< व्यवस्था विवरण 32 >

1 “हे आकाश कान लगा, कि मैं बोलूँ; और हे पृथ्वी, मेरे मुँह की बातें सुन।
הַאֲזִ֥ינוּ הַשָּׁמַ֖יִם וַאֲדַבֵּ֑רָה וְתִשְׁמַ֥ע הָאָ֖רֶץ אִמְרֵי־פִֽי׃
2 मेरा उपदेश मेंह के समान बरसेगा और मेरी बातें ओस के समान टपकेंगी, जैसे कि हरी घास पर झींसी, और पौधों पर झड़ियाँ।
יַעֲרֹ֤ף כַּמָּטָר֙ לִקְחִ֔י תִּזַּ֥ל כַּטַּ֖ל אִמְרָתִ֑י כִּשְׂעִירִ֣ם עֲלֵי־דֶ֔שֶׁא וְכִרְבִיבִ֖ים עֲלֵי־עֵֽשֶׂב׃
3 मैं तो यहोवा के नाम का प्रचार करूँगा। तुम अपने परमेश्वर की महिमा को मानो!
כִּ֛י שֵׁ֥ם יְהוָ֖ה אֶקְרָ֑א הָב֥וּ גֹ֖דֶל לֵאלֹהֵֽינוּ׃
4 “वह चट्टान है, उसका काम खरा है; और उसकी सारी गति न्याय की है। वह सच्चा परमेश्वर है, उसमें कुटिलता नहीं, वह धर्मी और सीधा है।
הַצּוּר֙ תָּמִ֣ים פָּעֳל֔וֹ כִּ֥י כָל־דְּרָכָ֖יו מִשְׁפָּ֑ט אֵ֤ל אֱמוּנָה֙ וְאֵ֣ין עָ֔וֶל צַדִּ֥יק וְיָשָׁ֖ר הֽוּא׃
5 परन्तु इसी जाति के लोग टेढ़े और तिरछे हैं; ये बिगड़ गए, ये उसके पुत्र नहीं; यह उनका कलंक है।
שִׁחֵ֥ת ל֛וֹ לֹ֖א בָּנָ֣יו מוּמָ֑ם דּ֥וֹר עִקֵּ֖שׁ וּפְתַלְתֹּֽל׃
6 हे मूर्ख और निर्बुद्धि लोगों, क्या तुम यहोवा को यह बदला देते हो? क्या वह तेरा पिता नहीं है, जिसने तुम को मोल लिया है? उसने तुझको बनाया और स्थिर भी किया है।
הֲ־לַיְהוָה֙ תִּגְמְלוּ־זֹ֔את עַ֥ם נָבָ֖ל וְלֹ֣א חָכָ֑ם הֲלוֹא־הוּא֙ אָבִ֣יךָ קָּנֶ֔ךָ ה֥וּא עָֽשְׂךָ֖ וַֽיְכֹנְנֶֽךָ׃
7 प्राचीनकाल के दिनों को स्मरण करो, पीढ़ी-पीढ़ी के वर्षों को विचारों; अपने बाप से पूछो, और वह तुम को बताएगा; अपने वृद्ध लोगों से प्रश्न करो, और वे तुझ से कह देंगे।
זְכֹר֙ יְמ֣וֹת עוֹלָ֔ם בִּ֖ינוּ שְׁנ֣וֹת דּוֹר־וָד֑וֹר שְׁאַ֤ל אָבִ֙יךָ֙ וְיַגֵּ֔דְךָ זְקֵנֶ֖יךָ וְיֹ֥אמְרוּ לָֽךְ׃
8 जब परमप्रधान ने एक-एक जाति को निज-निज भाग बाँट दिया, और आदमियों को अलग-अलग बसाया, तब उसने देश-देश के लोगों की सीमाएँ इस्राएलियों की गिनती के अनुसार ठहराई।
בְּהַנְחֵ֤ל עֶלְיוֹן֙ גּוֹיִ֔ם בְּהַפְרִיד֖וֹ בְּנֵ֣י אָדָ֑ם יַצֵּב֙ גְּבֻלֹ֣ת עַמִּ֔ים לְמִסְפַּ֖ר בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃
9 क्योंकि यहोवा का अंश उसकी प्रजा है; याकूब उसका नपा हुआ निज भाग है।
כִּ֛י חֵ֥לֶק יְהֹוָ֖ה עַמּ֑וֹ יַעֲקֹ֖ב חֶ֥בֶל נַחֲלָתֽוֹ׃
10 १० “उसने उसको जंगल में, और सुनसान और गरजनेवालों से भरी हुई मरूभूमि में पाया; उसने उसके चारों ओर रहकर उसकी रक्षा की, और अपनी आँख की पुतली के समान उसकी सुधि रखी।
יִמְצָאֵ֙הוּ֙ בְּאֶ֣רֶץ מִדְבָּ֔ר וּבְתֹ֖הוּ יְלֵ֣ל יְשִׁמֹ֑ן יְסֹֽבְבֶ֙נְהוּ֙ יְב֣וֹנְנֵ֔הוּ יִצְּרֶ֖נְהוּ כְּאִישׁ֥וֹן עֵינֽוֹ׃
11 ११ जैसे उकाब अपने घोंसले को हिला-हिलाकर अपने बच्चों के ऊपर-ऊपर मण्डराता है, वैसे ही उसने अपने पंख फैलाकर उसको अपने परों पर उठा लिया।
כְּנֶ֙שֶׁר֙ יָעִ֣יר קִנּ֔וֹ עַל־גּוֹזָלָ֖יו יְרַחֵ֑ף יִפְרֹ֤שׂ כְּנָפָיו֙ יִקָּחֵ֔הוּ יִשָּׂאֵ֖הוּ עַל־אֶבְרָתֽוֹ׃
12 १२ यहोवा अकेला ही उसकी अगुआई करता रहा, और उसके संग कोई पराया देवता न था।
יְהוָ֖ה בָּדָ֣ד יַנְחֶ֑נּוּ וְאֵ֥ין עִמּ֖וֹ אֵ֥ל נֵכָֽר׃
13 १३ उसने उसको पृथ्वी के ऊँचे-ऊँचे स्थानों पर सवार कराया, और उसको खेतों की उपज खिलाई; उसने उसे चट्टान में से मधु और चकमक की चट्टान में से तेल चुसाया।
יַרְכִּבֵ֙הוּ֙ עַל־במותי אָ֔רֶץ וַיֹּאכַ֖ל תְּנוּבֹ֣ת שָׂדָ֑י וַיֵּנִקֵ֤הֽוּ דְבַשׁ֙ מִסֶּ֔לַע וְשֶׁ֖מֶן מֵחַלְמִ֥ישׁ צֽוּר׃
14 १४ गायों का दही, और भेड़-बकरियों का दूध, मेम्नों की चर्बी, बकरे और बाशान की जाति के मेढ़े, और गेहूँ का उत्तम से उत्तम आटा भी खाया; और तू दाखरस का मधु पिया करता था।
חֶמְאַ֨ת בָּקָ֜ר וַחֲלֵ֣ב צֹ֗אן עִם־חֵ֨לֶב כָּרִ֜ים וְאֵילִ֤ים בְּנֵֽי־בָשָׁן֙ וְעַתּוּדִ֔ים עִם־חֵ֖לֶב כִּלְי֣וֹת חִטָּ֑ה וְדַם־עֵנָ֖ב תִּשְׁתֶּה־חָֽמֶר׃
15 १५ “परन्तु यशूरून मोटा होकर लात मारने लगा; तू मोटा और हष्ट-पुष्ट हो गया, और चर्बी से छा गया है; तब उसने अपने सृजनहार परमेश्वर को तज दिया, और अपने उद्धार चट्टान को तुच्छ जाना।
וַיִּשְׁמַ֤ן יְשֻׁרוּן֙ וַיִּבְעָ֔ט שָׁמַ֖נְתָּ עָבִ֣יתָ כָּשִׂ֑יתָ וַיִּטֹּשׁ֙ אֱל֣וֹהַ עָשָׂ֔הוּ וַיְנַבֵּ֖ל צ֥וּר יְשֻׁעָתֽוֹ׃
16 १६ उन्होंने पराए देवताओं को मानकर उसमें जलन उपजाई; और घृणित कर्म करके उसको रिस दिलाई।
יַקְנִאֻ֖הוּ בְּזָרִ֑ים בְּתוֹעֵבֹ֖ת יַכְעִיסֻֽהוּ׃
17 १७ उन्होंने पिशाचों के लिये जो परमेश्वर न थे बलि चढ़ाए, और उनके लिये वे अनजाने देवता थे, वे तो नये-नये देवता थे जो थोड़े ही दिन से प्रगट हुए थे, और जिनसे उनके पुरखा कभी डरे नहीं।
יִזְבְּח֗וּ לַשֵּׁדִים֙ לֹ֣א אֱלֹ֔הַ אֱלֹהִ֖ים לֹ֣א יְדָע֑וּם חֲדָשִׁים֙ מִקָּרֹ֣ב בָּ֔אוּ לֹ֥א שְׂעָר֖וּם אֲבֹתֵיכֶֽם׃
18 १८ जिस चट्टान से तू उत्पन्न हुआ उसको तू भूल गया, और परमेश्वर जिससे तेरी उत्पत्ति हुई उसको भी तू भूल गया है।
צ֥וּר יְלָדְךָ֖ תֶּ֑שִׁי וַתִּשְׁכַּ֖ח אֵ֥ל מְחֹלְלֶֽךָ׃
19 १९ “इन बातों को देखकर यहोवा ने उन्हें तुच्छ जाना, क्योंकि उसके बेटे-बेटियों ने उसे रिस दिलाई थी।
וַיַּ֥רְא יְהוָ֖ה וַיִּנְאָ֑ץ מִכַּ֥עַס בָּנָ֖יו וּבְנֹתָֽיו׃
20 २० तब उसने कहा, ‘मैं उनसे अपना मुख छिपा लूँगा, और देखूँगा कि उनका अन्त कैसा होगा, क्योंकि इस जाति के लोग बहुत टेढ़े हैं और धोखा देनेवाले पुत्र हैं।
וַיֹּ֗אמֶר אַסְתִּ֤ירָה פָנַי֙ מֵהֶ֔ם אֶרְאֶ֖ה מָ֣ה אַחֲרִיתָ֑ם כִּ֣י ד֤וֹר תַּהְפֻּכֹת֙ הֵ֔מָּה בָּנִ֖ים לֹא־אֵמֻ֥ן בָּֽם׃
21 २१ उन्होंने ऐसी वस्तु को जो परमेश्वर नहीं है मानकर, मुझ में जलन उत्पन्न की; और अपनी व्यर्थ वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाई। इसलिए मैं भी उनके द्वारा जो मेरी प्रजा नहीं हैं उनके मन में जलन उत्पन्न करूँगा; और एक मूर्ख जाति के द्वारा उन्हें रिस दिलाऊँगा।
הֵ֚ם קִנְא֣וּנִי בְלֹא־אֵ֔ל כִּעֲס֖וּנִי בְּהַבְלֵיהֶ֑ם וַאֲנִי֙ אַקְנִיאֵ֣ם בְּלֹא־עָ֔ם בְּג֥וֹי נָבָ֖ל אַכְעִיסֵֽם׃
22 २२ क्योंकि मेरे कोप की आग भड़क उठी है, जो पाताल की तह तक जलती जाएगी, और पृथ्वी अपनी उपज समेत भस्म हो जाएगी, और पहाड़ों की नींवों में भी आग लगा देगी। (Sheol h7585)
כִּי־אֵשׁ֙ קָדְחָ֣ה בְאַפִּ֔י וַתִּיקַ֖ד עַד־שְׁא֣וֹל תַּחְתִּ֑ית וַתֹּ֤אכַל אֶ֙רֶץ֙ וִֽיבֻלָ֔הּ וַתְּלַהֵ֖ט מוֹסְדֵ֥י הָרִֽים׃ (Sheol h7585)
23 २३ “मैं उन पर विपत्ति पर विपत्ति भेजूँगा; और उन पर मैं अपने सब तीरों को छोड़ूँगा।
אַסְפֶּ֥ה עָלֵ֖ימוֹ רָע֑וֹת חִצַּ֖י אֲכַלֶּה־בָּֽם׃
24 २४ वे भूख से दुबले हो जाएँगे, और अंगारों से और कठिन महारोगों से ग्रसित हो जाएँगे; और मैं उन पर पशुओं के दाँत लगवाऊँगा, और धूलि पर रेंगनेवाले सर्पों का विष छोड़ दूँगा।
מְזֵ֥י רָעָ֛ב וּלְחֻ֥מֵי רֶ֖שֶׁף וְקֶ֣טֶב מְרִירִ֑י וְשֶׁן־בְּהֵמוֹת֙ אֲשַׁלַּח־בָּ֔ם עִם־חֲמַ֖ת זֹחֲלֵ֥י עָפָֽר׃
25 २५ बाहर वे तलवार से मरेंगे, और कोठरियों के भीतर भय से; क्या कुँवारे और कुँवारियाँ, क्या दूध पीता हुआ बच्चा क्या पक्के बाल वाले, सब इसी प्रकार बर्बाद होंगे।
מִחוּץ֙ תְּשַׁכֶּל־חֶ֔רֶב וּמֵחֲדָרִ֖ים אֵימָ֑ה גַּם־בָּחוּר֙ גַּם־בְּתוּלָ֔ה יוֹנֵ֖ק עִם־אִ֥ישׁ שֵׂיבָֽה׃
26 २६ मैंने कहा था, कि मैं उनको दूर-दूर तक तितर-बितर करूँगा, और मनुष्यों में से उनका स्मरण तक मिटा डालूँगा;
אָמַ֖רְתִּי אַפְאֵיהֶ֑ם אַשְׁבִּ֥יתָה מֵאֱנ֖וֹשׁ זִכְרָֽם׃
27 २७ परन्तु मुझे शत्रुओं की छेड़-छाड़ का डर था, ऐसा न हो कि द्रोही इसको उलटा समझकर यह कहने लगें, ‘हम अपने ही बाहुबल से प्रबल हुए, और यह सब यहोवा से नहीं हुआ।’
לוּלֵ֗י כַּ֤עַס אוֹיֵב֙ אָג֔וּר פֶּֽן־יְנַכְּר֖וּ צָרֵ֑ימוֹ פֶּן־יֹֽאמְרוּ֙ יָדֵ֣ינוּ רָ֔מָה וְלֹ֥א יְהוָ֖ה פָּעַ֥ל כָּל־זֹֽאת׃
28 २८ “क्योंकि इस्राएल जाति युक्तिहीन है, और इनमें समझ है ही नहीं।
כִּי־ג֛וֹי אֹבַ֥ד עֵצ֖וֹת הֵ֑מָּה וְאֵ֥ין בָּהֶ֖ם תְּבוּנָֽה׃
29 २९ भला होता कि ये बुद्धिमान होते, कि इसको समझ लेते, और अपने अन्त का विचार करते!
ל֥וּ חָכְמ֖וּ יַשְׂכִּ֣ילוּ זֹ֑את יָבִ֖ינוּ לְאַחֲרִיתָֽם׃
30 ३० यदि उनकी चट्टान ही उनको न बेच देती, और यहोवा उनको दूसरों के हाथ में न कर देता; तो यह कैसे हो सकता कि उनके हजार का पीछा एक मनुष्य करता, और उनके दस हजार को दो मनुष्य भगा देते?
אֵיכָ֞ה יִרְדֹּ֤ף אֶחָד֙ אֶ֔לֶף וּשְׁנַ֖יִם יָנִ֣יסוּ רְבָבָ֑ה אִם־לֹא֙ כִּי־צוּרָ֣ם מְכָרָ֔ם וַֽיהוָ֖ה הִסְגִּירָֽם׃
31 ३१ क्योंकि जैसी हमारी चट्टान है वैसी उनकी चट्टान नहीं है, चाहे हमारे शत्रु ही क्यों न न्यायी हों।
כִּ֛י לֹ֥א כְצוּרֵ֖נוּ צוּרָ֑ם וְאֹיְבֵ֖ינוּ פְּלִילִֽים׃
32 ३२ क्योंकि उनकी दाखलता सदोम की दाखलता से निकली, और गमोरा की दाख की बारियों में की है; उनकी दाख विषभरी और उनके गुच्छे कड़वे हैं;
כִּֽי־מִגֶּ֤פֶן סְדֹם֙ גַּפְנָ֔ם וּמִשַּׁדְמֹ֖ת עֲמֹרָ֑ה עֲנָבֵ֙מוֹ֙ עִנְּבֵי־ר֔וֹשׁ אַשְׁכְּלֹ֥ת מְרֹרֹ֖ת לָֽמוֹ׃
33 ३३ उनका दाखमधु साँपों का सा विष और काले नागों का सा हलाहल है।
חֲמַ֥ת תַּנִּינִ֖ם יֵינָ֑ם וְרֹ֥אשׁ פְּתָנִ֖ים אַכְזָֽר׃
34 ३४ “क्या यह बात मेरे मन में संचित, और मेरे भण्डारों में मुहरबन्द नहीं है?
הֲלֹא־ה֖וּא כָּמֻ֣ס עִמָּדִ֑י חָתֻ֖ם בְּאוֹצְרֹתָֽי׃
35 ३५ पलटा लेना और बदला देना मेरा ही काम है, यह उनके पाँव फिसलने के समय प्रगट होगा; क्योंकि उनकी विपत्ति का दिन निकट है, और जो दुःख उन पर पड़नेवाले हैं वे शीघ्र आ रहे हैं।
לִ֤י נָקָם֙ וְשִׁלֵּ֔ם לְעֵ֖ת תָּמ֣וּט רַגְלָ֑ם כִּ֤י קָרוֹב֙ י֣וֹם אֵידָ֔ם וְחָ֖שׁ עֲתִדֹ֥ת לָֽמוֹ׃
36 ३६ क्योंकि जब यहोवा देखेगा कि मेरी प्रजा की शक्ति जाती रही, और क्या बन्धुआ और क्या स्वाधीन, उनमें कोई बचा नहीं रहा, तब यहोवा अपने लोगों का न्याय करेगा, और अपने दासों के विषय में तरस खाएगा।
כִּֽי־יָדִ֤ין יְהוָה֙ עַמּ֔וֹ וְעַל־עֲבָדָ֖יו יִתְנֶחָ֑ם כִּ֤י יִרְאֶה֙ כִּי־אָ֣זְלַת יָ֔ד וְאֶ֖פֶס עָצ֥וּר וְעָזֽוּב׃
37 ३७ तब वह कहेगा, उनके देवता कहाँ हैं, अर्थात् वह चट्टान कहाँ जिस पर उनका भरोसा था,
וְאָמַ֖ר אֵ֣י אֱלֹהֵ֑ימוֹ צ֖וּר חָסָ֥יוּ בֽוֹ׃
38 ३८ जो उनके बलिदानों की चर्बी खाते, और उनके तपावनों का दाखमधु पीते थे? वे ही उठकर तुम्हारी सहायता करें, और तुम्हारी आड़ हों!
אֲשֶׁ֨ר חֵ֤לֶב זְבָחֵ֙ימוֹ֙ יֹאכֵ֔לוּ יִשְׁתּ֖וּ יֵ֣ין נְסִיכָ֑ם יָק֙וּמוּ֙ וְיַעְזְרֻכֶ֔ם יְהִ֥י עֲלֵיכֶ֖ם סִתְרָֽה׃
39 ३९ “इसलिए अब तुम देख लो कि मैं ही वह हूँ, और मेरे संग कोई देवता नहीं; मैं ही मार डालता, और मैं जिलाता भी हूँ; मैं ही घायल करता, और मैं ही चंगा भी करता हूँ; और मेरे हाथ से कोई नहीं छुड़ा सकता।
רְא֣וּ ׀ עַתָּ֗ה כִּ֣י אֲנִ֤י אֲנִי֙ ה֔וּא וְאֵ֥ין אֱלֹהִ֖ים עִמָּדִ֑י אֲנִ֧י אָמִ֣ית וַאֲחַיֶּ֗ה מָחַ֙צְתִּי֙ וַאֲנִ֣י אֶרְפָּ֔א וְאֵ֥ין מִיָּדִ֖י מַצִּֽיל׃
40 ४० क्योंकि मैं अपना हाथ स्वर्ग की ओर उठाकर कहता हूँ, क्योंकि मैं अनन्तकाल के लिये जीवित हूँ,
כִּֽי־אֶשָּׂ֥א אֶל־שָׁמַ֖יִם יָדִ֑י וְאָמַ֕רְתִּי חַ֥י אָנֹכִ֖י לְעֹלָֽם׃
41 ४१ इसलिए यदि मैं बिजली की तलवार पर सान धरकर झलकाऊँ, और न्याय अपने हाथ में ले लूँ, तो अपने द्रोहियों से बदला लूँगा, और अपने बैरियों को बदला दूँगा।
אִם־שַׁנּוֹתִי֙ בְּרַ֣ק חַרְבִּ֔י וְתֹאחֵ֥ז בְּמִשְׁפָּ֖ט יָדִ֑י אָשִׁ֤יב נָקָם֙ לְצָרָ֔י וְלִמְשַׂנְאַ֖י אֲשַׁלֵּֽם׃
42 ४२ मैं अपने तीरों को लहू से मतवाला करूँगा, और मेरी तलवार माँस खाएगी—वह लहू, मारे हुओं और बन्दियों का, और वह माँस, शत्रुओं के लम्बे बाल वाले प्रधानों का होगा।
אַשְׁכִּ֤יר חִצַּי֙ מִדָּ֔ם וְחַרְבִּ֖י תֹּאכַ֣ל בָּשָׂ֑ר מִדַּ֤ם חָלָל֙ וְשִׁבְיָ֔ה מֵרֹ֖אשׁ פַּרְע֥וֹת אוֹיֵֽב׃
43 ४३ “हे अन्यजातियों, उसकी प्रजा के साथ आनन्द मनाओ; क्योंकि वह अपने दासों के लहू का पलटा लेगा, और अपने द्रोहियों को बदला देगा, और अपने देश और अपनी प्रजा के पाप के लिये प्रायश्चित देगा।”
הַרְנִ֤ינוּ גוֹיִם֙ עַמּ֔וֹ כִּ֥י דַם־עֲבָדָ֖יו יִקּ֑וֹם וְנָקָם֙ יָשִׁ֣יב לְצָרָ֔יו וְכִפֶּ֥ר אַדְמָת֖וֹ עַמּֽוֹ׃ פ
44 ४४ इस गीत के सब वचन मूसा ने नून के पुत्र यहोशू समेत आकर लोगों को सुनाए।
וַיָּבֹ֣א מֹשֶׁ֗ה וַיְדַבֵּ֛ר אֶת־כָּל־דִּבְרֵ֥י הַשִּׁירָֽה־הַזֹּ֖את בְּאָזְנֵ֣י הָעָ֑ם ה֖וּא וְהוֹשֵׁ֥עַ בִּן־נֽוּן׃
45 ४५ जब मूसा ये सब वचन सब इस्राएलियों से कह चुका,
וַיְכַ֣ל מֹשֶׁ֗ה לְדַבֵּ֛ר אֶת־כָּל־הַדְּבָרִ֥ים הָאֵ֖לֶּה אֶל־כָּל־יִשְׂרָאֵֽל׃
46 ४६ तब उसने उनसे कहा, “जितनी बातें मैं आज तुम से चिताकर कहता हूँ उन सब पर अपना-अपना मन लगाओ, और उनके अर्थात् इस व्यवस्था की सारी बातों के मानने में चौकसी करने की आज्ञा अपने बच्चों को दो।
וַיֹּ֤אמֶר אֲלֵהֶם֙ שִׂ֣ימוּ לְבַבְכֶ֔ם לְכָל־הַדְּבָרִ֔ים אֲשֶׁ֧ר אָנֹכִ֛י מֵעִ֥יד בָּכֶ֖ם הַיּ֑וֹם אֲשֶׁ֤ר תְּצַוֻּם֙ אֶת־בְּנֵיכֶ֔ם לִשְׁמֹ֣ר לַעֲשׂ֔וֹת אֶת־כָּל־דִּבְרֵ֖י הַתּוֹרָ֥ה הַזֹּֽאת׃
47 ४७ क्योंकि यह तुम्हारे लिये व्यर्थ काम नहीं, परन्तु तुम्हारा जीवन ही है, और ऐसा करने से उस देश में तुम्हारी आयु के दिन बहुत होंगे, जिसके अधिकारी होने को तुम यरदन पार जा रहे हो।”
כִּ֠י לֹֽא־דָבָ֨ר רֵ֥ק הוּא֙ מִכֶּ֔ם כִּי־ה֖וּא חַיֵּיכֶ֑ם וּבַדָּבָ֣ר הַזֶּ֗ה תַּאֲרִ֤יכוּ יָמִים֙ עַל־הָ֣אֲדָמָ֔ה אֲשֶׁ֨ר אַתֶּ֜ם עֹבְרִ֧ים אֶת־הַיַּרְדֵּ֛ן שָׁ֖מָּה לְרִשְׁתָּֽהּ׃ פ
48 ४८ फिर उसी दिन यहोवा ने मूसा से कहा,
וַיְדַבֵּ֤ר יְהוָה֙ אֶל־מֹשֶׁ֔ה בְּעֶ֛צֶם הַיּ֥וֹם הַזֶּ֖ה לֵאמֹֽר׃
49 ४९ “उस अबारीम पहाड़ की नबो नामक चोटी पर, जो मोआब देश में यरीहो के सामने है, चढ़कर कनान देश, जिसे मैं इस्राएलियों की निज भूमि कर देता हूँ, उसको देख ले।
עֲלֵ֡ה אֶל־הַר֩ הָעֲבָרִ֨ים הַזֶּ֜ה הַר־נְב֗וֹ אֲשֶׁר֙ בְּאֶ֣רֶץ מוֹאָ֔ב אֲשֶׁ֖ר עַל־פְּנֵ֣י יְרֵח֑וֹ וּרְאֵה֙ אֶת־אֶ֣רֶץ כְּנַ֔עַן אֲשֶׁ֨ר אֲנִ֥י נֹתֵ֛ן לִבְנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל לַאֲחֻזָּֽה׃
50 ५० तब जैसा तेरा भाई हारून होर पहाड़ पर मरकर अपने लोगों में मिल गया, वैसा ही तू इस पहाड़ पर चढ़कर मर जाएगा, और अपने लोगों में मिल जाएगा।
וּמֻ֗ת בָּהָר֙ אֲשֶׁ֤ר אַתָּה֙ עֹלֶ֣ה שָׁ֔מָּה וְהֵאָסֵ֖ף אֶל־עַמֶּ֑יךָ כַּֽאֲשֶׁר־מֵ֞ת אַהֲרֹ֤ן אָחִ֙יךָ֙ בְּהֹ֣ר הָהָ֔ר וַיֵּאָ֖סֶף אֶל־עַמָּֽיו׃
51 ५१ इसका कारण यह है, कि सीन जंगल में, कादेश के मरीबा नाम सोते पर, तुम दोनों ने मेरा अपराध किया, क्योंकि तुम ने इस्राएलियों के मध्य में मुझे पवित्र न ठहराया।
עַל֩ אֲשֶׁ֨ר מְעַלְתֶּ֜ם בִּ֗י בְּתוֹךְ֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל בְּמֵֽי־מְרִיבַ֥ת קָדֵ֖שׁ מִדְבַּר־צִ֑ן עַ֣ל אֲשֶׁ֤ר לֹֽא־קִדַּשְׁתֶּם֙ אוֹתִ֔י בְּת֖וֹךְ בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃
52 ५२ इसलिए वह देश जो मैं इस्राएलियों को देता हूँ, तू अपने सामने देख लेगा, परन्तु वहाँ जाने न पाएगा।”
כִּ֥י מִנֶּ֖גֶד תִּרְאֶ֣ה אֶת־הָאָ֑רֶץ וְשָׁ֙מָּה֙ לֹ֣א תָב֔וֹא אֶל־הָאָ֕רֶץ אֲשֶׁר־אֲנִ֥י נֹתֵ֖ן לִבְנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ פ

< व्यवस्था विवरण 32 >