< व्यवस्था विवरण 32 >
1 १ “हे आकाश कान लगा, कि मैं बोलूँ; और हे पृथ्वी, मेरे मुँह की बातें सुन।
πρόσεχε οὐρανέ καὶ λαλήσω καὶ ἀκουέτω γῆ ῥήματα ἐκ στόματός μου
2 २ मेरा उपदेश मेंह के समान बरसेगा और मेरी बातें ओस के समान टपकेंगी, जैसे कि हरी घास पर झींसी, और पौधों पर झड़ियाँ।
προσδοκάσθω ὡς ὑετὸς τὸ ἀπόφθεγμά μου καὶ καταβήτω ὡς δρόσος τὰ ῥήματά μου ὡσεὶ ὄμβρος ἐπ’ ἄγρωστιν καὶ ὡσεὶ νιφετὸς ἐπὶ χόρτον
3 ३ मैं तो यहोवा के नाम का प्रचार करूँगा। तुम अपने परमेश्वर की महिमा को मानो!
ὅτι ὄνομα κυρίου ἐκάλεσα δότε μεγαλωσύνην τῷ θεῷ ἡμῶν
4 ४ “वह चट्टान है, उसका काम खरा है; और उसकी सारी गति न्याय की है। वह सच्चा परमेश्वर है, उसमें कुटिलता नहीं, वह धर्मी और सीधा है।
θεός ἀληθινὰ τὰ ἔργα αὐτοῦ καὶ πᾶσαι αἱ ὁδοὶ αὐτοῦ κρίσεις θεὸς πιστός καὶ οὐκ ἔστιν ἀδικία δίκαιος καὶ ὅσιος κύριος
5 ५ परन्तु इसी जाति के लोग टेढ़े और तिरछे हैं; ये बिगड़ गए, ये उसके पुत्र नहीं; यह उनका कलंक है।
ἡμάρτοσαν οὐκ αὐτῷ τέκνα μωμητά γενεὰ σκολιὰ καὶ διεστραμμένη
6 ६ हे मूर्ख और निर्बुद्धि लोगों, क्या तुम यहोवा को यह बदला देते हो? क्या वह तेरा पिता नहीं है, जिसने तुम को मोल लिया है? उसने तुझको बनाया और स्थिर भी किया है।
ταῦτα κυρίῳ ἀνταποδίδοτε οὕτω λαὸς μωρὸς καὶ οὐχὶ σοφός οὐκ αὐτὸς οὗτός σου πατὴρ ἐκτήσατό σε καὶ ἐποίησέν σε καὶ ἔκτισέν σε
7 ७ प्राचीनकाल के दिनों को स्मरण करो, पीढ़ी-पीढ़ी के वर्षों को विचारों; अपने बाप से पूछो, और वह तुम को बताएगा; अपने वृद्ध लोगों से प्रश्न करो, और वे तुझ से कह देंगे।
μνήσθητε ἡμέρας αἰῶνος σύνετε ἔτη γενεᾶς γενεῶν ἐπερώτησον τὸν πατέρα σου καὶ ἀναγγελεῖ σοι τοὺς πρεσβυτέρους σου καὶ ἐροῦσίν σοι
8 ८ जब परमप्रधान ने एक-एक जाति को निज-निज भाग बाँट दिया, और आदमियों को अलग-अलग बसाया, तब उसने देश-देश के लोगों की सीमाएँ इस्राएलियों की गिनती के अनुसार ठहराई।
ὅτε διεμέριζεν ὁ ὕψιστος ἔθνη ὡς διέσπειρεν υἱοὺς Αδαμ ἔστησεν ὅρια ἐθνῶν κατὰ ἀριθμὸν ἀγγέλων θεοῦ
9 ९ क्योंकि यहोवा का अंश उसकी प्रजा है; याकूब उसका नपा हुआ निज भाग है।
καὶ ἐγενήθη μερὶς κυρίου λαὸς αὐτοῦ Ιακωβ σχοίνισμα κληρονομίας αὐτοῦ Ισραηλ
10 १० “उसने उसको जंगल में, और सुनसान और गरजनेवालों से भरी हुई मरूभूमि में पाया; उसने उसके चारों ओर रहकर उसकी रक्षा की, और अपनी आँख की पुतली के समान उसकी सुधि रखी।
αὐτάρκησεν αὐτὸν ἐν γῇ ἐρήμῳ ἐν δίψει καύματος ἐν ἀνύδρῳ ἐκύκλωσεν αὐτὸν καὶ ἐπαίδευσεν αὐτὸν καὶ διεφύλαξεν αὐτὸν ὡς κόραν ὀφθαλμοῦ
11 ११ जैसे उकाब अपने घोंसले को हिला-हिलाकर अपने बच्चों के ऊपर-ऊपर मण्डराता है, वैसे ही उसने अपने पंख फैलाकर उसको अपने परों पर उठा लिया।
ὡς ἀετὸς σκεπάσαι νοσσιὰν αὐτοῦ καὶ ἐπὶ τοῖς νεοσσοῖς αὐτοῦ ἐπεπόθησεν διεὶς τὰς πτέρυγας αὐτοῦ ἐδέξατο αὐτοὺς καὶ ἀνέλαβεν αὐτοὺς ἐπὶ τῶν μεταφρένων αὐτοῦ
12 १२ यहोवा अकेला ही उसकी अगुआई करता रहा, और उसके संग कोई पराया देवता न था।
κύριος μόνος ἦγεν αὐτούς καὶ οὐκ ἦν μετ’ αὐτῶν θεὸς ἀλλότριος
13 १३ उसने उसको पृथ्वी के ऊँचे-ऊँचे स्थानों पर सवार कराया, और उसको खेतों की उपज खिलाई; उसने उसे चट्टान में से मधु और चकमक की चट्टान में से तेल चुसाया।
ἀνεβίβασεν αὐτοὺς ἐπὶ τὴν ἰσχὺν τῆς γῆς ἐψώμισεν αὐτοὺς γενήματα ἀγρῶν ἐθήλασαν μέλι ἐκ πέτρας καὶ ἔλαιον ἐκ στερεᾶς πέτρας
14 १४ गायों का दही, और भेड़-बकरियों का दूध, मेम्नों की चर्बी, बकरे और बाशान की जाति के मेढ़े, और गेहूँ का उत्तम से उत्तम आटा भी खाया; और तू दाखरस का मधु पिया करता था।
βούτυρον βοῶν καὶ γάλα προβάτων μετὰ στέατος ἀρνῶν καὶ κριῶν υἱῶν ταύρων καὶ τράγων μετὰ στέατος νεφρῶν πυροῦ καὶ αἷμα σταφυλῆς ἔπιον οἶνον
15 १५ “परन्तु यशूरून मोटा होकर लात मारने लगा; तू मोटा और हष्ट-पुष्ट हो गया, और चर्बी से छा गया है; तब उसने अपने सृजनहार परमेश्वर को तज दिया, और अपने उद्धार चट्टान को तुच्छ जाना।
καὶ ἔφαγεν Ιακωβ καὶ ἐνεπλήσθη καὶ ἀπελάκτισεν ὁ ἠγαπημένος ἐλιπάνθη ἐπαχύνθη ἐπλατύνθη καὶ ἐγκατέλιπεν θεὸν τὸν ποιήσαντα αὐτὸν καὶ ἀπέστη ἀπὸ θεοῦ σωτῆρος αὐτοῦ
16 १६ उन्होंने पराए देवताओं को मानकर उसमें जलन उपजाई; और घृणित कर्म करके उसको रिस दिलाई।
παρώξυνάν με ἐπ’ ἀλλοτρίοις ἐν βδελύγμασιν αὐτῶν ἐξεπίκρανάν με
17 १७ उन्होंने पिशाचों के लिये जो परमेश्वर न थे बलि चढ़ाए, और उनके लिये वे अनजाने देवता थे, वे तो नये-नये देवता थे जो थोड़े ही दिन से प्रगट हुए थे, और जिनसे उनके पुरखा कभी डरे नहीं।
ἔθυσαν δαιμονίοις καὶ οὐ θεῷ θεοῖς οἷς οὐκ ᾔδεισαν καινοὶ πρόσφατοι ἥκασιν οὓς οὐκ ᾔδεισαν οἱ πατέρες αὐτῶν
18 १८ जिस चट्टान से तू उत्पन्न हुआ उसको तू भूल गया, और परमेश्वर जिससे तेरी उत्पत्ति हुई उसको भी तू भूल गया है।
θεὸν τὸν γεννήσαντά σε ἐγκατέλιπες καὶ ἐπελάθου θεοῦ τοῦ τρέφοντός σε
19 १९ “इन बातों को देखकर यहोवा ने उन्हें तुच्छ जाना, क्योंकि उसके बेटे-बेटियों ने उसे रिस दिलाई थी।
καὶ εἶδεν κύριος καὶ ἐζήλωσεν καὶ παρωξύνθη δῑ ὀργὴν υἱῶν αὐτοῦ καὶ θυγατέρων
20 २० तब उसने कहा, ‘मैं उनसे अपना मुख छिपा लूँगा, और देखूँगा कि उनका अन्त कैसा होगा, क्योंकि इस जाति के लोग बहुत टेढ़े हैं और धोखा देनेवाले पुत्र हैं।
καὶ εἶπεν ἀποστρέψω τὸ πρόσωπόν μου ἀπ’ αὐτῶν καὶ δείξω τί ἔσται αὐτοῖς ἐπ’ ἐσχάτων ὅτι γενεὰ ἐξεστραμμένη ἐστίν υἱοί οἷς οὐκ ἔστιν πίστις ἐν αὐτοῖς
21 २१ उन्होंने ऐसी वस्तु को जो परमेश्वर नहीं है मानकर, मुझ में जलन उत्पन्न की; और अपनी व्यर्थ वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाई। इसलिए मैं भी उनके द्वारा जो मेरी प्रजा नहीं हैं उनके मन में जलन उत्पन्न करूँगा; और एक मूर्ख जाति के द्वारा उन्हें रिस दिलाऊँगा।
αὐτοὶ παρεζήλωσάν με ἐπ’ οὐ θεῷ παρώργισάν με ἐν τοῖς εἰδώλοις αὐτῶν κἀγὼ παραζηλώσω αὐτοὺς ἐπ’ οὐκ ἔθνει ἐπ’ ἔθνει ἀσυνέτῳ παροργιῶ αὐτούς
22 २२ क्योंकि मेरे कोप की आग भड़क उठी है, जो पाताल की तह तक जलती जाएगी, और पृथ्वी अपनी उपज समेत भस्म हो जाएगी, और पहाड़ों की नींवों में भी आग लगा देगी। (Sheol )
ὅτι πῦρ ἐκκέκαυται ἐκ τοῦ θυμοῦ μου καυθήσεται ἕως ᾅδου κάτω καταφάγεται γῆν καὶ τὰ γενήματα αὐτῆς φλέξει θεμέλια ὀρέων (Sheol )
23 २३ “मैं उन पर विपत्ति पर विपत्ति भेजूँगा; और उन पर मैं अपने सब तीरों को छोड़ूँगा।
συνάξω εἰς αὐτοὺς κακὰ καὶ τὰ βέλη μου συντελέσω εἰς αὐτούς
24 २४ वे भूख से दुबले हो जाएँगे, और अंगारों से और कठिन महारोगों से ग्रसित हो जाएँगे; और मैं उन पर पशुओं के दाँत लगवाऊँगा, और धूलि पर रेंगनेवाले सर्पों का विष छोड़ दूँगा।
τηκόμενοι λιμῷ καὶ βρώσει ὀρνέων καὶ ὀπισθότονος ἀνίατος ὀδόντας θηρίων ἀποστελῶ εἰς αὐτοὺς μετὰ θυμοῦ συρόντων ἐπὶ γῆς
25 २५ बाहर वे तलवार से मरेंगे, और कोठरियों के भीतर भय से; क्या कुँवारे और कुँवारियाँ, क्या दूध पीता हुआ बच्चा क्या पक्के बाल वाले, सब इसी प्रकार बर्बाद होंगे।
ἔξωθεν ἀτεκνώσει αὐτοὺς μάχαιρα καὶ ἐκ τῶν ταμιείων φόβος νεανίσκος σὺν παρθένῳ θηλάζων μετὰ καθεστηκότος πρεσβύτου
26 २६ मैंने कहा था, कि मैं उनको दूर-दूर तक तितर-बितर करूँगा, और मनुष्यों में से उनका स्मरण तक मिटा डालूँगा;
εἶπα διασπερῶ αὐτούς παύσω δὴ ἐξ ἀνθρώπων τὸ μνημόσυνον αὐτῶν
27 २७ परन्तु मुझे शत्रुओं की छेड़-छाड़ का डर था, ऐसा न हो कि द्रोही इसको उलटा समझकर यह कहने लगें, ‘हम अपने ही बाहुबल से प्रबल हुए, और यह सब यहोवा से नहीं हुआ।’
εἰ μὴ δῑ ὀργὴν ἐχθρῶν ἵνα μὴ μακροχρονίσωσιν καὶ ἵνα μὴ συνεπιθῶνται οἱ ὑπεναντίοι μὴ εἴπωσιν ἡ χεὶρ ἡμῶν ἡ ὑψηλὴ καὶ οὐχὶ κύριος ἐποίησεν ταῦτα πάντα
28 २८ “क्योंकि इस्राएल जाति युक्तिहीन है, और इनमें समझ है ही नहीं।
ὅτι ἔθνος ἀπολωλεκὸς βουλήν ἐστιν καὶ οὐκ ἔστιν ἐν αὐτοῖς ἐπιστήμη
29 २९ भला होता कि ये बुद्धिमान होते, कि इसको समझ लेते, और अपने अन्त का विचार करते!
οὐκ ἐφρόνησαν συνιέναι ταῦτα καταδεξάσθωσαν εἰς τὸν ἐπιόντα χρόνον
30 ३० यदि उनकी चट्टान ही उनको न बेच देती, और यहोवा उनको दूसरों के हाथ में न कर देता; तो यह कैसे हो सकता कि उनके हजार का पीछा एक मनुष्य करता, और उनके दस हजार को दो मनुष्य भगा देते?
πῶς διώξεται εἷς χιλίους καὶ δύο μετακινήσουσιν μυριάδας εἰ μὴ ὁ θεὸς ἀπέδοτο αὐτοὺς καὶ κύριος παρέδωκεν αὐτούς
31 ३१ क्योंकि जैसी हमारी चट्टान है वैसी उनकी चट्टान नहीं है, चाहे हमारे शत्रु ही क्यों न न्यायी हों।
ὅτι οὐκ ἔστιν ὡς ὁ θεὸς ἡμῶν οἱ θεοὶ αὐτῶν οἱ δὲ ἐχθροὶ ἡμῶν ἀνόητοι
32 ३२ क्योंकि उनकी दाखलता सदोम की दाखलता से निकली, और गमोरा की दाख की बारियों में की है; उनकी दाख विषभरी और उनके गुच्छे कड़वे हैं;
ἐκ γὰρ ἀμπέλου Σοδομων ἡ ἄμπελος αὐτῶν καὶ ἡ κληματὶς αὐτῶν ἐκ Γομορρας ἡ σταφυλὴ αὐτῶν σταφυλὴ χολῆς βότρυς πικρίας αὐτοῖς
33 ३३ उनका दाखमधु साँपों का सा विष और काले नागों का सा हलाहल है।
θυμὸς δρακόντων ὁ οἶνος αὐτῶν καὶ θυμὸς ἀσπίδων ἀνίατος
34 ३४ “क्या यह बात मेरे मन में संचित, और मेरे भण्डारों में मुहरबन्द नहीं है?
οὐκ ἰδοὺ ταῦτα συνῆκται παρ’ ἐμοὶ καὶ ἐσφράγισται ἐν τοῖς θησαυροῖς μου
35 ३५ पलटा लेना और बदला देना मेरा ही काम है, यह उनके पाँव फिसलने के समय प्रगट होगा; क्योंकि उनकी विपत्ति का दिन निकट है, और जो दुःख उन पर पड़नेवाले हैं वे शीघ्र आ रहे हैं।
ἐν ἡμέρᾳ ἐκδικήσεως ἀνταποδώσω ἐν καιρῷ ὅταν σφαλῇ ὁ ποὺς αὐτῶν ὅτι ἐγγὺς ἡμέρα ἀπωλείας αὐτῶν καὶ πάρεστιν ἕτοιμα ὑμῖν
36 ३६ क्योंकि जब यहोवा देखेगा कि मेरी प्रजा की शक्ति जाती रही, और क्या बन्धुआ और क्या स्वाधीन, उनमें कोई बचा नहीं रहा, तब यहोवा अपने लोगों का न्याय करेगा, और अपने दासों के विषय में तरस खाएगा।
ὅτι κρινεῖ κύριος τὸν λαὸν αὐτοῦ καὶ ἐπὶ τοῖς δούλοις αὐτοῦ παρακληθήσεται εἶδεν γὰρ παραλελυμένους αὐτοὺς καὶ ἐκλελοιπότας ἐν ἐπαγωγῇ καὶ παρειμένους
37 ३७ तब वह कहेगा, उनके देवता कहाँ हैं, अर्थात् वह चट्टान कहाँ जिस पर उनका भरोसा था,
καὶ εἶπεν κύριος ποῦ εἰσιν οἱ θεοὶ αὐτῶν ἐφ’ οἷς ἐπεποίθεισαν ἐπ’ αὐτοῖς
38 ३८ जो उनके बलिदानों की चर्बी खाते, और उनके तपावनों का दाखमधु पीते थे? वे ही उठकर तुम्हारी सहायता करें, और तुम्हारी आड़ हों!
ὧν τὸ στέαρ τῶν θυσιῶν αὐτῶν ἠσθίετε καὶ ἐπίνετε τὸν οἶνον τῶν σπονδῶν αὐτῶν ἀναστήτωσαν καὶ βοηθησάτωσαν ὑμῖν καὶ γενηθήτωσαν ὑμῖν σκεπασταί
39 ३९ “इसलिए अब तुम देख लो कि मैं ही वह हूँ, और मेरे संग कोई देवता नहीं; मैं ही मार डालता, और मैं जिलाता भी हूँ; मैं ही घायल करता, और मैं ही चंगा भी करता हूँ; और मेरे हाथ से कोई नहीं छुड़ा सकता।
ἴδετε ἴδετε ὅτι ἐγώ εἰμι καὶ οὐκ ἔστιν θεὸς πλὴν ἐμοῦ ἐγὼ ἀποκτενῶ καὶ ζῆν ποιήσω πατάξω κἀγὼ ἰάσομαι καὶ οὐκ ἔστιν ὃς ἐξελεῖται ἐκ τῶν χειρῶν μου
40 ४० क्योंकि मैं अपना हाथ स्वर्ग की ओर उठाकर कहता हूँ, क्योंकि मैं अनन्तकाल के लिये जीवित हूँ,
ὅτι ἀρῶ εἰς τὸν οὐρανὸν τὴν χεῖρά μου καὶ ὀμοῦμαι τῇ δεξιᾷ μου καὶ ἐρῶ ζῶ ἐγὼ εἰς τὸν αἰῶνα
41 ४१ इसलिए यदि मैं बिजली की तलवार पर सान धरकर झलकाऊँ, और न्याय अपने हाथ में ले लूँ, तो अपने द्रोहियों से बदला लूँगा, और अपने बैरियों को बदला दूँगा।
ὅτι παροξυνῶ ὡς ἀστραπὴν τὴν μάχαιράν μου καὶ ἀνθέξεται κρίματος ἡ χείρ μου καὶ ἀνταποδώσω δίκην τοῖς ἐχθροῖς καὶ τοῖς μισοῦσίν με ἀνταποδώσω
42 ४२ मैं अपने तीरों को लहू से मतवाला करूँगा, और मेरी तलवार माँस खाएगी—वह लहू, मारे हुओं और बन्दियों का, और वह माँस, शत्रुओं के लम्बे बाल वाले प्रधानों का होगा।
μεθύσω τὰ βέλη μου ἀφ’ αἵματος καὶ ἡ μάχαιρά μου καταφάγεται κρέα ἀφ’ αἵματος τραυματιῶν καὶ αἰχμαλωσίας ἀπὸ κεφαλῆς ἀρχόντων ἐχθρῶν
43 ४३ “हे अन्यजातियों, उसकी प्रजा के साथ आनन्द मनाओ; क्योंकि वह अपने दासों के लहू का पलटा लेगा, और अपने द्रोहियों को बदला देगा, और अपने देश और अपनी प्रजा के पाप के लिये प्रायश्चित देगा।”
εὐφράνθητε οὐρανοί ἅμα αὐτῷ καὶ προσκυνησάτωσαν αὐτῷ πάντες υἱοὶ θεοῦ εὐφράνθητε ἔθνη μετὰ τοῦ λαοῦ αὐτοῦ καὶ ἐνισχυσάτωσαν αὐτῷ πάντες ἄγγελοι θεοῦ ὅτι τὸ αἷμα τῶν υἱῶν αὐτοῦ ἐκδικᾶται καὶ ἐκδικήσει καὶ ἀνταποδώσει δίκην τοῖς ἐχθροῖς καὶ τοῖς μισοῦσιν ἀνταποδώσει καὶ ἐκκαθαριεῖ κύριος τὴν γῆν τοῦ λαοῦ αὐτοῦ
44 ४४ इस गीत के सब वचन मूसा ने नून के पुत्र यहोशू समेत आकर लोगों को सुनाए।
καὶ ἔγραψεν Μωυσῆς τὴν ᾠδὴν ταύτην ἐν ἐκείνῃ τῇ ἡμέρᾳ καὶ ἐδίδαξεν αὐτὴν τοὺς υἱοὺς Ισραηλ καὶ εἰσῆλθεν Μωυσῆς καὶ ἐλάλησεν πάντας τοὺς λόγους τοῦ νόμου τούτου εἰς τὰ ὦτα τοῦ λαοῦ αὐτὸς καὶ Ἰησοῦς ὁ τοῦ Ναυη
45 ४५ जब मूसा ये सब वचन सब इस्राएलियों से कह चुका,
καὶ συνετέλεσεν Μωυσῆς λαλῶν παντὶ Ισραηλ
46 ४६ तब उसने उनसे कहा, “जितनी बातें मैं आज तुम से चिताकर कहता हूँ उन सब पर अपना-अपना मन लगाओ, और उनके अर्थात् इस व्यवस्था की सारी बातों के मानने में चौकसी करने की आज्ञा अपने बच्चों को दो।
καὶ εἶπεν πρὸς αὐτούς προσέχετε τῇ καρδίᾳ ἐπὶ πάντας τοὺς λόγους τούτους οὓς ἐγὼ διαμαρτύρομαι ὑμῖν σήμερον ἃ ἐντελεῖσθε τοῖς υἱοῖς ὑμῶν φυλάσσειν καὶ ποιεῖν πάντας τοὺς λόγους τοῦ νόμου τούτου
47 ४७ क्योंकि यह तुम्हारे लिये व्यर्थ काम नहीं, परन्तु तुम्हारा जीवन ही है, और ऐसा करने से उस देश में तुम्हारी आयु के दिन बहुत होंगे, जिसके अधिकारी होने को तुम यरदन पार जा रहे हो।”
ὅτι οὐχὶ λόγος κενὸς οὗτος ὑμῖν ὅτι αὕτη ἡ ζωὴ ὑμῶν καὶ ἕνεκεν τοῦ λόγου τούτου μακροημερεύσετε ἐπὶ τῆς γῆς εἰς ἣν ὑμεῖς διαβαίνετε τὸν Ιορδάνην ἐκεῖ κληρονομῆσαι αὐτήν
48 ४८ फिर उसी दिन यहोवा ने मूसा से कहा,
καὶ ἐλάλησεν κύριος πρὸς Μωυσῆν ἐν τῇ ἡμέρᾳ ταύτῃ λέγων
49 ४९ “उस अबारीम पहाड़ की नबो नामक चोटी पर, जो मोआब देश में यरीहो के सामने है, चढ़कर कनान देश, जिसे मैं इस्राएलियों की निज भूमि कर देता हूँ, उसको देख ले।
ἀνάβηθι εἰς τὸ ὄρος τὸ Αβαριν τοῦτο ὄρος Ναβαυ ὅ ἐστιν ἐν γῇ Μωαβ κατὰ πρόσωπον Ιεριχω καὶ ἰδὲ τὴν γῆν Χανααν ἣν ἐγὼ δίδωμι τοῖς υἱοῖς Ισραηλ εἰς κατάσχεσιν
50 ५० तब जैसा तेरा भाई हारून होर पहाड़ पर मरकर अपने लोगों में मिल गया, वैसा ही तू इस पहाड़ पर चढ़कर मर जाएगा, और अपने लोगों में मिल जाएगा।
καὶ τελεύτα ἐν τῷ ὄρει εἰς ὃ ἀναβαίνεις ἐκεῖ καὶ προστέθητι πρὸς τὸν λαόν σου ὃν τρόπον ἀπέθανεν Ααρων ὁ ἀδελφός σου ἐν Ωρ τῷ ὄρει καὶ προσετέθη πρὸς τὸν λαὸν αὐτοῦ
51 ५१ इसका कारण यह है, कि सीन जंगल में, कादेश के मरीबा नाम सोते पर, तुम दोनों ने मेरा अपराध किया, क्योंकि तुम ने इस्राएलियों के मध्य में मुझे पवित्र न ठहराया।
διότι ἠπειθήσατε τῷ ῥήματί μου ἐν τοῖς υἱοῖς Ισραηλ ἐπὶ τοῦ ὕδατος ἀντιλογίας Καδης ἐν τῇ ἐρήμῳ Σιν διότι οὐχ ἡγιάσατέ με ἐν τοῖς υἱοῖς Ισραηλ
52 ५२ इसलिए वह देश जो मैं इस्राएलियों को देता हूँ, तू अपने सामने देख लेगा, परन्तु वहाँ जाने न पाएगा।”
ὅτι ἀπέναντι ὄψῃ τὴν γῆν καὶ ἐκεῖ οὐκ εἰσελεύσῃ