< व्यवस्था विवरण 32 >

1 “हे आकाश कान लगा, कि मैं बोलूँ; और हे पृथ्वी, मेरे मुँह की बातें सुन।
«أَصْغِي أَيَّتُهَا السَّمَاوَاتُ فَأَتَكَلَّمَ وَلْتُنْصِتِ الأَرْضُ إِلَى أَقْوَالِ فَمِي.١
2 मेरा उपदेश मेंह के समान बरसेगा और मेरी बातें ओस के समान टपकेंगी, जैसे कि हरी घास पर झींसी, और पौधों पर झड़ियाँ।
لِيَنْهَمِرْ تَعْلِيمِي كَالْمَطَرِ، وَلْيَقْطُرْ كَلامِي، فَيَكُونَ كَالطَّلِّ عَلَى الْكَلأ وَكَالْغَيْثِ عَلَى الْعُشْبِ.٢
3 मैं तो यहोवा के नाम का प्रचार करूँगा। तुम अपने परमेश्वर की महिमा को मानो!
بِاسْمِ الرَّبِّ أَدْعُو، فَمَجِّدُوا عَظَمَةَ إِلَهِنَا.٣
4 “वह चट्टान है, उसका काम खरा है; और उसकी सारी गति न्याय की है। वह सच्चा परमेश्वर है, उसमें कुटिलता नहीं, वह धर्मी और सीधा है।
هُوَ الصَّخْرُ، وَصَنَائِعُهُ كُلُّهَا كَامِلَةٌ، سُبُلُهُ جَمِيعُهَا عَدْلٌ. هُوَ إِلَهُ أَمَانَةٍ لَا يَرْتَكِبُ جَوْراً، صِدِّيقٌ وَعَادِلٌ هُوَ.٤
5 परन्तु इसी जाति के लोग टेढ़े और तिरछे हैं; ये बिगड़ गए, ये उसके पुत्र नहीं; यह उनका कलंक है।
لَقَدِ اقْتَرَفُوا الْفَسَادَ أَمَامَهُ، وَلَمْ يَعُودُوا لَهُ أَبْنَاءً بَلْ لَطْخَةَ عَارٍ، إِنَّهُمْ جِيلٌ أَعْوَجُ وَمُلْتَوٍ٥
6 हे मूर्ख और निर्बुद्धि लोगों, क्या तुम यहोवा को यह बदला देते हो? क्या वह तेरा पिता नहीं है, जिसने तुम को मोल लिया है? उसने तुझको बनाया और स्थिर भी किया है।
أَبِهَذَا تُكَافِئُونَ الرَّبَّ أَيُّهَا الشَّعْبُ الأَحْمَقُ الْغَبِيُّ؟ أَلَيْسَ هُوَ أَبَاكُمْ وَخَالِقَكُمُ الَّذِي عَمِلَكُمْ وَكَوَّنَكُمْ؟٦
7 प्राचीनकाल के दिनों को स्मरण करो, पीढ़ी-पीढ़ी के वर्षों को विचारों; अपने बाप से पूछो, और वह तुम को बताएगा; अपने वृद्ध लोगों से प्रश्न करो, और वे तुझ से कह देंगे।
اذْكُرُوا الأَيَّامَ الْغَابِرَةَ، وَتَأَمَّلُوا فِي سَنَوَاتِ الأَجْيَالِ الْمَاضِيَةِ. اسْأَلُوا آبَاءَكُمْ فَيُنْبِئُوكُمْ، وَشُيُوخَكُمْ فَيُخْبِرُوكُمْ.٧
8 जब परमप्रधान ने एक-एक जाति को निज-निज भाग बाँट दिया, और आदमियों को अलग-अलग बसाया, तब उसने देश-देश के लोगों की सीमाएँ इस्राएलियों की गिनती के अनुसार ठहराई।
عِنْدَمَا قَسَمَ الْعَلِيُّ الْمِيرَاثَ عَلَى الأُمَمِ، وَحِينَ فَرَّقَ بَنِي آدَمَ، أَقَامَ حُدُوداً لِلشُّعُوبِ عَلَى عَدَدِ بَنِي إِسْرَائِيلَ،٨
9 क्योंकि यहोवा का अंश उसकी प्रजा है; याकूब उसका नपा हुआ निज भाग है।
لأَنَّ نَصِيبَ الرَّبِّ هُوَ شَعْبُهُ، وَأَبْنَاءَ يَعْقُوبَ قُرْعَةُ مِيرَاثِهِ.٩
10 १० “उसने उसको जंगल में, और सुनसान और गरजनेवालों से भरी हुई मरूभूमि में पाया; उसने उसके चारों ओर रहकर उसकी रक्षा की, और अपनी आँख की पुतली के समान उसकी सुधि रखी।
وَجَدَهُمْ فِي أَرْضٍ قَفْرٍ وَفِي خَلاءٍ مُوْحِشٍ. فَأَحَاطَ بِهِمْ وَرَعَاهُمْ وَصَانَهُمْ كَحَدَقَةِ عَيْنِهِ.١٠
11 ११ जैसे उकाब अपने घोंसले को हिला-हिलाकर अपने बच्चों के ऊपर-ऊपर मण्डराता है, वैसे ही उसने अपने पंख फैलाकर उसको अपने परों पर उठा लिया।
وَكَمَا يَهُزُّ النَّسْرُ عُشَّهُ، وَيَرُفُّ عَلَى فِرَاخِهِ، بَاسِطاً جَنَاحَيْهِ لِيَأْخُذَهَا وَيَحْمِلَهَا عَلَى مِنْكَبَيْهِ،١١
12 १२ यहोवा अकेला ही उसकी अगुआई करता रहा, और उसके संग कोई पराया देवता न था।
هَكَذَا الرَّبُّ وَحْدَهُ قَادَ شَعْبَهُ، وَلَيْسَ مَعَهُ إِلَهٌ غَرِيبٌ.١٢
13 १३ उसने उसको पृथ्वी के ऊँचे-ऊँचे स्थानों पर सवार कराया, और उसको खेतों की उपज खिलाई; उसने उसे चट्टान में से मधु और चकमक की चट्टान में से तेल चुसाया।
أَصْعَدَهُمْ عَلَى هِضَابِ الأَرْضِ فَأَكَلُوا ثِمَارَ الصَّحْرَاءِ، وَغَذَّاهُمْ بِعَسَلٍ مِنْ صَخْرٍ، وَزَيْتٍ مِنْ حَجَرِ الصَّوَّانِ،١٣
14 १४ गायों का दही, और भेड़-बकरियों का दूध, मेम्नों की चर्बी, बकरे और बाशान की जाति के मेढ़े, और गेहूँ का उत्तम से उत्तम आटा भी खाया; और तू दाखरस का मधु पिया करता था।
وَزُبْدَةِ الْبَقَرِ وَلَبَنِ الْغَنَمِ وَشَحْمِ خِرَافٍ وَتُيُوسٍ وَخِيَارِ كِبَاشِ بَاشَانَ، وَأَفْضَلِ لُبِّ الْحِنْطَةِ، وَسَقَاهُمْ دَمَ الْعِنَبِ الْقَانِي.١٤
15 १५ “परन्तु यशूरून मोटा होकर लात मारने लगा; तू मोटा और हष्ट-पुष्ट हो गया, और चर्बी से छा गया है; तब उसने अपने सृजनहार परमेश्वर को तज दिया, और अपने उद्धार चट्टान को तुच्छ जाना।
فَسَمِنَ بَنُو إِسْرَائِيلَ وَرَفَسُوا، سَمِنُوا وَغَلُظُوا وَاكْتَسَوْا شَحْماً، فَرَفَضُوا الإِلَهَ صَانِعَهُمْ وَتَنَكَّرُوا لِصَخْرَةِ خَلاصِهِمْ.١٥
16 १६ उन्होंने पराए देवताओं को मानकर उसमें जलन उपजाई; और घृणित कर्म करके उसको रिस दिलाई।
أَثَارُوا غَيْرَتَهُ بِآلِهَتِهِمِ الْغَرِيبَةِ، وَأَغَاظُوهُ بِأَصْنَامِهِمِ الرِّجْسَةِ.١٦
17 १७ उन्होंने पिशाचों के लिये जो परमेश्वर न थे बलि चढ़ाए, और उनके लिये वे अनजाने देवता थे, वे तो नये-नये देवता थे जो थोड़े ही दिन से प्रगट हुए थे, और जिनसे उनके पुरखा कभी डरे नहीं।
قَدَّمُوا مُحْرَقَاتٍ لأَوْثَانٍ لَيْسَتْ هِيَ اللهَ، لِآلِهَةٍ غَرِيبَةٍ لَمْ يَعْرِفُوهَا بَلْ ظَهَرَتْ حَدِيثاً، آلِهَةٍ لَمْ يَرْهَبْهَا آبَاؤُهُمْ مِنْ قَبْلُ.١٧
18 १८ जिस चट्टान से तू उत्पन्न हुआ उसको तू भूल गया, और परमेश्वर जिससे तेरी उत्पत्ति हुई उसको भी तू भूल गया है।
لَقَدْ نَبَذْتُمُ الصَّخْرَ الَّذِي أَنْجَبَكُمْ، وَنَسِيتُمُ اللهَ الَّذِي أَنْشَأَكُمْ.١٨
19 १९ “इन बातों को देखकर यहोवा ने उन्हें तुच्छ जाना, क्योंकि उसके बेटे-बेटियों ने उसे रिस दिलाई थी।
فَرَأَى الرَّبُّ ذَلِكَ وَرَذَلَهُمْ، إِذْ أَثَارَ أَبْنَاؤُهُ وَبَنَاتُهُ غَيْظَهُ.١٩
20 २० तब उसने कहा, ‘मैं उनसे अपना मुख छिपा लूँगा, और देखूँगा कि उनका अन्त कैसा होगा, क्योंकि इस जाति के लोग बहुत टेढ़े हैं और धोखा देनेवाले पुत्र हैं।
وَقَالَ: سَأَحْجُبُ وَجْهِي عَنْهُمْ، فَأَرَى مَاذَا يَكُونُ مَصِيرُهُمْ؟ إِنَّهُمْ جِيلٌ مُتَقَلِّبٌ وَأَوْلادٌ خَوَنَةٌ،٢٠
21 २१ उन्होंने ऐसी वस्तु को जो परमेश्वर नहीं है मानकर, मुझ में जलन उत्पन्न की; और अपनी व्यर्थ वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाई। इसलिए मैं भी उनके द्वारा जो मेरी प्रजा नहीं हैं उनके मन में जलन उत्पन्न करूँगा; और एक मूर्ख जाति के द्वारा उन्हें रिस दिलाऊँगा।
هَيَّجُوا غَيْرَتِي بِعِبَادَةِ أَوْثَانِهِمْ، وَأَسْخَطُونِي بِأَصْنَامِهِمِ الْبَاطِلَةِ. لِذَلِكَ سَأُثِيرُ غَيْرَتَهُمْ بِشَعْبٍ مُتَوَحِّشٍ، وَأُغِيظُهُمْ بِأُمَّةٍ حَمْقَاءَ.٢١
22 २२ क्योंकि मेरे कोप की आग भड़क उठी है, जो पाताल की तह तक जलती जाएगी, और पृथ्वी अपनी उपज समेत भस्म हो जाएगी, और पहाड़ों की नींवों में भी आग लगा देगी। (Sheol h7585)
فَهَا قَدْ أَضْرَمَ غَضَبِي نَاراً تُحْرِقُ حَتَّى الْهَاوِيَةِ السُّفْلَى، وَتَأْكُلُ الأَرْضَ وَغَلّاتِهَا، وَتُشْعِلُ أُسُسَ الْجِبَالِ. (Sheol h7585)٢٢
23 २३ “मैं उन पर विपत्ति पर विपत्ति भेजूँगा; और उन पर मैं अपने सब तीरों को छोड़ूँगा।
أُكَوِّمُ عَلَيْهِمْ شُرُوراً وَأُنْفِذُ سِهَامِي فِيهِمْ.٢٣
24 २४ वे भूख से दुबले हो जाएँगे, और अंगारों से और कठिन महारोगों से ग्रसित हो जाएँगे; और मैं उन पर पशुओं के दाँत लगवाऊँगा, और धूलि पर रेंगनेवाले सर्पों का विष छोड़ दूँगा।
وَحِينَ يَكُونُونَ خَائِرِينَ مِنَ الْجُوعِ، مَنْهُوكِينَ مِنَ الْحُمَّى وَالدَّاءِ السَّامِّ، أَجْعَلُ أَنْيَابَ الْوُحُوشِ مَعَ سُمِّ زَوَاحِفِ الأَرْضِ تَنْشَبُ فِيهِمْ.٢٤
25 २५ बाहर वे तलवार से मरेंगे, और कोठरियों के भीतर भय से; क्या कुँवारे और कुँवारियाँ, क्या दूध पीता हुआ बच्चा क्या पक्के बाल वाले, सब इसी प्रकार बर्बाद होंगे।
يُثْكِلُهُمْ سَيْفُ الْعَدُوِّ فِي الطَّرِيقِ، وَيَسْتَوْلِي عَلَيْهِم الرُّعْبُ دَاخِلَ الْخُدُورِ، فَيَهْلِكُ الْفَتَى مَعَ الْفَتَاةِ، وَالرَّضِيعُ مَعَ الشَّيْخِ.٢٥
26 २६ मैंने कहा था, कि मैं उनको दूर-दूर तक तितर-बितर करूँगा, और मनुष्यों में से उनका स्मरण तक मिटा डालूँगा;
قُلْتُ: أُشَتِّتُهُمْ فِي زَوَايَا الأَرْضِ، وَأَمْحُو مِنْ بَيْنِ النَّاسِ ذِكْرَهُمْ.٢٦
27 २७ परन्तु मुझे शत्रुओं की छेड़-छाड़ का डर था, ऐसा न हो कि द्रोही इसको उलटा समझकर यह कहने लगें, ‘हम अपने ही बाहुबल से प्रबल हुए, और यह सब यहोवा से नहीं हुआ।’
لَوْلا خَوْفِي مِنْ تَبَجُّحِ الْعَدُوِّ، إِذْ يَظُنُّونَ قَائِلِينَ: إِنَّ يَدَنَا قَدْ عَظُمَتْ، وَلَيْسَ مَا جَرَى هُوَ مِنْ فِعْلِ الرَّبِّ.٢٧
28 २८ “क्योंकि इस्राएल जाति युक्तिहीन है, और इनमें समझ है ही नहीं।
إِنَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ أُمَّةٌ غَبِيَّةٌ لَا بَصِيرَةَ فِيهَا.٢٨
29 २९ भला होता कि ये बुद्धिमान होते, कि इसको समझ लेते, और अपने अन्त का विचार करते!
لَوْ عَقَلُوا لَفَطِنُوا لِمَآلِهِمْ وَتَأَمَّلُوا فِي مَصِيرِهِمْ،٢٩
30 ३० यदि उनकी चट्टान ही उनको न बेच देती, और यहोवा उनको दूसरों के हाथ में न कर देता; तो यह कैसे हो सकता कि उनके हजार का पीछा एक मनुष्य करता, और उनके दस हजार को दो मनुष्य भगा देते?
إِذْ كَيْفَ يَدْحَرُ وَاحِدٌ أَلْفاً، وَيَهْزِمُ اثْنَانِ مِنْ أَعْدَائِهِمْ عَشَرَةَ آلافٍ مِنْهُمْ، لَوْلا أَنَّ صَخْرَهُمْ قَدْ هَجَرَهُمْ وَالرَّبَّ قَدْ سَلَّمَهُمْ؟٣٠
31 ३१ क्योंकि जैसी हमारी चट्टान है वैसी उनकी चट्टान नहीं है, चाहे हमारे शत्रु ही क्यों न न्यायी हों।
لأَنْ لَيْسَ صَخْرُهُمْ كَصَخْرِنَا، وَهَذَا مَا يُقِرُّ بِهِ أَعْدَاؤُنَا.٣١
32 ३२ क्योंकि उनकी दाखलता सदोम की दाखलता से निकली, और गमोरा की दाख की बारियों में की है; उनकी दाख विषभरी और उनके गुच्छे कड़वे हैं;
إِذْ إِنَّ كَرْمَتَهُمْ هِيَ مِنْ كَرْمَةِ سَدُومَ وَمِنْ حُقُولِ عَمُورَةَ. وَعِنَبَهُمْ يَنْضَحُ سُمّاً، وَعَنَاقِيدَهُمْ تَفِيضُ مَرَارَةً.٣٢
33 ३३ उनका दाखमधु साँपों का सा विष और काले नागों का सा हलाहल है।
خَمْرُهُمْ حُمَةُ الأَفَاعِي وَسُمُّ الثَّعَابِينِ الْمُمِيتُ.٣٣
34 ३४ “क्या यह बात मेरे मन में संचित, और मेरे भण्डारों में मुहरबन्द नहीं है?
أَلَيْسَ هَذَا مُدَّخَراً عِنْدِي مَخْتُوماً عَلَيْهِ فِي خَزَائِنِي؟٣٤
35 ३५ पलटा लेना और बदला देना मेरा ही काम है, यह उनके पाँव फिसलने के समय प्रगट होगा; क्योंकि उनकी विपत्ति का दिन निकट है, और जो दुःख उन पर पड़नेवाले हैं वे शीघ्र आ रहे हैं।
لِيَ النَّقْمَةُ وَأَنَا أُجَازِي. وَفِي الْوَقْتِ الْمُعَيَّنِ تَزِلُّ أَقْدَامُهُمْ فَيَوْمُ هَلاكِهِمْ بَاتَ وَشِيكاً، وَمَصِيرُهُمُ الْمَحْتُومُ يُسْرِعُ إِلَيْهِمْ،٣٥
36 ३६ क्योंकि जब यहोवा देखेगा कि मेरी प्रजा की शक्ति जाती रही, और क्या बन्धुआ और क्या स्वाधीन, उनमें कोई बचा नहीं रहा, तब यहोवा अपने लोगों का न्याय करेगा, और अपने दासों के विषय में तरस खाएगा।
لأَنَّ الرَّبَّ يَدِينُ شَعْبَهُ وَيَرْأَفُ بِعَبِيدِهِ. عِنْدَمَا يَرَى أَنَّ قُوَّتَهُمْ قَدِ اضْمَحَلَّتْ وَلَمْ يَبْقَ عَبْدٌ وَلا حُرٌّ،٣٦
37 ३७ तब वह कहेगा, उनके देवता कहाँ हैं, अर्थात् वह चट्टान कहाँ जिस पर उनका भरोसा था,
عِنْدَئِذٍ يَسْأَلُ الرَّبُّ: أَيْنَ آلِهَتُهُمْ؟ أَيْنَ الصَّخْرَةُ الَّتِي الْتَجَأُوا إِلَيْهَا؟٣٧
38 ३८ जो उनके बलिदानों की चर्बी खाते, और उनके तपावनों का दाखमधु पीते थे? वे ही उठकर तुम्हारी सहायता करें, और तुम्हारी आड़ हों!
الَّتِي كَانَتْ تَلْتَهِمُ شَحْمَ ذَبَائِحِهِمْ وَتَشْرَبُ خَمْرَ سَكَائِبِهِمْ؟ لِتَهُبَّ لِمُسَاعَدَتِهِمْ وَتَبْسُطَ عَلَيْهِمْ حِمَايَتَهَا.٣٨
39 ३९ “इसलिए अब तुम देख लो कि मैं ही वह हूँ, और मेरे संग कोई देवता नहीं; मैं ही मार डालता, और मैं जिलाता भी हूँ; मैं ही घायल करता, और मैं ही चंगा भी करता हूँ; और मेरे हाथ से कोई नहीं छुड़ा सकता।
انْظُرُوا الآنَ: إِنِّي أَنَا هُوَ وَلَيْسَ إِلَهٌ آخَرُ مَعِي. أَنَا أُمِيتُ وَأُحْيِي، أَسْحَقُ وَأَشْفِي، وَلا مُنْقِذَ مِنْ يَدِي.٣٩
40 ४० क्योंकि मैं अपना हाथ स्वर्ग की ओर उठाकर कहता हूँ, क्योंकि मैं अनन्तकाल के लिये जीवित हूँ,
أَبْسُطُ يَدِي نَحْوَ السَّمَاءِ قَائِلاً: حَيٌّ أَنَا إِلَى الأَبَدِ.٤٠
41 ४१ इसलिए यदि मैं बिजली की तलवार पर सान धरकर झलकाऊँ, और न्याय अपने हाथ में ले लूँ, तो अपने द्रोहियों से बदला लूँगा, और अपने बैरियों को बदला दूँगा।
إِذَا سَنَنْتُ سَيْفِي الْبَارِقَ وَأَمْسَكَتْ بِهِ يَدِي لِلْقَضَاءِ، فَإِنِّي أَنْتَقِمُ مِنْ أَعْدَائِي، وَأُجَازِي مُبْغِضِيَّ.٤١
42 ४२ मैं अपने तीरों को लहू से मतवाला करूँगा, और मेरी तलवार माँस खाएगी—वह लहू, मारे हुओं और बन्दियों का, और वह माँस, शत्रुओं के लम्बे बाल वाले प्रधानों का होगा।
أُسْكِرُ سِهَامِي بِالدَّمِ وَيَلْتَهِمُ سَيْفِي لَحْماً، مِنْ دَمِ الْقَتْلَى وَالسَّبَايَا وَرُؤُوسِ قَادَةِ الْعَدُوِّ.٤٢
43 ४३ “हे अन्यजातियों, उसकी प्रजा के साथ आनन्द मनाओ; क्योंकि वह अपने दासों के लहू का पलटा लेगा, और अपने द्रोहियों को बदला देगा, और अपने देश और अपनी प्रजा के पाप के लिये प्रायश्चित देगा।”
تَهَلَّلِي أَيَّتُهَا الأُمَمُ مَعَ شَعْبِهِ، لأَنَّهُ سَيَنْتَقِمُ لِدِمَاءِ عَبِيدِهِ وَيَثْأَرُ مِنْ أَعْدَائِهِ وَيَصْفَحُ عَنْ أَرْضِهِ وَعَنْ شَعْبِهِ».٤٣
44 ४४ इस गीत के सब वचन मूसा ने नून के पुत्र यहोशू समेत आकर लोगों को सुनाए।
وَأَقْبَلَ مُوسَى وَيَشُوعُ بْنُ نُونَ وَقَرَآ كَلِمَاتِ هَذَا النَّشِيدِ جَمِيعَهَا فِي مَسَامِعِ الشَّعْبِ.٤٤
45 ४५ जब मूसा ये सब वचन सब इस्राएलियों से कह चुका,
وَعِنْدَمَا انْتَهَى مُوسَى مِنْ تِلاوَةِ جَمِيعِ كَلِمَاتِ أَبْيَاتِ هَذَا النَّشِيدِ عَلَى الإِسْرَائِيلِيِّينَ،٤٥
46 ४६ तब उसने उनसे कहा, “जितनी बातें मैं आज तुम से चिताकर कहता हूँ उन सब पर अपना-अपना मन लगाओ, और उनके अर्थात् इस व्यवस्था की सारी बातों के मानने में चौकसी करने की आज्ञा अपने बच्चों को दो।
قَالَ لَهُمْ: «تَأَمَّلُوا بِقُلُوبِكُمْ فِي جَمِيعِ هَذِهِ الْكَلِمَاتِ الَّتِي أَنَا أَشْهَدُ عَلَيْكُمْ بِها الْيَوْمَ، لِكَيْ تُوصُوا بِها أَوْلادَكُمْ، لِيَحْرِصُوا عَلَى الْعَمَلِ بِكَلِمَاتِ هَذِهِ التَّوْرَاةِ كُلِّهَا.٤٦
47 ४७ क्योंकि यह तुम्हारे लिये व्यर्थ काम नहीं, परन्तु तुम्हारा जीवन ही है, और ऐसा करने से उस देश में तुम्हारी आयु के दिन बहुत होंगे, जिसके अधिकारी होने को तुम यरदन पार जा रहे हो।”
لأَنَّهَا لَيْسَتْ كَلِمَاتٍ لَا جَدْوَى لَكُمْ مِنْهَا. إِنَّهَا حَيَاتُكُمْ وَبِهَا تَعِيشُونَ طَوِيلاً فِي الأَرْضِ الَّتِي أَنْتُمْ عَابِرُونَ نَهْرَ الأُرْدُنِّ إِلَيْهَا لِتَرِثُوهَا».٤٧
48 ४८ फिर उसी दिन यहोवा ने मूसा से कहा,
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى فِي نَفْسِ ذَلِكَ الْيَوْمِ:٤٨
49 ४९ “उस अबारीम पहाड़ की नबो नामक चोटी पर, जो मोआब देश में यरीहो के सामने है, चढ़कर कनान देश, जिसे मैं इस्राएलियों की निज भूमि कर देता हूँ, उसको देख ले।
«اصْعَدْ إِلَى سِلْسِلَةِ جِبَالِ عَبَارِيمَ حَيْثُ جَبَلُ نَبُو الَّذِي فِي أَرْضِ مُوآبَ مُقَابِلَ أَرِيحَا، وَشَاهِدْ أَرْضَ كَنْعَانَ الَّتِي أَنَا وَاهِبُهَا مُلْكاً لِبَنِي إِسْرَائِيلَ.٤٩
50 ५० तब जैसा तेरा भाई हारून होर पहाड़ पर मरकर अपने लोगों में मिल गया, वैसा ही तू इस पहाड़ पर चढ़कर मर जाएगा, और अपने लोगों में मिल जाएगा।
وَمُتْ فِي الْجَبَلِ الَّذِي تَصْعَدُ إِلَيْهِ، وَالْحَقْ بِقَوْمِكَ كَمَا مَاتَ أَخُوكَ هَرُونُ فِي جَبَلِ هُورٍ وَلَحِقَ بِقَوْمِهِ.٥٠
51 ५१ इसका कारण यह है, कि सीन जंगल में, कादेश के मरीबा नाम सोते पर, तुम दोनों ने मेरा अपराध किया, क्योंकि तुम ने इस्राएलियों के मध्य में मुझे पवित्र न ठहराया।
لأَنَّكُمَا لَمْ تَثِقَا بِي فِي حُضُورِ الإِسْرَائِيلِيِّينَ عِنْدَ مَاءِ مَرِيبَةِ قَادِشَ فِي بَرِّيَّةِ صِينٍ، إِذْ لَمْ تُقَدِّسَانِي بَيْنَ الشَّعْبِ.٥١
52 ५२ इसलिए वह देश जो मैं इस्राएलियों को देता हूँ, तू अपने सामने देख लेगा, परन्तु वहाँ जाने न पाएगा।”
لِهَذَا فَإِنَّكَ تَشْهَدُ الأَرْضَ عَنْ بُعْدٍ، وَلَكِنَّكَ لَنْ تَدْخُلَ إِلَى الأَرْضِ الَّتِي أَهَبُهَا لِبَنِي إِسْرَائِيلَ».٥٢

< व्यवस्था विवरण 32 >