< व्यवस्था विवरण 28 >

1 “यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाएँ, जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ, चौकसी से पूरी करने को चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ठ करेगा।
וְהָיָ֗ה אִם־שָׁמ֤וֹעַ תִּשְׁמַע֙ בְּקוֹל֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ לִשְׁמֹ֤ר לַעֲשׂוֹת֙ אֶת־כָּל־מִצְוֹתָ֔יו אֲשֶׁ֛ר אָנֹכִ֥י מְצַוְּךָ֖ הַיּ֑וֹם וּנְתָ֨נְךָ֜ יְהוָ֤ה אֱלֹהֶ֙יךָ֙ עֶלְי֔וֹן עַ֖ל כָּל־גּוֹיֵ֥י הָאָֽרֶץ׃
2 फिर अपने परमेश्वर यहोवा की सुनने के कारण ये सब आशीर्वाद तुझ पर पूरे होंगे।
וּבָ֧אוּ עָלֶ֛יךָ כָּל־הַבְּרָכ֥וֹת הָאֵ֖לֶּה וְהִשִּׂיגֻ֑ךָ כִּ֣י תִשְׁמַ֔ע בְּק֖וֹל יְהוָ֥ה אֱלֹהֶֽיךָ׃
3 धन्य हो तू नगर में, धन्य हो तू खेत में।
בָּר֥וּךְ אַתָּ֖ה בָּעִ֑יר וּבָר֥וּךְ אַתָּ֖ה בַּשָּׂדֶֽה׃
4 धन्य हो तेरी सन्तान, और तेरी भूमि की उपज, और गाय और भेड़-बकरी आदि पशुओं के बच्चे।
בָּר֧וּךְ פְּרִֽי־בִטְנְךָ֛ וּפְרִ֥י אַדְמָתְךָ֖ וּפְרִ֣י בְהֶמְתֶּ֑ךָ שְׁגַ֥ר אֲלָפֶ֖יךָ וְעַשְׁתְּר֥וֹת צֹאנֶֽךָ׃
5 धन्य हो तेरी टोकरी और तेरा आटा गूँधने का पात्र।
בָּר֥וּךְ טַנְאֲךָ֖ וּמִשְׁאַרְתֶּֽךָ׃
6 धन्य हो तू भीतर आते समय, और धन्य हो तू बाहर जाते समय।
בָּר֥וּךְ אַתָּ֖ה בְּבֹאֶ֑ךָ וּבָר֥וּךְ אַתָּ֖ה בְּצֵאתֶֽךָ׃
7 “यहोवा ऐसा करेगा कि तेरे शत्रु जो तुझ पर चढ़ाई करेंगे वे तुझ से हार जाएँगे; वे एक मार्ग से तुझ पर चढ़ाई करेंगे, परन्तु तेरे सामने से सात मार्ग से होकर भाग जाएँगे।
יִתֵּ֨ן יְהוָ֤ה אֶת־אֹיְבֶ֙יךָ֙ הַקָּמִ֣ים עָלֶ֔יךָ נִגָּפִ֖ים לְפָנֶ֑יךָ בְּדֶ֤רֶךְ אֶחָד֙ יֵצְא֣וּ אֵלֶ֔יךָ וּבְשִׁבְעָ֥ה דְרָכִ֖ים יָנ֥וּסוּ לְפָנֶֽיךָ׃
8 तेरे खत्तों पर और जितने कामों में तू हाथ लगाएगा उन सभी पर यहोवा आशीष देगा; इसलिए जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें वह तुझे आशीष देगा।
יְצַ֨ו יְהוָ֤ה אִתְּךָ֙ אֶת־הַבְּרָכָ֔ה בַּאֲסָמֶ֕יךָ וּבְכֹ֖ל מִשְׁלַ֣ח יָדֶ֑ךָ וּבֵ֣רַכְךָ֔ בָּאָ֕רֶץ אֲשֶׁר־יְהוָ֥ה אֱלֹהֶ֖יךָ נֹתֵ֥ן לָֽךְ׃
9 यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को मानते हुए उसके मार्गों पर चले, तो वह अपनी शपथ के अनुसार तुझे अपनी पवित्र प्रजा करके स्थिर रखेगा।
יְקִֽימְךָ֨ יְהוָ֥ה לוֹ֙ לְעַ֣ם קָד֔וֹשׁ כַּאֲשֶׁ֖ר נִֽשְׁבַּֽע־לָ֑ךְ כִּ֣י תִשְׁמֹ֗ר אֶת־מִצְוֹת֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ וְהָלַכְתָּ֖ בִּדְרָכָֽיו׃
10 १० और पृथ्वी के देश-देश के सब लोग यह देखकर, कि तू यहोवा का कहलाता है, तुझ से डर जाएँगे।
וְרָאוּ֙ כָּל־עַמֵּ֣י הָאָ֔רֶץ כִּ֛י שֵׁ֥ם יְהוָ֖ה נִקְרָ֣א עָלֶ֑יךָ וְיָֽרְא֖וּ מִמֶּֽךָּ׃
11 ११ और जिस देश के विषय यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर तुझे देने को कहा था, उसमें वह तेरी सन्तान की, और भूमि की उपज की, और पशुओं की बढ़ती करके तेरी भलाई करेगा।
וְהוֹתִֽרְךָ֤ יְהוָה֙ לְטוֹבָ֔ה בִּפְרִ֧י בִטְנְךָ֛ וּבִפְרִ֥י בְהַמְתְּךָ֖ וּבִפְרִ֣י אַדְמָתֶ֑ךָ עַ֚ל הָאֲדָמָ֔ה אֲשֶׁ֨ר נִשְׁבַּ֧ע יְהוָ֛ה לַאֲבֹתֶ֖יךָ לָ֥תֶת לָֽךְ׃
12 १२ यहोवा तेरे लिए अपने आकाशरूपी उत्तम भण्डार को खोलकर तेरी भूमि पर समय पर मेंह बरसाया करेगा, और तेरे सारे कामों पर आशीष देगा; और तू बहुतेरी जातियों को उधार देगा, परन्तु किसी से तुझे उधार लेना न पड़ेगा।
יִפְתַּ֣ח יְהוָ֣ה ׀ לְ֠ךָ אֶת־אוֹצָר֨וֹ הַטּ֜וֹב אֶת־הַשָּׁמַ֗יִם לָתֵ֤ת מְטַֽר־אַרְצְךָ֙ בְּעִתּ֔וֹ וּלְבָרֵ֕ךְ אֵ֖ת כָּל־מַעֲשֵׂ֣ה יָדֶ֑ךָ וְהִלְוִ֙יתָ֙ גּוֹיִ֣ם רַבִּ֔ים וְאַתָּ֖ה לֹ֥א תִלְוֶֽה׃
13 १३ और यहोवा तुझको पूँछ नहीं, किन्तु सिर ही ठहराएगा, और तू नीचे नहीं, परन्तु ऊपर ही रहेगा; यदि परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएँ जो मैं आज तुझको सुनाता हूँ, तू उनके मानने में मन लगाकर चौकसी करे;
וּנְתָֽנְךָ֨ יְהוָ֤ה לְרֹאשׁ֙ וְלֹ֣א לְזָנָ֔ב וְהָיִ֙יתָ֙ רַ֣ק לְמַ֔עְלָה וְלֹ֥א תִהְיֶ֖ה לְמָ֑טָּה כִּֽי־תִשְׁמַ֞ע אֶל־מִצְוֹ֣ת ׀ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֗יךָ אֲשֶׁ֨ר אָנֹכִ֧י מְצַוְּךָ֛ הַיּ֖וֹם לִשְׁמֹ֥ר וְלַעֲשֽׂוֹת׃
14 १४ और जिन वचनों की मैं आज तुझे आज्ञा देता हूँ उनमें से किसी से दाएँ या बाएँ मुड़कर पराए देवताओं के पीछे न हो ले, और न उनकी सेवा करे।
וְלֹ֣א תָס֗וּר מִכָּל־הַדְּבָרִים֙ אֲשֶׁ֨ר אָנֹכִ֜י מְצַוֶּ֥ה אֶתְכֶ֛ם הַיּ֖וֹם יָמִ֣ין וּשְׂמֹ֑אול לָלֶ֗כֶת אַחֲרֵ֛י אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִ֖ים לְעָבְדָֽם׃ ס
15 १५ “परन्तु यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालन करने में जो मैं आज सुनाता हूँ चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेंगे।
וְהָיָ֗ה אִם־לֹ֤א תִשְׁמַע֙ בְּקוֹל֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ לִשְׁמֹ֤ר לַעֲשׂוֹת֙ אֶת־כָּל־מִצְוֹתָ֣יו וְחֻקֹּתָ֔יו אֲשֶׁ֛ר אָנֹכִ֥י מְצַוְּךָ֖ הַיּ֑וֹם וּבָ֧אוּ עָלֶ֛יךָ כָּל־הַקְּלָל֥וֹת הָאֵ֖לֶּה וְהִשִּׂיגֽוּךָ׃
16 १६ श्रापित हो तू नगर में, श्रापित हो तू खेत में।
אָר֥וּר אַתָּ֖ה בָּעִ֑יר וְאָר֥וּר אַתָּ֖ה בַּשָּׂדֶֽה׃
17 १७ श्रापित हो तेरी टोकरी और तेरा आटा गूँधने का पात्र।
אָר֥וּר טַנְאֲךָ֖ וּמִשְׁאַרְתֶּֽךָ׃
18 १८ श्रापित हो तेरी सन्तान, और भूमि की उपज, और गायों और भेड़-बकरियों के बच्चे।
אָר֥וּר פְּרִֽי־בִטְנְךָ֖ וּפְרִ֣י אַדְמָתֶ֑ךָ שְׁגַ֥ר אֲלָפֶ֖יךָ וְעַשְׁתְּר֥וֹת צֹאנֶֽךָ׃
19 १९ श्रापित हो तू भीतर आते समय, और श्रापित हो तू बाहर जाते समय।
אָר֥וּר אַתָּ֖ה בְּבֹאֶ֑ךָ וְאָר֥וּר אַתָּ֖ה בְּצֵאתֶֽךָ׃
20 २० “फिर जिस-जिस काम में तू हाथ लगाए, उसमें यहोवा तब तक तुझको श्राप देता, और भयातुर करता, और धमकी देता रहेगा, जब तक तू मिट न जाए, और शीघ्र नष्ट न हो जाए; यह इस कारण होगा कि तू यहोवा को त्याग कर दुष्ट काम करेगा।
יְשַׁלַּ֣ח יְהוָ֣ה ׀ בְּ֠ךָ אֶת־הַמְּאֵרָ֤ה אֶת־הַמְּהוּמָה֙ וְאֶת־הַמִּגְעֶ֔רֶת בְּכָל־מִשְׁלַ֥ח יָדְךָ֖ אֲשֶׁ֣ר תַּעֲשֶׂ֑ה עַ֣ד הִשָּֽׁמֶדְךָ֤ וְעַד־אֲבָדְךָ֙ מַהֵ֔ר מִפְּנֵ֛י רֹ֥עַ מַֽעֲלָלֶ֖יךָ אֲשֶׁ֥ר עֲזַבְתָּֽנִי׃
21 २१ और यहोवा ऐसा करेगा कि मरी तुझ में फैलकर उस समय तक लगी रहेगी, जब तक जिस भूमि के अधिकारी होने के लिये तू जा रहा है उस पर से तेरा अन्त न हो जाए।
יַדְבֵּ֧ק יְהוָ֛ה בְּךָ֖ אֶת־הַדָּ֑בֶר עַ֚ד כַּלֹּת֣וֹ אֹֽתְךָ֔ מֵעַל֙ הָֽאֲדָמָ֔ה אֲשֶׁר־אַתָּ֥ה בָא־שָׁ֖מָּה לְרִשְׁתָּֽהּ׃
22 २२ यहोवा तुझको क्षयरोग से, और ज्वर, और दाह, और बड़ी जलन से, और तलवार, और झुलस, और गेरूई से मारेगा; और ये उस समय तक तेरा पीछा किए रहेंगे, जब तक तेरा सत्यानाश न हो जाए।
יַכְּכָ֣ה יְ֠הוָה בַּשַּׁחֶ֨פֶת וּבַקַּדַּ֜חַת וּבַדַּלֶּ֗קֶת וּבַֽחַרְחֻר֙ וּבַחֶ֔רֶב וּבַשִּׁדָּפ֖וֹן וּבַיֵּרָק֑וֹן וּרְדָפ֖וּךָ עַ֥ד אָבְדֶֽךָ׃
23 २३ और तेरे सिर के ऊपर आकाश पीतल का, और तेरे पाँव के तले भूमि लोहे की हो जाएगी।
וְהָי֥וּ שָׁמֶ֛יךָ אֲשֶׁ֥ר עַל־רֹאשְׁךָ֖ נְחֹ֑שֶׁת וְהָאָ֥רֶץ אֲשֶׁר־תַּחְתֶּ֖יךָ בַּרְזֶֽל׃
24 २४ यहोवा तेरे देश में पानी के बदले रेत और धूलि बरसाएगा; वह आकाश से तुझ पर यहाँ तक बरसेगी कि तेरा सत्यानाश हो जाएगा।
יִתֵּ֧ן יְהוָ֛ה אֶת־מְטַ֥ר אַרְצְךָ֖ אָבָ֣ק וְעָפָ֑ר מִן־הַשָּׁמַ֙יִם֙ יֵרֵ֣ד עָלֶ֔יךָ עַ֖ד הִשָּׁמְדָֽךְ׃
25 २५ “यहोवा तुझको शत्रुओं से हरवाएगा; और तू एक मार्ग से उनका सामना करने को जाएगा, परन्तु सात मार्ग से होकर उनके सामने से भाग जाएगा; और पृथ्वी के सब राज्यों में मारा-मारा फिरेगा।
יִתֶּנְךָ֨ יְהוָ֥ה ׀ נִגָּף֮ לִפְנֵ֣י אֹיְבֶיךָ֒ בְּדֶ֤רֶךְ אֶחָד֙ תֵּצֵ֣א אֵלָ֔יו וּבְשִׁבְעָ֥ה דְרָכִ֖ים תָּנ֣וּס לְפָנָ֑יו וְהָיִ֣יתָ לְזַעֲוָ֔ה לְכֹ֖ל מַמְלְכ֥וֹת הָאָֽרֶץ׃
26 २६ और तेरा शव आकाश के भाँति-भाँति के पक्षियों, और धरती के पशुओं का आहार होगा; और उनको कोई भगानेवाला न होगा।
וְהָיְתָ֤ה נִבְלָֽתְךָ֙ לְמַאֲכָ֔ל לְכָל־ע֥וֹף הַשָּׁמַ֖יִם וּלְבֶהֱמַ֣ת הָאָ֑רֶץ וְאֵ֖ין מַחֲרִֽיד׃
27 २७ यहोवा तुझको मिस्र के से फोड़े, और बवासीर, और दाद, और खुजली से ऐसा पीड़ित करेगा, कि तू चंगा न हो सकेगा।
יַכְּכָ֨ה יְהוָ֜ה בִּשְׁחִ֤ין מִצְרַ֙יִם֙ וּבַטְּחֹרִ֔ים וּבַגָּרָ֖ב וּבֶחָ֑רֶס אֲשֶׁ֥ר לֹא־תוּכַ֖ל לְהֵרָפֵֽא׃
28 २८ यहोवा तुझे पागल और अंधा कर देगा, और तेरे मन को अत्यन्त घबरा देगा;
יַכְּכָ֣ה יְהוָ֔ה בְּשִׁגָּע֖וֹן וּבְעִוָּר֑וֹן וּבְתִמְה֖וֹן לֵבָֽב׃
29 २९ और जैसे अंधा अंधियारे में टटोलता है वैसे ही तू दिन दुपहरी में टटोलता फिरेगा, और तेरे काम-काज सफल न होंगे; और तू सदैव केवल अत्याचार सहता और लुटता ही रहेगा, और तेरा कोई छुड़ानेवाला न होगा।
וְהָיִ֜יתָ מְמַשֵּׁ֣שׁ בַּֽצָּהֳרַ֗יִם כַּאֲשֶׁ֨ר יְמַשֵּׁ֤שׁ הָעִוֵּר֙ בָּאֲפֵלָ֔ה וְלֹ֥א תַצְלִ֖יחַ אֶת־דְּרָכֶ֑יךָ וְהָיִ֜יתָ אַ֣ךְ עָשׁ֧וּק וְגָז֛וּל כָּל־הַיָּמִ֖ים וְאֵ֥ין מוֹשִֽׁיעַ׃
30 ३० तू स्त्री से ब्याह की बात लगाएगा, परन्तु दूसरा पुरुष उसको भ्रष्ट करेगा; घर तू बनाएगा, परन्तु उसमें बसने न पाएगा; दाख की बारी तू लगाएगा, परन्तु उसके फल खाने न पाएगा।
אִשָּׁ֣ה תְאָרֵ֗שׂ וְאִ֤ישׁ אַחֵר֙ יִשְׁכָּבֶ֔נָּה בַּ֥יִת תִּבְנֶ֖ה וְלֹא־תֵשֵׁ֣ב בּ֑וֹ כֶּ֥רֶם תִּטַּ֖ע וְלֹ֥א תְחַלְּלֶּֽנּוּ׃
31 ३१ तेरा बैल तेरी आँखों के सामने मारा जाएगा, और तू उसका माँस खाने न पाएगा; तेरा गदहा तेरी आँख के सामने लूट में चला जाएगा, और तुझे फिर न मिलेगा; तेरी भेड़-बकरियाँ तेरे शत्रुओं के हाथ लग जाएँगी, और तेरी ओर से उनका कोई छुड़ानेवाला न होगा।
שׁוֹרְךָ֞ טָב֣וּחַ לְעֵינֶ֗יךָ וְלֹ֣א תֹאכַל֮ מִמֶּנּוּ֒ חֲמֹֽרְךָ֙ גָּז֣וּל מִלְּפָנֶ֔יךָ וְלֹ֥א יָשׁ֖וּב לָ֑ךְ צֹֽאנְךָ֙ נְתֻנ֣וֹת לְאֹיְבֶ֔יךָ וְאֵ֥ין לְךָ֖ מוֹשִֽׁיעַ׃
32 ३२ तेरे बेटे-बेटियाँ दूसरे देश के लोगों के हाथ लग जाएँगे, और उनके लिये चाव से देखते-देखते तेरी आँखें रह जाएँगी; और तेरा कुछ बस न चलेगा।
בָּנֶ֨יךָ וּבְנֹתֶ֜יךָ נְתֻנִ֨ים לְעַ֤ם אַחֵר֙ וְעֵינֶ֣יךָ רֹא֔וֹת וְכָל֥וֹת אֲלֵיהֶ֖ם כָּל־הַיּ֑וֹם וְאֵ֥ין לְאֵ֖ל יָדֶֽךָ׃
33 ३३ तेरी भूमि की उपज और तेरी सारी कमाई एक अनजाने देश के लोग खा जाएँगे; और सर्वदा तू केवल अत्याचार सहता और पिसता रहेगा;
פְּרִ֤י אַדְמָֽתְךָ֙ וְכָל־יְגִ֣יעֲךָ֔ יֹאכַ֥ל עַ֖ם אֲשֶׁ֣ר לֹא־יָדָ֑עְתָּ וְהָיִ֗יתָ רַ֛ק עָשׁ֥וּק וְרָצ֖וּץ כָּל־הַיָּמִֽים׃
34 ३४ यहाँ तक कि तू उन बातों के कारण जो अपनी आँखों से देखेगा पागल हो जाएगा।
וְהָיִ֖יתָ מְשֻׁגָּ֑ע מִמַּרְאֵ֥ה עֵינֶ֖יךָ אֲשֶׁ֥ר תִּרְאֶֽה׃
35 ३५ यहोवा तेरे घुटनों और टाँगों में, वरन् नख से शीर्ष तक भी असाध्य फोड़े निकालकर तुझको पीड़ित करेगा।
יַכְּכָ֨ה יְהוָ֜ה בִּשְׁחִ֣ין רָ֗ע עַל־הַבִּרְכַּ֙יִם֙ וְעַל־הַשֹּׁקַ֔יִם אֲשֶׁ֥ר לֹא־תוּכַ֖ל לְהֵרָפֵ֑א מִכַּ֥ף רַגְלְךָ֖ וְעַ֥ד קָדְקֳדֶֽךָ׃
36 ३६ “यहोवा तुझको उस राजा समेत, जिसको तू अपने ऊपर ठहराएगा, तेरे और तेरे पूर्वजों के लिए अनजानी एक जाति के बीच पहुँचाएगा; और उसके मध्य में रहकर तू काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना और पूजा करेगा।
יוֹלֵ֨ךְ יְהוָ֜ה אֹֽתְךָ֗ וְאֶֽת־מַלְכְּךָ֙ אֲשֶׁ֣ר תָּקִ֣ים עָלֶ֔יךָ אֶל־גּ֕וֹי אֲשֶׁ֥ר לֹא־יָדַ֖עְתָּ אַתָּ֣ה וַאֲבֹתֶ֑יךָ וְעָבַ֥דְתָּ שָּׁ֛ם אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִ֖ים עֵ֥ץ וָאָֽבֶן׃
37 ३७ और उन सब जातियों में जिनके मध्य में यहोवा तुझको पहुँचाएगा, वहाँ के लोगों के लिये तू चकित होने का, और दृष्टान्त और श्राप का कारण समझा जाएगा।
וְהָיִ֣יתָ לְשַׁמָּ֔ה לְמָשָׁ֖ל וְלִשְׁנִינָ֑ה בְּכֹל֙ הָֽעַמִּ֔ים אֲשֶׁר־יְנַהֶגְךָ֥ יְהוָ֖ה שָֽׁמָּה׃
38 ३८ तू खेत में बीज तो बहुत सा ले जाएगा, परन्तु उपज थोड़ी ही बटोरेगा; क्योंकि टिड्डियाँ उसे खा जाएँगी।
זֶ֥רַע רַ֖ב תּוֹצִ֣יא הַשָּׂדֶ֑ה וּמְעַ֣ט תֶּאֱסֹ֔ף כִּ֥י יַחְסְלֶ֖נּוּ הָאַרְבֶּֽה׃
39 ३९ तू दाख की बारियाँ लगाकर उनमें काम तो करेगा, परन्तु उनकी दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन् फल भी तोड़ने न पाएगा; क्योंकि कीड़े उनको खा जाएँगे।
כְּרָמִ֥ים תִּטַּ֖ע וְעָבָ֑דְתָּ וְיַ֤יִן לֹֽא־תִשְׁתֶּה֙ וְלֹ֣א תֶאֱגֹ֔ר כִּ֥י תֹאכְלֶ֖נּוּ הַתֹּלָֽעַת׃
40 ४० तेरे सारे देश में जैतून के वृक्ष तो होंगे, परन्तु उनका तेल तू अपने शरीर में लगाने न पाएगा; क्योंकि वे झड़ जाएँगे।
זֵיתִ֛ים יִהְי֥וּ לְךָ֖ בְּכָל־גְּבוּלֶ֑ךָ וְשֶׁ֙מֶן֙ לֹ֣א תָס֔וּךְ כִּ֥י יִשַּׁ֖ל זֵיתֶֽךָ׃
41 ४१ तेरे बेटे-बेटियाँ तो उत्पन्न होंगे, परन्तु तेरे रहेंगे नहीं; क्योंकि वे बन्धुवाई में चले जाएँगे।
בָּנִ֥ים וּבָנ֖וֹת תּוֹלִ֑יד וְלֹא־יִהְי֣וּ לָ֔ךְ כִּ֥י יֵלְכ֖וּ בַּשֶּֽׁבִי׃
42 ४२ तेरे सब वृक्ष और तेरी भूमि की उपज टिड्डियाँ खा जाएँगी।
כָּל־עֵצְךָ֖ וּפְרִ֣י אַדְמָתֶ֑ךָ יְיָרֵ֖שׁ הַצְּלָצַֽל׃
43 ४३ जो परदेशी तेरे मध्य में रहेगा वह तुझ से बढ़ता जाएगा; और तू आप घटता चला जाएगा।
הַגֵּר֙ אֲשֶׁ֣ר בְּקִרְבְּךָ֔ יַעֲלֶ֥ה עָלֶ֖יךָ מַ֣עְלָה מָּ֑עְלָה וְאַתָּ֥ה תֵרֵ֖ד מַ֥טָּה מָּֽטָּה׃
44 ४४ “वह तुझको उधार देगा, परन्तु तू उसको उधार न दे सकेगा; वह तो सिर और तू पूँछ ठहरेगा।
ה֣וּא יַלְוְךָ֔ וְאַתָּ֖ה לֹ֣א תַלְוֶ֑נּוּ ה֚וּא יִהְיֶ֣ה לְרֹ֔אשׁ וְאַתָּ֖ה תִּֽהְיֶ֥ה לְזָנָֽב׃
45 ४५ तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की दी हुई आज्ञाओं और विधियों के मानने को उसकी न सुनेगा, इस कारण ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेंगे, और तेरे पीछे पड़े रहेंगे, और तुझको पकड़ेंगे, और अन्त में तू नष्ट हो जाएगा।
וּבָ֨אוּ עָלֶ֜יךָ כָּל־הַקְּלָל֣וֹת הָאֵ֗לֶּה וּרְדָפ֙וּךָ֙ וְהִשִּׂיג֔וּךָ עַ֖ד הִשָּֽׁמְדָ֑ךְ כִּי־לֹ֣א שָׁמַ֗עְתָּ בְּקוֹל֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ לִשְׁמֹ֛ר מִצְוֹתָ֥יו וְחֻקֹּתָ֖יו אֲשֶׁ֥ר צִוָּֽךְ׃
46 ४६ और वे तुझ पर और तेरे वंश पर सदा के लिये बने रहकर चिन्ह और चमत्कार ठहरेंगे;
וְהָי֣וּ בְךָ֔ לְא֖וֹת וּלְמוֹפֵ֑ת וּֽבְזַרְעֲךָ֖ עַד־עוֹלָֽם׃
47 ४७ “तू जो सब पदार्थ की बहुतायत होने पर भी आनन्द और प्रसन्नता के साथ अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा नहीं करेगा,
תַּ֗חַת אֲשֶׁ֤ר לֹא־עָבַ֙דְתָּ֙ אֶת־יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ בְּשִׂמְחָ֖ה וּבְט֣וּב לֵבָ֑ב מֵרֹ֖ב כֹּֽל׃
48 ४८ इस कारण तुझको भूखा, प्यासा, नंगा, और सब पदार्थों से रहित होकर अपने उन शत्रुओं की सेवा करनी पड़ेगी जिन्हें यहोवा तेरे विरुद्ध भेजेगा; और जब तक तू नष्ट न हो जाए तब तक वह तेरी गर्दन पर लोहे का जूआ डाल रखेगा।
וְעָבַדְתָּ֣ אֶת־אֹיְבֶ֗יךָ אֲשֶׁ֨ר יְשַׁלְּחֶ֤נּוּ יְהוָה֙ בָּ֔ךְ בְּרָעָ֧ב וּבְצָמָ֛א וּבְעֵירֹ֖ם וּבְחֹ֣סֶר כֹּ֑ל וְנָתַ֞ן עֹ֤ל בַּרְזֶל֙ עַל־צַוָּארֶ֔ךָ עַ֥ד הִשְׁמִיד֖וֹ אֹתָֽךְ׃
49 ४९ यहोवा तेरे विरुद्ध दूर से, वरन् पृथ्वी के छोर से वेग से उड़नेवाले उकाब सी एक जाति को चढ़ा लाएगा जिसकी भाषा को तू न समझेगा;
יִשָּׂ֣א יְהוָה֩ עָלֶ֨יךָ גּ֤וֹי מֵרָחוֹק֙ מִקְצֵ֣ה הָאָ֔רֶץ כַּאֲשֶׁ֥ר יִדְאֶ֖ה הַנָּ֑שֶׁר גּ֕וֹי אֲשֶׁ֥ר לֹא־תִשְׁמַ֖ע לְשֹׁנֽוֹ׃
50 ५० उस जाति के लोगों का व्यवहार क्रूर होगा, वे न तो बूढ़ों का मुँह देखकर आदर करेंगे, और न बालकों पर दया करेंगे;
גּ֖וֹי עַ֣ז פָּנִ֑ים אֲשֶׁ֨ר לֹא־יִשָּׂ֤א פָנִים֙ לְזָקֵ֔ן וְנַ֖עַר לֹ֥א יָחֹֽן׃
51 ५१ और वे तेरे पशुओं के बच्चे और भूमि की उपज यहाँ तक खा जाएँगे कि तू नष्ट हो जाएगा; और वे तेरे लिये न अन्न, और न नया दाखमधु, और न टटका तेल, और न बछड़े, न मेम्ने छोड़ेंगे, यहाँ तक कि तू नाश हो जाएगा।
וְ֠אָכַל פְּרִ֨י בְהֶמְתְּךָ֥ וּפְרִֽי־אַדְמָתְךָ֮ עַ֣ד הִשָּֽׁמְדָךְ֒ אֲשֶׁ֨ר לֹֽא־יַשְׁאִ֜יר לְךָ֗ דָּגָן֙ תִּיר֣וֹשׁ וְיִצְהָ֔ר שְׁגַ֥ר אֲלָפֶ֖יךָ וְעַשְׁתְּרֹ֣ת צֹאנֶ֑ךָ עַ֥ד הַאֲבִיד֖וֹ אֹתָֽךְ׃
52 ५२ और वे तेरे परमेश्वर यहोवा के दिये हुए सारे देश के सब फाटकों के भीतर तुझे घेर रखेंगे; वे तेरे सब फाटकों के भीतर तुझे उस समय तक घेरेंगे, जब तक तेरे सारे देश में तेरी ऊँची-ऊँची और दृढ़ शहरपनाहें जिन पर तू भरोसा करेगा गिर न जाएँ।
וְהֵצַ֨ר לְךָ֜ בְּכָל־שְׁעָרֶ֗יךָ עַ֣ד רֶ֤דֶת חֹמֹתֶ֙יךָ֙ הַגְּבֹה֣וֹת וְהַבְּצֻר֔וֹת אֲשֶׁ֥ר אַתָּ֛ה בֹּטֵ֥חַ בָּהֵ֖ן בְּכָל־אַרְצֶ֑ךָ וְהֵצַ֤ר לְךָ֙ בְּכָל־שְׁעָרֶ֔יךָ בְּכָ֨ל־אַרְצְךָ֔ אֲשֶׁ֥ר נָתַ֛ן יְהוָ֥ה אֱלֹהֶ֖יךָ לָֽךְ׃
53 ५३ तब घिर जाने और उस संकट के समय जिसमें तेरे शत्रु तुझको डालेंगे, तू अपने निज जन्माए बेटे-बेटियों का माँस जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझको देगा खाएगा।
וְאָכַלְתָּ֣ פְרִֽי־בִטְנְךָ֗ בְּשַׂ֤ר בָּנֶ֙יךָ֙ וּבְנֹתֶ֔יךָ אֲשֶׁ֥ר נָֽתַן־לְךָ֖ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֑יךָ בְּמָצוֹר֙ וּבְמָצ֔וֹק אֲשֶׁר־יָצִ֥יק לְךָ֖ אֹיְבֶֽךָ׃
54 ५४ और तुझ में जो पुरुष कोमल और अति सुकुमार हो वह भी अपने भाई, और अपनी प्राणप्रिय, और अपने बचे हुए बालकों को क्रूर दृष्टि से देखेगा;
הָאִישׁ֙ הָרַ֣ךְ בְּךָ֔ וְהֶעָנֹ֖ג מְאֹ֑ד תֵּרַ֨ע עֵינ֤וֹ בְאָחִיו֙ וּבְאֵ֣שֶׁת חֵיק֔וֹ וּבְיֶ֥תֶר בָּנָ֖יו אֲשֶׁ֥ר יוֹתִֽיר׃
55 ५५ और वह उनमें से किसी को भी अपने बालकों के माँस में से जो वह आप खाएगा कुछ न देगा, क्योंकि घिर जाने और उस संकट में, जिसमें तेरे शत्रु तेरे सारे फाटकों के भीतर तुझे घेर डालेंगे, उसके पास कुछ न रहेगा।
מִתֵּ֣ת ׀ לְאַחַ֣ד מֵהֶ֗ם מִבְּשַׂ֤ר בָּנָיו֙ אֲשֶׁ֣ר יֹאכֵ֔ל מִבְּלִ֥י הִשְׁאִֽיר־ל֖וֹ כֹּ֑ל בְּמָצוֹר֙ וּבְמָצ֔וֹק אֲשֶׁ֨ר יָצִ֥יק לְךָ֛ אֹיִבְךָ֖ בְּכָל־שְׁעָרֶֽיךָ׃
56 ५६ और तुझ में जो स्त्री यहाँ तक कोमल और सुकुमार हो कि सुकुमारपन के और कोमलता के मारे भूमि पर पाँव धरते भी डरती हो, वह भी अपने प्राणप्रिय पति, और बेटे, और बेटी को,
הָרַכָּ֨ה בְךָ֜ וְהָעֲנֻגָּ֗ה אֲשֶׁ֨ר לֹא־נִסְּתָ֤ה כַף־רַגְלָהּ֙ הַצֵּ֣ג עַל־הָאָ֔רֶץ מֵהִתְעַנֵּ֖ג וּמֵרֹ֑ךְ תֵּרַ֤ע עֵינָהּ֙ בְּאִ֣ישׁ חֵיקָ֔הּ וּבִבְנָ֖הּ וּבְבִתָּֽהּ׃
57 ५७ अपनी खेरी, वरन् अपने जने हुए बच्चों को क्रूर दृष्टि से देखेगी, क्योंकि घिर जाने और उस संकट के समय जिसमें तेरे शत्रु तुझे तेरे फाटकों के भीतर घेरकर रखेंगे, वह सब वस्तुओं की घटी के मारे उन्हें छिपके खाएगी।
וּֽבְשִׁלְיָתָ֞הּ הַיּוֹצֵ֣ת ׀ מִבֵּ֣ין רַגְלֶ֗יהָ וּבְבָנֶ֙יהָ֙ אֲשֶׁ֣ר תֵּלֵ֔ד כִּֽי־תֹאכְלֵ֥ם בְּחֹֽסֶר־כֹּ֖ל בַּסָּ֑תֶר בְּמָצוֹר֙ וּבְמָצ֔וֹק אֲשֶׁ֨ר יָצִ֥יק לְךָ֛ אֹיִבְךָ֖ בִּשְׁעָרֶֽיךָ׃
58 ५८ “यदि तू इन व्यवस्था के सारे वचनों का पालन करने में, जो इस पुस्तक में लिखे हैं, चौकसी करके उस आदरणीय और भययोग्य नाम का, जो यहोवा तेरे परमेश्वर का है भय न माने,
אִם־לֹ֨א תִשְׁמֹ֜ר לַעֲשׂ֗וֹת אֶת־כָּל־דִּבְרֵי֙ הַתּוֹרָ֣ה הַזֹּ֔את הַכְּתוּבִ֖ים בַּסֵּ֣פֶר הַזֶּ֑ה לְ֠יִרְאָה אֶת־הַשֵּׁ֞ם הַנִּכְבָּ֤ד וְהַנּוֹרָא֙ הַזֶּ֔ה אֵ֖ת יְהוָ֥ה אֱלֹהֶֽיךָ׃
59 ५९ तो यहोवा तुझको और तेरे वंश को भयानक-भयानक दण्ड देगा, वे दुष्ट और बहुत दिन रहनेवाले रोग और भारी-भारी दण्ड होंगे।
וְהִפְלָ֤א יְהוָה֙ אֶת־מַכֹּ֣תְךָ֔ וְאֵ֖ת מַכּ֣וֹת זַרְעֶ֑ךָ מַכּ֤וֹת גְּדֹלוֹת֙ וְנֶ֣אֱמָנ֔וֹת וָחֳלָיִ֥ם רָעִ֖ים וְנֶאֱמָנִֽים׃
60 ६० और वह मिस्र के उन सब रोगों को फिर तेरे ऊपर लगा देगा, जिनसे तू भय खाता था; और वे तुझ में लगे रहेंगे।
וְהֵשִׁ֣יב בְּךָ֗ אֵ֚ת כָּל־מַדְוֵ֣ה מִצְרַ֔יִם אֲשֶׁ֥ר יָגֹ֖רְתָּ מִפְּנֵיהֶ֑ם וְדָבְק֖וּ בָּֽךְ׃
61 ६१ और जितने रोग आदि दण्ड इस व्यवस्था की पुस्तक में नहीं लिखे हैं, उन सभी को भी यहोवा तुझको यहाँ तक लगा देगा, कि तेरा सत्यानाश हो जाएगा।
גַּ֤ם כָּל־חֳלִי֙ וְכָל־מַכָּ֔ה אֲשֶׁר֙ לֹ֣א כָת֔וּב בְּסֵ֖פֶר הַתּוֹרָ֣ה הַזֹּ֑את יַעְלֵ֤ם יְהוָה֙ עָלֶ֔יךָ עַ֖ד הִשָּׁמְדָֽךְ׃
62 ६२ और तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की न मानेगा, इस कारण आकाश के तारों के समान अनगिनत होने के बदले तुझ में से थोड़े ही मनुष्य रह जाएँगे।
וְנִשְׁאַרְתֶּם֙ בִּמְתֵ֣י מְעָ֔ט תַּ֚חַת אֲשֶׁ֣ר הֱיִיתֶ֔ם כְּכוֹכְבֵ֥י הַשָּׁמַ֖יִם לָרֹ֑ב כִּי־לֹ֣א שָׁמַ֔עְתָּ בְּק֖וֹל יְהוָ֥ה אֱלֹהֶֽיךָ׃
63 ६३ और जैसे अब यहोवा को तुम्हारी भलाई और बढ़ती करने से हर्ष होता है, वैसे ही तब उसको तुम्हारा नाश वरन् सत्यानाश करने से हर्ष होगा; और जिस भूमि के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो उस पर से तुम उखाड़े जाओगे।
וְ֠הָיָה כַּאֲשֶׁר־שָׂ֨שׂ יְהוָ֜ה עֲלֵיכֶ֗ם לְהֵיטִ֣יב אֶתְכֶם֮ וּלְהַרְבּ֣וֹת אֶתְכֶם֒ כֵּ֣ן יָשִׂ֤ישׂ יְהוָה֙ עֲלֵיכֶ֔ם לְהַאֲבִ֥יד אֶתְכֶ֖ם וּלְהַשְׁמִ֣יד אֶתְכֶ֑ם וְנִסַּחְתֶּם֙ מֵעַ֣ל הָֽאֲדָמָ֔ה אֲשֶׁר־אַתָּ֥ה בָא־שָׁ֖מָּה לְרִשְׁתָּֽהּ׃
64 ६४ और यहोवा तुझको पृथ्वी के इस छोर से लेकर उस छोर तक के सब देशों के लोगों में तितर-बितर करेगा; और वहाँ रहकर तू अपने और अपने पुरखाओं के अनजाने काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना करेगा।
וֶהֱפִֽיצְךָ֤ יְהוָה֙ בְּכָל־הָ֣עַמִּ֔ים מִקְצֵ֥ה הָאָ֖רֶץ וְעַד־קְצֵ֣ה הָאָ֑רֶץ וְעָבַ֨דְתָּ שָּׁ֜ם אֱלֹהִ֣ים אֲחֵרִ֗ים אֲשֶׁ֧ר לֹא־יָדַ֛עְתָּ אַתָּ֥ה וַאֲבֹתֶ֖יךָ עֵ֥ץ וָאָֽבֶן׃
65 ६५ और उन जातियों में तू कभी चैन न पाएगा, और न तेरे पाँव को ठिकाना मिलेगा; क्योंकि वहाँ यहोवा ऐसा करेगा कि तेरा हृदय काँपता रहेगा, और तेरी आँखें धुँधली पड़ जाएँगी, और तेरा मन व्याकुल रहेगा;
וּבַגּוֹיִ֤ם הָהֵם֙ לֹ֣א תַרְגִּ֔יעַ וְלֹא־יִהְיֶ֥ה מָנ֖וֹחַ לְכַף־רַגְלֶ֑ךָ וְנָתַן֩ יְהוָ֨ה לְךָ֥ שָׁם֙ לֵ֣ב רַגָּ֔ז וְכִלְי֥וֹן עֵינַ֖יִם וְדַֽאֲב֥וֹן נָֽפֶשׁ׃
66 ६६ और तुझको जीवन का नित्य सन्देह रहेगा; और तू दिन-रात थरथराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहेगा।
וְהָי֣וּ חַיֶּ֔יךָ תְּלֻאִ֥ים לְךָ֖ מִנֶּ֑גֶד וּפָֽחַדְתָּ֙ לַ֣יְלָה וְיוֹמָ֔ם וְלֹ֥א תַאֲמִ֖ין בְּחַיֶּֽיךָ׃
67 ६७ तेरे मन में जो भय बना रहेगा, और तेरी आँखों को जो कुछ दिखता रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारकर कहेगा, ‘साँझ कब होगी!’ और साँझ को आह मारकर कहेगा, ‘भोर कब होगा!’
בַּבֹּ֤קֶר תֹּאמַר֙ מִֽי־יִתֵּ֣ן עֶ֔רֶב וּבָעֶ֥רֶב תֹּאמַ֖ר מִֽי־יִתֵּ֣ן בֹּ֑קֶר מִפַּ֤חַד לְבָֽבְךָ֙ אֲשֶׁ֣ר תִּפְחָ֔ד וּמִמַּרְאֵ֥ה עֵינֶ֖יךָ אֲשֶׁ֥ר תִּרְאֶֽה׃
68 ६८ और यहोवा तुझको नावों पर चढ़ाकर मिस्र में उस मार्ग से लौटा देगा, जिसके विषय में मैंने तुझ से कहा था, कि वह फिर तेरे देखने में न आएगा; और वहाँ तुम अपने शत्रुओं के हाथ दास-दासी होने के लिये बिकाऊ तो रहोगे, परन्तु तुम्हारा कोई ग्राहक न होगा।”
וֶֽהֱשִֽׁיבְךָ֨ יְהוָ֥ה ׀ מִצְרַיִם֮ בָּאֳנִיּוֹת֒ בַּדֶּ֙רֶךְ֙ אֲשֶׁ֣ר אָמַ֣רְתִּֽי לְךָ֔ לֹא־תֹסִ֥יף ע֖וֹד לִרְאֹתָ֑הּ וְהִתְמַכַּרְתֶּ֨ם שָׁ֧ם לְאֹיְבֶ֛יךָ לַעֲבָדִ֥ים וְלִשְׁפָח֖וֹת וְאֵ֥ין קֹנֶֽה׃ ס

< व्यवस्था विवरण 28 >