und von einem Ende des Himmels bis zum andern, ob je ein solch großes Ding geschehen oder je dergleichen gehört worden sei:
33 ३३ क्या कोई जाति कभी परमेश्वर की वाणी आग के बीच में से आती हुई सुनकर जीवित रही, जैसे कि तूने सुनी है?
Ob je ein Volk die Stimme Gottes gehört habe aus dem Feuer reden, wie du sie gehört hast, und dennoch lebe;
34 ३४ फिर क्या परमेश्वर ने और किसी जाति को दूसरी जाति के बीच से निकालने को कमर बाँधकर परीक्षा, और चिन्ह, और चमत्कार, और युद्ध, और बलवन्त हाथ, और बढ़ाई हुई भुजा से ऐसे बड़े भयानक काम किए, जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने मिस्र में तुम्हारे देखते किए?
oder ob je ein Gott versucht habe, hinzugehen und sich ein Volk mitten aus einem andern Volk zu nehmen durch große Prüfungen, durch Zeichen, durch Wunder, durch Kampf und durch eine mächtige Hand und durch einen ausgestreckten Arm und durch schreckliche, große Taten, wie das alles der HERR, euer Gott, mit euch in Ägypten vor deinen Augen getan hat?
35 ३५ यह सब तुझको दिखाया गया, इसलिए कि तू जान ले कि यहोवा ही परमेश्वर है; उसको छोड़ और कोई है ही नहीं।
Dir ist es gezeigt worden, auf daß du wissest, daß der HERR Gott ist, und keiner sonst als er allein.
36 ३६ आकाश में से उसने तुझे अपनी वाणी सुनाई कि तुझे शिक्षा दे; और पृथ्वी पर उसने तुझे अपनी बड़ी आग दिखाई, और उसके वचन आग के बीच में से आते हुए तुझे सुनाई पड़े।
Er hat dich vom Himmel her seine Stimme hören lassen, daß er dich unterwiese; und auf Erden hat er dir sein großes Feuer gezeigt, und du hast seine Worte aus dem Feuer gehört.
37 ३७ और उसने जो तेरे पितरों से प्रेम रखा, इस कारण उनके पीछे उनके वंश को चुन लिया, और प्रत्यक्ष होकर तुझे अपने बड़े सामर्थ्य के द्वारा मिस्र से इसलिए निकाल लाया,
Und weil er deine Väter liebte, darum hat er ihren Samen nach ihnen erwählt und dich in eigener Person durch seine große Kraft aus Ägypten ausgeführt,
38 ३८ कि तुझ से बड़ी और सामर्थी जातियों को तेरे आगे से निकालकर तुझे उनके देश में पहुँचाए, और उसे तेरा निज भागकर दे, जैसा आज के दिन दिखाई पड़ता है;
daß er vor dir her größere und stärkere Völker, als du bist, vertriebe, und dich in ihr Land führte und dasselbe dir zum Erbteil gäbe, wie es heute der Fall ist.
39 ३९ इसलिए आज जान ले, और अपने मन में सोच भी रख, कि ऊपर आकाश में और नीचे पृथ्वी पर यहोवा ही परमेश्वर है; और कोई दूसरा नहीं।
So sollst du nun heute wissen und zu Herzen fassen, daß der HERR der alleinige Gott ist oben im Himmel und unten auf Erden, und keiner sonst.
40 ४० और तू उसकी विधियों और आज्ञाओं को जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ मानना, इसलिए कि तेरा और तेरे पीछे तेरे वंश का भी भला हो, और जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें तेरे दिन बहुत वरन् सदा के लिये हों।”
Darum beobachte seine Satzungen und seine Gebote, die ich dir heute gebiete, so wird es dir und deinen Kindern nach dir wohl gehen, und du wirst lange leben in dem Lande, das dir der HERR, dein Gott, gibt, für alle Zeiten.
41 ४१ तब मूसा ने यरदन के पार पूर्व की ओर तीन नगर अलग किए,
Damals sonderte Mose drei Städte aus, diesseits des Jordan, gegen Aufgang der Sonne,
42 ४२ इसलिए कि जो कोई बिना जाने और बिना पहले से बैर रखे अपने किसी भाई को मार डाले, वह उनमें से किसी नगर में भाग जाए, और भागकर जीवित रहे
damit der Totschläger dorthin fliehen könne, der seinen Nächsten unversehens getötet hat, ohne ihm zuvor feind gewesen zu sein, (daß er in eine dieser Städte fliehe und am Leben bleibe)
43 ४३ अर्थात् रूबेनियों का बेसेर नगर जो जंगल के समथर देश में है, और गादियों के गिलाद का रामोत, और मनश्शेइयों के बाशान का गोलन।
nämlich Bezer in der Steppe, im ebenen Lande, für die Rubeniter, Ramot in Gilead für die Gaditer, und Golan in Basan für die Manassiter.
44 ४४ फिर जो व्यवस्था मूसा ने इस्राएलियों को दी वह यह है
Dies ist das Gesetz, das Mose den Kindern Israel vorlegte;
45 ४५ ये ही वे चेतावनियाँ और नियम हैं जिन्हें मूसा ने इस्राएलियों को उस समय कह सुनाया जब वे मिस्र से निकले थे,
das sind die Zeugnisse, die Satzungen und Rechte, welche Mose den Kindern Israel sagte, als sie aus Ägypten gezogen waren,
46 ४६ अर्थात् यरदन के पार बेतपोर के सामने की तराई में, एमोरियों के राजा हेशबोनवासी सीहोन के देश में, जिस राजा को उन्होंने मिस्र से निकलने के बाद मारा।
diesseits des Jordan, im Tal, Beth-Peor gegenüber, im Lande Sihons, des Königs der Amoriter, der zu Hesbon wohnte, den Mose und die Kinder Israel schlugen, als sie aus Ägypten zogen, und dessen Land sie einnahmen,
47 ४७ और उन्होंने उसके देश को, और बाशान के राजा ओग के देश को, अपने वश में कर लिया; यरदन के पार सूर्योदय की ओर रहनेवाले एमोरियों के राजाओं के ये देश थे।
samt dem Lande Ogs, des Königs zu Basan, der beiden Könige der Amoriter, die diesseits des Jordan waren, gegen Aufgang der Sonne;
48 ४८ यह देश अर्नोन के नाले के छोरवाले अरोएर से लेकर सिय्योन पर्वत, जो हेर्मोन भी कहलाता है,
von Aroer an, welche am Ufer des Arnon liegt, bis an den Berg Sion, das ist der Hermon.
49 ४९ उस पर्वत तक का सारा देश, और पिसगा की ढलान के नीचे के अराबा के ताल तक, यरदन पार पूर्व की ओर का सारा अराबा है।
Und die ganze Ebene diesseits des Jordan, gegen Aufgang, bis an das Meer der Ebene unterhalb der Abhänge des Pisga.

< व्यवस्था विवरण 4 >